26-03-2024, 12:03 PM
उन कुत्तों की याद मेरे मन में उमड़ घुमड़ रही थी और सोचने लगी कि क्या ही अच्छा हो जो यह घुसा उन कुत्तों की तरह आचरण करना आरंभ कर दे। मैं उसका लंड चूसना छोड़ कर हांफती हुई बोली,
"रुको,"
"काहे?" घुसा हांफते हुए बोला।
"क्या तुम आज मेरे साथ कुत्तों की तरह आचरण करना पसंद करोगे?" मैं बोलती हुई कांप रही थी।
"तुमने तो मेरे मुंह की बात छीन ली। हम तो कब से तुमको अपनी कुतिया बनाना चाह रहा था। चल रे मेरी कुतिया, आज हम अपनी कुतिया के लिए कुत्ता बनेंगे।" कहकर वह झटपट अपने कपड़े खोल कर मादरजात नंगा हो गया और मुझ पर झपटने को तैयार हो गया। उसकी रजामंदी और बेताबी देख कर मुझे मजा आ गया।
"रुक साले, मुझे भी नंगी हो जाने दे। लेकिन याद रखना, मैं इन्सान हूं और तुम एक इन्सान स्त्री के साथ कुत्तों की तरह व्यवहार करोगे। समझ रहे हो ना मैं क्या कह रही हूं?" मैं बोली और बिना कोई समय गंवाए नंगी हो गई। इतने कम समय में ही सेक्स की लत ऐसी लगी थी मुझे कि मैं अपने तन की भूख मिटाने के लिए बेशर्मी की किसी भी हद तक जाने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं दिखा रही थी। मेरी मादरजात नग्न कमनीय गदराई देह पर मेरे उन्नत उरोज सामने फुदक रहे थे और मेरी रसीली चूत रस से सराबोर लंड खाने को फकफक कर रही थी।
"वाह मैडम ऐसे कैसे होगा?" वह मेरी देह को सर से पांव तक किसी भूखे भेड़िए की तरह निहारते हुए बोला।
"होगा, सब कुछ होगा। तुम कुत्ते की तरह मेरे साथ जो चाहो करो लेकिन मैं रहूंगी इन्सान ही।"
"लेकिन आपको चौपाया तो बनना ही पड़ेगा ना।"
"बनूंगी। जैसा बोलोगे वैसा बनूंगी, वैसा ही करूंगी लेकिन तुम्हें कुत्ता बनकर मुझे खुश करना है। समझ में आया?" मैं बोली।
"बहुत बढ़िया। आज तो मजा ही आ जाएगा। धन्य हो गये हम तो।" खुशी के मारे किलकारी मारते हुए वह बोल पड़ा।
"हाय रे मेरे कालू, अब मेरा मुंह क्या देख रहे हो, अब मैं ही बोलूं कि आजा कालू चोद मुझे? शुरू काहे नहीं कर रहे हो अपना कार्यक्रम?' मैं बेताब हुई जा रही थी। अब क्या था, वह तो बिल्कुल कुत्ता ही बन गया और कुत्ते की तरह मुझ पर टूट पड़ा। ठीक उन आवारा कुत्तों की तरह वह मेरी चिकनी जांघों को पागल कुत्ते की तरह चाटने लगा। उफ़ भगवान, गजब का अहसास था वह। मुझे लग रहा था जैसे कोई कुत्ता ही मेरी जांघों को चाट रहा हो। मेरी सिसकारी निकल पड़ी।
चाटते चाटते वह मेरी चूत तक जा पहुंचा। पहले वह कुत्तों की तरह मेरी चूत को सूंघने लगा और फिर धीरे से जैसे ही उसकी जीभ ने मेरी चूत को स्पर्श किया मैं गनगना उठी। "आआआआह कालू, ओह नहींईंईंईंईं......!" मैं आनंद से भर कर तड़प उठी।
"रुको,"
"काहे?" घुसा हांफते हुए बोला।
"क्या तुम आज मेरे साथ कुत्तों की तरह आचरण करना पसंद करोगे?" मैं बोलती हुई कांप रही थी।
"तुमने तो मेरे मुंह की बात छीन ली। हम तो कब से तुमको अपनी कुतिया बनाना चाह रहा था। चल रे मेरी कुतिया, आज हम अपनी कुतिया के लिए कुत्ता बनेंगे।" कहकर वह झटपट अपने कपड़े खोल कर मादरजात नंगा हो गया और मुझ पर झपटने को तैयार हो गया। उसकी रजामंदी और बेताबी देख कर मुझे मजा आ गया।
"रुक साले, मुझे भी नंगी हो जाने दे। लेकिन याद रखना, मैं इन्सान हूं और तुम एक इन्सान स्त्री के साथ कुत्तों की तरह व्यवहार करोगे। समझ रहे हो ना मैं क्या कह रही हूं?" मैं बोली और बिना कोई समय गंवाए नंगी हो गई। इतने कम समय में ही सेक्स की लत ऐसी लगी थी मुझे कि मैं अपने तन की भूख मिटाने के लिए बेशर्मी की किसी भी हद तक जाने में जरा भी हिचकिचाहट नहीं दिखा रही थी। मेरी मादरजात नग्न कमनीय गदराई देह पर मेरे उन्नत उरोज सामने फुदक रहे थे और मेरी रसीली चूत रस से सराबोर लंड खाने को फकफक कर रही थी।
"वाह मैडम ऐसे कैसे होगा?" वह मेरी देह को सर से पांव तक किसी भूखे भेड़िए की तरह निहारते हुए बोला।
"होगा, सब कुछ होगा। तुम कुत्ते की तरह मेरे साथ जो चाहो करो लेकिन मैं रहूंगी इन्सान ही।"
"लेकिन आपको चौपाया तो बनना ही पड़ेगा ना।"
"बनूंगी। जैसा बोलोगे वैसा बनूंगी, वैसा ही करूंगी लेकिन तुम्हें कुत्ता बनकर मुझे खुश करना है। समझ में आया?" मैं बोली।
"बहुत बढ़िया। आज तो मजा ही आ जाएगा। धन्य हो गये हम तो।" खुशी के मारे किलकारी मारते हुए वह बोल पड़ा।
"हाय रे मेरे कालू, अब मेरा मुंह क्या देख रहे हो, अब मैं ही बोलूं कि आजा कालू चोद मुझे? शुरू काहे नहीं कर रहे हो अपना कार्यक्रम?' मैं बेताब हुई जा रही थी। अब क्या था, वह तो बिल्कुल कुत्ता ही बन गया और कुत्ते की तरह मुझ पर टूट पड़ा। ठीक उन आवारा कुत्तों की तरह वह मेरी चिकनी जांघों को पागल कुत्ते की तरह चाटने लगा। उफ़ भगवान, गजब का अहसास था वह। मुझे लग रहा था जैसे कोई कुत्ता ही मेरी जांघों को चाट रहा हो। मेरी सिसकारी निकल पड़ी।
चाटते चाटते वह मेरी चूत तक जा पहुंचा। पहले वह कुत्तों की तरह मेरी चूत को सूंघने लगा और फिर धीरे से जैसे ही उसकी जीभ ने मेरी चूत को स्पर्श किया मैं गनगना उठी। "आआआआह कालू, ओह नहींईंईंईंईं......!" मैं आनंद से भर कर तड़प उठी।