20-03-2024, 11:34 AM
मेरी मां की चुदाई देखते देखते मेरी जो हालत हुई थी वह बयान करना बड़ा मुश्किल है। तन बदन में आग लग गयी थी और उत्तेजना के आवेग में मेरी पैंटी जो उस समय गीली हुई थी, अभी तक गीली थी। मेरे सामने करीब चार फुट के बाद पैदल चलने वालों के लिए करीब छः सात फुट चौड़ा पक्का रास्ता था। पक्के रास्ते के पहले, मैं जिस बेंच पर बैठी थी, वहां से लेकर करीब तीन फुट चौड़ी हरी भरी घास का कालीन सा बिछा हुआ था और जहां मैं बैठी थी ठीक उसके सामने एक ऊंचा घना झाड़ीनुमा पौधा था, जिसके बीच से उस पार सड़क की ओर तो देख सकती थी लेकिन सड़क चलते लोग इधर देख नहीं सकते थे। मैं चप्पल खोल कर खाली पैर शीतल घास के कालीन पर रख कर बैठी हुई रास्ते पर आते जाते लोगों को देखते हुए कोई दूसरी ही दुनिया में विचरण कर रही थी। ठंडी हवाएं और घास की शीतलता भी मेरे अंदर की तपिश को ठंडा करने में नाकाम थी। तभी सड़क किनारे घूमते हुए दो आवारा कुत्ते मुझे दिखाई दिए। वे पता नहीं क्यों मेरी बेंच के पास पहुंच कर रुक गये। वे कुत्ते हवा में इधर उधर कुछ सूंघ रहे थे। सूंघते सूंघते धीरे धीरे वे मेरे बिल्कुल पास आ कर खड़े हो गए। मुझे समझ नहीं आ रहा था कि आखिर मेरे आस पास ऐसा क्या था कि वे मेरे बिल्कुल पास आ कर खड़े हो गए थे। उनमें से एक काफी तंदरुस्त और ऊंचा कुत्ता था। रंग भूरा और सफेद का मिश्रण था। देखने में भी साफ सुथरा और आकर्षक था। ऐसा लग रहा था जैसे किसी का पालतू कुत्ता हो, लेकिन उसके साथ कोई आदमी नहीं था जिसे उसका मालिक कहा जा सके। साफ जाहिर हो रहा था कि वह लावारिस कुत्ता था। दूसरा वाला काले रंग का कुत्ता अपेक्षाकृत थोड़ा कमजोर था। तभी उनमें से जो काफी तगड़ा और ऊंचा था, सूंघता हुआ सीधे मेरी टांगों के बीच सर घुसाने लगा। मैं घबराकर अपनी टांगें सटा कर अपने हाथ के इशारे से भगाने की कोशिश करती हुई हट हट करती रही लेकिन वह थोड़ा जिद्दी किस्म का कुत्ता था। जबर्दस्ती मेरी जांघों के बीच सिर सटा कर सूंघने लगा और थोड़ा गुर्राने लगा। मैं घबराकर सोचने लगी कि अब इसे हटाऊं तो हटाऊं कैसे। उसकी इस हरकत से मैं थोड़ा डर भी गई थी। उसके आक्रामक हाव भाव से घबराकर अपने स्थान से उठ खड़ी हो गई। सोचने लगी कि यह क्या मुसीबत आ पड़ी है। अब इनसे पीछा छुड़ाऊं तो कैसे?
हे भगवान! सहसा मुझे अहसास होने लगा कि कहीं मेरी भीगी पैटी की गंध से तो ये आकर्षित नहीं हो गये? शायद। शायद नहीं, अवश्य। एक तो पशु, ऊपर से कुत्ता। ये तो मनुष्यों के हाव भाव और व्यवहार से भी मनुष्यों के अंदर की भावनाओं को भी समझ सकने में सक्षम होते हैं। इनकी घ्राणशक्ति भी गजब की होती है। अवश्य इन कुत्तों को मेरी उत्तेजित मादा देह की महक और मेरी योनि से रिसते स्राव से भीगी पैंटी की गंध ने आकर्षित किया था। वह बड़ा कुत्ता तो कुछ अधिक ही जिद्दी निकला। मैं वहां से हड़बड़ा कर उठी और मेरे कदम तेजी के साथ घर की ओर बढ़ गये। मैंने देखा कि वे कुत्ते भी मेरे पीछे पीछे चलने लगे थे। आगे आगे वह कद्दावर कुत्ता और उसके पीछे पीछे मरियल कुत्ता मुझसे मात्र तीन फुट की दूरी रख कर मेरा पीछा कर रहे हो। घबराहट में जल्दी से घर के गेट को खोल कर मैं अंदर दाखिल हुई और जल्दी से गेट को बंद करके घर के प्रवेश द्वार की ओर बढ़ गयी। वे कुत्ते वहीं गेट के बाहर खड़े रह गये थे। बाल बाल बची थी मैं। अगर मुझ पर आक्रमण कर देते तो मेरा क्या हश्र होता, सोच कर ही मेरी रूह कांप उठी। मेरा दिल धाड़ धाड़ धड़क रहा था। घर के दरवाजे पर पहुंच कर मेरा कांपता हुआ हाथ कॉल बेल पर जा टिका और पल भर बाद ही दरवाजा खुला। सामने घुसा खड़ा था। मुझे देख कर वह एक तरफ हो गया और बोला,
"अरे रोजा बिटिया, इतनी जल्दी आ गई!" वह अब तक सामान्य हो चुका था और बिल्कुल सामान्य व्यवहार कर रहा था जैसे वहां कुछ हुआ ही नहीं हो। अपने आपको व्यवस्थित करके सफाई के काम में व्यस्त लग रहा था।
हे भगवान! सहसा मुझे अहसास होने लगा कि कहीं मेरी भीगी पैटी की गंध से तो ये आकर्षित नहीं हो गये? शायद। शायद नहीं, अवश्य। एक तो पशु, ऊपर से कुत्ता। ये तो मनुष्यों के हाव भाव और व्यवहार से भी मनुष्यों के अंदर की भावनाओं को भी समझ सकने में सक्षम होते हैं। इनकी घ्राणशक्ति भी गजब की होती है। अवश्य इन कुत्तों को मेरी उत्तेजित मादा देह की महक और मेरी योनि से रिसते स्राव से भीगी पैंटी की गंध ने आकर्षित किया था। वह बड़ा कुत्ता तो कुछ अधिक ही जिद्दी निकला। मैं वहां से हड़बड़ा कर उठी और मेरे कदम तेजी के साथ घर की ओर बढ़ गये। मैंने देखा कि वे कुत्ते भी मेरे पीछे पीछे चलने लगे थे। आगे आगे वह कद्दावर कुत्ता और उसके पीछे पीछे मरियल कुत्ता मुझसे मात्र तीन फुट की दूरी रख कर मेरा पीछा कर रहे हो। घबराहट में जल्दी से घर के गेट को खोल कर मैं अंदर दाखिल हुई और जल्दी से गेट को बंद करके घर के प्रवेश द्वार की ओर बढ़ गयी। वे कुत्ते वहीं गेट के बाहर खड़े रह गये थे। बाल बाल बची थी मैं। अगर मुझ पर आक्रमण कर देते तो मेरा क्या हश्र होता, सोच कर ही मेरी रूह कांप उठी। मेरा दिल धाड़ धाड़ धड़क रहा था। घर के दरवाजे पर पहुंच कर मेरा कांपता हुआ हाथ कॉल बेल पर जा टिका और पल भर बाद ही दरवाजा खुला। सामने घुसा खड़ा था। मुझे देख कर वह एक तरफ हो गया और बोला,
"अरे रोजा बिटिया, इतनी जल्दी आ गई!" वह अब तक सामान्य हो चुका था और बिल्कुल सामान्य व्यवहार कर रहा था जैसे वहां कुछ हुआ ही नहीं हो। अपने आपको व्यवस्थित करके सफाई के काम में व्यस्त लग रहा था।