31-03-2024, 08:35 AM
घुसा मुझे बिल्कुल कुत्ते की तरह चोद रहा था। कुत्तों की तरह वह मेरी कमर पकड़ कर पीछे से तूफानी रफ्तार से धक्के लगाने लगा था। कुछ ही देर में मैं पसीने पसीने हो गई। लेकिन कुछ ही देर में जब मैं इस मुद्रा में पीछे से धक्कों की अभ्यस्त हो गई तो बड़ा आनंद मिलने लगा। अब मैं भी अपनी चूतड़ उछाल उछाल कर चुदवाने लगी।
"आह आह ओह ओह बहुत बढ़िया। चोद मेरे कालू कुत्ते चोद। आह ओह ऊ ऊ ऊ ऊ। शाब्बाआश आह आह...." मैं उसकी श्वान चुदाई से निहाल होती हुई बोल रही थी लेकिन उसके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकल रहा था। वह तो मानो मूक बधिर बन चुका था। एकदम पशु की तरह, भावना हीन, सिर्फ अपनी अदम्य चुदाई क्षमता का अभूतपूर्व परिचय देते हुए किसी मशीन की तरह चोदे जा रहा था। मेरी बड़ी बड़ी सख्त चूचियां फर्श की ओर इंगित करती हुई थरथरा रही थीं। मैं आनंद विभोर हुई जा रही थी और हम दोनों एक दूसरे में समा जाने की जद्दोजहद में जुटे चुदाई की मस्ती में आहें भरने लगे। करीब पंद्रह मिनट तक घमासान चुदाई के बाद हम हांफते कांपते चरमोत्कर्ष में पहुंच गए। उसके लंड से वीर्य का फौव्वारा छूटने लगा जिससे मेरी कोख की सिंचाई होने लगी।
"आआआआह मैं गयीईईईईई रे कालू ओओओहहह.... " कहते हुए खल्लास हो कर धड़ाम से फर्श पर धराशाई होने लगी और घुसा किसी भैंसे की तरह डकार मारता हुआ मुझ पर लद ही जाता, लेकिन अपने को संभाल लिया। उसका गधे जैसा लंड धीरे धीरे सिकुड़ कर फच्च की आवाज के साथ मेरी चूत से बाहर निकला। उस समय मुझे अहसास हुआ जैसे मेरे शरीर के अंदर से मेरे ही शरीर का कोई अभिन्न अंग जुदा हो गया हो। एक खालीपन का अहसास हो रहा था। घुसा खल्लास हो कर मेरी ही बगल में लुढ़क कर लंबी लंबी सांसें लेने लगा। हम दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे।
"कैसा रहा मैडम?" अपनी सांसों पर काबू पाकर इतनी देर में पहली बार उसके मुंह से बोल फूटा।
"चुप हरामी। जान ही निकाल दिया और पूछ रहा है कैसा रहा।" मैं बड़े प्यार से उसके सीने पर सर रख कर बोली।
"हें हें हें हें" सूअर का बच्चा मेरी नंगी देह को अपनी बांहों में भर कर हंसने लगा।
"मजा तो आया ना मैडम" वह फिर बोला।
"हां बड़ा मज़ा आया लेकिन शुरू में तो तुमने मुझे डरा ही दिया था सूअर कहीं का।" मैं उसका भीगा चूहा बना हुआ लंड सहलाते हुए बोली।
"अब तो डर नहीं लग रहा है ना?"
"नहीं बिल्कुल नहीं। बेटीचोद तो पहले से ही बन चुका था तू, अब मेरी मां का लौड़ा भी हो गया।" मैं बड़े लाड़ से गंदे तरीके से बोली। सच में इन कुछ ही दिनों में मैं बहुत गंदी बन गई थी।
"हे भगवान, ई सब बात बोलना तुम कहां से सीखी?" वह मुझे बांहों में कसते हुए बोला।
"सुन कर। हमारे कॉलेज के लड़के आपस में ऐसे ही बातें करते हैं।" मैं बोली।
"तुम लड़कियां ऐसी बातें सुनती हो तो कैसा लगता है?" शैतानी भरी मुस्कान से वह बोला।
"वो लोग ऐसा बोलते हैं तो हम लड़कियां भी कम थोड़ी न हैं। हम भी ऐसी बातें करते हैं।" मैं बोली।
"तुम लड़कियां तो बड़ी बेशरम हो?"
"तुमने ही तो मुझे ऐसी बेशर्म बनाया है मेरे प्यारे चोदू जी। ऐसे ही और भी लड़कियां बेशर्म बनी होंगी, क्या पता।"
"ओहो। ऐसा है?"
"हां जी। मुझे जंगली तुम्हीं ने बनाया है ना, नहीं तो मैं भी पहले अच्छी ही लड़की थी। ऐसी बातों से दूर ही रहती थी। अच्छी लड़कियों से दोस्ती थी, लेकिन जब से तुमने मुझे चुदवाने का चस्का लगाया है, तब से मेरी मानसिकता और सोच में बड़ा बदलाव आ गया है। अब मैं पहले वाली शरीफ लड़की थोड़ी न रह गई हूं। पूरी तरह बदल गई हूं। अब मैं जंगली बन गई हूं और मेरी दोस्ती भी ऐसी ही जंगली लड़कियों से हो गई। अब मुझे ऐसी गंदी बातें करने में अच्छा लगता है।" मैं अब भी उसके नंगे शरीर से चिपकी हुई थी।
"आह आह ओह ओह बहुत बढ़िया। चोद मेरे कालू कुत्ते चोद। आह ओह ऊ ऊ ऊ ऊ। शाब्बाआश आह आह...." मैं उसकी श्वान चुदाई से निहाल होती हुई बोल रही थी लेकिन उसके मुंह से एक शब्द भी नहीं निकल रहा था। वह तो मानो मूक बधिर बन चुका था। एकदम पशु की तरह, भावना हीन, सिर्फ अपनी अदम्य चुदाई क्षमता का अभूतपूर्व परिचय देते हुए किसी मशीन की तरह चोदे जा रहा था। मेरी बड़ी बड़ी सख्त चूचियां फर्श की ओर इंगित करती हुई थरथरा रही थीं। मैं आनंद विभोर हुई जा रही थी और हम दोनों एक दूसरे में समा जाने की जद्दोजहद में जुटे चुदाई की मस्ती में आहें भरने लगे। करीब पंद्रह मिनट तक घमासान चुदाई के बाद हम हांफते कांपते चरमोत्कर्ष में पहुंच गए। उसके लंड से वीर्य का फौव्वारा छूटने लगा जिससे मेरी कोख की सिंचाई होने लगी।
"आआआआह मैं गयीईईईईई रे कालू ओओओहहह.... " कहते हुए खल्लास हो कर धड़ाम से फर्श पर धराशाई होने लगी और घुसा किसी भैंसे की तरह डकार मारता हुआ मुझ पर लद ही जाता, लेकिन अपने को संभाल लिया। उसका गधे जैसा लंड धीरे धीरे सिकुड़ कर फच्च की आवाज के साथ मेरी चूत से बाहर निकला। उस समय मुझे अहसास हुआ जैसे मेरे शरीर के अंदर से मेरे ही शरीर का कोई अभिन्न अंग जुदा हो गया हो। एक खालीपन का अहसास हो रहा था। घुसा खल्लास हो कर मेरी ही बगल में लुढ़क कर लंबी लंबी सांसें लेने लगा। हम दोनों पसीने से लथपथ हो चुके थे।
"कैसा रहा मैडम?" अपनी सांसों पर काबू पाकर इतनी देर में पहली बार उसके मुंह से बोल फूटा।
"चुप हरामी। जान ही निकाल दिया और पूछ रहा है कैसा रहा।" मैं बड़े प्यार से उसके सीने पर सर रख कर बोली।
"हें हें हें हें" सूअर का बच्चा मेरी नंगी देह को अपनी बांहों में भर कर हंसने लगा।
"मजा तो आया ना मैडम" वह फिर बोला।
"हां बड़ा मज़ा आया लेकिन शुरू में तो तुमने मुझे डरा ही दिया था सूअर कहीं का।" मैं उसका भीगा चूहा बना हुआ लंड सहलाते हुए बोली।
"अब तो डर नहीं लग रहा है ना?"
"नहीं बिल्कुल नहीं। बेटीचोद तो पहले से ही बन चुका था तू, अब मेरी मां का लौड़ा भी हो गया।" मैं बड़े लाड़ से गंदे तरीके से बोली। सच में इन कुछ ही दिनों में मैं बहुत गंदी बन गई थी।
"हे भगवान, ई सब बात बोलना तुम कहां से सीखी?" वह मुझे बांहों में कसते हुए बोला।
"सुन कर। हमारे कॉलेज के लड़के आपस में ऐसे ही बातें करते हैं।" मैं बोली।
"तुम लड़कियां ऐसी बातें सुनती हो तो कैसा लगता है?" शैतानी भरी मुस्कान से वह बोला।
"वो लोग ऐसा बोलते हैं तो हम लड़कियां भी कम थोड़ी न हैं। हम भी ऐसी बातें करते हैं।" मैं बोली।
"तुम लड़कियां तो बड़ी बेशरम हो?"
"तुमने ही तो मुझे ऐसी बेशर्म बनाया है मेरे प्यारे चोदू जी। ऐसे ही और भी लड़कियां बेशर्म बनी होंगी, क्या पता।"
"ओहो। ऐसा है?"
"हां जी। मुझे जंगली तुम्हीं ने बनाया है ना, नहीं तो मैं भी पहले अच्छी ही लड़की थी। ऐसी बातों से दूर ही रहती थी। अच्छी लड़कियों से दोस्ती थी, लेकिन जब से तुमने मुझे चुदवाने का चस्का लगाया है, तब से मेरी मानसिकता और सोच में बड़ा बदलाव आ गया है। अब मैं पहले वाली शरीफ लड़की थोड़ी न रह गई हूं। पूरी तरह बदल गई हूं। अब मैं जंगली बन गई हूं और मेरी दोस्ती भी ऐसी ही जंगली लड़कियों से हो गई। अब मुझे ऐसी गंदी बातें करने में अच्छा लगता है।" मैं अब भी उसके नंगे शरीर से चिपकी हुई थी।