19-03-2024, 12:09 PM
अंकल- “अरे बेटा तू चिंता ना कर। मैं सब सेट कर दूंगा”
सलोनी- “हाँ अंकल, आप कितने अच्छे हो मगर भाभी की यह साड़ी मैं कैसे पहनूँगी?”
अंकल- “अरे मैं हूँ ना, तू ऐसा कर, तेरे पास जो भी पेटीकोट और ब्लाउज हों वो लेकर आ, मैं अभी मैच कर देता हूँ। देखना तू कल कॉलेज में सबसे अलग लगेगी”
सलोनी- “हाँ अंकल! मैं भी चाहती हूँ कि मेरी जॉब का पहला दिन सबसे अच्छा हो! मगर इस साड़ी ने सब गड़बड़झाला कर दिया”
अंकल- “तू जो साड़ियाँ लाई है, हैं तो सब बढ़िया”
सलोनी- “हाँ अंकल, मगर इनके ब्लाउज, पेटीकोट तो कल शाम तक ही मिलेंगे ना। बस कल की चिंता है”
सलोनी बेडरूम में ही अपनी कपड़ों के रैक में खोजबीन सी करने लगी। मुझे याद है कि उसके पास कोई 3-4 ही साड़ियाँ थीं जो उसने शुरू में ही ली थी और सभी फंक्शन में पहनने वाली हैवी साड़ियां थीं जो रोज रोज नहीं पहन सकते। शायद इसीलिए वो परेशान थी।
तभी सलोनी अपनी रेक के सबसे नीचे वाले भाग को देखने के लिए उकड़ू बैठ गई। मैंने साफ़ देखा कि उसकी जींस और भी नीचे खिसक गई और उसके चूतड़ लगभग नंगे देख रहे थे।
अब मैंने अंकल को देखा, वो ठीक सलोनी के पीछे ही खड़े थे और उनकी नजर सलोनी के नंगे चूतड़ों की दरार पर ही थी। फिर अचानक अंकल सलोनी के पीछे ही बैठ गए। मुझे नजर नहीं आया मगर शायद उन्होंने अपना हाथ सलोनी के उस नंगे भाग पर ही रखा था।
अंकल- “क्यों, आज तू ऐसे ही पूरा बजार घूम कर आ गई बिना कच्छी के? देख सब नंगे दिख रहे हैं”
सलोनी- “हाँ हाँ… लगा लो फिर से हाथ बहाने से, आप भी ना अंकल, तो क्या हुआ?? सब आपकी तरह थोड़े ना होते हैं”
अंकल भी किसी से कम नहीं थे, उन्होंने हाथ फेरते हुए ही कहा- “अरे मैं भी यही कह रहा हूँ बेटा, सब मेरे तरह शरीफ नहीं होते। मैं तो केवल हाथ ही लगा रहा हूँ बाकी रास्ते में तो सबने क्या क्या लगाया होगा”
सलोनी हाथ में कुछ कपड़े ले जल्दी से उठी।
सलोनी- “अच्छा अंकल जी, छोड़ो इन बातों को, आप तो जल्दी से मेरी साड़ी का सेट करो, मुझे बहुत टेंशन हो रही है”
तभी कुछ देर तक अंकल और सलोनी ने कपड़ों को उलट पुलट करके कोई एक सेट निकाला।
अंकल- “बेटा, मेरे हिसाब से तू इनमें बहुत ठीक लगेगी”
सलोनी- “मगर अंकल इस साड़ी के साथ, आपको यह पेटीकोट कुछ गहरा नहीं लग रहा?”
अंकल- “अरे नहीं बेटा, तू कहे तो मैं तुझको बिना पेटीकोट के ही साड़ी बांधना सिखा दूँ पर आजकल साड़ी इतनी पारदर्शी हो गई हैं कि सब कुछ दिखेगा”
सलोनी- “हाँ हाँ आप तो रहने ही दो, चलो मैं ये दोनों कपड़े पहन कर आती हूँ फिर आप साड़ी बांधकर दिखा देना”
उसने पेटीकोट और ब्लाउज हाथ में लिये।
अंकल- “अरे रुक ना, कहाँ जा रही है बदलने?”
सलोनी- “अरे बाथरूम में, और कहाँ? आप साड़ी ही तो बांधोगे ना। ये पेटीकोट और ब्लाउज तो मुझे पहनने आते हैं”
अंकल- “जी हाँ, पर साड़ी के साथ पेटीकोट और ब्लाउज मैं फ्री पहनाता हूँ। अब तुम सोच लो पेटीकोट और ब्लाउज भी मुझ ही से पहनोगी, तभी साड़ी भी पहनाऊँगा। हा हा हा…”
सलोनी- “ओह ब्लैकमेल! मतलब साड़ी पहनाने की फीस आपको एडवांस में चाहिए”
अंकल- “अब तुम जो चाहे समझ लो। मेरी यही शर्त है”
सलोनी- “हाँ हाँ! उठा लो मज़बूरी का फ़ायदा, अच्छा जल्दी करो अब मेरे पतिदेव कभी भी आ सकते हैं” -उसने अपना मोबाइल को चेक करते हुए कहा।
एक बार तो मुझे लगा कि कहीं वो मुझे कॉल तो नहीं कर रही। मैंने तुरंत अपना मोबाइल साइलेंट कर लिया।
अंकल सलोनी के हाथ से ब्लाउज ले खोलकर देखने लगे।
सलोनी ने अपने टॉप के बटन खोलते हुए बोली- “अब ये कपड़े तो मैं खुद उतार लूँ या ये भी आप ही उतारोगे?”
अंकल- “हाँ, रुक रुक… आज सब मैं ही करूँगा”
और सलोनी बटन खोलते खोलते रुक गई।
अब अंकल ने ब्लाउज को अपने कंधे पर डाला और बड़े अंदाज़ से सलोनी के टॉप के बाकी बचे बटन खोलने लगे और सलोनी ने भी बिना किसी विरोध के अपना टॉप उतरवा लिया।
शुक्र है भगवान का कि उसने अंदर ब्रा पहनी थी जो बहुत सेक्सी रूप से उसके खूबसूरत गोलाइयों को छुपाये थी मगर ‘लो वेस्ट जींस’ में उसका नंगा सुतवाँ पेट और ऊपर केवल ब्रा में कुल मिलकर सलोनी सेक्स की देवी जैसी दिख रही थी।
सलोनी होंठों पर मुस्कुराहट लिए लगातार अंकल की आँखों और उनके कांपते हाथों को देख रही थी और अंकल की पतली हालत को देखकर मुस्कुराते हुए वो पूरी शैतान की नानी लग रही थी।
अंकल ने जैसे ही ब्रा को उतारने का उपक्रम किया कि तभी सलोनी जैसे जागी- “अरर… अई! इसे क्यों उतार रहे हैं? ब्लाउज तो इसके ऊपर ही पहनओगे ना?”
अंकल- “व्व…वो… ह…हाँ... पर क्या तुम ब्रा नहीं बदलोगी?”
सलोनी- “वो तो सुबह भी देख लूंगी, अभी तो ऐसे ही पहना दो”
मैं केवल यह सोच रहा था कि चलो ऊपर का तो ठीक ही है पर नीचे का क्या होगा?? नीचे तो उसने कुछ नहीं पहना है, जींस उतरते ही उसकी चूत, चूतड़ सब दिखाई दे जायेंगे। क्या यह मेरी सलोनी ऐसे ही खड़ी रहेगी?”
मैं अभी सोच ही रहा था कि अंकल ने सलोनी की जींस का बटन खोल दिया।
तब भी सलोनी ने फिर थोड़ा सा विरोध किया- “अरे अंकल पहले ब्लाउज तो पहना ही देते, फिर नीचे का”
अंकल ने जैसे कुछ सुना ही नहीं, चाहते तो जींस की चेन दोनों भाग को खींच कर खुल जाती। मैंने भी कई बार खोली है पर अंकल जींस की चेन को अपने अंगूठे और उँगलियों से पकड़ बड़े रुक रुक कर खोल रहे थे। चेन ठीक सलोनी की फूली हुई चूत के ऊपर थी और शत प्रतिशत उनकी उंगलियाँ सलोनी की नंगी चूत को स्पर्श हो रही होंगी।
इसका पता सलोनी के चेहरे को देखकर ही लग रहा था। उसने मदहोशी से अपनी आँखें बंद कर ली थी और उसके लाल रक्तिम होंठ काँप रहे थे।
चेन खोलने के बाद अंकल ने उसकी जींस दोनों हाथ से पकड़ पहले सलोनी के चूतड़ से उतारी और फिर सलोनी के जांघों और पाँव से। सलोनी ने भी बड़े सेक्सी अंदाज़ से अपना एक एक पैर उठा उसे दोनों पैरों से निकलवा लिया।
इस दौरान अंकल की नजर ऊपर सलोनी की चूत और उसकी खुलती बंद होती कलियों पर ही थी। मेरे बेडरूम में अंकल की सांसें इतनी तेज चल रही थी जैसे कई मील दौड़ लगाकर आये हों।
और अब सलोनी अंकल के सामने कमरे की सफेद रोशनी में केवल छोटी मिनी ब्रा में पूरी नंगी खड़ी थी। अब शायद उसको कुछ शर्म आ रही थी। उसने अपनी टांगों को कैची की तरह बंद कर लिया था। अंकल ने मुस्कुराते हुए ही पेटीकोट उठाया और उसको पहनाने लगे।
अब मुझे अंकल बहुत ही शरीफ लगने लगे…
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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