02-04-2024, 10:12 AM
"गालियां भी सीख गई हो?" मेरी गांड़ सहलाते हुए वह उत्सुकता से पूछा।
"हां।"
"गंदी गंदी?"
"हां हां। गंदी गंदी गालियां भी।"
"अच्छा? सुनाओ तो।" वह अपनी आंखें बड़ी-बड़ी बड़ी करके बोला।
"लौड़े के ढक्कन मादरचोद, साले चोदू, मुझे बुरचोदी बना कर बहुत बड़ा चुदक्कड़ बन रहे हो चूतिया, चूतचटोरा कहीं का। साला लौड़ा का बाल.... बेटीचोद कहीं का.." और भी कुछ गंदी गालियां एक ही सांस में बोलती हुई उसके ऊपर चढ़ कर उसके गंदे होंठों को चूम उठी। छि छि, घुसा जैसे जंगली आदमी की संगति में कैसी गंदी होती जा रही थी मैं भी। सेक्स का चस्का लग जाने के बाद कॉलेज में भी मेरी संगति ऐसी ही लड़कियों से बढ़ गई थी, जिनसे गंदी गंदी बातें करती करती गंदी गंदी गालियां भी सीखती जा रही थी। अपनी ही झोंक में घुसा के सामने मेरा यह गंदा पहलू भी उजागर कर बैठी थी।
"बदमाश आदमी, क्या क्या बुलवा दिया मुझसे सूअर कहीं के।" मैं उसके सीने पर मुक्के मारती हुई बोली और शरमा गई।
"हा हा हा हा वाह वाह, यह हुई ना बात। बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया सीख गई हो मैडम। ई सब सुन सुन कर चोदने का मजा बढ़ जाता है। आगे से जब हम चोदा चोदी करेंगे तो अईसा ही गाली देना हमको। इससे जोश दुगुना हो जाता है। अब एक बात बोलूं?" वह खुश हो कर बोला।
"हट हरामी, जोश दुगुना हो जाता है। बड़ा आया जोश दुगुना करने वाला। हां और क्या बोल रहा था? बोलो बोलो। बोल साले चोदू कुत्ते बोल।"
"तुम्हारी गांड़ बहुत मस्त है।"
"हां है। मैं जानती हूं।"
"तुम्हारी गांड़ देखते हैं तो मेरा लंड अपने आप खड़ा हो जाता है।"
"तो इस मामले में मैं क्या करूं? अपने लंड को काबू में रखा करो।"
"ई साला लंड काबूए में तो नहीं रहता है। कभी कभी गांड़ भी खिला दिया करो ना।"
मैं सुनकर सन्न रह गई। इसका इरादा क्या है? कहीं अपने मोटे लंड से मेरी गांड़ फाड़ने का इरादा तो नहीं है? अपनी शैतान सहेलियों से गांड़ मरवाने वाली बातें भी सुन चुकी थी मैं। पता नहीं लोगों को गांड़ मारने और मरवाने में क्या मजा मिलता है।
"क्या मतलब है तुम्हारा?" मैं अनजान बन कर बोली।
"हमारे कहने का मतलब है तुम्हारी गांड़ चोदने का बहुत मन है।" वह मेरी गांड़ पर थपकी देता हुआ बोला।
"चुप हरामी कुत्ता कहीं का। गांड़ भी कोई चोदने की चीज है? गलीज आदमी।"
"हां हां है। देखो तो कितनी चिकनी गांड़ है तुम्हारी। ऐसी गांड़ कौन चोदना नहीं चाहेगा।" वह मेरी गांड़ सहलाते हुए बोला।
"हां।"
"गंदी गंदी?"
"हां हां। गंदी गंदी गालियां भी।"
"अच्छा? सुनाओ तो।" वह अपनी आंखें बड़ी-बड़ी बड़ी करके बोला।
"लौड़े के ढक्कन मादरचोद, साले चोदू, मुझे बुरचोदी बना कर बहुत बड़ा चुदक्कड़ बन रहे हो चूतिया, चूतचटोरा कहीं का। साला लौड़ा का बाल.... बेटीचोद कहीं का.." और भी कुछ गंदी गालियां एक ही सांस में बोलती हुई उसके ऊपर चढ़ कर उसके गंदे होंठों को चूम उठी। छि छि, घुसा जैसे जंगली आदमी की संगति में कैसी गंदी होती जा रही थी मैं भी। सेक्स का चस्का लग जाने के बाद कॉलेज में भी मेरी संगति ऐसी ही लड़कियों से बढ़ गई थी, जिनसे गंदी गंदी बातें करती करती गंदी गंदी गालियां भी सीखती जा रही थी। अपनी ही झोंक में घुसा के सामने मेरा यह गंदा पहलू भी उजागर कर बैठी थी।
"बदमाश आदमी, क्या क्या बुलवा दिया मुझसे सूअर कहीं के।" मैं उसके सीने पर मुक्के मारती हुई बोली और शरमा गई।
"हा हा हा हा वाह वाह, यह हुई ना बात। बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया सीख गई हो मैडम। ई सब सुन सुन कर चोदने का मजा बढ़ जाता है। आगे से जब हम चोदा चोदी करेंगे तो अईसा ही गाली देना हमको। इससे जोश दुगुना हो जाता है। अब एक बात बोलूं?" वह खुश हो कर बोला।
"हट हरामी, जोश दुगुना हो जाता है। बड़ा आया जोश दुगुना करने वाला। हां और क्या बोल रहा था? बोलो बोलो। बोल साले चोदू कुत्ते बोल।"
"तुम्हारी गांड़ बहुत मस्त है।"
"हां है। मैं जानती हूं।"
"तुम्हारी गांड़ देखते हैं तो मेरा लंड अपने आप खड़ा हो जाता है।"
"तो इस मामले में मैं क्या करूं? अपने लंड को काबू में रखा करो।"
"ई साला लंड काबूए में तो नहीं रहता है। कभी कभी गांड़ भी खिला दिया करो ना।"
मैं सुनकर सन्न रह गई। इसका इरादा क्या है? कहीं अपने मोटे लंड से मेरी गांड़ फाड़ने का इरादा तो नहीं है? अपनी शैतान सहेलियों से गांड़ मरवाने वाली बातें भी सुन चुकी थी मैं। पता नहीं लोगों को गांड़ मारने और मरवाने में क्या मजा मिलता है।
"क्या मतलब है तुम्हारा?" मैं अनजान बन कर बोली।
"हमारे कहने का मतलब है तुम्हारी गांड़ चोदने का बहुत मन है।" वह मेरी गांड़ पर थपकी देता हुआ बोला।
"चुप हरामी कुत्ता कहीं का। गांड़ भी कोई चोदने की चीज है? गलीज आदमी।"
"हां हां है। देखो तो कितनी चिकनी गांड़ है तुम्हारी। ऐसी गांड़ कौन चोदना नहीं चाहेगा।" वह मेरी गांड़ सहलाते हुए बोला।