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Adultery कैसे करें अपनी बीबी को तैयार. मैंमेरे मित्र अनिल ने मिल कर मेरी बीबी को उकसाया
#48
मुझे अनिल के मोटे लौड़े को नीना की छोटी सी चूत में जकड़ा हुआ देख कर आश्चर्य और उत्तेजना दोनों हुए। जैसे एक गुब्बारेको उसकी क्षमता से ज्यादा खिंच कर उंगली पर लपेटने से उसकी चमड़ी कितनी पतली हो जाती है और अगर और ज्यादा खींचा जाए तो फट जाती है, ठीक वैसे ही, मेरी प्यारी बीवी की चूत की चमड़ी एकदम पतली हो गयी हो ऐसे दिखती थी और मुझे डर था की कहीं वह फट न जाय और खून न बहने लगे।

अनिल ने एक और धक्का दिया और मेरे देखते ही देखते उसका तीन चौथाई लण्ड अंदर चला गया। नीना के ललाट से पसीने की बूंदें टपकने लगीं। पर उस बार नीना ने एक भी आह न निकाली। उसे काफी दर्द हो रहा होगा यह मैं उसके चेहरे के भाव अभिव्यक्ति से अनुभव कर रहा था। वैसे भी, नीना जब मुझसे भी चुदाई करवाती थी तब भी हमेशा उसे थोड़ी सी परेशानी जरूर महसूस होती थी। खास कर तब जब वह मूड मैं नहीं होती थी, उसकी चूत सुखी होती थी और वह चुदाई करवाते परेशान हो जाती थी।

अनिल का लौड़ा तो मेरे से काफी मोटा था। परेशानी तो उसे जरूर हुयी होगी। पर उसकी चूत रस से सराबोर थी। उपरसे अनिल का लौड़ा भी तो चिकनाई से लथपथ था। उसे दर्द तो हुआ पर शायद उतना नहीं जितना हो सकता था। पर मैंने देखा की अनिल के मोटे और लंबे लण्ड के धीरे धीरे अंदर बहार होने से अब मेरी बीबी की कामुकता बढ़ रही थी और उसी अनुपात में उसका दर्द उसे मीठा लगने लगा था। धीरे धीरे अंदर बहार करते हुए अनिल ने जब देखा की अब नीना काम क्रीड़ा के मज़े लेने लगी है तो एक थोड़े जोर का धक्का दे कर उस ने अपना पूरा लण्ड नीना की संकड़ी चूत में पेल दिया।

मेरी प्यारी बीवी के मुंह से एक जोरों की चीख निकल गयी। अनिल एकदम रुक गया और जैसे ही अपना लौड़ा निकाल ने लगा था, की नीना बोल पड़ी, "अनिल मत रुको। मुझे यह दर्द बहुत अच्छा लग रहा है। अब तुम मुझे बगैर रुके चोदो। मेरे दर्द की परवाह मत करो। मैं जानती हूँ यह दर्द जल्दी ही गायब हो जायगा और अगर तुम थम गए तो मेरी कामाग्नि की भूख मैं सहन कर नहीं पाऊंगी। अब मैं बिना थमे चुदना चाहती हूँ। "

तब मेरी शर्मीली पत्नी का रम्भा रूप या अभद्र भाषा में कहें तो छिनाल रूप मैंने देखा। अब अनिल से मेरी बीबी बेझिझक चुदना चाहती थी। यह मेरी वही पत्नी थी जो अनिल के नजदीक आने से भी डरती थी।

जैसे जैसे अनिल ने अपनी चोदने की गति बढ़ायी वैसे ही नीना का दर्द उसकी कामाग्नि में जल कर राख होगया अब वह अग्नि नीना के बदन को वासना से जला रही थी। मेरी पत्नी की चुदाई की भूख बढ़ती ही जा रही थी। वह उँह.... उँह....की उंह्कार देती हुयी चुदवाने का मजा ले रही थी। जैसे ही अनिल नीना की चूत में जोर का धक्का देता था वैसे ही नीना के मुंह से अनायास ही उँह की आवाज निकल जाती थी। अचानक नीना ने अनिल को थमने का इशारा किया और मुझे एक तकिया अपने कूल्हे के नीचे रखने को कहा।

मैंने फ़टाफ़ट एक तकिया मेरी बीबी की गाँड़ के नीचे रखा। नीना ने अनिल का मुंह अपने दोनों हाथों में पकड़ा और उसका लण्ड अपनी चूत में रखे रहते हुए अनिल को पुरे जोश से अपनी बाँहों में लिया। उसने अनिल के होठों से अपने होंठ भिड़ा दिए और एक अगाढ़ चुम्बन मैं अनिल और नीना जकड गए। अनिल की जीभ को नीना ने अपने मुंह में लिया और उसे चूसने लगी। उसने फिर अनिल को उसकी की जीभ अपने मुंह में अंदर बाहर करने का इशारा किया। मुझे ऐसे लगा जैसे नीना अपना मुंह भी अनिल की जीभ से चुदवाना चाहती थी। अनिल को तो जैसे सातवाँ आसमान मिल गया। वह अपने लण्ड से नीना की चूत के साथ साथ नीना का मुंह अपनी जिह्वा से चोदने लगा।

नीना अपने कूल्हे को उठा उठा कर अनिल के लण्ड के एक एक धक्के को अपने अंदर पूरी तरह से घुसड़वा रही थी। उसदिन नीना अनिल के लण्ड को अपने बदन की वह गहराईयों तक ले जाना चाहती थी जहां उसका पति भी नहीं पहुँच पाया था। अपनी वासना की धधकती आग में जलते हुए मेरी बीबी ने तब अनिल को मेरे सुनते हुए स्पष्ट शब्दों में कहा, "अनिल आज पूरी रात तुम मुझे एक रंडी की तरह चोदो। यह मत सोचो की मैं तुम्हारी भाभी हूँ. तुम यह सोचो की मैं तुम्हारी चोरी छुपी से मिलने वाली प्रियतमा हूँ, जिसे तुम सालों से चोदना चाहते थे। आज अचानक मैं तुम्हारे हाथ लग गयी हूँ और तुम मुझे ऐसा चोदो की जैसा तुमने अनीता को कभी नहीं चोदा।“

बस फिर क्या था। अनिल नीना को ऐसे जोर जोर से धक्के पेलने लगा की मुझे डर लग रहा था की कहीं वह मेरी पत्नी की चूत को फाड़ न दे। पर मेरी बीबी भी कोई कम थोड़ी ही थी। वह भी अनिल के नीचे अपने चूतड़ ऐसे उछाल रही थी जैसे उसपर कोई भूत सवार हो गया हो। अनिल का मोटा लण्ड तब उसे अद्भुत मीठा आनंद दे रहा था। जैसे अनिल नीना की चूत में एक जोर का धक्का देता, वैसे ही अनिल के अण्डकोश मेरी बीबी की गांड पर फटकार मार रहे थे। उन दोनों के चोदने से फच्च फच्च और फट्ट्ट फट्ट की आवाज उस बैडरूम में चारों और गूंज रही थी। साथ ही साथ मैं मेरी बीबी जोर जोर से हर एक गहरे धक्के के साथ ऊँह ऊँह कराहती हुयी मेरे दोस्त के धक्के के मुकाबले में बराबर खरी उतर रही थी। नीना अनिल को सामने से धक्का दे रही थी। ऐसा लग रहा था जैसे दोनों के बिच चोदने की प्रतिस्पर्धा लगी थी। आज की मेरी बीबी की उत्तेजना वैसी थी जैसी हमारी शादी के बाद जब उसकी शुरुआत की शर्म मिट चुकी थी तब चुदवाने के समय होती थी।

मैं मेरी बीबी की मेरे प्यारे दोस्त से चुदाई देखने में इतना मशगूल हो गया था, की जब नीना ने मेरा हाथ पकड़ा और दबाया तब मैं अपनीं तरंगों की दुनिया से बाहर आया और मैंने नीना को अपनी चरम पर देखा। वह उत्तेजना के शिखर पर पहुँच चुकी थी और कामातुरता की उन्नततम अवस्था में अपने रस भण्डार के दरवाजे खोल ने वाली थी। अर्थात तब वह झड़ ने की स्थिति में पहुँच गयी थी। उसने एक लम्बी कामुक आवाज में आहह ह ह ह भरी और झड़ गयी। मैं उस की चूत में से निकलते रस को अनिल के लण्ड और मेरी पत्नी की चूत के बिच में से चूते हुए देख रहा था।

नीना को झड़ते देख अनिल कुछ देर तक रुक गया। उसका लण्ड तब भी पुरे तनाव में था। बल्कि नीना को झड़ते देख अनिल की उत्तेजना और बढ़गई होगी। पर फिर भी उसने धीरेसे अपना लण्ड मेरी बीबी की चूत से निकाला। मैं आश्चर्य से उसके पथ्थर जैसे कड़क लण्ड को ऊर्ध्वगामी (ऊपर की तरफ सर उठाते हुए) दिशा में खड़ा देखता ही रहा। नीना ने अनिल के नीचे से अनिल को पूछा "डार्लिंग, तुम रुक क्योँ गए? मैं अभी बिलकुल नहीं थकी हूँ। मेरे झड़ने से मेरी चुदवाने की तड़प कम नहीं हुयी, उलटी बढ़ गयी है। प्लीज अब रुको नहीं मुझे चोदते रहो जब तक तुम में दम है।"

अनिल ने मेरी और देखा और मुझे नीना पर चढ़ने के लिए आवाहन दिया। मेरा दोस्त मुझे मेरी पत्नी को चोदने का आमंत्रण दे रहा था। आप लोग सोचिये, ऐसे होते हुए देख कर कोई भी पति को कैसा लगता होगा। पर मुझे अच्च्छा लगा। इस हालात में शायद ही कोई चुदक्कड़ नीना के उपरसे नीचे उतरेगा। नीना मेरी और देखा। वह समझ गयी की अनिल तब खुद झड़ना नहीं चाहता था। नीना मेरी एयर मुड़ी और मुझे खिंच अपने उपर चढ़ने को इशारा करते हुए बोली, "तुम इतने महीनों से अनिल के साथ मिलकर मुझे चोदने का प्लान कर रहे थे। आज मैंने भी तय कर लिया था की मैं आज तुम्हारी वह इच्छा भी पूरी कर दूंगी। अनिल को मुझे चोदते हुए तो तुमने देख ही लिया है। अब अनिल के सामने तुम मुझे चोदो। अब अनिल को भी हमारी चुदाई देखने का मजा लेने दो।"

मैं तो इंतेजार ही कर रहा था की कब मेरा नंबर लगे। मैं अनिल को मेरी बीबी की चुदाई करते देख अपने लोहेकी छड़ के सरीखे तने हुए लण्ड को सहला कर अपनी कामुकता को शांत करने की कोशिश कर रहा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी  हम अकेले हैं.



thanks
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RE: कैसे करें अपनी बीबी को तैयार. मैंमेरे मित्र अनिल ने मिल कर मेरी बीबी को उकसाया - by neerathemall - 21-03-2024, 04:10 PM



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