21-03-2024, 04:09 PM
मेरी पत्नी की छटपटाहट पर ध्यान ना देते हुए मैंने उसकी चूत मैं एक उंगली डाल कर उसे उंगली से बड़ी फुर्ती और जोर से चोदना शुरू किया। नीना के छटपटाहट देखते ही बनती थी। वह अपना पूरा बदन हिलाकर अपने कूल्हों को बेड पर रगड़ रगड़ कर कामाग्नि से कराह रही थी। उसका उसके बदन पर तब कोई नियंत्रण न रहा था। वह मुझे कहने लगी, "राज डार्लिंग, ऐसा मत करो। मुझे चोदो। अरे भाई तुम मुझे अनिल से भी चुदवाना चाहते हो तो चुदवाओ पर यह मत करो। मैं पागल हो जा रही हूँ।" मैं नीना की बात पर ध्यान दिए बगैर, जोर शोर से उसको उंगली से चोद रहा था। तब नीना ने अनिल का मुंह अपने मुंह पर रखा और उसे जोश चूमने लगी। मैंने उसे अनिल को यह कहते हुए सुन लिया, "अनिल अपने दोस्त से कहा, मुझे चोदे। आओ तुम भी आ जाओ आज मैं तुम दोनों से चुदवाऊंगी। तुम मुझे चोदने के लिए बड़े व्याकुल थे न? आज मैं तुमसे चुदवाऊंगी। पर राज को वहां से हटाओ"
जब मैं फिर भी ना रुका तो एकदम नीना के मुंह से दबी हुयी चीख सी निकल पड़ी, "आह... ह... ह... राज.... अनिल..... " ऐसे बोलते ही नीना एकदम ढेर सी शिथिल हो कर झड़ गयी। मैंने आजतक नीना को इतना जबरदस्त ओर्गास्म करते हुए नहीं पाया था। उसकी चूत में से जैसी एक फव्वारा सा छूटा और मेर हाथ और मुंह को उसके रस से भर दिया। वह नीना का उस रात शायद चौथा ओर्गास्म था। मैं हैरान रह गया। मेरी बीबी आज तक के इतने सालों में ज्यादा से ज्यादा मुश्किल से दो बार झड़ी होगी।
मैं थम गया। मैंने देखा की नीना थोड़ी सी थकी हुई लग रही थी। मैं उसे ज्यादा परेशान नहीं करना चाहता था। मुझे तो उसको हम दोनों से चुदवाने के किये बाध्य करना था, सो काम तो हो गया। नीना ने थोड़ी देर बाद अपनी आँखे खोली और मुझे और अनिल को उसके बदन के पास ऊपर से उसको घूरते हुए देखा। वह मुस्कुरायी।
उसने हम दोनों के हाथ अपने हाथों में लिए और अपनी पोजीशन बदल कर बिस्तर पर खिसक कर सिरहाने पर सर रख कर लेट गयी। उसने मुझे अपनी टांगों की और धक्का दिया। मैं फिर उसकी चूत के पास पहुँच गया। तब नीना ने मुझे खिंच कर मेरा मुंह उसके मुंह से मिलाकर मेर लण्ड को अपने हाथ में लिया और अपनी टांगो को फिर ऊपर करके मेर लण्ड को अपनी चूत पर रगड़ने लगी। वह मुझसे चुदवाना चाहती थी।
तब मैंने अनिल को अपनी और खींचा और मैं वहाँ से हट गया। अब अनिल नीना की टांगो के बिच था। मेरी बीबी समझ गयी की मैं उसे पहले अनिल से चुदवाना चाहता हूँ। अनिल का मुंह मेरी बीबी के मुंह के पास आ गया। दोनों एक दूसरे की आँखों में झांकने लगे। अनिल झुक कर मेरी बीबी को बड़े जोश से चुम्बन करने लगा। अनिल उस वक्त कामाग्नि से जल रहा था। इतने महीनों से जिसको चोदने के वह सपने देख रहा था और सपने में ही वह अपना वीर्य स्खलन कर जाता था वह नीना अब नंगी उसके नीचे लेटी हुयी थी और उससे चुदने वाली थी।
नीना समझ गयी की अब क़यामत की घडी आ गयी है। अनिल का लटकता लण्ड नीना की चूत पर टकरा रहा था। नीना ने धीरेसे अनिल का मोटा और लंबा लण्ड अपने हाथों में लिया और उसे प्यार से सहलाने लगी। अचानक वह थोड़ी थम सी गयी और कुछ सोच में पड़ गयी। अनिल ने अपने होंठ नीना के होंठ से हटाये और पूछा, "क्या बात है? क्या सोच रही हो? क्या अब भी तुम शर्मा रही हो?"
तब नीना अनिल के कानों में फुसफुसाई, "अरे बाबा, तुम्हारा इतना मोटा और लंबा है। मेरा छेद तो छोटा सा है। उसमें कैसे डालोगे? अगर तुमने डाल भी दिया तो मैं तो मर ही जाऊंगी। ज़रा ध्यान रखना। मुझे मार मत डालना। और फिर नीना ने अनिल को अपनी बाहों में इतना सख्त जकड़ा और इतने जोश से उसे चुबन करने लगी और अनिल की जीभ को चूसने लगी की मैं तो देखता ही रह गया।
अनिल ने तब नीना को ढाढस देते हुए कहा, "तुम ज़रा भी चिंता मत करो। मैं ध्यान रखूँगा।“ उस बार मैंने अपनी पत्नी का पर पुरुष गामिनी वाला पहलु पहली बार देखा। तब तक मैं उसे निष्ठावान, पतिव्रता और रूढ़िवादी मानता रहा था। आज उसने मुझे अपने वह पहलु के दर्शन दिए जो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। पर हाँ, उसे यहां तक लाने में मेरा पूरा योगदान था।
जब मैं फिर भी ना रुका तो एकदम नीना के मुंह से दबी हुयी चीख सी निकल पड़ी, "आह... ह... ह... राज.... अनिल..... " ऐसे बोलते ही नीना एकदम ढेर सी शिथिल हो कर झड़ गयी। मैंने आजतक नीना को इतना जबरदस्त ओर्गास्म करते हुए नहीं पाया था। उसकी चूत में से जैसी एक फव्वारा सा छूटा और मेर हाथ और मुंह को उसके रस से भर दिया। वह नीना का उस रात शायद चौथा ओर्गास्म था। मैं हैरान रह गया। मेरी बीबी आज तक के इतने सालों में ज्यादा से ज्यादा मुश्किल से दो बार झड़ी होगी।
मैं थम गया। मैंने देखा की नीना थोड़ी सी थकी हुई लग रही थी। मैं उसे ज्यादा परेशान नहीं करना चाहता था। मुझे तो उसको हम दोनों से चुदवाने के किये बाध्य करना था, सो काम तो हो गया। नीना ने थोड़ी देर बाद अपनी आँखे खोली और मुझे और अनिल को उसके बदन के पास ऊपर से उसको घूरते हुए देखा। वह मुस्कुरायी।
उसने हम दोनों के हाथ अपने हाथों में लिए और अपनी पोजीशन बदल कर बिस्तर पर खिसक कर सिरहाने पर सर रख कर लेट गयी। उसने मुझे अपनी टांगों की और धक्का दिया। मैं फिर उसकी चूत के पास पहुँच गया। तब नीना ने मुझे खिंच कर मेरा मुंह उसके मुंह से मिलाकर मेर लण्ड को अपने हाथ में लिया और अपनी टांगो को फिर ऊपर करके मेर लण्ड को अपनी चूत पर रगड़ने लगी। वह मुझसे चुदवाना चाहती थी।
तब मैंने अनिल को अपनी और खींचा और मैं वहाँ से हट गया। अब अनिल नीना की टांगो के बिच था। मेरी बीबी समझ गयी की मैं उसे पहले अनिल से चुदवाना चाहता हूँ। अनिल का मुंह मेरी बीबी के मुंह के पास आ गया। दोनों एक दूसरे की आँखों में झांकने लगे। अनिल झुक कर मेरी बीबी को बड़े जोश से चुम्बन करने लगा। अनिल उस वक्त कामाग्नि से जल रहा था। इतने महीनों से जिसको चोदने के वह सपने देख रहा था और सपने में ही वह अपना वीर्य स्खलन कर जाता था वह नीना अब नंगी उसके नीचे लेटी हुयी थी और उससे चुदने वाली थी।
नीना समझ गयी की अब क़यामत की घडी आ गयी है। अनिल का लटकता लण्ड नीना की चूत पर टकरा रहा था। नीना ने धीरेसे अनिल का मोटा और लंबा लण्ड अपने हाथों में लिया और उसे प्यार से सहलाने लगी। अचानक वह थोड़ी थम सी गयी और कुछ सोच में पड़ गयी। अनिल ने अपने होंठ नीना के होंठ से हटाये और पूछा, "क्या बात है? क्या सोच रही हो? क्या अब भी तुम शर्मा रही हो?"
तब नीना अनिल के कानों में फुसफुसाई, "अरे बाबा, तुम्हारा इतना मोटा और लंबा है। मेरा छेद तो छोटा सा है। उसमें कैसे डालोगे? अगर तुमने डाल भी दिया तो मैं तो मर ही जाऊंगी। ज़रा ध्यान रखना। मुझे मार मत डालना। और फिर नीना ने अनिल को अपनी बाहों में इतना सख्त जकड़ा और इतने जोश से उसे चुबन करने लगी और अनिल की जीभ को चूसने लगी की मैं तो देखता ही रह गया।
अनिल ने तब नीना को ढाढस देते हुए कहा, "तुम ज़रा भी चिंता मत करो। मैं ध्यान रखूँगा।“ उस बार मैंने अपनी पत्नी का पर पुरुष गामिनी वाला पहलु पहली बार देखा। तब तक मैं उसे निष्ठावान, पतिव्रता और रूढ़िवादी मानता रहा था। आज उसने मुझे अपने वह पहलु के दर्शन दिए जो मैंने सपने में भी नहीं सोचा था। पर हाँ, उसे यहां तक लाने में मेरा पूरा योगदान था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.