और वो मुझे आँख मार कर नीचे जाने लगीं।
मैंने उन्हें फिर पुकारा- “आपी…”
“अब क्या है?”
“आपी कल रात हम दोनों के लिए ख़ास होने वाली हो सकती है क्या?”
“कैसी ख़ास?”
“क्या आप कल मेरे लिए दुल्हन का लिबास पहन सकती हो?”
आपी ने मेरी सोच को समझते हुए कहा- “मेरे राजा मैं तो तुम्हारी हूँ इसलिए जो कहोगे वैसा करूँगी। तैयार भी हो जाऊँगी और तुम्हारी मर्जी के कपड़े भी अच्छे से पहन लूँगी और कुछ?”
"बस और कुछ नहीं"
अगले दिन शाम को दूकान से निकल कर सीधा फूलों वाली दुकान पर पहुँच गया और वहाँ से फूलों की पत्तियां लीं और आपी के लिए मैंने ‘रेड रोज़’ लिया और वहाँ से सीधा में ज्वेलरी की शॉप पर गया और वहाँ से आपी के लिए मैंने इयर-रिंग्स लिए और साथ गारमेंट्स की शॉप से दो ब्रा के सैट खरीद लिए और सीधा घर आ गया।
घर आया तो आपी अपने रूम में थीं और रूम अन्दर से लॉक था। मैंने नॉक किया तो आपी ने थोड़ा सा दरवाज़ा खोला।
मैंने आपी से कहा- “आप तैयार हो गईं कि नहीं…”
तो आपी ने कहा- “अभी नहीं बाबा, बस 20 मिनट में हो जाऊँगी”
मैं आपी को वो जो चीज़ें लेकर आया था वो दे दीं और कहा- “आप इनको पहन लो। ये मैं आपके लिए ही लाया हूँ”
आपी ने वो चीजें ले लीं और मुझे ‘थैंक्स’ कह कर दरवाज़ा बंद कर लिया।
मैं भी अपने रूम में चला गया और बेडशीट ठीक करके पूरे बिस्तर पर फूलों की पत्तियां बिखेर दीं। बल्ब की रोशनी भी बंद कर दी। मैंने धीमी वाली लाईट ऑन कर दी और आपी का इन्तजार करने लगा।
तभी आपी की आवाज़ आई- “सगीर…”
तो मैं भाग कर नीचे गया तो आपी दरवाज़े से मुँह निकाले खड़ी थीं। मैंने पूछा- “क्या हुआ आपी?”
तो आपी ने कहा- “मुझे वॉशरूम से हेयर ब्रश पकड़ा दो। मेरा वाला तो मिल ही नहीं रहा है”
मैंने कहा- “ओके…”
मैं वॉशरूम की तरफ चला गया। वहाँ से ब्रश ले कर मैं वापिस आया तो देखा कि आपी के कमरे का दरवाज़ा खुला है। मैं अन्दर गया तो हैरान हुआ कि आपी रूम में नहीं थीं। मैंने टीवी लाउन्ज में भी देखा। आपी वहाँ भी नहीं थीं। तब अचानक मेरे जेहन में आया कि कहीं ये सोच कर मेरे रूम में ना चली गईं हों कि मैं वहाँ ही आ जाऊँगा।
मैं सीढ़ियाँ चढ़ कर ऊपर गया तो कमरे में वो ही मद्धिम लाईट ऑन थी। मैं अन्दर चला गया। अन्दर जाते ही मैंने देखा तो मेरी खुशी की इंतिहा ही नहीं थी। आपी घूँघट में बिस्तर पर बैठी हुई थीं। एकदम दुल्हन की तरह का ब्लैक कलर का लहंगा पहने हुए वो बेहद खूबसूरत लग रही थीं।
मैं समझ गया कि आपी ने मुझसे छिप कर रूम में आने के लिए मुझे नीचे बुलाया था। मैंने कमरे का दरवाजा बंद किया और बिस्तर की तरफ बढ़ने लगा। बिस्तर के पास पहुँच कर मैं आपी के पास बिस्तर पर बैठ गया और आपी का घूँघट उठाने लगा।
मैंने आहिस्ता-आहिस्ता आपी का घूँघट उठाया और मेरे मुँह से खुद बा खुद ही निकल गया- “आपी! आपको मेरी नज़र ना लग जाए। आप इंतिहा खूबसूरत लग रही हो। आप मेरी जान निकाल लोगी आपी, कसम से”
मेरे पास एक गोल्ड का छल्ला था जो कि मैं कभी-कभार पहना करता था। मैं उठा वो छल्ला अपनी दराज से निकाला और आपी के पास जा कर मैं बैठ गया।
मैंने कहा- “इस वक्त मेरे पास मेरी बीवी को देने के लिए इस छल्ले से कीमती और कोई चीज़ नहीं है”
और यह कहते ही मैंने छल्ला आपी का हाथ को पकड़ कर आपी की उंगली में पहना दिया।
उस छल्ले को आपी ने किस किया और कहा- “ये मेरी ज़िंदगी का सब से अनमोल तोहफा है और आज का दिन मेरी ज़िंदगी का सबसे बेहतर दिन है। मैं ये सब कभी नहीं भूल पाऊँगी और मैं अब शादी नहीं करूँगी मेरी शादी आज तुमसे हो गई है बस”
आपी की आँखों से आंसू निकलने लगे जो मैंने गिरने से पहले ही थाम लिए और कहा- “मेरी जान रो ना आपी, आप प्लीज़, आपके आंसू मुझसे नहीं देखे जाते”
मैंने आपी के आंसू साफ कर दिए, मैंने आपी से कहा- “अब इजाजत दें तो आपको आज मैं फिर से अपनी बीवी बना लूँ?”
आपी ने कहा- “हाँ सगीर प्लीज़ मुझे अपनी बीवी बना लो”
दुल्हन के लिबास में आपी आज मेरे साथ पूरी रात के लिए थीं।
और आपी की ‘हाँ’ मिलते ही मैंने आपी माथे पर किस की और आपी का दुपट्टा उतार दिया। मैंने आपी के गाल पर किस की और इसी के साथ आपी के इयर रिंग्स उतार दिए। ये वही इयर रिंग्स थे जो कि मैं आपी के लिए लेकर आया था।
अब मैंने आपी के कान के नज़दीक जाकर कहा- “थैंक्स आपी! आपने मेरे लिए मेरी दी हुई चीजें पहनी हैं”
मैं आपी के कान को चूसने लगा और कान को चूसते हुए मैं आपी की गर्दन पर आ गया और आपी को प्यार करने लगा।
चूमने के साथ ही मैंने पीछे से आपी की कमीज की ज़िप खोल दी और आपी को कहा- “बाजू उठाओ”
आपी ने बाजू उठा दिए और मैंने आपी की कमीज को ऊपर उठा कर उतार दी। कमीज के अन्दर का नजारा देखा तो पाया कि आपी ने मेरी दी हुई ब्रा पहनी हुई थी जिसे देख कर एक बार फिर मुझे बहुत खुशी हुई। अब मैंने आपी के निचले कपड़े को खोला और खींच कर आपी की टाँगों से अलग कर दिया। अब आपी मेरे सामने बस ब्रा और पैन्टी में थीं।
मैंने आपी को एक नज़र ऊपर से नीचे तक देखा और कहा- “आपी आप बेहद खूबसूरत हो। आपका जिस्म बहुत ही प्यारा है। आज एक अजीब सी कशिश है आप में जो मुझे आपका दीवाना बना रही है। आज मैं आपके जिस्म में समा जाना चाहता हूँ आपी आपको आज मैं जी भर के चोदूँगा और जी भर के प्यार करूँगा। आपी आप किसी और की मत होना बस मेरी ही रहना”
तो आपी ने कहा- “मैं बस तुम्हारी हूँ सगीर, सिर्फ़ तुम्हारी…”
फिर मैंने आपी के होंठों पर किस की और पीछे हो गया तो आपी ने मुझे नजदीक खींच कर मेरे सर से पकड़ा और कहा- “सगीर क्यों तड़फा रहे हो मुझे”
उन्होंने इतना कह कर मुझे ज़ोर-ज़ोर से चूमना शुरू कर दिया, मेरे होंठों पर अपने होंठ धर दिए और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगीं। वो अपने हाथों को मेरे सर में फेरने लगीं और ज़ोर से मेरे मुँह को अपने मुँह में घुसाने की कोशिश करने लगीं। इस अचानक हुए हमले से मेरे होश भी गुम हो गए और मैंने आपी को बांहों में भर लिया, मैं पूरे जोश से उन्हें किस करने लगा।
आपी ने आज लिपस्टिक लगाई हुई थी जिससे किस करने का और भी ज्यादा मज़ा आ रहा था। मैंने इतने ज़ोर से किस की कि आपी से सम्भला नहीं गया और वो ऐसे ही तकिए के ऊपर जा गिरीं। उनके साथ ही मैं भी आपी के ऊपर गिर गया पर हमने किसिंग नहीं रोकी और पूरे जोश से हम दोनों कुछ मिनट तक किस करते रहे।
कुछ मिनट बाद आपी ने मेरे सर को बालों से पकड़ कर उठाया और कहा- “सगीर अपने कपड़े जल्दी उतारो। मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा है”
यह कहते हुए वे खुद ही जल्दी से मेरे कपड़े उतारने लगीं पर जल्दी में आपी ने बटन खोलने की बजाए ज़ोर लगा के खींचा तो सारे बटन टूट गए। उन्होंने इससे बेपरवाह होते हुए मेरी शर्ट उतार कर दूर फेंक दी और जल्दी से मेरी बेल्ट खोल कर मेरी पैन्ट भी उतार दी। अब मैं सिर्फ़ अंडरवियर में था और आपी ब्रा और पैन्टी में थीं।
मैंने जल्दी से आपी की ब्रा का हुक खोला तो आपी के वो मम्मे जो मैं रोज चूसा करता था, उछल कर मेरे सामने आ गए। मैंने बिना देर किए ही आपी को फिर से लिटा दिया और आपी के मम्मों को चूसने लगा। मैं बेसब्री से आपी के निपल्स को चूसने लगा।
आपी मादक सिसकारियाँ भरने लगीं- “आह्ह... जोऊररर... से चूसो... सगीर और ज़ूओररर सेई...आह्ह... सगीर आज अपनी बहन को अपनी बीवी का दरजा दे दो सगीर... और ज़ूर... से चूसो… आह्ह... यस… दूसरे को भी चूसोऊ…”
यह कहते हुए आपी ने मेरा सर उठा कर दूसरे चूचे पर रख दिया और मैं आपी के दूसरे निप्पल को सक करने लगा। आपी मादक आहें भरती जा रही थीं।
“आआअहह... सगीर तुम मेरी जान हो... सगीर... आह्ह... अपनी बहन को आज सब खुशियाँ दे दो... और जोर्रर.. से सक करो… आआअहह... उफ्फ़…”
मैं उनके मम्मों को चूसता हुआ नीचे आने लगा और आपी की बेली को चूसने लगा और पेट पर चूसते-चूसते मैंने आपी की पैन्टी उतार दी। अब मैं उनकी चूत को देखने लगा और एकदम से मैंने आपी की चूत पर अपना मुँह रख दिया और जोर-जोर से चूत चूसने लगा।
मेरे एकदम से चूत पर मुँह रख कर चूसने से आपी के मुँह से बेइख्तियार सिसकारी निकली- “ऊऊऊहह... कमीने... चूस...ले...”
आपी ने अपने हाथ मेरे सर पर रख कर दबाने लगीं, उन्होंने मस्ती में अपनी आँखें बंद करके सर को पीछे तकिए पर रख दिया। अब वे अपनी चुदास को अपने ‘आहों’ के जरिए खारिज कर रही थीं।
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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