27-03-2024, 02:07 PM
आगे वाला लड़का बड़े मजे से उसको अपने से चिपकाये उसकी गर्दन और जहाँ जगह मिल रही थी चूम रहा था और वो मोटा आदमी भी सलोनी के पीछे से चिपक गया था। मैंने देखा उसने सलोनी का स्कर्ट पूरा ऊपर को करके उसका निचला सिरा स्कर्ट की बेल्ट में फंसा दिया तो उसको अब स्कर्ट पकड़ने या ऊपर करने की जरुरत नहीं हो रही थी।
सलोनी पीछे से पूरी नंगी ही दिख रही थी, जरा सा स्कर्ट का कपड़ा ही अब उसके विशाल चूतड़ों पर दिख रहा था। मोटे आदमी के दोनों हाथ सलोनी के चूतड़ों के समस्त भाग में घूम रहे थे और कभी कभी वो अपनी मोटी मोटी उँगलियों का भी प्रयोग कर रहा था। इधर उस मोटे के साथ वाली लेडी पूरी मस्ता गई थी, वो मुझसे चिपकी जा रही थी।
वैसे भी वो केवल मजे लेने आई थी, उसको उस मोटे की बिलकुल चिंता नहीं थी। मेरे हाथों ने उसकी टाइट स्लैक्स चूतड़ों को सहलाते हुए उसके मोटे चूतड़ों से पूरी ही उतार दी थी। स्लैक्स उसकी जाँघों तक पहुंच गई थी। तभी उस लेडी ने कमाल कर दिया, उसने मेरी पैंट की चेन खोलकर मेरा लण्ड बाहर निकल लिया। उसकी इस हरकत से मुझे बहुत आराम मिल गया क्योंकि बहुत देर से मेरा लण्ड पूरा खड़ा था और पेंट के अंदर उसमे दर्द होने लगा था।
वो मेरे लण्ड को ऊपर से नीचे सहलाने लगी। मैं अपना एक हाथ उसके चूतड़ों से हटा उस लेडी के आगे लाया और सीधा उसकी टांगों के बीच चूत पर रख दिया। उसकी स्लैक्स कच्छी के साथ ही उतर गई थी इसलिए चूत पूरी तरह नंगी थी। क्या मस्त चूत थी यार!! बिल्कुल फूली हुई, चूत पर बहुत मुलायम रेशमी बाल थे। मेरे हाथों की उँगलियों ने उसके बालों को सहलाते हुए चूत के होंठों को सहलाया।
उसके मुँह से सिसकारी निकल गई- “अह्हा… आआआ… आआआ… अहा…”
मैंने उँगलियों से ही उसके चूत के छेद को ढूंढ अपनी एक उंगली से छेद को कुरेदा, उसके चूतड़ों पर रखा हाथ भी पीछे से उसकी चूत को कुरेदने लगा। उसने कसकर मेरे लण्ड को पकड़ दबा दिया।
उसकी चूत पूरी गीली हो गई थी और लगातार पानी छोड़ रही थी।
तभी उसने मेरे कान में कहा- “चलो कहीं साइड में चलते हैं”
क्या बात है!! मतलब वो चुदवाने के मूड में आ गई थी।
मैंने सलोनी की ओर देखा तो वो उन दोनों से मस्ती कर रही थी। उस मोटे आदमी ने सलोनी को पीछे से दबोच लिया था और उसके हाथ आगे से सलोनी की स्कर्ट के अंदर थे। आगे से सलोनी की स्कर्ट अभी भी उसकी बेशकीमती चूत को ढके थी पर इस समय शायद उसकी चूत पर उस मोटे के हाथ थे जो पता नहीं कैसे उसको छेड़ रहे होंगे।
अब या तो मैं यहाँ रूककर सलोनी की मस्ती देखता या फिर इस नई बालों वाली चूत का मजे लेता। यह तो पक्का था कि वो चुदाई के लिए पूरी तरह तैयार थी और मेर लण्ड को बिना किसी शर्म के कभी सहला रही थी तो कभी कसके पकड़ लेती तो कभी मरोड़ देती।
कुछ समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूँ?? लण्ड उसकी हरकतों के आगे झुकने को तैयार ही नहीं था।
मैंने बड़े प्यार से उससे उसका नाम पूछा- “जानेमन! तुम्हारा नाम क्या है?”
लेडी- “ऋज़ू, बहुत धीरे से ही उसने बोला”
मैं- क्या मूड है?
ऋज़ू- “तुम्हारे लण्ड को खा जाने का”
एकदम खुली शब्दों का प्रयोग! मतलब पूरी तरह रण्डी बन गई थी वो, कहते हैं एक रण्डी हर स्त्री में छुपी होती है, बस उसको बाहर निकालना पड़ता है।
ऋज़ू काफी हाई सोसाइटी की दिख रहे थी मगर इस समय बिलकुल एक रण्डी की तरह ही बात कर रही थी और उसकी हर हरकत एक उच्च श्रेणी की रण्डी जैसी ही लग रही थी। मेरा दिल उसको छोड़ने का बिल्कुल भी नहीं कर रहा था बस सलोनी को मस्ती करते देखने का थोड़ा सा मन था।
मगर ऋज़ू जैसे माल ने उसमें भी संदेह पैदा कर दिया था कि क्या करूँ? मेरा लण्ड अब ऋज़ू की चूत में घुसने के लिए व्याकुल था- “मेरी जान यहाँ कहाँ चोदूँ तुम्हें? मेरा लण्ड तो तुम्हारी इस चुनिया के लिए पागल है”
मैंने कस कर उसकी चूत को मसल दिया तो ऋज़ू- “अह्ह्हा…आआआ… मेरी चूत भी तेरे लौड़े को पूरा खा जाएगी”
उसकी भाषा हर तरह की लगाम छोड़ती दिख रही थी। मैंने सोच लिया कि इस कमीनी के साथ पूरा मजा लेना है पर अब मेरा दिमाग केवल यह सोच रहा था कि मैं ऋज़ू को भी चोद लूँ और सलोनी को भी देखता रहूँ!
अब ये दोनों काम एक साथ कैसे होंगे!?!
मेरा दिल चाह रहा था कि यह रात कभी ख़त्म ना हो! मेरी सभी इच्छायें यहाँ पूरी होने की कगार पर थीं बल्कि अगर ऐसा कहूँ तब भी गलत नहीं होगा कि मेरी सभी सोच से ऊपर अब यहाँ का माहौल हो गया था। नशे ने हम दोनों को हर वो हरकत करने पर मजबूर कर दिया था जो शायद होश रहते हम कभी भी नहीं कर सकते थे।
ऋज़ू भले ही 34-35 साल की थी मगर अविरल सेक्स ने उसको 25-26 साल का बना रखा था। वह बहुत ही खूबसूरत दिख रही थी। जरूरत से ज्यादा उसका खुलापन मुझे मेरे लक्ष्य से भटका रहा था। मेरा ध्यान सलोनी की ओर से हट रहा था।
ऋज़ू ने मेरे लण्ड को सहला सहला कर पूरा लाल कर दिया था। वो अपने नाखून मेरे लण्ड के टॉप पर रगड़ रही थी।
मैंने ऋज़ू की मस्त चूचियाँ दबानी शुरू कर दी।
ऋज़ू- “अगर प्यास लगी हो तो पी ले, बहुत रस है रे मेरे मम्मो में”
मैं भी अब ऋज़ू के नंगपने में रंगने लगा था- “हाँ जानेमन, कामरस से भरे पड़े हैं तेरे ये गोले”
मैं उसकी कुर्ती के ऊपर से ही उनको मसलने लगा। और फिर ऋज़ू ने कमाल कर दिया उसने अपनी स्लैक्स अपने पैरों से पूरी निकाल दी। भरी स्टेज पर ऐसा शायद कोई रण्डी भी नहीं करती मगर ऋज़ू ने तो खुलेपन की हद ही कर दी थी। वो कमर से नीचे पूरी नंगी मेरे साथ मजे कर रही थी।
ऋज़ू- “चल न किसी कोने में, मैं तेरे लण्ड को पूरा खाना चाहती हूँ। तेरे लण्ड की खुशबू ने मुझे पागल कर दिया है”
वो मेरे लण्ड को पकड़ अपनी चूत को आगे कर उस पर लगा कर घिसे जा रही थी। वो इस कदर पागल हो रही थी कि अगर मैंने कुछ नहीं किया तो वहाँ खुद ही सबके सामने चुद लेगी। उसके गदराये शरीर को छोड़ने का मेरा भी बिल्कुल मन नहीं था।
मैंने सलोनी को देखने के लिए उधर नजर घुमाई मगर अह…होह… वो वहाँ नहीं थी… अरे यह कहाँ चली गई? मैंने चारों ओर देखा मगर वो मुझे कहीं दिखाई नहीं दी। जरा सी देर में ही वो गायब हो गई थी। मुझे वो दोनों भी नहीं दिखाई दिए, न तो मोटा आदमी और न ही उसके साथ वाला लड़का।
अरे साले मेरी नजर बचा सलोनी को कहाँ उठा ले गए? जब यहाँ मेरे सामने ही उन्होंने उसकी स्कर्ट उठा उसको नंगा कर दिया था और उसके चूतड़ और चूत सब छू रहे थे। अब पता नहीं अकेले में क्या कर रहे होंगे?? मुझे डर लगने लगा कि सलोनी की मदमस्त जवानी देख कोई उससे जबरदस्ती ना कर दे। मैं सलोनी को ढूंढने जाने लगा मगर ऋज़ू ने कसकर मुझे पकड़ लिया।
मैंने भी उसका हाथ पकड़ा और स्टेज से नीचे आकर सोचने लगा कि सलोनी किस ओर गई होगी। इतनी देर में 2-3 आदमियों ने ऋज़ू के चूतड़ों पर चांटा मारा और बड़े गंदे कमेंट्स भी दिए मगर ऋज़ू ने बड़ी छिनाल अदा से सबको मुस्कुराकर ही जवाब दिया।
मैं समझ गया कि यह यहाँ की बहुत पुरानी चुद्दक्कड़ है, मैंने ऋज़ू के कान में पूछा- “अरे वो तेरे साथ वाला मोटा कहाँ है?”
ऋज़ू- “पता नहीं, चोद रहा होगा कमीना कहीं किसी चूत को”
मैं- “अरे वो मेरे साथ वाली लड़की थी न, वो कहीं नहीं दिख रही, वो मेरे साथ आई थी”
ऋज़ू- “अरे वो नंगी रण्डी, जिसने कच्छी नहीं पहनी थी, तेरे साथ थी? उसी के साथ तो था वो कमीना, चल छोड़ उसको, उसकी चूत से कहीं मजेदार है मेरी चूत। चल आज मुझे अपना मूत पिला, उसको चुदने दे किसी और से”
उसकी इतनी गन्दी बातों ने तो हद कर दी थी। मैं ज़िंदगी में पहली बार ही किसी स्त्री के मुख से इतनी गन्दी भाषा सुन रहा था।
मुझे बहुत परेशान देख उसने मेरा हाथ पकड़ा और बोली- “चल उसके सामने ही मुझे चोदना, मुझे पता है कहाँ ले गया होगा वो कमीना उसको”
और मैं उसके साथ आगे को बढ़ गया…
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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