26-03-2024, 11:59 AM
"करने के लिए हम तो हमेशा तैयार हैं। जब भी हम तुम्हें देखते हैं तो मेरा यह पागल लंड खड़ा हो जाता है, और जब तुम मुझे इस तरह छेड़ती हो तो मेरे लिए कंट्रोल करना बहुत मुश्किल हो जाता है।" वह ड़ी बेशर्मी से पैजामे के ऊपर से ही अपना लंड पकड़ कर हिलाने लगा। अब वह खुल कर बोलने लगा था।
"बहुत बढ़िया, लेकिन अभी सिर्फ देखो। कुछ करना नहीं है'' मैंने उसे चिढ़ाते हुए कहा और अपनी शर्ट के बटन खोल दिए और बेशर्मी से अपने बड़े स्तन उसे दिखा दिए जो मेरी ब्रा से बाहर फुदक कर निकलने का इंतजार कर रहे थे। इसी तरह के सिग्नल का तो इंतजार कर रहा था वह कमीना।बस फिर क्या था उसने अपना विशाल हथियार बाहर निकाल दिया और हाथ में लेकर हिलाने लगा। उसे अच्छी तरह से पता था होगा कि मेरी मां इतनी जल्दी वापस तो आएगी नहीं और निश्चय ही मैं आज पहले ही घर पहुंच जाऊंगी। अच्छा मौका था उसके लिए तो। शायद यही कारण रहा होगा कि वह पैजामे के अंदर कुछ नहीं पहना था, कि मैं घर पहुंचूं और मेरे साथ धक्कमपेल शुरू।
उसके बड़े, लंबे, मोटे काले लंड को देखकर मैं उत्तेजित हो गई। आज तो उसका हथियार पहले से भी विकराल दिखाई दे रहा था। एक शिकारी की भांति अपने शिकार के इंतजार में अपने हथियार के साथ तैयार था। उसका हथियार एकदम गधे के लंड जैसा। बाप रे बाप यह आदमी है कि गधा है। मेरी उत्तेजना का तो कहना ही क्या था। उत्तेजित तो पहले से ही थी। मेरी मां की चुदाई देखने के समय से ही मेरे तन बदन में आग लगी हुई थी। मुझ से अब और रहा नहीं जा रहा था।
"तुम हाथ हटाओ अपना," मैंने कहा और तुरंत अपने घुटनों पर बैठ गई और उसका फनफनाता काला, मोटा लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया। ओह मेरे राम, कब से यह सब करने को मरी जा रही थी। मेरे मन में उस वक्त पता नहीं क्यों, सड़क किनारे का वही कद्दावर कुत्ता घूम रहा था। उसकी आंखों की चमक मैं चाहकर भी भूल नहीं पा रही थी। जिस तरह वह मेरा पीछा कर रहा था वह मैं कैसे भूल सकती थी? अगर रुक जाती तो क्या करता वह? क्या वह मुझ पर झपट पड़ता? या किसी कुतिया की तरह मुझ पर चढ़ने की कोशिश करता? पता नहीं। उसकी जीभ कैसे लपलपा रही थी। निश्चित तौर पर उसे गरमाई हुई मेरी मादा देह और खास तौर पर मेरी रसीली चूत की महक मेरे पीछे पीछे खींच रही थी। उस कुत्ते का ख्याल मेरे जेहन में इस कदर तारी था कि मैं पहले से और ज्यादा उत्तेजित हो उठी और बड़ी शिद्दत से घुसा के लंड को दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से चूसने लगी। वह मेरी बेताबी से चूसने की क्रिया से बड़ा अंचभे में था। बड़ा खुश भी था और आनंद के मारे उसने आंखें बंद कर लीं "आआआआइहहहह ओओओहहह" करने लगा वह।
“आह.. रोज मैडम, तुम सर्वश्रेष्ठ हो। तुम बहुत सेक्सी हो,'' वह कहने लगा। उत्तेजना के मारे वह अपनी कमर उछालने लगा था।
मैंने अपने स्तन अपनी ब्रा से बाहर निकाले और उसके सामने प्रस्तुत कर दिया कि वह इनसे खेलना आरंभ कर दें। हुआ भी यही। खुली हवा में फुदक कर बाहर निकले मेरी चूचियों के आमंत्रण को ठुकरा दे ऐसा बेवकूफ नहीं था वह। उन्हें देखकर उसकी आंखें चमक उठीं। अपने गंदे हाथ धीरे से मेरी चूचियों पर रख दिया और सहलाने लगा। मेरे सारे शरीर में 440 वोल्ट का करंट दौड़ गया और मैं थरथरा उठी। मारे मस्ती के मेरी भी आंखें बंद हो गयीं। अपनी आंखें बंद करके घुसा के लंड को चूसती हुई उसके हाथ के स्पर्श को अपनी चूचियों पर महसूस करते हुए आनंदित होती रही। घुसा भी उत्तेजना के आवेग में मेरी चूचियों को पकड़ कर दबाने लगा। पहले तो धीरे-धीरे, फिर जोर जोर से दबाने लगा। उतने जोर जोर से दबाने पर भी मुझे पीड़ा नहीं हो रही थी बल्कि पीड़ा के स्थान पर मुझे दुगुना आनंद मिल रहा था। अब मेरे सब्र का पैमाना छलक उठने को था। मैं चाहती थी आनन फानन हम दोनों अपने कपड़ों से मुक्त हो कर उन्मुक्त सेक्स में जुट जाएं।
"बहुत बढ़िया, लेकिन अभी सिर्फ देखो। कुछ करना नहीं है'' मैंने उसे चिढ़ाते हुए कहा और अपनी शर्ट के बटन खोल दिए और बेशर्मी से अपने बड़े स्तन उसे दिखा दिए जो मेरी ब्रा से बाहर फुदक कर निकलने का इंतजार कर रहे थे। इसी तरह के सिग्नल का तो इंतजार कर रहा था वह कमीना।बस फिर क्या था उसने अपना विशाल हथियार बाहर निकाल दिया और हाथ में लेकर हिलाने लगा। उसे अच्छी तरह से पता था होगा कि मेरी मां इतनी जल्दी वापस तो आएगी नहीं और निश्चय ही मैं आज पहले ही घर पहुंच जाऊंगी। अच्छा मौका था उसके लिए तो। शायद यही कारण रहा होगा कि वह पैजामे के अंदर कुछ नहीं पहना था, कि मैं घर पहुंचूं और मेरे साथ धक्कमपेल शुरू।
उसके बड़े, लंबे, मोटे काले लंड को देखकर मैं उत्तेजित हो गई। आज तो उसका हथियार पहले से भी विकराल दिखाई दे रहा था। एक शिकारी की भांति अपने शिकार के इंतजार में अपने हथियार के साथ तैयार था। उसका हथियार एकदम गधे के लंड जैसा। बाप रे बाप यह आदमी है कि गधा है। मेरी उत्तेजना का तो कहना ही क्या था। उत्तेजित तो पहले से ही थी। मेरी मां की चुदाई देखने के समय से ही मेरे तन बदन में आग लगी हुई थी। मुझ से अब और रहा नहीं जा रहा था।
"तुम हाथ हटाओ अपना," मैंने कहा और तुरंत अपने घुटनों पर बैठ गई और उसका फनफनाता काला, मोटा लंड अपने मुँह में ले लिया और उसे चूसना शुरू कर दिया। ओह मेरे राम, कब से यह सब करने को मरी जा रही थी। मेरे मन में उस वक्त पता नहीं क्यों, सड़क किनारे का वही कद्दावर कुत्ता घूम रहा था। उसकी आंखों की चमक मैं चाहकर भी भूल नहीं पा रही थी। जिस तरह वह मेरा पीछा कर रहा था वह मैं कैसे भूल सकती थी? अगर रुक जाती तो क्या करता वह? क्या वह मुझ पर झपट पड़ता? या किसी कुतिया की तरह मुझ पर चढ़ने की कोशिश करता? पता नहीं। उसकी जीभ कैसे लपलपा रही थी। निश्चित तौर पर उसे गरमाई हुई मेरी मादा देह और खास तौर पर मेरी रसीली चूत की महक मेरे पीछे पीछे खींच रही थी। उस कुत्ते का ख्याल मेरे जेहन में इस कदर तारी था कि मैं पहले से और ज्यादा उत्तेजित हो उठी और बड़ी शिद्दत से घुसा के लंड को दोनों हाथों से पकड़ कर जोर जोर से चूसने लगी। वह मेरी बेताबी से चूसने की क्रिया से बड़ा अंचभे में था। बड़ा खुश भी था और आनंद के मारे उसने आंखें बंद कर लीं "आआआआइहहहह ओओओहहह" करने लगा वह।
“आह.. रोज मैडम, तुम सर्वश्रेष्ठ हो। तुम बहुत सेक्सी हो,'' वह कहने लगा। उत्तेजना के मारे वह अपनी कमर उछालने लगा था।
मैंने अपने स्तन अपनी ब्रा से बाहर निकाले और उसके सामने प्रस्तुत कर दिया कि वह इनसे खेलना आरंभ कर दें। हुआ भी यही। खुली हवा में फुदक कर बाहर निकले मेरी चूचियों के आमंत्रण को ठुकरा दे ऐसा बेवकूफ नहीं था वह। उन्हें देखकर उसकी आंखें चमक उठीं। अपने गंदे हाथ धीरे से मेरी चूचियों पर रख दिया और सहलाने लगा। मेरे सारे शरीर में 440 वोल्ट का करंट दौड़ गया और मैं थरथरा उठी। मारे मस्ती के मेरी भी आंखें बंद हो गयीं। अपनी आंखें बंद करके घुसा के लंड को चूसती हुई उसके हाथ के स्पर्श को अपनी चूचियों पर महसूस करते हुए आनंदित होती रही। घुसा भी उत्तेजना के आवेग में मेरी चूचियों को पकड़ कर दबाने लगा। पहले तो धीरे-धीरे, फिर जोर जोर से दबाने लगा। उतने जोर जोर से दबाने पर भी मुझे पीड़ा नहीं हो रही थी बल्कि पीड़ा के स्थान पर मुझे दुगुना आनंद मिल रहा था। अब मेरे सब्र का पैमाना छलक उठने को था। मैं चाहती थी आनन फानन हम दोनों अपने कपड़ों से मुक्त हो कर उन्मुक्त सेक्स में जुट जाएं।