21-03-2024, 04:10 PM
अनिल ने ध्यान से अपने मोटे और लम्बे लण्ड को नीना के प्रेम छिद्र के केंद्र में रखा। फिर उसे उसकी चूत के होठों पर प्यार से रगड़ने लगा। मेरी पत्नी की नाली में से तो जैसे रस की धार बह रही थी। अनिल का बड़ा घंटा भी तो रस बहा रहा था। अनिल का डंड़ा तब सारे रस से सराबोर लथपथ था। उसने धीरे से अपने लण्ड को नीना की चूत में थोड़ा घुसाया। नीना ने भी अनिल के लण्ड को थोड़ा अंदर घुसते हुए महसूस किया। उसे कोई भी दर्द महसूस नहीं हुआ। अनिल की आँखे हर वक्त नीना के चेहरे पर टिकी हुयी थीं। कहीं नीना के चहेरे पर थोड़ी सी भी दर्द की शिकन आए तो वह थम जाएगा, यही वह सोच रहा था।
अनिल ने अनिल ने थोड़ा और धक्का दे कर अपना लण्ड नीना की चूत में थोड़ा और घुसेड़ा। अब नीना को अनिल के लण्ड की मोटाई महसूस होने लगी। फिर भी उसको ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था। अनिल ने जब अपना लण्ड थोड़ा और जोर से नीना की चूत में धकेला तो नीना के मुंह से आह निकल पड़ी।
नीना की आह सुनकर अनिल थोड़ी देर थाम गया। उसने धीरे से अपना लण्ड थोड़ा निकाला। नीना को थोड़ी सी राहत हुयी। तब उसकी बात सुन कर मैं तो भौचका ही रह गया। उसने अनिल से कहा, "डालो अंदर। दर्द तो हो रहा है पर यह दर्द भी मीठा है।" अनिल का मोटा लण्ड लगभग आधा अंदर जा चूका था। मेरी बीबी की चूत के दोनों होठ पुरे फुले हुए थे और अनिल के लौड़े को बड़ी सख्ती से अपने में जकड़ा हुआ था। अनिल के लण्ड और नीना की चूत के मिलन सतह पर चारों और उनके रस की मलाई फैली हुई थी / ऐसे लग रहा था जैसे एक पिस्टन सिलिंडर से अंदर बाहर होता है तब चारो और आयल फैला हुआ होता है।
अनिल ने अनिल ने थोड़ा और धक्का दे कर अपना लण्ड नीना की चूत में थोड़ा और घुसेड़ा। अब नीना को अनिल के लण्ड की मोटाई महसूस होने लगी। फिर भी उसको ज्यादा दर्द नहीं हो रहा था। अनिल ने जब अपना लण्ड थोड़ा और जोर से नीना की चूत में धकेला तो नीना के मुंह से आह निकल पड़ी।
नीना की आह सुनकर अनिल थोड़ी देर थाम गया। उसने धीरे से अपना लण्ड थोड़ा निकाला। नीना को थोड़ी सी राहत हुयी। तब उसकी बात सुन कर मैं तो भौचका ही रह गया। उसने अनिल से कहा, "डालो अंदर। दर्द तो हो रहा है पर यह दर्द भी मीठा है।" अनिल का मोटा लण्ड लगभग आधा अंदर जा चूका था। मेरी बीबी की चूत के दोनों होठ पुरे फुले हुए थे और अनिल के लौड़े को बड़ी सख्ती से अपने में जकड़ा हुआ था। अनिल के लण्ड और नीना की चूत के मिलन सतह पर चारों और उनके रस की मलाई फैली हुई थी / ऐसे लग रहा था जैसे एक पिस्टन सिलिंडर से अंदर बाहर होता है तब चारो और आयल फैला हुआ होता है।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
