30-03-2024, 01:00 PM
मैंने आपी की बात सुन कर मुस्कुरा कर उन्हें देखा और कहा- “अच्छा जी, तो इसका मतलब है। हमारी बहना जी को इससे बहुत मज़ा आ रहा है”
आपी ने मज़े से डूबी आवाज़ में कहा- “हाँ सगीर! उम्म्म्म मम... यह बहुत अलग सा मज़ा है... बहुत हसीन अहसास है... आह…”
मैंने लोहा गर्म देखा तो कहा- “तो आपी मुझे डालने दो ना अपना लण्ड, जब हुमच हुमच कर आपको चोदूगा, उससे और ज्यादा मज़ा मिलेगा”
“नहीं सगीर! वो अलग चीज़ है। तुम्हें नहीं पता क्या? उससे मैं प्रेग्नेंट भी हो सकती हूँ”
“कुछ नहीं होता आपी, मैं कंडोम लगा लूँगा ना”
“नहीं ना सगीर, मुझे पता है कंडोम भी हमेशा सेफ नहीं होता”
“मैं छूटने लगूंगा तो लण्ड बाहर निकाल लूँगा ना”
“अच्छा?? और अगर तुमने एक सेकेंड के लिए भी अपना कंट्रोल खो दिया तो फिर?”
“आपी मैं सुबह गोलियाँ ला दूँगा। प्रेग्नेन्सी रोकने की, आप वो खा लेना”
मेरे बहस करने से आपी के अंदाज़ में थोड़ी झुंझलाहट पैदा हो गई थी। उन्होंने कहा- “बस! नहीं ना सगीर, खामखाँ ज़िद मत करो”
आपी किसी तरह भी नहीं मान रही थीं तो मैंने अपने आपको समझाया कि शायद अभी वक्त ही नहीं आया है। इन सब बातों के दौरान मेरे हाथ की हरकत भी रुक गई थी और फरहान ने भी आपी की चूत से मुँह हटा लिया था और हमारी बातें सुन रहा था कि शायद कोई बात बन ही जाए लेकिन बात ना बनते देख कर उसने बेचारगी से मुझे देखा तो मैंने उसे वापस चूत का दाना चूसने का इशारा किया और उदास सा चेहरा लिए हार मान कर आपी से कहा- “अच्छा छोड़ें इसको, आप अभी अपना मज़ा खराब नहीं करो”
फरहान ने फिर से चूत से मुँह लगा दिया था तो मैंने भी अपने हाथ को हरकत देनी शुरू कर दी और आपी की चूत में डिल्डो अन्दर बाहर करने लगा और आपी ने भी फिर से अपना सिर झुकाया और फरहान का लण्ड चूसने लगीं।
लेकिन मेरा जेहन वहाँ ही अटका हुआ था कि मैं कैसे चोदूँ आपी को। ये ही सोचते-सोचते मैंने चंद सेकेंड्स में अपने जेहन में प्लान तरतीब दिया और अमल करने का फ़ैसला करते हुए फरहान को इशारा किया कि वो डिल्डो को पकड़े। फरहान ने कुछ ना समझने के अंदाज़ में मुझे देखा और डिल्डो को पकड़ लिया। मैंने इशारों-इशारों में फरहान को समझाया कि डिल्डो को ज्यादा अन्दर ना करे और इसी रिदम से जैसे मैं अन्दर-बाहर कर रहा हूँ, ऐसे ही करता रहे।
फरहान मेरी बात को समझ गया और उसी तरह आहिस्ता-आहिस्ता डिल्डो आपी की चूत में अन्दर-बाहर करने लगा। मैं अपनी जगह से उठा और आपी के पीछे अपनी पोजीशन सैट करके ऐसे बैठा कि मेरा जिस्म आपी के जिस्म से टच ना हो।
मैं अपने लण्ड को हाथ में पकड़ कर आपी की चूत के क़रीब लाया और फरहान को इशारा किया कि वो 3 बार ऐसे ही अन्दर-बाहर करे और चौथी बार इसी रिदम में डिल्डो बाहर निकाल कर ऊपर कर ले। फरहान को अब अंदाज़ा हो गया था कि मैं क्या करने लगा हूँ और उसकी आँखों में जोश सा भर गया था।
उसने मेरी बात समझ कर आँखों से इशारा किया कि वो तैयार है! मैंने अपनी पोजीशन को सैट किया और अपना लण्ड आपी की चूत के जितने नज़दीक ले जा सकता था, ले आया।
लेकिन इस बात का ख्याल रखा कि लण्ड आपी की चूत से टच ना हो फिर मैंने हाथ के इशारे से फरहान को रेडी का इशारा किया और खुद भी लण्ड अन्दर डालने के लिए तैयार हो गया। जैसे मैंने फरहान को समझाया था उसी तरह उसने 3 बार इसी रिदम में अन्दर-बाहर किया और चौथी बार में बाहर निकाल कर ऊपर उठा लिया।
जैसे ही फरहान ने डिल्डो बाहर निकाला मैंने एक सेकेंड लगाए बगैर अपना लण्ड अन्दर ढकेल दिया। आपी उस वक़्त एक लम्हे को ठिठक कर रुकीं और फिर से लण्ड चूसने लगीं। आपी को इस तब्दीली का पता नहीं चला था और वो ये ही समझी थीं कि डिल्डो गलती से बाहर निकल गया था जो मैंने दोबारा अन्दर डाल दिया है।
आपी की चूत में मेरा लण्ड दो इंच चला गया था, मैं कोशिश कर रहा था कि डिल्डो वाला रिदम कायम रखते हुए ही अपना लण्ड अन्दर-बाहर करता रहूँ। बहुत अजीब सी सिचुयेशन थी। मेरा लण्ड चूत के अन्दर था लेकिन मैं मज़े को फील नहीं कर पा रहा था और वो बात ही नहीं थी जो चूत में लण्ड डालने से होनी चाहिए थी। शायद इसकी वजह यह थी कि मैंने आपी की मर्ज़ी के बगैर उनकी चूत में लण्ड डाला था।
शायद आपी की नाराज़गी का डर था या अपनी सग़ी बहन की चूत में लण्ड डालने से गिल्टी का अहसास था या शायद मेरी पोजीशन ऐसी थी कि मैं अकड़ा हुआ था और कोशिश यह थी कि मेरा जिस्म आपी से टच ना हो और रिदम भी कायम रहे।
इसलिए मैं अपना बैलेन्स बनाए रखने की कोशिश कर रहा था। बरहराल पता नहीं क्या बात थी कि मुझे रत्ती भर भी मज़ा नहीं फील हो रहा था। मैंने 4-5 बार ही अपने लण्ड को आपी की चूत में अन्दर-बाहर किया था कि एकदम मेरा बैलेन्स बिगड़ गया और मैंने अपने आपको आपी पर गिरने से बचाते हुए हाथ सामने किए जो सीधे आपी के कूल्हों पर पड़े और कूल्हे नीचे दब गए और इसी झटके की वजह से मेरा लण्ड भी झटके से आगे बढ़ा और आपी की चूत के पर्दे पर मामूली सा दबाव डाल कर रुक गया।
आपी ने मेरे हाथों को झटके से अपने कूल्हों पर पड़ते और अपने परदा-ए-बकरत पर लण्ड के दबाव को महसूस किया तो सिर उठा कर तक़लीफ़ से कराहते हुए कहा- “उफ्फ़… आराम से करो नाआआ… जंगलीईइ… सारा अन्दर डालोगे क्या?”
यह कह कर आपी ने पीछे देखा तो मेरी पोजीशन देख कर उनकी आँखें फटी की फटी रह गईं और उन्हें अंदाज़ा हुआ कि जिस दबाव को उन्होंने अपनी चूत के पर्दे पर महसूस किया वो डिल्डो नहीं बल्कि उनके अपने सगे भाई का लण्ड था।
तो वो तड़फ कर चिल्ला के बोलीं- “नहीं… सगीर... खबीस मैंने तुम्हें मना किया था... बाहर निकालोओ जल्दीई...”
यह कह कर आपी उठने के लिए ज़ोर लगाने लगीं लेकिन मेरे हाथों ने आपी के कूल्हों को दबा रखा था और मेरा पूरा वज़न आपी पर था जिसकी वजह से वो उठने में कामयाब ना हो सकीं।
मैंने अपना वज़न आपी के ऊपर से हटाते हुए कहा- “कुछ नहीं होता आपी, देखो आपको कितना ज्यादा मज़ा आ रहा था”
आपी ने भर्राई हुई आवाज़ में कहा- “नहीं सगीर, इसे फ़ौरन निकालो और मुझे उठने दो। नहीं तो मैं तुम्हें ज़िंदगी भर माफ़ नहीं करूँगी, याद रखना”
यह कहते ही उन्होंने फूट-फूट कर रोना शुरू कर दिया। यह हक़ीक़त है कि मैं अपनी बहन की आँखों में कभी आँसू नहीं देख सकता हूँ। सेक्स या हँसी-मज़ाक़ अपनी जगह लेकिन आपी की आँखें नम देख कर मेरा दिल बंद होने लगता है।
आपी अभी जिस तरह फूट कर रोई थीं, मैं दंग रह गया। आपी को इस तरह रोता देख कर मेरी हवस ही गुम हो गई। मैंने तड़फ कर अपना लण्ड आपी की चूत से बाहर खींचा तो वे फ़ौरन फरहान के ऊपर से उठ कर साइड पर बैठ गईं।
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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