मैं आपी की बात सुन कर हैरत से सोचने लगा कि यह मेरी वो ही बहन है जो कल तक किसी गैर मर्द के सामने भी नहीं जाती थी और आज कितनी बेबाक़ी से सड़क पर चुदवाने की बात बोल रही है।
आपी ने अपनी क़मीज़ और सलवार उतारने के बाद मेरा ट्राउज़र भी खींच कर उतारा और मेरे लण्ड पर झुकती हुई बोलीं- “चलो शर्ट उतारो अपनी”
उन्होंने मेरे लण्ड को फिर से अपने मुँह में डाल लिया। मैंने थोड़ा सा ऊपर उठ कर अपनी शर्ट उतार कर साइड में फेंकी और दोबारा लेट कर आपी के सिर पर अपने हाथ रख दिए।
आपी मेरे आधे लण्ड को मुँह में डाल कर चूस रही थीं और थोड़ी-थोड़ी देर बाद ज़रा ज़ोर लगा कर लण्ड को और ज्यादा अन्दर लेने की कोशिश करती थीं। मैं ज़ोरदार ‘आह..’ के साथ आपी के सिर को नीचे दबा ले रहा था।
ये मेरी ज़िंदगी के चंद बेहतरीन दिन थे जब मेरा लण्ड मेरी बड़ी बहन, मेरी इंतिहाई हसीन बहन के नर्मो-नाज़ुक होंठों में दबा हुए था तो मैं अपने आपको दुनिया का खुश क़िस्मततरीन इंसान महसूस कर रहा था।
आपी ने अपना एक हाथ अपनी चूत पर रख लिया था और तेज-तेज अपनी चूत को रगड़ते हुए ज़रा तेज़ी से मेरे लण्ड को अपने मुँह में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया था। उनके लण्ड चूसने का अंदाज़ वो ही था कि आपी अपने मुँह से लण्ड बाहर लाते हुए अपनी पूरी ताक़त से लण्ड को अन्दर की तरफ खींचती तो उनके गाल पिचक कर अन्दर चले जाते थे।
आपी तेजी से लण्ड को अन्दर-बाहर करतीं और हर झटके पर उनकी कोशिश यही होती कि उनके होंठ मेरे लण्ड की जड़ पर टच हो जाएँ।
मैंने अपने हाथ आपी के सिर से हटा कर उनके चेहरे को अपने हाथों में पकड़ा और लज़्ज़त में डूबी आवाज़ में कहा- “आपी अपने सिर को ऐसे ही रोक लो, मैं करता हूँ”
मैंने ये कहा और आपी के चेहरे को ज़रा मज़बूती से थाम कर अपनी गाण्ड को झटका देकर आपी के मुँह में अपना लण्ड अन्दर-बाहर करने लगा। मुझे इस तरह झटका मारने में ज़रा मुश्किल हो रही थी लेकिन एक नया मज़ा मिल रहा था। नया अहसास था कि मैं अपनी बहन के मुँह को चोद रहा हूँ। इस तरह झटका मारने से हर झटके में ही मेरे लण्ड की नोक आपी के हलक़ को छू जाती थी।
ऐसे ही झटके मारते-मारते मेरा ऑर्गज़म बिल्ड हुआ तो मैंने अपने कूल्हे एक झटके से बिस्तर पर गिरते हुए आपी के मुँह को भी ऊपर की तरफ झटका दिया और मेरा लण्ड ‘फुच्च..’ की एक तेज आवाज़ के साथ आपी के मुँह से बाहर निकल आया।
मैंने आपी को छोड़ा और अपना सिर पीछे गिरा कर लंबी-लंबी साँसें लेकर अपनी हालत को कंट्रोल किया और फिर आपी से कहा- “उठो यहाँ मेरे पास आओ”
आपी मेरी टाँगों के दरमियान से उठ कर मेरे मुँह के पास आईं और बिस्तर पर बैठने ही लगी थीं कि मैंने अपना हाथ उनके कूल्हों के नीचे रखा और कहा- “वहाँ नहीं, यहाँ ऊपर आओ मेरे मुँह पर”
“यस ये हुई ना बात” -आपी ने खुश हो कर कहा और उठ कर मेरे चेहरे की दोनों तरफ अपने पाँव रखे और मुँह दीवार की तरफ करके ही बैठने लगीं।
मैंने आपी को इस तरह बैठते देखा तो एकदम चिड़ कर कहा- “यार आपी इतनी मूवीज देखी हैं फिर भी चूतिया की चूतिया ही रही हो। बाबा मुँह दूसरी तरफ करो मेरे पाँव की तरफ। 69 पोजीशन में आओ”
“मुझे क्या पता कि तुम्हारे दिमाग में क्या है? मुँह से बोलो ना, मूवीज में तो ऐसा भी होता है जैसे मैं बैठ रही थी” -आपी ने भी उसी अंदाज़ में जवाब दिया और फिर से खड़ी हो गईं।
मैंने अपने लहजे को कंट्रोल किया और कहा- “अच्छा मेरी जान! जो मर्ज़ी करो”
आपी ने मुझे हार मानते देखा तो अकड़ कर फिल्मी अंदाज़ में बोलीं- “अपुन से पंगा नहीं लेने का हाँ! बोले तो अब वैसे ही लेटती हूँ, 69 पोजीशन में”
यह कह कर वो घूम कर खड़ी हुईं और बोलीं- “अपने हाथ सिर की तरफ करो”
मैंने अपने हाथ सिर की तरफ किए तो आपी मेरे सीने पर बैठीं और लण्ड पर झुकते हुए थोड़ी पीछे होकर मेरी बगलों के पास से पाँव गुजार कर पीछे कर लिए और अपना ज़ोर घुटनों पर दे दिया। आपी के पीछे होने से मेरा चेहरा आपी के दोनों कूल्हों के दरमियान आ गया और आपी की चूत से निकलता जानलेवा खुश्बू का झोंका मेरे अंग-अंग को मुअतर कर गया।
मैंने अपनी ज़ुबान निकाली और आपी की चूत के लबों को चाट कर चूत के आस-पास के हिस्से को चाटने लगा।
आपी ने फिर से मेरे लण्ड को अपने मुँह में भर लिया था और चूसने लगी थीं।
मैंने चूत के आस-पास के हिस्से को मुकम्मल तौर पर चाटने के बाद अपनी उंगलियों से चूत के दोनों लबों को अलहदा किया और अपनी ज़ुबान से आपी की चूत के अंदरूनी गुलाबी नरम हिस्से को चाटने लगा।
आपी ने मेरे लण्ड को चूसते-चूसते अब अपनी गाण्ड को आहिस्ता-आहिस्ता हिलाना भी शुरू कर दिया था और मेरी ज़ुबान की रगड़ को अपनी चूत के अंदरूनी हिस्से पर महसूस करके जोश में आती जा रही थीं।
कुछ देर ऐसे ही अन्दर ज़ुबान फेरने के बाद मैंने अपनी ज़ुबान चूत के सुराख में दाखिल कर दी। आपी ने एक ‘आहह..’ भरी और अपनी चूत को मेरे मुँह पर दबाने लगीं। मैं और तेजी से ज़ुबान अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ देर तक मैं अपनी ज़ुबान इसी तरह अन्दर-बाहर करता रहा फिर ज़ुबान बाहर निकाल कर आपी की चूत के दाने को चाटा और उससे होंठों में दबा कर अन्दर की तरफ खींचते हुए चूसा तो आपी ने मेरे लण्ड को मुँह से निकाल कर एक ज़ोरदार सिसकारी भरी।
“अहह हाँ सगीर! यहाँ से चूसो, यहाँ सबसे ज्यादा मज़ा आता है”
वो फिर से मेरे लण्ड को चूसने लगीं।
कुछ देर ऐसे ही आपी की चूत के दाने को चूसने के बाद मैंने फिर अपनी ज़ुबान निकाली और आपी के कूल्हों की दरमियानी लकीर पर ज़ुबान फेरते हुए अपनी 2 उंगलियाँ आपी की चूत में डाल दीं। आपी ने एक लम्हें को मेरा लण्ड चूसना रोका और फिर दोबारा से चूसने लगीं।
मैंने देखा कि आपी ने कुछ नहीं कहा तो आहिस्ता-आहिस्ता अपनी उंगलियों को हरकत देकर चूत में अन्दर-बाहर करते हुए अपनी ज़ुबान को आपी की गाण्ड की ब्राउन सुराख पर रख दिया। दो मिनट तक सुराख को चाटता रहा और फिर अपनी ज़ुबान की नोक को सुराख के सेंटर में रख कर थोड़ा सा ज़ोर दिया और मेरी ज़ुबान मामूली सी अन्दर चली ही गई या शायद आपी की गाण्ड का नरम गोश्त ही अन्दर हुआ था।
आपी अब मेरे लण्ड पर अपना मुँह बहुत तेज-तेज चला रही थीं और मेरे अन्दर जोश भरता जा रहा था। मैंने भी आपी की चूत में अपनी उंगलियाँ बहुत तेज-तेज चलाना शुरू कर दीं।
मैं पहले तो यह ख्याल रख कर उंगलियाँ चलाता रहा था कि एक इंच से ज्यादा अन्दर ना जाने पाए लेकिन अब तेजी-तेजी से अन्दर बाहर करने की वजह से मैं अपने हाथ को कंट्रोल नहीं कर पा रहा था और हर 3-4 झटकों के बाद एक बार उंगलियाँ थोड़ी ज्यादा गहराई में उतर जाती थीं जिससे आपी के जिस्म को एक झटका सा लगता और 2 सेकेंड के लिए उनकी हरकत को ब्रेक लग जाती।
मैंने आपी की गाण्ड के सुराख को भरपूर अंदाज़ में चाट कर अपनी ज़ुबान हटाई और दूसरे हाथ की एक उंगली को अपने मुँह से गीला करके आपी की गाण्ड के सुराख में दाखिल कर दी जो पहले ही झटके में तकरीबन 1. 5 इंच तक अन्दर चली गई।
TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
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