आपी भी अपने कमरे की तरफ जाने लगीं तो फरहान आहिस्ता आवाज़ में मुझसे बोला- “भाई आज आपी को बोलो ना थोड़ा मज़ा करते हैं। आज बहुत दिल चाह रहा है ना, अब तो सिर्फ़ 2 पेपर बचे हैं”
फरहान ने कहा तो आहिस्ता आवाज़ में ही था लेकिन आपी ने उसकी बात सुन ली और मेरे कुछ बोलने से पहले ही गर्दन घुमा कर हमारी तरफ देखा और मेरे चेहरे पर नज़र जमाते हुए बोलीं- “तुम्हारा भी दिल चाह रहा है क्या?”
मैंने चंद सेकेंड सोचा और कहा- “नहीं यार, मैं सुबह 7 बजे से निकला हुआ हूँ और शॉप से घर पहुँचा ही था कि तुम लोगों ने आइस्क्रीम का शोर कर दिया। इस टाइम बस नींद के अलावा और कोई बात मेरी समझ में नहीं आ रही है। मैं तो चला ऊपर”
अपनी बात कह कर मैं रुका नहीं और अपने कमरे को चल दिया। कमरे में आते ही मैं बिस्तर पर गिरा और कुछ ही मिनटों में दुनियाँ ओ माफिया से बेखबर हो गया।
अगले रोज़ भी मैं तक़रीबन सवा नौ बजे घर पहुँचा तो थकान से चूर था। सब खाना खा रहे थे। मैं फ्रेश हो कर नीचे आया तो सब ही खाना खा चुके थे और अब्बू हस्बे-मामूल टीवी लाऊँज में ही बैठे न्यूज़ देखते हो चाए पी रहे थे।
मैं खाने के लिए टेबल पर बैठा और खाना शुरू किया ही था कि अब्बू ने मेरा थका हुआ चेहरा देख कर कहा- “बेटा, तुम कॉलेज से 2 बजे तक तो शॉप पर पहुँच ही जाते हो तो ऐसा किया करो कि 5 बजे घर आ जाया करो। सलीम (शॉप का मुंतज़ीं) बहुत ईमानदार और मेहनती लड़का है। वो रहीम भाई के होते हुए भी अच्छा ही संभाल रहा था। अब भी संभालता रहेगा और मैं भी एकाध चक्कर लगा ही लेता हूँ तो इतनी परेशानी उठाने की क्या जरूरत है कि अपना ख़याल भी ना रख सको”
मैंने खाना खाते-खाते ही अब्बू को जवाब दिया- “वो अब्बू! मैं तो अपने अनुभव के लिए वहाँ बैठा रहता हूँ और सारी लिस्ट मैं अपने हिसाब से तरतीब दे रहा था इसलिए टाइम ज्यादा लग जाया करता है”
“बेटा मेरी एक बात याद रखना कि जब तक सांस चल रही है ये काम धन्धा चलता रहेगा। ऐसा तो है नहीं कि आज हम सब ख़त्म कर लेंगे और फिर चैन से सोएंगे। बेटा मरने के बाद ही इन चक्करों से छुटकारा मिलता है। इसलिए मेरा हमेशा ये ही उसूल रहा है कि काम को अपने ऊपर इतना मत सवार करो कि अपनी सेहत और ज़ेहनी सुकून को तबाह कर बैठो। जान है तो जहान है और तुम्हारी अभी ज़िंदगी पड़ी है। अभी तो जुम्मा-जुम्मा आठ 8 दिन भी नहीं हुए। होता रहेगा तजुर्बा लेकिन अपने आप पर तवज्जो देना बहुत जरूरी है और इस तरह तुम्हारी पढ़ाई का भी हर्ज होगा”
“अब्बू बस अब सारी लिस्ट वगैरह तो तक़रीबन फाइनल हो ही चुकी हैं और जहाँ तक पढ़ाई की बात है तो मैं शोरूम में ही अपने केबिन में बैठ कर पढ़ाई कर ही लेता हूँ लेकिन चलिए मैं कल से 5 बजे तक घर आ जाया करूँगा”
इसके बाद भी कुछ देर अब्बू मुझसे शॉप के बारे में ही पूछते रहे और मैं उनसे बातें करता हुआ खाना ख़ाता रहा। फिर मैं भी चाय पीकर अपने कमरे में आ गया। फरहान पढ़ाई में ही लगा था।
मैंने उसके दोनों कंधों पर हाथ रख कर कन्धों को दबाते हुए कहा- “और सुना छोटू! कैसे हो रहे हैं पेपर?”
वो तक़लीफ़ से कराह कर बोला- “उफफ्फ़ भाईईईईई! इतने ज़ोर से दबाए हैं कंधे? बस कल आखरी पेपर है फिर छुट्टी”
मैंने उसकी गुद्दी पर एक चपत मारी और अपनी जगह पर लेट कर बोला- “क्या यार! थोड़ा सा दबाया है और तुमसे बर्दाश्त नहीं हो रहा इसी लिए कहता हूँ कि ज़रा कम पानी निकाला करो। वैसे तुम्हें तो काफ़ी दिन हो गए हैं पानी निकाले हुए ना?”
मेरी बात सुन कर वो खुश होता हुआ बोला- “अरे हाँ! आप तो कल कमरे में आ गए थे लेकिन आपी ने मुझे कल मज़ा करवाया था”
मैंने लेटे-लेटे ही उसकी तरफ देखा और कहा- “अच्छा, मुझे तो पता ही नहीं चला। तुम्हारे साथ ही आपी भी आ गई थीं क्या कमरे में?”
“नहीं भाई, आपको पता भी कैसे चलता। हम कमरे में नहीं आए थे, कमरे से बाहर ही सीढ़ियों के पास आपी ने मेरा लंड चूस कर मुझे डिसचार्ज करवाया था लेकिन आपी ने बस जान छुड़ाने वाले अंदाज़ में ही चूसा था। पता नहीं वो मेरे साथ ऐसा क्यों करती हैं”
मैंने फरहान की बात सुनी तो मुस्कुरा कर उसे जवाब दिया- “अबे नहीं यार, ऐसा मत सोचो कि तुम्हारे साथ वो ऐसा करती हैं। असल में आपी को मेनसिस चल रहे हैं इसलिए आपी ने दिल से नहीं चूसा होगा क्योंकि अगर वो दिल से सब कुछ कराएँ तो वो भी गर्म हो जाएँगी और फिर उनकी चूत में जलन होती है। आपी ने खुद मुझे ये बातें बताई थीं लेकिन ये देखो कि वो तुमको इतना प्यार करती हैं कि अपनी तक़लीफ़ का बता कर उन्होंने तुम्हें मना नहीं किया बल्कि तुम्हारा लंड चूस कर तुम्हें सुकून पहुँचाया है”
वो चंद लम्हें कुछ सोचता रहा फिर बोला- “हाँ भाई, ये तो बात है!”
“अब दिमाग से चूत को निकाल और चल अब पढ़ाई कर और मैं भी सोता हूँ” -मैंने फरहान से कहा और चादर अपने मुँह तक तान ली।
अगला दिन भी बहुत बिजी ही गुज़रा और आम दिनों से ज्यादा थका हुआ सा घर पहुँचा तो अब्बू और अम्मी टीवी लाऊँज में ही थे। अम्मी ने मुझे खाना दिया और खाने के दौरान ही शॉप के बारे में अब्बू से बातें भी होती रहीं। कमरे में आया तो आज खिलाफे तवक़ा फरहान सोता हुआ नज़र आ रहा था। मुझे भी थकान ने कुछ और सोचने ही नहीं दिया और मैं भी चेंज करके सो गया।
सुबह मैं ज़रा लेट उठा तो अम्मी ने ही नाश्ता दिया कि आपी यूनिवर्सिटी चली गयी थीं। मैं भी नाश्ता वगैरह करके कॉलेज चला गया और वहाँ से शॉप पर, वापस घर आते हुए मैंने अपनी शॉप से एक डिजिटल कैमरा भी उठा लिया था कि अब तो हर चीज़ ही पहुँच में थी। मैं घर पहुँचा तो सवा पाँच हो रहे थे। टीवी लाऊँज में कोई नज़र नहीं आ रहा था। आपी का और अम्मी का कमरा भी बंद था।
मैं अपनी लेफ्ट साइड पर किचन के अन्दर देखता हुआ राइट पर सीढियों की तरफ मुड़ा ही था कि ‘भौं..’ की आवाज़ के साथ ही मेरे कन्धों को धक्का लगा।
और “हहा... हाअ डर गए… डर गए... कैसे उछले हो डर के...” -आपी शरारत से हँसते हुए मेरे सामने आ गईं जो दीवार की साइड पर छुप कर खड़ी हुई थीं।
आपी ने इस वक़्त सफ़ेद चिकन की फ्रॉक और सफ़ेद रेशमी चूड़ीदार पजामा पहना हुआ था जो पैरों से ऊपर बहुत सी चुन्नटें लिए सिमटा हुआ था, सर पर अपने मख़सूस अंदाज़ में ब्लॅक स्कार्फ बाँधा हुआ था। सीने पे बड़ा सा दुपट्टा फैला कर डाला हुआ था।
मैंने आपी को हँसते हुए देखा तो उन्होंने मुँह चिढ़ा कर कहा- “ईईईहीईए... डर कहाँ से गया? इतने ज़ोर से धक्का मारा है कि अन्दर से मेरा सब कुछ हिल गया है”
मेरी बात सुन कर आपी एक क़दम आगे बढ़ीं और पैंट के ऊपर से ही मेरे लण्ड को मज़बूती से पकड़ कर दाँत पीसती हुई बोलीं- “क्या-क्या हिल गया है मेरे भाई का अन्दर से?”
मैंने आपी की इस हरकत पर बेसाख्ता ही इधर-उधर देखा और कहा- “क्या हो गया है आपी? घर में कोई नहीं है क्या?”
TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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