आपी को हँसता देख कर मैंने कुछ कहने के लिए मुँह खोला ही था कि आपी हँसी को ज़बरदस्ती रोकते हो बोलीं- “अच्छा अच्छा सॉरी! मूड ऑफ मत कर लेना, सॉरी सॉरी”
मैंने कुछ नहीं कहा बस मुस्कुरा कर वापस अपनी नजरें आपी की टाँगों के दरमियान जमा दीं। आपी ने अपने पजामे को थोड़ा और नीचे किया तो उनकी चूत के ऊपर वाले हिस्से के बाल नज़र आने लगे जो काफ़ी बड़े हो रहे थे और गुलाबी जिल्द पर डार्क ब्लैक बाल बहुत भले लग रहे थे।
“आपी क्या बात है? कब से बाल साफ नहीं किए? बहुत बड़े-बड़े हो रहे हैं?”
“काफ़ी दिन हो गए हैं। सुबह यूनिवर्सिटी जाना था इतना टाइम नहीं था कि साफ करती, अब आज करूँगी”
आपी ने ये कहा और पजामे को घुटनों तक पहुँचा दिया।
मैंने नज़र भर के आपी की चूत को देखा। टाँगों के बंद होने की वजह से सिर्फ़ चूत का ऊपरी हिस्सा ही दिख रहा था। मैंने अपना हाथ बारी-बारी आपी की खूबसूरत रानों पर फेरा और अपना अंगूठा चूत से थोड़ा ऊपर रख कर चूत को ऊपर की तरफ खींचते हुए आपी से कहा- “आपी टाँगें खोलो ना थोड़ी सी”
आपी ने अपनी टाँगों को खोला तो चूत बालों में घिरी एक लकीर सी नज़र आ रही थी। मैंने अंगूठे को थोड़ा नीचे ला कर आपी की चूत के दाने पर रख दिया और उसे मसलते हुए आपी की रानों को चाटने लगा। मैंने बारी-बारी से दोनों रानों को चाटा और फिर अंगूठे के दबाव से चूत को ऊपर की जानिब खींच कर अपनी ज़ुबान आपी की चूत से लगा दी।
मेरी ज़ुबान आपी की चूत पर टच हुई तो उन्होंने एक झुरझुरी सी ली और अपना हाथ मेरे सिर पर रख कर दबाने लगीं। मैंने चूत को मुकम्मल चाट कर आपी की चूत के एक लब को अपने होंठों में दबाया और उसका रस निचोड़ने लगा।
इसी तरह मैंने दूसरे लब को चूसा और फिर दोनों लबों को एक साथ मुँह में लेकर पूरी चूत को चूसने की कोशिश की तो आपी ने एक ‘आह..’ भरते हुए कहा- “अहह… सगीर! दाना… दाने को चूसो... प्लीज़...”
मैंने आपी की बात सुन कर एक बार फिर पूरी चूत पर ज़ुबान फेरी और उनकी चूत के दाने को अपने होंठों में दबा कर चूसने लगा। मैं आपी की बात सुन कर उनकी चूत के दाने को अपने लबों में दबा कर चूसने लगा। मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे आपी की चूत के दाने से मीठे रस का चश्मा उबल रहा है जो मेरे मुँह में शहद घोलता जा रहा है।
आपी की चूत के दाने को चूसने की वजह से मेरी नाक चूत के बालों में उलझ सी गई और मुझे ऐसा महसूस होने लगा जैसे मेरी नाक अपनी आपी की चूत की खुश्बू को एक-एक बाल से चुन लेना चाहता हो।
मैं अपने इन्हीं अहसासात के साथ आपी की चूत को चाट और चूस रहा था कि एक आवाज़ बॉम्ब की तरह मेरी शामत से टकराई- “रूहीयययययई…”
अम्मी की आवाज़ सुनते ही मैं तड़फ कर पीछे हटा और अभी उठने भी नहीं पाया था कि किचन के दरवाज़े पर अम्मी खड़ी नज़र आईं।
उन्होंने मुझे ज़मीन पर बैठे देखा तो हैरत से पूछा- “यह क्या कर रहे हो सगीर?”
मैंने अम्मी को देखे बिना ही रेफ्रिजरेटर के नीचे हाथ डाला और कुछ ढूँढने के अंदाज़ में हाथ फिराता हुआ बोला- “कुछ नहीं अम्मी! वो पानी पी रहा था तो हाथ में पकड़ा पेन नीचे गिर गया है वो ही देख रहा हूँ”
कह कर मैंने तिरछी नज़र से आपी को देखा तो वो उसी हालत में क़मीज़ दाँतों में दबाए पाजामा घुटनों तक उतारा हुआ और टाँगें थोड़ी सी खोले हुए बुत बनी खड़ी थीं।
अम्मी ने माथे पर हाथ मार कर कहा- “या रब्बा! ये लड़के भी ना, इतनी क्या मुसीबत पड़ी है पेन की, बाद में निकाल लेना था अभी अपने सारे कपड़े गंदे कर लिए हैं”
मैं दिल ही दिल में दुआ कर रहा था कि अम्मी अन्दर ना आ जाएँ। फिर मैंने हाथ रेफ्रिजरेटर के नीचे से निकाला और अपना बैग उठा कर खड़ा हो रहा था तो अम्मी बोलीं- “रूही को तो नहीं देखा तुमने? पता नहीं कहाँ चली गई है?”
“नहीं अम्मी! मैंने तो नहीं देखा, जाना कहाँ हैं ऊपर स्टडी रूम में होंगी”
अम्मी ने सीढ़ियों की तरफ मुँह कर के तेज आवाज़ लगाई- “रुहीययई...”
फिर अपने कमरे की तरफ घूम कर बोलीं- “सगीर! जा बेटा, ऊपर हो तो उसे मेरे पास भेज देना”
बोल कर अम्मी धीमे क़दमों से मुड़ते हुए अपने कमरे की तरफ चल दीं।
एक क़दम पीछे होकर मैंने आपी को देखा उनका चेहरा खौफ से पीला पड़ा हुआ था। वो इतनी खौफजदा हो गई थीं कि उन्हें यह ख्याल भी नहीं रहा कि अपने दाँतों से फ्रॉक का दामन ही निकाल देतीं ताकि चूत ऐसी नंगी खुली न पड़ी रहती।
मैंने उनके साथ कोई शरारत करने का सोचा लेकिन फिर उनकी हालत के पेशेनज़र अपने ख़याल को खुद ही रद कर दिया और आगे बढ़ कर आपी का पजामा ऊपर करने के बाद उनके दाँतों से फ्रॉक का दामन भी खींच लिया।
लेकिन उनकी हालत में कोई फ़र्क़ नहीं आया था।
आपी को कंधों से पकड़ कर आगे करके मैंने अपने सीने से लगाया और उन्हें बाँहों में भर लिया, फिर एक हाथ से उनकी क़मर और दूसरे हाथ से उनके गाल को सहलाते हुए कहा- “आपी... आपी... अम्मी चली गई हैं… कुछ भी नहीं हुआ... सब ठीक है... मेरी जान से प्यारी मेरी बहना कुछ भी नहीं हुआ”
मैं इसी तरह आपी की क़मर और गाल को सहलाते हुए उन्हें तसल्लियाँ देता रहा और कुछ देर बाद आपी पर छाया खौफ टूटा और वो सहमी हुई सी आवाज़ में बोलीं- “सगीर, अगर अम्मी देख लेतीं तो?”
“आपी इतना मत सोचो यार, देख लेतीं तो ना... देखा तो नहीं है? जो इतनी परेशान हो रही हो बस अपना मूड ठीक करो। याद करो कैसे कह रही थीं सगीर दाने को चूसो ना, बोलो तो दोबारा चूसूँ ‘दाने’ को?”
मेरी बात सुन कर आपी ने मेरी क़मर पर मुक्का मारा और मुस्कुरा दीं, फिर मेरे सीने पर गाल रगड़ कर अपने चेहरे को मज़ीद दबाते हुए संजीदगी से बोलीं- “सगीर कितना सुकून मिलता है तुम्हारे सीने से लग कर, मैं कभी तुमसे अलग नहीं होना चाहती सगीर। हम हमेशा साथ रहेंगे”
मैंने आपी को फिर से संजीदा होते देखा तो उनसे अलग होकर शरारत से कहा- “अच्छा मलिका ए जज़्बात साहिबा! सीरीयस होने की नहीं हो रही, आपको भी अम्मी ने बुलाया है। मैं भी ऊपर जाता हूँ कुछ देर सोऊँगा” -फिर आपी के सीने के उभार को दबा कर शरारत से कहा- “रात में जागना भी तो है ना अपनी बहना जी के साथ”
आपी मेरी बात पर हल्का सा मुस्कुरा दीं।
मैं घूमा और जाने लगा तो आपी ने आवाज़ दी- “सगीर!”
मैंने रुक कर पूछा- “हूउऊउन्न्न?”
आपी आगे बढ़ीं और आहिस्तगी से मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और चूम कर कहा- “बस अब जाओ, रात में आऊँगी”
मैंने आपी को मुहब्बत भरी नज़र से देखा और किचन से निकल गया। मैं कमरे में आया तो फरहान कंप्यूटर के सामने बैठा था और ट्राउज़र से अपना लण्ड बाहर निकाले पॉर्न मूवी देखते हुए आहिस्ता आहिस्ता अपने लण्ड को सहला रहा था।
दरवाज़े की आहट पर उसने घूम कर एक नज़र मुझे देखा तो मैंने कहा- “बस एग्जाम खत्म हुए हैं तो फिर शुरू हो गया ना इन्हीं चूत चकारियों में?”
“भाई इतने दिन हो गए हैं मैं इन सब चीज़ों से दूर ही था। आपी भी नहीं आती हैं अब कम से कम मूवी तो देखने दें ना”
यह कह कर फरहान ने फिर से अपना रुख़ स्क्रीन की तरफ कर लिया।
“ओके देख लो मूवी लेकिन कंट्रोल करके रखना आपी अभी आएँगी”
मेरी बात सुन कर वो खुशी से उछल पड़ा और मुझे देख कर बोला- “सच भाईईइ... अभी आएँगी आपी?”
मैंने मुस्कुरा कर उसकी तरफ देखा और ‘हाँ’ में गर्दन हिला दी और फरहान वैसे ही बैठे मूवी भूल कर गुमसुम सा हो गया या शायद यूँ कहना चाहिए कि आपी के ख्यालों में गुम हो गया।
मैंने कैमरा कवर से निकाला और रिकॉर्डिंग मोड को सिलेक्ट करते हुए कैमरा ड्रेसिंग टेबल पर रख कर उसका ज़ूम बिस्तर पर सैट कर दिया। अब सिर्फ़ रिकॉर्डिंग का बटन दबाने की देर थी कि हमारी मूवी बनना स्टार्ट हो जाती। कैमरा सैट करके मैंने अल्मारी से अपना स्लीपिंग ट्राउज़र निकाला और चेंज करने लगा।
TO BE CONTINUED ......
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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