21-03-2024, 04:11 PM
जैसे ही अनिल नीना के ऊपर से हट कर नीना के बाजू में आया, मैंने मेरी बीबी की खूबसूरत टाँगों के बीचमें अपनी पोजीशन ले ली। नीना ने फिर अपनी दोनों टांगें घुटनों को टेढ़ा कर मेरे सर के दोनों और मेरे कन्धों पर रख दी। अपने लण्ड को अपने ही हाथ से सहलाते हुए मैंने प्यार से मेरी बीबी की चूत के छिद्र के साथ रगड़ा। नीना ने उसके कई सालों के चुदाई साथीदार को अपने हाथों में लिया और धीरेसे अपनी चूत के छिद्र पर केंन्द्रित करते हुए अपने हाथसे मेरे लण्ड को अपनी चूत में घुसेड़ा। मेरे एक धक्का देते ही मेरा लण्ड मेरी बीबी की चूत में घुस गया। अनिल के मोटे और लंबे लण्ड से इतनी देर चुदने के बाद मेरे लण्ड को अंदर घुसाने में नीना को कोई परेशानी नहीं हुई।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.