“आह्ह… सगीर… जोओररर्र से... आहह... ऊओह... शिट आआह...ह… सगीर ज़ुबान अन्दर तक डालो प्लीज़... आआअहह और ज़ोरर्र से चूसो...”
मैंने चूसते हुए ही अपनी ज़ुबान आपी की चूत में दाखिल कर दी और चूत के अन्दर ही हिलने लगा।
आपी और जोर से मेरे सर के बालों को खींचने लगीं और कहने लगीं- “सगीर अन्दर तक करो... और अन्दर... आआहह... अम्मीई... आअहह... ऊओह सगीर… शिट... मैं गई सगीर...”
आपी का जिस्म अकड़ने लगा और साथ ही आपी की चूत ने पानी छोड़ दिया जो कि सीधा मेरे मुँह में आने लगा।
मैं भी आपी का सारा पानी पी गया और आपी की चूत चाट कर साफ कर दी। चूत चूसने और चाटने के बाद मैंने सर ऊपर उठाया तो आपी ने कहा- “सगीर आज का दिन मुझे सारी ज़िंदगी याद रहेगा”
आपी ने मेरे होंठों पर चूमना शुरू कर दिया और एक मिनट बाद कहा- “अपने लण्ड का नज़ारा नहीं करवाओगे, देखो कैसे तम्बू बना हुआ है”
मैंने कहा- “इसे खुद ही बाहर निकाल लो”
आपी ने अपना हाथ बढ़ा कर मेरा अंडरवियर उतारा और लण्ड को हाथ में लेकर सहलाने लगीं, आपी के हाथ बहुत तेज़ी से चल रहे थे। मैं बिस्तर पर वहीं पीछे की तरफ लेट गया और आँखें बंद करके आपी के हाथों का स्पर्श अपने लण्ड पर महसूस करने लगा।
तभी अचानक मुझे याद आया कि मैं तो टाइमिंग बढ़ाने वाली टेबलेट भी लाया हुआ हूँ और क्यों ना कैमरा भी ऑन कर लिया जाए तो मैंने आपी को कहा- “आपी एक मिनट रूको”
आपी ने लण्ड पकड़े हुए कहा- “नहीं सगीर प्लीज़ मत उठो। मैं इसे नहीं छोड़ना चाहती हूँ”
पर मैंने आपी से कहा- “बस एक मिनट आपी”
मैं बिना उनकी ‘हाँ’ के जल्दी से उठ गया और मैंने भाग कर टेबलेट निकाली और पानी से खा गया। आपी ने मुझे टेबलेट खाते हुए देख लिया था। तभी मैंने कैमरा भी साइड टेबल की दराज से निकाला और उसको भी सैट करके लगा दिया।
आपी ने कहा- “सगीर किन कामों में लगे हो और तुमने खाया क्या है?”
मैंने आपी को किस करते हुए कहा- “आपी, टाइमिंग बढ़ाने वाली टेबलेट खाई है इससे मैं आपको ज्यादा देर तक चोद सकूँगा और आपको भी पूरी संतुष्टि होगी”
आपी ने मुझे पीछे को धक्का दिया और कहा- “तुम बस लेट जाओ”
वो एकदम दीवानों की तरह मेरा लण्ड चूसने लगीं, आपी बहुत तेजी से मेरा लण्ड चूस रही थीं।
मैं भी मज़े में आपी के सर को अपने हाथों से ऊपर-नीचे कर रहा था और कभी-कभी उनके मुँह के अन्दर अपने लौड़े को पूरा घुसेड़ते हुए आपी के सर को भी नीचे को दबा देता था जिससे मेरा लण्ड आपी के हलक तक चला जाता था और फिर मैं एकदम से आपी के सर को छोड़ देता। ऐसा करने से आपी की साँसें तेज हो जाती थीं और आपी फिर से लण्ड को चूसने लग जातीं।
इस तरह आपी ने मेरे लण्ड को एक दफ़ा अपने मुँह में सांस के साथ खींचा जिससे मुझे इतना मज़ा आया कि मैंने अपने चूतड़ों को ऊपर उठाया और आपी के मुँह में ही झड़ने लगा।
झड़ते समय मैंने ऊपर से आपी के सर को दबा दिया जिससे सारा पानी आपी के गले में उतरने लगा और आपी ने वो सारा अपनी पी लिया।
जब मैंने आपी का सर छोड़ा तो आपी एकदम पीछे को गिर गईं और बिस्तर पर लेट गईं।
वो कहने लगीं- “ऊऊहह उउफफ्फ़ सगीर... क्या लण्ड है तुम्हारा... मुझे लगता है ये मेरी जान ले कर छोड़ेगा”
अब मैं सीधा होकर आपी के ऊपर लेट गया और आपी को किस करने लगा।
आपी ने कहा- “सगीर, मेरी चूत में आग लगी है”
मैंने किसिंग छोड़ कर आपी की चूत को को चूसना शुरू कर दिया जिससे आपी ने अपना हाथ मेरे सर पर रखा और मेरे सर को अपनी चूत पर दबाने लगीं और साथ ही वे तेज़ी से सिसकारी भरने लगीं।
“ऊऊहह सगीर… आआहह ऊऊहह... चूसो और तेज़ी से चूसो... बहनचोद हो ना तुम... अपनी बहन की चूत को खा जाओ सगीर... आआहह उफफ्फ़… अम्मीई…”
इतना कहने के साथ ही आपी ने अपना पानी छोड़ना शुरू कर दिया और मैंने वो सारा पानी अपनी ज़ुबान से चाट लिया और एक साइड में होकर लेट गया।
आपी ने मुझे उठाया और कहा- “ऐसे मेरी आग नहीं बुझने वाली। अब तुमने चिंगारी लगा दी है अब आग भी पूरी ठंडी भी करो ना। डालो ना अपना लण्ड मेरी चूत में, मुझे जल्दी से चोद दो”
मैंने कहा- “जरूर आपी पर पहले अपने इसको तो खड़ा करो”
मैंने अपने लण्ड की तरफ इशारा करते हुए कहा।
तो आपी ने कहा- “तुमने तो टेबलेट खाई थी उसका असर तो हुआ नहीं, ये क्यों छूट गया?”
मैंने कहा- “आपी टेबलेट का असर खाने के आधे घन्टे बाद होता है। अभी इसको उठाओ फिर मैं आपकी चूत की आग को ठंडा करूँगा”
झट से आपी ने मेरे लण्ड पर मुँह रखा और तेज़ी से लण्ड को चूसने लगीं। आपी के लण्ड चूसने में इतना जोश था कि एक मिनट बाद ही मेरा लण्ड तन कर अकड़ गया।
खड़ा लौड़ा देख कर आपी ने कहा- “चलो उठो... अब डालो ना मेरी चूत में... क्यों तड़फा रहे हो”
आपी का यही जुनून था जो उस दिन भी आपी पर चढ़ा था और आपी ने खुद ही मेरे लण्ड को चूत में ले लिया था।
मैंने कहा- “अच्छा बाबा, लो डाल देता हूँ”
मैंने उठ कर आपी को सीधा लेटाया। आपी की कमर के नीचे तकिया रखा और आपी की एक टांग मैंने अपने कंधे पर रख कर अपने लण्ड को हाथ में पकड़ा और आपी की चूत पर रगड़ने लगा।
आपी ने बेसब्र होते हुए कहा- “सगीर एक ही झटके में पेल दो। इस निगोड़ी चूत में बहुत आग लगी है”
मैंने कहा- “ये लो मेरी जान, झेलो”
और ये कहने के साथ ही मैंने आपी की चूत पर निशाना साधा और पीछे होकर एक ज़ोरदार धक्का मारा।
मेरा लण्ड जड़ तक आपी की चूत में उतर गया। इस तरह अन्दर जाने की वजह से आपी की एकदम से चीख निकली- “आअहह... मररर्र... गई... आआअहह फट गई मेरी चूत... आअहह... उफफ्फ़...”
आज आपी की चूत को खुल कर चोदने का मौका मिला था। मैंने आपी को चूमना चालू कर दिया और नीचे से हल्के हल्के धक्के लगाने लगा। आपी की चूत इतनी टाइट थी कि मेरे लंड को चारों तरफ से खिंचाव सा महसूस हो रहा था पर मैंने धक्के लगाने जारी रखे।
कुछ ही देर बाद आपी ने कहा- “सगीर, थोड़ा ज़ोर से लगाओ ना”
तो मैं उठा और अपने बाजुओं को आपी की दोनों साइडों में रख कर ज़ोर-ज़ोर से धक्के लगाने लगा।
आपी की मादक सिसकारियाँ निकलने लगीं- “आहह ऊऊऊऊओह... मेरे बहनचोद भाई... ज़ोर से चोद मुझे हरामी... ऊऊऊओह... आअहह... ऑश... मैं गई सगीर…”
अब आपी की फुद्दी ने खूब पानी छोड़ना शुरू कर दिया। जिससे मेरा लण्ड बड़े आराम से आपी की फुद्दी में अन्दर-बाहर होने लगा। आपी की फुद्दी ने इस दफ़ा जो पानी छोड़ा था उसने मुझे हैरान कर दिया था, उनका पानी इतना ज्यादा निकला था कि नीचे से चादर भी काफ़ी गीली हो गई थी।
मैंने अपने झटके जारी रखे और साथ बिस्तर से फूलों की पत्तियाँ उठा कर आपी के नंगे बदन पर फेंकने लगा और आपी के मम्मों को चूसने लगा। इस तरह मैंने आपी को बहुत देर तक चोदा।
फिर लण्ड बाहर निकाले बिना ही आपी को अपनी बांहों में उठाया और खुद लेट गया, अब आपी मेरे ऊपर आ गईं।
मैंने आपी से कहा- “आपी अब आपकी बारी है, आप मुझे कितना चोदती हो?”
तो आपी ने मेरे सीने में नाख़ून गड़ा दिए और जोर-जोर से ऊपर-नीचे होने लगीं।
आपी चुदाई के साथ गर्म आहें भी भरने लगीं- “आआअहह... ऊओह सगीर… तुमने पहले क्यों नहीं चोदा मुझे... इतने दिनों से... इस खेल में इतना मज़ा आता है... मुझे पता होता तो कब से तुम से चुदवा चुकी होती”
तब मैंने कहा- “आपी, आज जम कर आपको चोद रहा हूँ। अब हर रोज़ ऐसे ही चोदूँगा और फरहान के आ जाने के बाद हम दोनों मिल कर आपकी चुदाई किया करेंगें”
तो आपी ने कहा- “हाँ दोनों चोदोगे तो ही मेरी आग बुझेगी वरना मुझे ठंडा नहीं कर पाओगे तुम लोग”
धकापेल चुदाई के बाद मैंने आपी को अपने ऊपर से उतारा और घोड़ी बना कर आपी की चूत मारने लगा। मैं ज़ोर से स्ट्रोक लगा रहा था और आपी मजे से मादक आहों की झड़ी लगा रही थीं।
काफी देर तक इस तरह स्ट्रोक लगाने के बाद मैंने आपी से कहा- “आपी अब मैं झड़ने वाला हूँ”
आपी ने कहा- “मेरी चूत में ही अपना पानी छोड़ दो”
कुछ तगड़े झटकों के साथ ही मैंने ज़ोर से सिसकारी भरी- “आआआअहह मैं गया आपी…” और मैं आपी की चूत में ही पानी छोड़ने लगा।
मेरे लण्ड की पहली धार ही आपी की चूत में गिरी थी कि आपी की भी मादक सिसकारी निकली- “आहह उफफ्फ़... मैं भी गई सगीर…”
आपी की चूत ने मेरे लण्ड को झकड़ लिया और ढेर सारा पानी छोड़ दिया। मैंने भी आपी के अन्दर ही पानी छोड़ दिया और निढाल होकर आपी के ऊपर गिर गया।
आपी ने हाँफते हुए कहा- “दवा का वाकयी बहुत असर था। इससे तो काफ़ी लंबी चुदाई हो जाती है”
मैंने कहा- “आपी अभी तो इसका फुल असर नहीं हुआ था वरना ये तो एक-एक घन्टे तक चूत को ठुकवा देती और उसके बाद भी लण्ड को खड़ा रखती है”
आपी ने कहा- “अभी देख लेते हैं”
यह कहते हुए आपी ने मेरे लण्ड पर हाथ रखा और सहलाने लग गईं।
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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