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(27-12-2019, 11:12 PM)Meerachatwani111 Wrote: पाठक एवं पाठिकाओं यह.कहानी नही आपबीतीः है,मैं यह प्रयास कर रही हूं कि जस के तस समग्र घटना को घटे क्रम में उसी भाषा में लिखुं,परन्तुं समय.के अन्तराल के कारण भाषा और कथानक में कही अवरोध पाएं तो मुझे बताने का कष्ट करें,तथा यह कहानी आपको कैसी लग रही है,अगर अच्छी हो तो अपने कौमेंटस अवश्य दें।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.