दिन का खाना भी मैंने दोस्तों के साथ ही खाया और रात को जब घर पहुँचा तो 10:15 हो रहे थे। मेरा खाना डाइनिंग टेबल पर ही पड़ा था और अब्बू और अम्मी टीवी लाऊँज में बैठे थे जबकि आपी वगैरह सब अपने कमरों में ही थे।
मैंने खाना खाया और इस दौरान अब्बू से बातें भी करता रहा। उन्होंने लाइसेन्स के बारे में दरयाफ्त किया। मैंने उस बारे में बताया और ऐसे ही इधर-इधर की बातें करते रहे। तकरीबन 11:30 पर मैं अपने कमरे में आया तो फरहान बिस्तर पर अपनी बुक्स फैलाए पढ़ने में इतना मग्न था कि उससे मेरी आमद का भी पता नहीं चला।
मैंने जा कर उसकी गुद्दी पर एक चपत लगाई और पूछा- “क्यों भाई आईंस्टाइन! आज ये ख़याल कैसे आ गया?”
वो अपनी गुद्दी सहलाते हुए बोला- “भाई फाइनल एग्जाम होने वाले हैं और अगर मेरे नंबर हनी से कम हुए तो अब्बू वैसे ही मेरी जान नहीं छोड़ेंगे”
मैं बिस्तर पर गिरने के अंदाज़ में लेटा और उससे बोला- “तो अच्छी बात है ना बेटा, बाक़ी सारे काम अपनी जगह लेकिन पढ़ाई अपनी जगह। ओके…”
“भाई एक बात समझ में नहीं आती, आपी जब यहाँ कमरे में होती हैं तो मुझसे बहुत प्यार जताती हैं लेकिन अगर नीचे हूँ तो मुझ पर तपी ही रहती हैं।”
मैंने उसकी बात पर चौंक कर उसे देखा और पूछा- “क्यों क्या हुआ है?”
वो बुरा सा मुँह बना कर बोला- “मैंने अभी शाम में आपी से पूछा था कि आज रात में आएँगी हमारे कमरे में? तो उन्होंने बुरी तरह मुझे झाड़ दिया और बोलीं कि तुम्हारे पेपर होने वाले हैं ना, जाओ जा कर पेपर्स की तैयारी करो”
मैं बिस्तर से उठ कर बैठ गया और उसे समझाने के अंदाज़ में बोला- “देखो फरहान! मेरी एक बात अभी ध्यान से सुनो, अब तुम इस कमरे के अलावा और कहीं भी कभी भी आपी से हमारे इन तालुक्कात का जिक्र नहीं करोगे। चाहे आपी घर में अकेली ही क्यों ना हो लेकिन नीचे हो तो तुमने ऐसी कोई बात नहीं करनी है। कमरे में कहो जो कहना है। समझ रहे हो ना मेरी बात?”
फरहान ने ‘हाँ’ में गर्दन हिला कर कहा- “जी भाई! समझ गया”
“हाँ! इन बातों के अलावा तुम जो बात मर्ज़ी करो। मैं तुम्हें यक़ीन दिलाता हूँ कि आपी कभी तुमसे खफा नहीं होंगी। बेवक़ूफ़! वो अपनी जान से ज्यादा चाहती हैं हम दोनों भाईयों को लेकिन एक बार फिर कहूँगा कि इस कमरे से बाहर आपी से ऐसी कोई बात नहीं! अच्छा, चलो अब अपनी पढ़ाई करो और आज से जब तक तुम्हारे एग्जाम नहीं खत्म हो जाते, मैं तुम्हें कंप्यूटर पर भी बैठा हुआ नहीं देखूँ। ओके...!”
मेरी आखिरी बात सुन कर वो बौखला गया और बोला- “भाई मूवी तो देखने दो ना, अच्छा कभी-कभी जब बहुत दिल चाहेगा मुठ मारने का तब देखूंगा”
मैंने कहा- “ठीक है, लेकिन बस उसी वक़्त जब बहुत दिल चाहे और तुम ज़रा ध्यान पढ़ाई में लगाओगे तो जेहन वहाँ जाएगा ही नहीं”
मैंने अपनी बात कही और ट्राउज़र उठा कर बाथरूम में चला गया। मैं बाथरूम से चेंज करके और फ्रेश हो कर बाहर निकला तो फरहान दोबारा अपनी किताबों में खोया हुआ था। मैंने भी उससे तंग करना मुनासिब ना समझा और चुपचाप बिस्तर पर आकर लेट गया और आपी की आज सुबह वाली हरकत को सोच कर उनका इन्तजार करने लगा।
रात के 2 बजे तक मैं आपी का इन्तजार करता रहा लेकिन वो नहीं आईं तो मैंने फरहान को कहा- “चलो बस फरहान! अब सो जाओ, सुबह कॉलेज भी जाना है तुमने”
मैंने खुद भी आँखें बंद कर लीं। मेरी गहरी नींद टूटी और मैंने ज़बरदस्ती आँखें खोल कर देखा तो धुँधला-धुँधला सा साया सा नज़र आया जो मेरे कंधे को हिला रहा था।
कुछ मज़ीद सेकेंड के बाद मेरी आँखें सही तरह खुल पाईं और मेरे कानों में दबी-दबी सी आवाज़ आई- “अब उठ भी जाओ ना, सगीर…!”
मेरी आँखों के सामने से धुँध हटी तो पता चला कि आपी बिस्तर पर ही बैठीं मुझे उठा रही थीं। मैंने आँखों को मुकम्मल खोलते हुए कहा- “क्या हो गया है आपी? क्या टाइम हो रहा है?”
“साढ़े तीन हुए हैं। कैसे घोड़े बेच कर सोते हो? कब से उठा रही हूँ तुम्हें”
मैंने दोबारा आँखें बंद करते हो गुस्सा दिखा कर कहा- “तो अब क्यों आई हो? मेरा मूड नहीं है अब, जाओ जा कर सो जाओ”
“आई एम सॉरी ना, सगीर प्लीज़! 3 बजे तक हनी पढ़ाई करती रही है। वो सोई है तो मैं आई हूँ”
“इतना इन्तजार करवाया है, सारा मूड खराब हो गया है। अब सोने दो मुझे”
आपी दबी आवाज़ में शरारत से हँस कर बोलीं- “ओह्ह! मेरा सोहना भाई, फिर नाराज़ हो गया है मुझसे। देखो मुझे तुम्हारा कितना ख़याल है। मैं इतना लेट भी आ गई हूँ”
मैंने कोई जवाब नहीं दिया तो आपी बोलीं- “मुझे पता है मेरे सोहने भाई का मूड कैसे ठीक होगा”
यह कह कर आपी उठीं और मेरी टाँगों के दरमियान बैठ कर मेरे ट्राउज़र को नीचे खींचा और मेरा लण्ड अपने हाथ में पकड़ लिया। मैंने अपना लण्ड आपी के हाथों में महसूस किया तो मेरी आँखें खुद बा खुद ही खुल गईं और पहली नज़र ही आपी के चेहरे पर पड़ी। आपी मेरी टाँगों के बीच में बैठी थीं। मेरा लण्ड उनके हाथ में था और उनके मुँह से बमुश्किल एक इंच की दूरी पर होने की वजह से आपी की गरम सांसें मेरे लण्ड में जान भर रही थीं।
मेरी नज़र आपी से मिली तो उन्होंने मुझे आँख मारी और मेरे लण्ड को अपने मुँह में डाल लिया। मेरे मुँह से एक तेज ‘आह...’ निकली और मैंने बेसाख्ता ही फरहान की तरफ देखा जो बिस्तर के दूसरे कोने पर उल्टा पड़ा सो रहा था।
आपी ने मेरी नजरों को फरहान की तरफ महसूस करके मेरा लण्ड अपने मुँह से बाहर निकाला और बोलीं- “सोने दो उसे, मत उठाओ। वैसे भी अभी उसके सिर पर ढोल भी बजाओगे तो वो सोता ही रहेगा”
अपनी बात कह कर आपी ने अपनी ज़ुबान बाहर निकाली और मेरे लण्ड को चारों तरफ से चाटने लगीं। मेरा लण्ड तो आपी के हाथ में आते ही खड़ा होने लगा था और अब आपी की ज़ुबान ने उस पर ऐसा जादू चलाया कि वो कुछ ही सेकेंड में अपने जोबन पर आ चुका था।
आपी ने पूरे लण्ड को अपने मुँह में लेने की कोशिश की लेकिन जड़ तक मुँह में दाखिल ना कर सकीं तो लण्ड को मुँह से बाहर निकाला और बोलीं- “आज तो रॉकेट कुछ ज्यादा ही बड़ा हो गया है और फूला हुआ भी बहुत है”
मैंने मुस्कुरा कर कहा- “आपी इसको बड़ा कह रही हो? ये तो सिर्फ़ 6. 5 इंच है। मूवीज में नहीं देखे कितने बड़े-बड़े और मोटे-मोटे होते हैं”
आपी हैरतजदा सी आवाज़ में बोलीं- “हाँ यार और मैं सोचती हूँ कि वो औरतें कैसे इतने बड़े-बड़े लण्ड अपने मुँह में और चूत में ले लेती हैं”
मैंने आपी को आँख मारी और शरारत से बोला- “मेरी बहना जी! बोलो तो मैं सिखा देता हूँ कि लण्ड कैसे लिया जाता है चूत में”
“बकवास मत करो! बस ख्वाब ही देखते रहो, ऐसा कभी नहीं होगा”
और फिर शरारत से बोलीं- “वैसे सुबह मौका था तुम्हारे पास लेकिन तुमने ज़ाया कर लिया”
ये कह कर वो खिलखिला कर हँस पड़ीं।
मैंने डरने की एक्टिंग करते हुए कहा- “ना बाबा ना, ऐसे मौके से तो दूर ही रखो। तुम्हारा क्या भरोसा, कल बाहर सड़क पर ही खड़ी हो जाओ और बोलो कि मुझे चोदो यहाँ”
आपी ने मेरे लण्ड पर अपने हाथ को चलाते-चलाते सोचने की एक्टिंग की और आँखों को छत की तरफ उठा कर बोलीं- “उम्म्म्म… वैसे यार सगीर, यह ख्याल भी बुरा नहीं है। बाहर रोड पर ये करने में मज़ा बहुत आएगा”
यह कह कर आपी ने मेरे लण्ड को छोड़ा और हँसते हुए अपनी क़मीज़ उतारने लगीं।
TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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