02-04-2024, 06:11 PM
अभी मेरे मज़ीद 6-7 झटके ही हुए थे कि आपी का जिस्म पूरा अकड़ गया और उन्होंने मेरे सिर को अपनी पूरी ताक़त से अपने उभार पर दबा दिया और अब मुझे बहुत वज़या महसूस होने लगा कि आपी की चूत मेरे लण्ड को भींच रही है और फिर छोड़ रही है।
और उस वक़्त ही मुझे पहली बार ये बात मालूम हुई कि जब लड़की डिस्चार्ज होती है तो उसकी चूत लण्ड को इस तरह भींचती है कि कभी सिकुड़ती है तो कभी लूज होती है।
आपी ‘आहें...’ भरते हुए डिस्चार्ज हो गईं लेकिन मैंने अपने झटकों पर कोई फ़र्क़ नहीं आने दिया और अगले चंद ही झटकों में मेरा जिस्म भी शदीद तनाव में आया। मेरा लण्ड इतना सख्त हो गया था कि जैसे लोहा हो।
फिर जैसे मेरे पूरे बदन से लहरें सी उठ कर लण्ड में जमा होना शुरू हुईं और मेरे मुँह से एक तेज ‘आहह..’ के साथ सिर्फ़ एक जुमला निकला- “अहह... ऊऊऊऊ... मैं गया... आपी... में मैं गया… आआअ...”
इसके साथ ही मेरा लण्ड फट पड़ा और झटकों-झटकों के साथ पानी की फुहार आपी की चूत के अन्दर ही बरसाने लगा। मेरा जिस्म ढीला पड़ गया और मैं आपी के सीने के दोनों उभारों के दरमियान अपना चेहरा रखे, आँखें बंद किए तेज-तेज साँसें लेकर अपने हवास को बहाल करने लगा।
मुझे ऐसा ही महसूस हो रहा था कि जैसे मेरे जिस्म में अब जान ही नहीं रही है और मैं कभी उठ नहीं पाऊँगा। मुझे अपने अन्दर इतनी ताक़त भी नहीं महसूस हो रही थी कि अपनी आँखें खोल सकूँ। मेरे जेहन में भी बस एक काला अंधेरा सा परदा छा गया था।
जब मेरे होशो-हवास बहाल हुए और मैं कुछ महसूस करने के क़ाबिल हुआ तो मुझे अपनी हालत का अंदाज़ा हुआ। मेरा लण्ड अभी भी आपी की चूत के अन्दर ही था और पूरा बैठा तो नहीं लेकिन अब ढीला सा पड़ गया था।
मेरे हाथ ढीले-ढाले से अंदाज़ में आपी के जिस्म के दोनों तरफ कार्पेट पर मुड़ी-तुड़ी हालत में पड़े थे। मेरा बायाँ गाल आपी के सीने के दोनों उभारों के दरमियान में था।
आपी ने अपनी टाँगों को अभी भी उसी तरह मेरी कमर पर क्रॉस कर रखा था लेकिन उनकी गिरफ्त अब ढीली थी। आपी ने एक हाथ से मेरे गाल को अपनी हथेली में भर रखा था और दूसरा हाथ मेरे बालों में फेरते सिर सहला रही थीं।
मैंने अपनी आँखें खोलीं और काफ़ी ताक़त इकट्ठा करके अपना सिर उठाया। मैंने आपी के चेहरे को देखा। उनके चेहरे पर मेरे लिए गहरे सुकून और शदीद मुहब्बत के आसार थे।
आपी ने फ़िक्र मंदी से कहा- “सगीर क्या हालत हो जाती है तुम्हारी? बिल्कुल ही बेजान हो जाते हो?”
“कुछ नहीं आपी बस पहली बार है तो ऐसा तो होता ही है”
“नहीं सगीर, तुम्हारी हालत हमेशा ही ऐसी हो जाती है”
“आपी आपके साथ जब से तब ऐसी हालत हो रही है ना क्योंकि जो-जो कुछ आपके साथ किया है मैंने वो सब पहली-पहली बार ही किया है ना”
“अच्छा बहस को छोड़ो, अब उठो काफ़ी देर हो गई है। कुछ ही देर में सब उठ जाएंगे”
आपी ने ये कहा और मेरे कंधों पर हाथ रख कर उठने लगीं।
मैं सीधा हुआ तो मेरा लण्ड हल्की सी ‘पुचह..’ की आवाज़ से आपी की चूत से बाहर निकल आया। मेरा लण्ड आपी के खून और अपनी औरत की जवानी के रस से सफ़ेद हो रहा था। मैंने एक नज़र आपी की चूत पर डाली तो वहाँ भी मुझे कुछ ऐसा ही मंज़र नज़र आया।
अनजानी सी लज़्ज़त और जीत की खुशी मैंने अपने चेहरे पर लिए हुए आपी से कहा- “आपी उठ कर ज़रा अपना हाल देखो”
आपी उठ कर बैठीं। एक नज़र मेरे लण्ड पर डाली और फिर अपनी टाँगों को मज़ीद खोल कर अपनी चूत को देखने लगीं।
फिर वे बोलीं- “कितने ज़ालिम भाई हो तुम? कितना सारा खून निकाल दिया अपनी बहन का?”
मैंने हँस कर जवाब दिया- “फ़िक्र ना करो मेरी प्यारी बहना जी, अगली बार खून नहीं निकलेगा। बस वो ही निकलेगा जिससे तुम्हें मज़ा आता है। वैसे आपी मुझसे ज्यादा मज़ा तो तुमको आया है। मैंने एक मिनट के लिए बाहर किया निकाला था, कैसी आग लग गई थी ना?”
फिर मैंने आपी की नक़ल उतारते हुए चेहरा बिगड़ा-बिगड़ा कर कहा- “हायईईई... सगीर… निकाल क्यों लिया... अन्दर डालो नाआअ वापस...”
आपी एकदम से शर्म से लाल होती हुई चिड़ कर बोलीं- “बकवास मत करो... उस वक़्त मुझसे बिल्कुल कंट्रोल नहीं हो रहा था अच्छा…”
आपी ने बात खत्म की तो मैंने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि आपी ने एकदम शदीद परेशानी से मेरे कंधे की तरफ हाथ बढ़ा कर कहा- “ये क्या हुआ है सगीर?”
मैंने अपने कंधे को देखा तो वहाँ से गोश्त जैसे उखड़ सा गया था जिसमें से खून रिस रहा था। मैंने आपी की तरफ देखे बगैर अपनी कमर को घुमा कर आपी के सामने किया और कहा- “जी ये आपके दाँतों से हुआ था और ज़रा कमर भी देखो, यहाँ आपके नाखूनों ने कोई गुल खिलाया हुआ है”
“या मेरे खुदा... आह... सगीर...”
आपी ने बहुत ज्यादा फ़िक्रमंदी से ये अल्फ़ाज़ कहे तो मैं उनकी तरफ से परेशान हो गया और पलट कर उनकी तरफ देखा तो आपी अपने मुँह पर हाथ रखे एकटक मेरे जख्मों को देख रही थीं। उनके चेहरे पर शदीद परेशानी के आसार थे और फटी-फटी आँखों में आँसू आ गए थे।
मैंने आपी की हालत देखी तो फ़ौरन उनको अपने गले लगाने के लिए आगे बढ़ते हुए कहा- “अरे कुछ नहीं है आपी, छोटे-मोटे ज़ख़्म हैं, परेशानी की क्या बात इसमें?”
मैंने अपनी बात खत्म करके आपी को अपनी बाँहों में लेना चाहा तो उन्होंने मेरे सीने पर हाथ रख कर पीछे ढकेल दिया और रोते हुए कहा- “ये... ये मैंने क्या कर दिया सग़ीर... कितना दर्द हो रहा होगा ना तुम्हें?”
मैंने अब ज़बरदस्ती आपी को अपनी बाँहों में भरा। उनकी कमर को सहलाते और उनके चेहरे को अपने सीने में दबाते हुए कहा- “नहीं ना आपी, कुछ भी नहीं हो रहा। क्यों परेशान होती हो? छोटे से ज़ख़्म हैं और सच्ची बात कहूँ तो इस छोटी सी तक़लीफ़ में भी बहुत ज्यादा लज्जत है और ये ज़ख़्म मुझे इसलिए आए हैं कि मेरी बहन अपनी तक़लीफ़ बर्दाश्त कर रही थी। जो मैंने दी थी तो मुझे तो ये जख्म बहुत अज़ीज़ हैं। प्लीज़ आप परेशान ना हों”
मैं इसी तरह कुछ देर आपी की कमर को सहलाता और तस्सली देता रहा तो उनका मूड भी बदल गया और वो रिलैक्स फील करने लगीं।
मैंने हँस कर कहा- “चलो आपी अब अम्मी वगैरह भी उठने वाले होंगे। जाओ आप अपने ज़ख़्म और खून साफ करो और मैं अपना कर लेता हूँ”
आपी ने भी हँस कर मुझे देखा और मेरे होंठों पर एक किस करके खड़ी हो गईं। मैं भी उनके साथ खड़ा हुआ तो आपी दरवाज़े की तरफ बढ़ते हो बोलीं- “सगीर, इन जख्मों पर एंटीसेप्टिक ज़रूर लगा लेना। अम्मी उठने वाली होंगी वरना मैं ये लगा कर जाती”
मैंने कहा- “अरे जाओ ना बाबा, परेशान क्यों होती हो? कुछ भी नहीं हुआ है मुझे, बेफ़िक्र रहो और अपने कपड़े बाहर से उठा लो और पहन कर ही नीचे जाना”
आपी ने कहा- “हाँ अब तो पहन कर ही जाऊँगी, कोई ऐसे नंगी ही तो नहीं जाऊँगी ना?”
आपी ये कह कर बाहर निकल गईं।
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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