21-03-2024, 10:19 PM
"हां , जल्दी आ गई। जल्दी रिहर्सल खत्म हो गई थी तो और क्या करती, चली आई।" मैं घुसा को सर से पांव तक देखते हुए बोली। वह बिल्कुल सामान्य स्थिति में था। उसे देख कर नहीं लग रहा था कि कुछ देर पहले मेरी मां के साथ धींगामुश्ती में लीन रहा था।
मैंने घर में प्रवेश किया और अंदर आते ही बोली, "अभी तक सफाई चल रही है?"
"हां, आपकी मां तो बीच में ही चली गई ऑफिस, अब हमें ही बाकी काम करना है।" वह बोला। कमीना कहीं का, ऐसे बोल रहा था जैसे मेरी मां भी उसके साथ काम करने के लिए नियुक्त की गई हो और बीच में ही काम छोड़कर रफूचक्कर हो गई हो। इतना बोलकर फिर अपने काम में लग गया। पता नहीं मेरी नज़रों में उसे क्या नजर आया कि वह मुझसे नज़रें चुरा रहा था।
"कोई बात नहीं। अब मैं आ गई हूं ना। मैं भी सफाई के काम में हाथ बंटा देती हूं।" कहकर मैं अपने कमरे में चली गई। कमरे में जाकर मैंने ऐसे कपड़े चुने, जिन्हें पहन कर सुविधाजनक रूप से अपने शरीर की नुमाइश भी कर सकूं।कपड़े बदल कर मैं घुसा के पास चली आई यह पूछने के लिए कि और क्या क्या काम बचा है। मैंने अपनी शर्ट के ऊपर के बटन इतने खोल दिए कि वह मेरी बड़ी बड़ी उन्नत चूचियों की घाटी देख सके। वह पल भर को तो मुझे देखता ही रह गया।
"हल्लो , कहां खो गए हो।" मैं उसे मानो नींद से जगा कर बोली।
वह हड़बड़ा कर अपनी नजरें इधर उधर करते हुए मुझे बताया कि बस और थोड़ी सफाई बाकी है। फिर वह मुझे दिखाने लगा कि कहां कहां सफाई बाकी है। मैं अंग प्रदर्शन करके उसे आकर्षित करने की नीयत से जिस तरह से कपड़े पहनी हुई थी वह व्यर्थ नहीं गया। वह नजरें उठा उठा कर मेरी छाती को बार बार देख रहा था। फिर बिना कुछ बोले मैं झुक कर सफाई करने लगी। मैं जानबूझकर ऐसी पोजीशन ले रही थी ताकि वह मेरी चूचियों को अच्छी तरह से देख सके। मुझे अच्छी तरह से पता था कि वह मेरे शरीर को देख रहा था, लेकिन यह देखकर मुझे खीझ हो रही थी कि वह बार-बार मेरे शरीर के उभारों को सिर्फ देख रहा था, आगे बढ़कर कुछ करने का प्रयास नहीं कर रहा था। कुछ देर तक इंतजार करने के बाद मुझसे रहा नहीं गया, मैं मन ही मन झल्ला उठी। साला कमीना आगे बढ़ कर इस एकांत का फायदा उठाने की कोशिश क्यों नहीं कर रहा है? क्या वह सोच रहा था कि मैं खुद बोलूं कि आ घुसा, आ मुझे चोद।
जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ है मेरे सब्र का पैमाना छलक उठा तो उसके सामने जा कर उसे झन्नाटेदार थप्पड़ मार दिया। वह इस आकस्मिक थप्पड़ से हतप्रभ रह गया।
"कमीने कहीं के। बड़े शरीफ बन रहे हो अभी। मेरी अनुपस्थिति में तुमने मेरी माँ का फायदा उठाने की हिम्मत कैसे की तुमने?” मैं तनिक क्रोधित स्वर में बोली। अब तो जैसे उसे सांप सूंघ गया।
वह सोच रहा था कि यह बात मुझे कैसे पता चली। लेकिन फिर भी अनजान बनने का नाटक करते हुए बोला, "क्या? आप ऐसा सोच भी कैसे सकती हैं कि हमने आपकी मां के साथ ऐसा कुछ किया है। नहीं नहीं। बिल्कुल नहीं रोजा बिटिया, मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया। कृपा करके हम पर विश्वास करो,'' उन्होंने कहा।
“झूठ। झूठ मत मत बोलो। मुझे सबकुछ पता है, तुमने मेरी मां के साथ क्या किया है। अब सच बताते हो कि दूं एक और?” मैं तैश में आकर जोर से बोली।
"हम सच बोल रहे हैं मैडम, हमने कुछ नहीं किया है।" मेरी बात सुन कर वह थोड़ा सकपका गया और सहम भी गया था।
"फिर झूठ। तुम ने मेरी मां को अपने जाल में फंसा कर कुकर्म किया है। मैंने अपनी आंखों से देखा है, कैसे जानबूझकर एक छोटी सी दुर्घटना का रूप देकर मेरी मां के अंदर की प्यासी औरत को जगाया, उकसाया और बड़ी चालाकी से अपनी मीठी मीठी बातों में उलझा कर मेरी मां को उत्तेजित किया और उसकी इज्जत में हाथ डाला। सब कुछ मैंने देखा।" मैं जोर से बोली।
मैंने घर में प्रवेश किया और अंदर आते ही बोली, "अभी तक सफाई चल रही है?"
"हां, आपकी मां तो बीच में ही चली गई ऑफिस, अब हमें ही बाकी काम करना है।" वह बोला। कमीना कहीं का, ऐसे बोल रहा था जैसे मेरी मां भी उसके साथ काम करने के लिए नियुक्त की गई हो और बीच में ही काम छोड़कर रफूचक्कर हो गई हो। इतना बोलकर फिर अपने काम में लग गया। पता नहीं मेरी नज़रों में उसे क्या नजर आया कि वह मुझसे नज़रें चुरा रहा था।
"कोई बात नहीं। अब मैं आ गई हूं ना। मैं भी सफाई के काम में हाथ बंटा देती हूं।" कहकर मैं अपने कमरे में चली गई। कमरे में जाकर मैंने ऐसे कपड़े चुने, जिन्हें पहन कर सुविधाजनक रूप से अपने शरीर की नुमाइश भी कर सकूं।कपड़े बदल कर मैं घुसा के पास चली आई यह पूछने के लिए कि और क्या क्या काम बचा है। मैंने अपनी शर्ट के ऊपर के बटन इतने खोल दिए कि वह मेरी बड़ी बड़ी उन्नत चूचियों की घाटी देख सके। वह पल भर को तो मुझे देखता ही रह गया।
"हल्लो , कहां खो गए हो।" मैं उसे मानो नींद से जगा कर बोली।
वह हड़बड़ा कर अपनी नजरें इधर उधर करते हुए मुझे बताया कि बस और थोड़ी सफाई बाकी है। फिर वह मुझे दिखाने लगा कि कहां कहां सफाई बाकी है। मैं अंग प्रदर्शन करके उसे आकर्षित करने की नीयत से जिस तरह से कपड़े पहनी हुई थी वह व्यर्थ नहीं गया। वह नजरें उठा उठा कर मेरी छाती को बार बार देख रहा था। फिर बिना कुछ बोले मैं झुक कर सफाई करने लगी। मैं जानबूझकर ऐसी पोजीशन ले रही थी ताकि वह मेरी चूचियों को अच्छी तरह से देख सके। मुझे अच्छी तरह से पता था कि वह मेरे शरीर को देख रहा था, लेकिन यह देखकर मुझे खीझ हो रही थी कि वह बार-बार मेरे शरीर के उभारों को सिर्फ देख रहा था, आगे बढ़कर कुछ करने का प्रयास नहीं कर रहा था। कुछ देर तक इंतजार करने के बाद मुझसे रहा नहीं गया, मैं मन ही मन झल्ला उठी। साला कमीना आगे बढ़ कर इस एकांत का फायदा उठाने की कोशिश क्यों नहीं कर रहा है? क्या वह सोच रहा था कि मैं खुद बोलूं कि आ घुसा, आ मुझे चोद।
जब मुझसे बर्दाश्त नहीं हुआ है मेरे सब्र का पैमाना छलक उठा तो उसके सामने जा कर उसे झन्नाटेदार थप्पड़ मार दिया। वह इस आकस्मिक थप्पड़ से हतप्रभ रह गया।
"कमीने कहीं के। बड़े शरीफ बन रहे हो अभी। मेरी अनुपस्थिति में तुमने मेरी माँ का फायदा उठाने की हिम्मत कैसे की तुमने?” मैं तनिक क्रोधित स्वर में बोली। अब तो जैसे उसे सांप सूंघ गया।
वह सोच रहा था कि यह बात मुझे कैसे पता चली। लेकिन फिर भी अनजान बनने का नाटक करते हुए बोला, "क्या? आप ऐसा सोच भी कैसे सकती हैं कि हमने आपकी मां के साथ ऐसा कुछ किया है। नहीं नहीं। बिल्कुल नहीं रोजा बिटिया, मैंने ऐसा कुछ भी नहीं किया। कृपा करके हम पर विश्वास करो,'' उन्होंने कहा।
“झूठ। झूठ मत मत बोलो। मुझे सबकुछ पता है, तुमने मेरी मां के साथ क्या किया है। अब सच बताते हो कि दूं एक और?” मैं तैश में आकर जोर से बोली।
"हम सच बोल रहे हैं मैडम, हमने कुछ नहीं किया है।" मेरी बात सुन कर वह थोड़ा सकपका गया और सहम भी गया था।
"फिर झूठ। तुम ने मेरी मां को अपने जाल में फंसा कर कुकर्म किया है। मैंने अपनी आंखों से देखा है, कैसे जानबूझकर एक छोटी सी दुर्घटना का रूप देकर मेरी मां के अंदर की प्यासी औरत को जगाया, उकसाया और बड़ी चालाकी से अपनी मीठी मीठी बातों में उलझा कर मेरी मां को उत्तेजित किया और उसकी इज्जत में हाथ डाला। सब कुछ मैंने देखा।" मैं जोर से बोली।