30-03-2024, 02:40 PM
"अब काहे का नहीं?" वह बोला और अपनी दोनों हाथों से मेरे गुदाज़ चूतड़ों को पकड़ कर सड़प सड़प चाटने में मशगूल हो गया। वह ठीक कुत्ते की तरह अपने दोनों अगले पंजों से मेरी गांड़ को लपेट लिया था और मुझे अपनी ओर खींच कर जबरदस्त तरीके से मेरी चूत को नीचे से ऊपर तक चाटने लगा। उसकी जीभ का स्पर्श जब मेरे भगनासे से हो रहा था तो मेरी आनंद भरी चीखें उबलने लगीं थीं। मैं पीछे खिसकना चाहती थी लेकिन वह मुझे सामने खींचते हुए चाट चाट कर मेरी चूत लाल करता रहा। मैं पागल हुई जा रही थी। वह तो कुछ ज्यादा ही करने लगा था। सिर्फ ऊपर ही ऊपर नहीं चाट रहा था, वह तो मेरी चूत के अंदर भी जीभ घुसा घुसा कर चाट रहा था और मैं निहाल हुई जा रही थी।
"बस्स्स्स्स बस्स्स्स्स, अब और नहींईंईंईंईंईंईं....." मैं अचानक चीख पड़ी और उत्तेजना के अतिरेक में मेरा सारा शरीर थरथरा उठा और लो, हो गया बंटाधार। मैं खुद को नियंत्रण में नहीं रख पाई और मेरा स्खलन शुरू हो गया। "आआआआआआह " मेरा शरीर अकड़ने लगा और घुसा की मजबूत पकड़ में छटपटाते हुए एकाएक स्थिर हो गई। ओह मेरी मां, कितना सुखद स्खलन था वह। मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती।
उधर घुसा, जो एक नंबर का खेला खाया माहिर औरतखोर था, सब कुछ भांप कर भी मुझे छोड़ा नहीं और लगातार चाटता रहा। वह बहुत अच्छी तरह से जानता था कि मुझे चोदने के लिए फिर से अच्छी तरह से कैसे गरम किया जाना है। वही कर रहा था। उसकी मेहनत रंग लाई और मैं बहुत जल्द गरम हो गई और चुदने के लिए छटपटाने लगी। मुझे इस बात से भी आश्चर्य हो रहा था कि इतनी देर तक इतनी शिद्दत से कोई आदमी लगातार कैसे चाटता रह सकता है। ऐसा लग रहा था जैसे घुसा के शरीर में किसी कुत्ते की आत्मा आ गई थी। एकदम पशु की तरह लगातार, अथक चाट रहा था।
"ओह ओह ओह, बस बस ऊऊऊऊऊ अब और कितना तड़पाओगे कमीने?" मैं बदहवासी के आलम में उसका सर पकड़ कर हटाने का प्रयास करती हुई चीख कर बोली, लेकिन उस जानवर ने जिस सख्ती से मुझे अपनी गिरफ्त में लिया हुआ था कि मैं सिर्फ छटपटा कर रह गई। वह समझ गया कि अंतिम आक्रमण करने के जिस उपयुक्त अवसर के लिए वह अथक प्रयास कर रहा था, वह पल आ चुका है तो वह मुझे छोड़कर मेरे पीछे आया और अपने दोनों पंजों से मेरे कंधों को जोरदार धक्का दिया जिससे मैं औंधे मुंह उसी जगह कालीन पर गिर पड़ी, जहां कुछ समय पहले उसने मेरी मां का शिकार किया था। गनीमत थी कि मैं ने अपने हाथों से खुद को मुंह के बल गिरने से बचा लिया।
"यह क्या कर रहे हो तुम?" मैं घबराकर बोली। लेकिन वह मूक पशु की तरह मुंह से कुछ नहीं बोला और पीछे से मुझ पर चढ़ गया। उसने मुझे पीछे से जकड़ लिया था जिसके कारण मैं जोर लगा कर विरोध करने में असमर्थ थी।
"छोड़ो मुझे पागल कहीं के। ऐसा भी कोई करता है?" मैं चीखती रही लेकिन वह तो मानो बहरा हो चुका था। वह अब अपनी पाशविक प्रवृत्ति का परिचय देने लगा था। हे भगवान, उत्तेजना के अतिरेक में यह मैं किस मुसीबत को आमंत्रण दे बैठी थी। वह अपनी कमर चलाने लगा था। बिना अपने हाथ का इस्तेमाल किए वह अपने सख्त लंड से ही पीछे से धक्के लगाता हुआ मेरी चूत का प्रवेश द्वार खोज रहा था। इसी क्रम में एक बार तो मेरी गांड़ में ही लंड घुसेड़ने की कोशिश करने लगा था। मेरी तो जान ही हलक में आ गई थी। किसी प्रकार एक हाथ से अपने शरीर को फर्श पर सहारा देकर दूसरा हाथ पीछे लेकर उसके लंड को अपनी चूत के मुंह पर रखने में सफल हो गयी।
घुसा तो धक्के लगा ही रहा था, जैसे ही उसके लंड को मेरी चूत का प्रवेश द्वार मिला, वह दनादन धक्के मारता हुआ घुसाता चला गया। ऊऊऊऊऊहहहह मेरी मां, इस वक्त मुझे अहसास हो रहा था कि घुसा का लंड पहले की अपेक्षा काफी बड़ा हो गया है। जब उसका लंड मेरी चूत में पूरी तरह समा गया तो मुझे ऐसा लगने लगा कि उसका लंड मेरे गर्भाशय को भी क्षत-विक्षत कर देगा। इसका क्या कारण था होगा मैं समझ नहीं पाई। इस मुद्रा में मैं पहली बार चुद रही थी शायद यही कारण हो कि उसका लंड पूरा मेरे अंदर तक जा रहा था। मैं एक बार तो घबरा ही गई। अरे बाप रे, मैं भय के मारे आगे खिसकने की कोशिश करने लगी लेकिन घुसा मेरी कमर पकड़ कर पीछे की ओर घसीट घसीट कर चोदने लगा। मैं जितना आगे खिसकने की कोशिश करती थी उतना ही वह मुझे पीछे की ओर घसीट रहा था। मुझे पीड़ा का भी अहसास हो रहा था। इस मुद्रा में चुदने का यह पहला अवसर मेरे लिए काफी पीड़ादायक सिद्ध हो रहा था लेकिन यह मेरा ही जोखिम भरा निर्णय था इसलिए झेलने के लिए वाध्य थी। आ बैल मुझे मार वाली कहावत चरितार्थ हो रही थी। अपनी दुर्दशा पर मेरी आंखों से आंसू निकलने लगे थे।
"बस्स्स्स्स बस्स्स्स्स, अब और नहींईंईंईंईंईंईं....." मैं अचानक चीख पड़ी और उत्तेजना के अतिरेक में मेरा सारा शरीर थरथरा उठा और लो, हो गया बंटाधार। मैं खुद को नियंत्रण में नहीं रख पाई और मेरा स्खलन शुरू हो गया। "आआआआआआह " मेरा शरीर अकड़ने लगा और घुसा की मजबूत पकड़ में छटपटाते हुए एकाएक स्थिर हो गई। ओह मेरी मां, कितना सुखद स्खलन था वह। मैं शब्दों में बयान नहीं कर सकती।
उधर घुसा, जो एक नंबर का खेला खाया माहिर औरतखोर था, सब कुछ भांप कर भी मुझे छोड़ा नहीं और लगातार चाटता रहा। वह बहुत अच्छी तरह से जानता था कि मुझे चोदने के लिए फिर से अच्छी तरह से कैसे गरम किया जाना है। वही कर रहा था। उसकी मेहनत रंग लाई और मैं बहुत जल्द गरम हो गई और चुदने के लिए छटपटाने लगी। मुझे इस बात से भी आश्चर्य हो रहा था कि इतनी देर तक इतनी शिद्दत से कोई आदमी लगातार कैसे चाटता रह सकता है। ऐसा लग रहा था जैसे घुसा के शरीर में किसी कुत्ते की आत्मा आ गई थी। एकदम पशु की तरह लगातार, अथक चाट रहा था।
"ओह ओह ओह, बस बस ऊऊऊऊऊ अब और कितना तड़पाओगे कमीने?" मैं बदहवासी के आलम में उसका सर पकड़ कर हटाने का प्रयास करती हुई चीख कर बोली, लेकिन उस जानवर ने जिस सख्ती से मुझे अपनी गिरफ्त में लिया हुआ था कि मैं सिर्फ छटपटा कर रह गई। वह समझ गया कि अंतिम आक्रमण करने के जिस उपयुक्त अवसर के लिए वह अथक प्रयास कर रहा था, वह पल आ चुका है तो वह मुझे छोड़कर मेरे पीछे आया और अपने दोनों पंजों से मेरे कंधों को जोरदार धक्का दिया जिससे मैं औंधे मुंह उसी जगह कालीन पर गिर पड़ी, जहां कुछ समय पहले उसने मेरी मां का शिकार किया था। गनीमत थी कि मैं ने अपने हाथों से खुद को मुंह के बल गिरने से बचा लिया।
"यह क्या कर रहे हो तुम?" मैं घबराकर बोली। लेकिन वह मूक पशु की तरह मुंह से कुछ नहीं बोला और पीछे से मुझ पर चढ़ गया। उसने मुझे पीछे से जकड़ लिया था जिसके कारण मैं जोर लगा कर विरोध करने में असमर्थ थी।
"छोड़ो मुझे पागल कहीं के। ऐसा भी कोई करता है?" मैं चीखती रही लेकिन वह तो मानो बहरा हो चुका था। वह अब अपनी पाशविक प्रवृत्ति का परिचय देने लगा था। हे भगवान, उत्तेजना के अतिरेक में यह मैं किस मुसीबत को आमंत्रण दे बैठी थी। वह अपनी कमर चलाने लगा था। बिना अपने हाथ का इस्तेमाल किए वह अपने सख्त लंड से ही पीछे से धक्के लगाता हुआ मेरी चूत का प्रवेश द्वार खोज रहा था। इसी क्रम में एक बार तो मेरी गांड़ में ही लंड घुसेड़ने की कोशिश करने लगा था। मेरी तो जान ही हलक में आ गई थी। किसी प्रकार एक हाथ से अपने शरीर को फर्श पर सहारा देकर दूसरा हाथ पीछे लेकर उसके लंड को अपनी चूत के मुंह पर रखने में सफल हो गयी।
घुसा तो धक्के लगा ही रहा था, जैसे ही उसके लंड को मेरी चूत का प्रवेश द्वार मिला, वह दनादन धक्के मारता हुआ घुसाता चला गया। ऊऊऊऊऊहहहह मेरी मां, इस वक्त मुझे अहसास हो रहा था कि घुसा का लंड पहले की अपेक्षा काफी बड़ा हो गया है। जब उसका लंड मेरी चूत में पूरी तरह समा गया तो मुझे ऐसा लगने लगा कि उसका लंड मेरे गर्भाशय को भी क्षत-विक्षत कर देगा। इसका क्या कारण था होगा मैं समझ नहीं पाई। इस मुद्रा में मैं पहली बार चुद रही थी शायद यही कारण हो कि उसका लंड पूरा मेरे अंदर तक जा रहा था। मैं एक बार तो घबरा ही गई। अरे बाप रे, मैं भय के मारे आगे खिसकने की कोशिश करने लगी लेकिन घुसा मेरी कमर पकड़ कर पीछे की ओर घसीट घसीट कर चोदने लगा। मैं जितना आगे खिसकने की कोशिश करती थी उतना ही वह मुझे पीछे की ओर घसीट रहा था। मुझे पीड़ा का भी अहसास हो रहा था। इस मुद्रा में चुदने का यह पहला अवसर मेरे लिए काफी पीड़ादायक सिद्ध हो रहा था लेकिन यह मेरा ही जोखिम भरा निर्णय था इसलिए झेलने के लिए वाध्य थी। आ बैल मुझे मार वाली कहावत चरितार्थ हो रही थी। अपनी दुर्दशा पर मेरी आंखों से आंसू निकलने लगे थे।