05-04-2024, 07:51 PM
मेरी मां के साथ यह लुका छिपी का खेल भला कब तक चलता। एक ही छत के नीचे मां बेटी, दोनों के साथ, गुपचुप तरीके से अलग अलग, घुसा की रंगरेलियों का भांडा तो फूटना ही था। आखिरकार एक दिन मेरी मां के सामने यह भांडा फूट ही गया। उफ, वह दिन भला मैं कैसे भूल सकती हूं।
उस दिन मैं कॉलेज में एक पीरियड खाली था तो उस समय मैं अपनी गंदी और बदचलन सहेलियों के साथ कैंटीन में बैठी गप्पें मारते हुए चाय की चुस्कियां ले रही थी। मैं उस दिन स्कर्ट ब्लाउज में थी। हमारी टेबल से कुछ ही दूरी पर एक और टेबल पर हमारी क्लास के ही आवारा टाईप के चार पांच लड़के बैठे हमारी ओर ही देखते हुए आपस में कुछ बातें कर रहे थे। उनकी आंखों से और बात करने के तरीके और चेहरे के हाव भाव से साफ पता चल रहा था कि वे हमारे बारे में अच्छी बातें तो निश्चय ही नहीं कर रहे थे। खैर हमें क्या, मैंने अपनी सहेलियों में से शीला, जो हम सबमें ज्यादा स्मार्ट थी, से बोली,
"उधर देखो, वे लड़के हमारे बारे में जरूर कुछ उल्टा सीधा बातें कर रहे हैं।"
"अरे यह राजू (राजू उन लड़कों में सबसे ज्यादा स्मार्ट और एक नंबर का छंटा हुआ बदमाश था) और उनके दोस्तों का काम ही क्या है। पढ़ाई लिखाई में तो सबके सब फिसड्डी, लेकिन लड़कियों के पीछे बड़े रोमियो बने फिरते हैं। कभी हमसे पाला पड़ जाए तो आटा दाल का भाव मालूम हो जाएगा। उनको नजर अंदाज करो, साले सब दिखावे का स्मार्ट बने फिरते हैं। सालों के लंड में दम होता तो अबतक हमारा आमना सामना हो चुका होता, साले हिजड़े कहींके।" वह तिक्त स्वर में बोली और हम सभी एक बार उन्हें हिकारत भरी दृष्टि से देखकर अपनी बातों में व्यस्त हो गयीं। लेकिन मेरी छठी इंद्री कह रही थी कि आज ही हमारा आमना सामना होना तय है।
"मुझे लग रहा है कि ये लोग आज कुछ गड़बड़ करने वाले हैं। मुझे उनके हाव-भाव में कुछ अस्वभाविक दिखाई दे रहा है" मैं बोली।
"अरे तो उससे क्या। खा थोड़ी न जाएंगे। ज्यादा से ज्यादा चोदेंगे और क्या। हम कौन सी दूध की धुली हैं। पानी न पिला दिया तो कहना। क्या मैं गलत बोल रही हूं?" शीला उनकी ओर चुनौती भरी दृष्टि फेरती हुई बोली।
"हां हां, और क्या। उनको छठी का दूध नहीं पिलाया तो हमारी ऐसी चौकड़ी किस काम की।" अब रेखा बोली। रेखा एक संपन्न घर से ताल्लुक रखती थी, इसलिए उसका तेवर भी वैसा ही कड़क था। वैसे वह भी काफी बिगड़ी हुई लड़की थी। हमारे कॉलेज में तो नहीं लेकिन कॉलेज से बाहर के दो तीन रईसजादे उसके ब्वायफ़्रेंड थे।
"सही बोली। अगर मुझे हाथ लगाने की हिम्मत करेंगे तो मां कसम, मैं इनका लंड उखाड़ के इनकी गांड़ में घुसेड़वा दूंगी।" रश्मि बोली। रश्मि भी कम नहीं थी। एक नंबर की छंटी हुई बदमाश थी। कॉलेज में तो किसी लड़के को घास नहीं डाली थी लेकिन बाहर मे न जाने कितने आशिक थे इसके।
"बिल्कुल।" सबके सब एक स्वर में बोल उठे। मुझे छोड़कर सबके सब अपने अपने ब्वॉयफ्रेंडों से पिटवा सकते थे लेकिन मैं क्या करूं। खैर मुझे इसकी इतनी चिंता नहीं थी। अपने हाथों पैरों पर मुझे पूरा विश्वास था। आखिर मेरे जूडो कराटे की ट्रेनिंग किस दिन काम आती। मैं निश्चिंत हो गई।
उस दिन मैं कॉलेज में एक पीरियड खाली था तो उस समय मैं अपनी गंदी और बदचलन सहेलियों के साथ कैंटीन में बैठी गप्पें मारते हुए चाय की चुस्कियां ले रही थी। मैं उस दिन स्कर्ट ब्लाउज में थी। हमारी टेबल से कुछ ही दूरी पर एक और टेबल पर हमारी क्लास के ही आवारा टाईप के चार पांच लड़के बैठे हमारी ओर ही देखते हुए आपस में कुछ बातें कर रहे थे। उनकी आंखों से और बात करने के तरीके और चेहरे के हाव भाव से साफ पता चल रहा था कि वे हमारे बारे में अच्छी बातें तो निश्चय ही नहीं कर रहे थे। खैर हमें क्या, मैंने अपनी सहेलियों में से शीला, जो हम सबमें ज्यादा स्मार्ट थी, से बोली,
"उधर देखो, वे लड़के हमारे बारे में जरूर कुछ उल्टा सीधा बातें कर रहे हैं।"
"अरे यह राजू (राजू उन लड़कों में सबसे ज्यादा स्मार्ट और एक नंबर का छंटा हुआ बदमाश था) और उनके दोस्तों का काम ही क्या है। पढ़ाई लिखाई में तो सबके सब फिसड्डी, लेकिन लड़कियों के पीछे बड़े रोमियो बने फिरते हैं। कभी हमसे पाला पड़ जाए तो आटा दाल का भाव मालूम हो जाएगा। उनको नजर अंदाज करो, साले सब दिखावे का स्मार्ट बने फिरते हैं। सालों के लंड में दम होता तो अबतक हमारा आमना सामना हो चुका होता, साले हिजड़े कहींके।" वह तिक्त स्वर में बोली और हम सभी एक बार उन्हें हिकारत भरी दृष्टि से देखकर अपनी बातों में व्यस्त हो गयीं। लेकिन मेरी छठी इंद्री कह रही थी कि आज ही हमारा आमना सामना होना तय है।
"मुझे लग रहा है कि ये लोग आज कुछ गड़बड़ करने वाले हैं। मुझे उनके हाव-भाव में कुछ अस्वभाविक दिखाई दे रहा है" मैं बोली।
"अरे तो उससे क्या। खा थोड़ी न जाएंगे। ज्यादा से ज्यादा चोदेंगे और क्या। हम कौन सी दूध की धुली हैं। पानी न पिला दिया तो कहना। क्या मैं गलत बोल रही हूं?" शीला उनकी ओर चुनौती भरी दृष्टि फेरती हुई बोली।
"हां हां, और क्या। उनको छठी का दूध नहीं पिलाया तो हमारी ऐसी चौकड़ी किस काम की।" अब रेखा बोली। रेखा एक संपन्न घर से ताल्लुक रखती थी, इसलिए उसका तेवर भी वैसा ही कड़क था। वैसे वह भी काफी बिगड़ी हुई लड़की थी। हमारे कॉलेज में तो नहीं लेकिन कॉलेज से बाहर के दो तीन रईसजादे उसके ब्वायफ़्रेंड थे।
"सही बोली। अगर मुझे हाथ लगाने की हिम्मत करेंगे तो मां कसम, मैं इनका लंड उखाड़ के इनकी गांड़ में घुसेड़वा दूंगी।" रश्मि बोली। रश्मि भी कम नहीं थी। एक नंबर की छंटी हुई बदमाश थी। कॉलेज में तो किसी लड़के को घास नहीं डाली थी लेकिन बाहर मे न जाने कितने आशिक थे इसके।
"बिल्कुल।" सबके सब एक स्वर में बोल उठे। मुझे छोड़कर सबके सब अपने अपने ब्वॉयफ्रेंडों से पिटवा सकते थे लेकिन मैं क्या करूं। खैर मुझे इसकी इतनी चिंता नहीं थी। अपने हाथों पैरों पर मुझे पूरा विश्वास था। आखिर मेरे जूडो कराटे की ट्रेनिंग किस दिन काम आती। मैं निश्चिंत हो गई।