20-03-2024, 04:05 PM
अरविन्द अंकल की किस्मत उन पर पूरी मेहरबान थी। वो सलोनी को पूर्णतया नग्न अवस्था में देख चुके थे, उसके सभी अंगों को भरपूर प्यार कर चुके थे। सबसे बड़ी बात वो जब दिल चाहे उनसे मजे लेने आ जाते थे।
अभी कुछ देर पहले ही मेरे सामने उन्होंने सलोनी के हर अंग मतलब उसकी रसीली चूचियों को सहलाते हुए ब्लाउज पहनाया था। उसकी सफ़ेद, गोरी केले जैसी चिकनी जाँघों, चूत और चूतड़ सभी को अच्छी तरह छूकर, सहलाकर और रगड़कर पेटीकोट पहनाया, फिर उसका नाड़ा बाँधा और अंत में पूरे शरीर को ही रगड़ते हुए उसके एक एक कटाव का मजे लेकर साड़ी बाँधी।
वो सब तो फिर भी ठीक पर उस सपनों की रानी के गरमागरम कोमल हाथों में अपना लण्ड दे दिया और फिर उन्ही हाथों में वीर्य विसर्जन। इतना सब देखने के बाद जब मैंने फिर से उनकी इच्छा सलोनी की नंगी चूत के चुम्मे की सुनी और वो उसकी साड़ी को ऊपर करने लगे। जहाँ मुझे पता था कि सलोनी ने कच्छी भी नहीं पहनी है।
मैं तुरंत अपनी उपस्थिति बताने के लिए पहले मेन गेट तक गया और तेजी से दरवाजे को खोलते हुए ही अंदर आया। मैं बिल्कुल नहीं चाहता था कि उनको जरा भी पता चले कि मुझे उनके किसी भी रोमांस की जरा सी भी भनक है। मैं सीधे बेडरूम के परदे तक ही आ गया।
मैं देखना चाहता था, दोनों मेरे बेडरूम में अकेले हैं। वो दोनों मुझे अचानक देखकर कैसा रियेक्ट करते हैं।
मगर परदा हटाते ही मैंने तो देख लिया किन्तु उन्होंने मुझे देखा या नहीं पता नहीं।
मेरे दरवाजे तक जाने तक ही अंकल ने सलोनी को बिस्तर के किनारे पर लिटा दिया था। मैंने देखा अंकल भौचक्के से उठकर सलोनी को बोल रहे थे- “जल्दी सही हो जाओ, लगता है आ गया, ओ बाबा”
और सलोनी बिस्तर के किनारे पीछे को लेटी थी उसके दोनों पैर मुड़े हुए किनारे पर रखे थे और पूरे चौड़ाई में खुले थे। उसकी साड़ी, पेटीकोट के साथ ही कमर से भी ऊपर होगी क्योंकि एक नजर में मुझे केवल सलोनी की नंगी टाँगें और हल्की सी चूत की भी झलक मिल गई थी।
मुझे बिल्कुल पता नहीं था कि वो चुम्मा ले चुके थे या केवल साड़ी ही ऊपर कर पाये थे। मैं एकदम से पीछे को हो गया।
तभी मुझे सलोनी के बिस्तर से उठने की झलक भी दिखाई दी, दो सेकंड रूककर जब मुझे लगा कि अब दोनों सही हो गए होंगे, मैंने कमरे में प्रवेश किया।
अंकल का चेहरा तो फ़क सफ़ेद था, मगर सलोनी सामान्य तरीके से अपनी साड़ी सही कर रही थी।
सलोनी- “ओह जानू आप आ गए, बिल्कुल ठीक समय पर आये हो देखो मैं कैसी लग रही हूँ?”
मेरे दिल ने कहा- “हाँ जान सलोनी! तुम्हारे लिए तो सही समय पर आया हूँ पर अंकल को देखकर बिल्कुल नहीं लग रहा कि मैं ठीक समय पर आया हूँ। बहुत मायूस दिख रहे हैं बेचारे, उनके चेहरे को देखकर ऐसा ही लग रहा था जैसे बच्चे के हाथ से उसकी चॉकलेट छीन ली हो”
वैसे गर्मी इतनी है कि आइसक्रीम का उदाहरण ज्यादा सटीक रहेगा।
मैं- “वाओ जान! आज तो बिल्कुल क़यामत लग रही हो। मैं तो हमेशा कहता था कि साड़ी में तो मेरी जान कत्लेआम करती है”
सलोनी- “हाँ हाँ रहने दो, आपको तो हर ड्रेस देखकर यही कहते हो। आपको पता है न मेरी जॉब लग गई है”
मैंने तुरंत आगे बढ़कर सलोनी को सीने से लगा एक चुम्मा उसके होंठों पर किया। यह मैंने इसलिए किया कि अंकल थोड़ा नार्मल हो जाएँ वरना इस समय अगर मैं जरा ज़ोर से बोल देता तो कसम से वो बेहोश हो जाते क्योंकि दिल से वाकयी अरविन्द अंकल बहुत अच्छे इंसान हैं और हाँ मेरी नलिनी भाभी भी।
मैं- “हाँ जान, तुमको बहुत बहुत बधाई! चलो अब तुम बिल्कुल बोर नहीं होगी। यह बहुत अच्छा हुआ”
सलोनी- “लव यू जान और हाँ वहाँ साड़ी पहनकर ही जाना है और अंकल ने मेरी बहुत हेल्प की है”
अंकल- “अरे कहाँ बेटा, बस जरा सा तो बताया है बाकी तो तुमको आती ही है। अच्छा अब तुम दोनों एन्जॉय करो, मैं चलता हूँ”
मैं- “अरे अंकल रुको ना, खाना खाकर जाना”
सलोनी- “पर मैंने अभी तो कुछ भी नहीं बनाया”
मैं- “तो बना लो ना या ऐसा करते हैं कहीं बाहर चलते हैं”
अंकल- “अरे बेटा! मैं तो चलता हूँ, मैं तो सादा खाना ही खाता हूँ और नलिनी भी इन्तजार कर रही होगी”
सलोनी- “ठीक है अंकल, थैंक्यू! और हाँ सुबह भी आपको हेल्प करनी होगी। अभी तो एकदम से मेरे से नहीं बंधेगी यह इतनी लम्बी साड़ी”
अंकल- “अरे हाँ बेटा, जब चाहे बुला लेना”
अंकल चले गये…
सलोनी- “हाँ जानू, चलो कहीं बाहर चलते हैं खाने पर, पर कहाँ?”
मैं- “चलो, आज अमित के यहाँ ही चलते हैं। वो तो आया नहीं हम ही धमक जाते हैं साले के यहाँ”
सलोनी- “नहीं जानू कहीं और, बस हम दोनों मिलकर सेलिब्रेट करते हैं। किसी अच्छे से रेस्टोरेंट में चलते हैं”
मैं- “ओके, मैं बस दो मिनट में फ्रेश होकर आया और हाँ तुम यह साड़ी पहनकर ही चलना”
सलोनी- “नहीं जान! यह तो कल कॉलेज पहनकर जाऊँगी। कुछ और पहनती हूँ (मुझे आँख मारते हुए) सेक्सी सा”
मैं- “यार, एक काम करो तुम, ड्रेस रख लो, गाड़ी में ही बदल लेना आज”
और बिना कुछ सुने मैं बाथरूम में चला गया, अब देखना था कि सलोनी ड्रेस बदल लेती है या फिर मेरी बात मानती है। बाथरूम में 5 मिनट तक तो मैं यह आहट लेता रहा कि कहीं अंकल फिर से आकर अपना अधूरा कार्य पूरा तो नहीं करेंगे? मगर मुझे कोई आहट नहीं मिली। दोनों ही डर गए थे।
अंकल तो शायद कुछ ज्यादा ही कि मैंने कहीं कुछ देख तो नहीं लिया या मुझे कोई शक तो नहीं हो गया। हो सकता है कि अंकल तो शायद डर के मारे 1-2 दिन तक मुझे दिखाई भी ना दें।
करीब 15 मिनट बाद मैं बाथरूम से बाहर निकल कर आया तो सलोनी सामने ही अपनी साड़ी की तह बनाते नजर आई। मैं थोड़ा आश्चर्य में पड़ गया कि मेरे कहने के बावज़ूद भी उसने कपड़े क्यों बदले?? क्या वो खुद मस्ती के मूड में नहीं थी? या मुझे अभी भी अपनी शराफत दिखा रही थी? मैं तो यह सोच रहा था कि वो खुद रोमांच से मरी जा रही होगी कि कैसे अपनी साड़ी, ब्लाउज और पेटीकोट खुद चलती गाड़ी में निकालेगी और दूसरी ड्रेस पहनेगी।
मैं खुद बहुत ही ज्यादा रोमांच महसूस कर रहा था कि आसपास से गुज़रने वाली गाड़ियाँ और पैदल चलने वाले लोग उसके नंगे बदन या नंगे अंगों को देख कैसे रियेक्ट करेंगे। मगर सलोनी ने तो सब कुछ एक ही पल में ख़त्म कर दिया था। उसने अपनी ड्रेस घर पर ही बदल ली थी और ड्रेस भी उसने कितनी साफ़ सुथरी पहनी थी। फुल जीन्स और लगभग सब कुछ ढका हुआ है ऐसा टॉप।
ऐसा नहीं था कि इन कपड़ों में कोई सेक्स अपील न हो। उसकी चूचियों के उभार और टाइट जीन्स में चूतड़ों का आकार साफ़ दिख रहा था मगर एक मॉडर्न परिवार की संस्कारी बहू जैसा ही, जैसा अमूमन सभी लड़कियाँ पहनती हैं। जबकि सलोनी तो बहुत सेक्सी है। वो तो काफी खुले कपड़ों में भी बाजार जा चुकी है।
जब वो दिन में मिनी स्कर्ट पहनकर बाजार जा सकती है। अब तो रात है और वो भी अपने पति के साथ ही जा रही है।
मेरा चेहरा कुछ उतर सा गया…
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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