“अच्छा आपी प्लीज़ रोओ मत, मैं कुछ नहीं कर रहा प्लीज़ आपी, चुप हो जाओ” -मैं यह कह कर आगे बढ़ा और आपी को अपनी बाँहों में ले लिया।
आपी ने एक झटका मारा और मुझे धक्का दे कर मेरी बाँहों के हलक़े से निकल गईं और शदीद रोते हुए कहा- “सगीर! मैंने मना किया था ना तुम्हें, क्यों मुझे इस तरह ज़लील करते हो? मैं खुद ये करना चाहती हूँ लेकिन मैं इसके लिए अभी तैयार नहीं हूँ”
मेरी समझ में नहीं आ रहा था कि मैं क्या कहूँ। इतनी शिद्दत से आपी को रोते हुए मैंने पहले कभी नहीं देखा था। मेरी समझ में कुछ ना आया तो मैंने आपी को बाँहों में लेने के लिए हाथ आगे बढ़ाते हुए कहा- “आपी आई लव यू, मैं आप से बहुत मुहब्बत करता हूँ। मैं कभी ये नहीं चाहता कि आपको कोई तक़लीफ़ दूँ या आप की मर्ज़ी के खिलाफ कुछ करूँ। बस पता नहीं क्या हो गया था मुझे, प्लीज़ आपी माफ़ कर दो मुझे”
यह कह कर मैंने आपी को फिर बाँहों में लेना चाहा तो उन्होंने चिल्ला कर गुस्से से कहा- “नहींईईई नाआअ सगीर… दूर रहो मुझसे…”
वे रोते-रोते ही खड़ी हो कर अपने कपड़े उठाने लगीं। फरहान इन सारे हालात पर बिल्कुल खामोश और गुमसुम सा बैठा था, उसकी हिम्मत नहीं हो रही थी कि आपी को या मुझे कुछ कहे या आगे बढ़े।
आपी को इस तरह बेक़ाबू देख कर मैंने भी दोबारा उनसे कुछ कहने की हिम्मत नहीं की और उनसे दूर खड़ा खामोशी से उन्हें क़मीज़ सलवार पहनते देखता रहा।
आपी अभी भी रो रही थीं और उनकी आँखों से आँसू गिरना जारी थे।
रोते-रोते ही आपी ने अपनी सलवार पहनी और फिर क़मीज़ से अपने आँसू साफ करके क़मीज़ पहन ली। लेकिन ना तो आपी के आँसू रुक रहे थे और ना ही उनकी हिचकियाँ कम हो रही थीं। उन्होंने अपना स्कार्फ सिर्फ़ पर बाँधा और ब्रा से अपनी आँखों को रगड़ते हुए हमारी तरफ नज़र डाले बगैर रूम से बाहर चली गईं।
आपी के जाने के बाद भी मैं कुछ देर वैसे ही गुमसुम सा खड़ा रहा कि एकदम से फरहान की आवाज़ आई- “भाई…भाई आप थोड़ा…”
मैंने फरहान के पुकारने से घूम कर उसे देखा और उसकी बात काट कर बोला- “यार अब तो मेरा दिमाग मत चोदने लग जाना, मैं वैसे ही बहुत टेन्शन में हूँ”
मैं यह बोल कर ऐसे ही नंगा ही अपने बिस्तर की तरफ चल दिया तो फरहान सहमी हुए से अंदाज़ में बोला- “भाई आप मुझ पर क्यों गुस्सा हो रहे हैं? मेरा क्या क़ुसूर है?”
मुझे फरहान की आवाज़ इस वक़्त ज़हर लग रही थी। उसके दोबारा बोलने पर मैंने गुस्से से उससे देखा तो उसकी मासूम और मायूस सूरत देख कर मेरा गुस्सा एकदम से झाग की तरह बैठ गया और मैंने सोचा यार वाकयी ही इस बेचारे का क्या क़ुसूर है। मैंने उससे कुछ नहीं कहा और बिस्तर पर लेट कर अपनी आँखों पर बाज़ू रख लिया।
तकरीबन 5-7 मिनट बाद मुझे कैमरा याद आया तो मैंने आँखों से बाज़ू हटा कर फरहान को देखा वो अभी तक वहाँ ज़मीन पर ही बैठा था लेकिन अब उसका चेहरा नॉर्मल नज़र आ रहा था और शायद वो कुछ देर पहले के आपी के साथ गुज़रे लम्हात में खोया हुआ था।
मैंने उसके चेहरे पर नज़र जमाए हुए ही उसे आवाज़ दी- “फरहान!!”
उसने चौंक कर मुझे देखा और बोला- “जी भाई?”
“यार वो कैमरा टेबल पर पड़ा है, उसकी रिकॉर्डिंग ऑफ कर दे”
यह कहते ही मैंने वापस अपनी आँखों पर बाज़ू रखा ही था कि फरहान की खुशी में डूबी आवाज़ आई- “वॉववव भाई! आपने सारी मूवी बनाई है?”
मैंने उसकी बात का कोई जवाब नहीं दिया और आपी के बारे में सोचने लगा। मुझे अपने आप पर शदीद घुसा आ रहा था कि मैंने अपनी फूल जैसी बहन को इतना रुलाया किया था कि अगर मैं अपने ऊपर कंट्रोल करता और ये सब ना करता? लेकिन मैं भी क्या कर सकता था। उस वक़्त मेरा जेहन कुछ सोचने-समझने के क़ाबिल ही नहीं रहा था।
ऐसी भी क्या बेहोशी यार, मर्द को अपने ऊपर इतना तो कंट्रोल होना ही चाहिए।
मैं ऐसी ही मुतज़ाद सोचों से लड़ रहा था कि आहिस्ता-आहिस्ता बिस्तर के हिलने से मेरे ख़यालात का सिलसिला टूटा और मैंने आँखें खोल कर देखा तो फरहान बिस्तर की दूसरी तरफ लेट कर कैमरा हाथ में पकड़े हमारी मूवी देखते हुए मुठ मार रहा था।
मैंने चिड़चिड़े लहजे में कहा- “यार क्या है फरहान! सोने दे मुझे, जा बाथरूम में जा कर देख वहाँ ही मुठ मार”
मेरे इस तरह बोलने से फरहान डर कर फ़ौरन उठते हुए बोला- “अच्छा भाई सॉरी, आप सो जाओ”
वो बाथरूम की तरफ चल दिया। फरहान के जाते ही मैंने दोबारा अपनी आँखें बंद कर लीं मेरा जेहन बहुत उलझा हुआ था। आपी के रोने की वजह से दिल पर अजीब सा बोझ था और उन्हीं सोचों से लड़ते-झगड़ते जाने कब मुझे नींद आ गई।
अचानक… …
अपनी गर्दन पर शदीद तक़लीफ़ के अहसास से मेरे मुँह से एक सिसकी निकली बेसाख्ता ही मेरे हाथ अपनी गर्दन की तरफ उठे और बालों के गुच्छे में उलझ गए। मैंने हड़बड़ा कर आँख खोली तो एक जिस्म को अपने ऊपर झुका पाया।
वो जिस्म मेरे ऊपर बैठा था और उसने अपने दाँत मेरी गर्दन में गड़ा रखे थे कि जैसे मेरा खून पीना चाहता हो। मैंने उसके सिर के बालों को जकड़ा और ज़रा ताक़त से ऊपर की तरफ खींचा तो मेरी नज़र उसके चेहरे पर पड़ी।
वो चेहरा तो मेरी बहन का ही था लेकिन अजीब सी हालत में आपी के बाल बिखरे और उलझे हुए थे। दाँतों को आपस में मज़बूती से भींच रखा था और आँखें लाल सुर्ख हो रही थीं कि जैसे उन में खून उतरा हुआ हो!
उनके बाल मेरे हाथ में जकड़े हुए थे और ताक़त से खींचने की वजह से उनके चेहरे पर दर्द का तब्स्सुर भी पैदा हो गया और गुलाबी रंगत लाली में तब्दील हो कर एक खौफनाक मंजर पेश कर रही थी। वो चेहरा आपी का नहीं बल्कि किसी खौफनाक चुड़ैल का चेहरा था।
मेरी नींद मुकम्मल तौर पर गायब हो चुकी थी मैं हैरत से बुत बना आपी के चेहरे को ही देखा जा रहा था और मेरी गिरफ्त उनके बालों पर ढीली पड़ चुकी थी।
आपी ने अपने सिर पर रखे मेरे हाथ को कलाई से पकड़ा और झटके से अपने बालों से अलग करके सीधी बैठीं तो आपी के सीने के बड़े-बड़े उभारों और खड़े पिंक निप्पल्स पर मेरी नज़र पड़ी जो आज कुछ ज्यादा ही तने हुए महसूस हो रहे थे।
उसी वक़्त मुझ पर ये वज़या हुआ कि आपी बिल्कुल नंगी हैं कुछ देर पहले आपी के नंगे उभार मेरे सीने से ही दबे हुए थे लेकिन तक़लीफ़ के अहसास और फिर आपी की अजीब हालत के नज़ारे में खोकर मैं इस पर तवज्जो नहीं दे सका था।
आपी मेरी रानों पर सीधी बैठी कुछ देर तक अपनी खूँख्वार आँखों से मुझे देखती रहीं फिर उन्होंने अपने दोनों हाथ मेरे पेट पर रख कर ज़ोर दिया और नीचे उतर कर मेरे सिकुड़े हुए लण्ड को पकड़ा और पूरी ताक़त से खींचते हुए भर्राई आवाज़ में बोलीं- “उठो सगीर... जल्दी”
उनकी आवाज़ ऐसी थी जैसे किसी गहरे कुँए से आ रही हो। आपी ने मुझे लण्ड से पकड़ कर खींचा था और लण्ड पर पड़ने वाले खिंचाव के तहत मैं बेसाख्ता खिंचता हुआ सा खड़ा हो गया।
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All

