“जी अम्मी आ गई हूँ। देती हूँ अभी” -आपी ने अम्मी को जवाब देकर किचन की तरफ जाते हो मुझे देखा।
मैंने भी आपी को देखा और गुस्से में मुँह बना कर नज़र फेर लीं। इस एक नज़र ने ही मुझे आपी में आज एक खास लेकिन बहुत प्यारी तब्दीली दिखा दी थी। आपी ने हमेशा की तरह अपने सिर पर स्कार्फ बाँधा हुआ था और बड़ी सी चादर ने उनके बदन के नशेबोफ़राज़ को हमारी नजरों से छुपा रखा था लेकिन खास तब्दीली थी कि आपी की बड़ी-बड़ी खूबसूरत आँखों में झिलमिलता काजल। आपी ने आज आँखों में काजल लगा रखा था और उससे आपी की खूबसूरत आँखें मज़ीद हसीन और बड़ी नज़र आ रही थीं।
आपी नाश्ते की ट्रे लेकर आईं और टेबल पर मेरे सामने रखते हुए आहिस्ता आवाज़ में बोलीं- “अल्ल्लाआअ! मेरी जान नाराज़ है मुझसे”
मैंने आपी को कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने ट्रे से निकाल कर ऑमलेट परांठा मेरे सामने रखा और मेरे गाल पर चुटकी काट कर अपने दाँतों को भींचते हुए बोलीं- “गुस्से में लगता बड़ा प्यारा है। मेरा सोहना भाई”
मैंने बुरा सा मुँह बना कर आपी के हाथ को झटका लेकिन मुँह से कुछ ना बोला और ना ही नज़र उठा कर उनको देखा। मुझे यह खौफ भी था कि अगर मैंने नज़र उठाई तो आपी के खूबसूरत गुलाबी गाल और उनकी हसीन आँखें जो काजल की वजह से मज़ीद सितम ढा रही हैं, मुझे ऐसे क़ैद कर लेंगी कि मैं अपनी नाराज़गी कायम रखना तो दूर की बात दुनिया ओ माफिया ही से बेखबर हो जाऊँगा।
मैंने चुपचाप नज़र झुकाए हुए ही नाश्ता करना शुरू कर दिया। आपी कुछ देर वहाँ ही खड़ी रहीं फिर अम्मी के पास जाकर मटर छीलने में उनकी मदद करने लगीं। मैंने नाश्ता खत्म किया ही था कि आपी ने पौधों को पानी देने वाली बाल्टी उठाई और अम्मी को कुछ कहते हुए बाहर गैराज में रखे गमलों को पानी लगाने के लिए चली गईं।
मैं टीवी लाऊँज के दरवाज़े पर पहुँचा ही था कि अम्मी की आवाज़ आई- “सगीर मोटर चला दो। ये लड़की पौधों को पानी लगाते-लगाते पूरी टंकी ही खाली कर देगी”
टीवी लाऊँज के दरवाज़े से निकल कर राईट साइड पर हमारे घर का छोटा सा लॉन है और लेफ्ट साइड पर गाड़ी खड़ी करने के लिए गैरज है। गैरज के अन्दर वाले सिरे पर ही मोटर लगी हुई है और गैरज के बाहर वाले सिरे पर तो ज़ाहिर है हमारे घर का मेन गेट ही है।
मैं मोटर का बटन ऑन करके मुड़ा ही था कि आपी ने मेरा हाथ पकड़ कर झटका दिया और अपने दोनों हाथ अपनी कमर पर रख कर बोलीं- “ये क्या ड्रामा है सगीर! बात क्यों नहीं कर रहे हो मुझसे?”
मैंने अभी भी आपी की तरफ नहीं देखा और नज़र झुकाए हुए ही नाराज़ अंदाज़ में कहा- “बस नहीं करनी मैंने बात, मेरी मर्ज़ी”
आपी ने मेरी ठोड़ी को अपने हाथ से ऊपर उठाया और मुहब्बत भरे अंदाज़ में कहा- “सगीर! मैं भी तो मजबूर हूँ ना, बस अब नाराज़गी खत्म करो। चलो शाबाश मेरी तरफ देखो, मेरा सोहना भाई… नज़र उठाओ अपनी”
मैंने नज़र नहीं उठाई लेकिन आपी के हाथ को भी नहीं झटका- “आपी कितने दिन हो गए हैं। आप नहीं आई हो। आप का अपना दिल चाहता है तो आती हो। मेरी खुशी के लिए तो नहीं ना”
“मुझे पता है, आज 5 दिन हो गए हैं मैंने अपने सोहने भाई को खुश नहीं किया। मैं क्या करूँ मेरी जान, मौका ही नहीं मिल पाया है लेकिन मैं आज रात लाज़मी कोशिश करूँगी। ओके”
आपी ने ये कहा और मेरी ठोड़ी से हाथ हटा लिया और मेरे चेहरे पर अपनी नजरें गड़ा दीं।
मैंने आपी की बात सुन कर भी अपना अंदाज़ नहीं बदला और हल्का सा गुस्सा दिखाते हुए बोला- “अभी भी ये ही कह रही हो कि कोशिश करूँगी यानि कि आज रात को भी आने का प्रोग्राम नहीं है?”
“यार तुम्हें पता ही है कि फरहान और हनी के फाइनल एग्जाम होने वाले हैं। हनी रात में 3-4 बजे तक पढ़ाई करती रहती है। मैं उसके सामने कैसे आऊँ? तुम भी तो एक बार ज़िद पकड़ लेते हो। तो कोई बात समझते ही नहीं हो”
अब आपी के लहजे में भी झुंझलाहट पैदा हो गई थी।
थोड़ी देर तक ऐसे ही आपी मेरे चेहरे पर नज़र जमाए रहीं और मेरी तरफ से कोई जवाब ना सुन कर कुछ फ़ैसला करके बोलीं- “ओके ठीक है। ऐसी बात ही तो ये लो”
ये कहते हुए आपी ने अपनी सलवार में अपने दोनों अंगूठों को फँसाया और एक ही झटके में अपने पाँव तक पहुँचा दिया और अपनी चादर और क़मीज़ को इकठ्ठा करके अपने पेट तक उठा लिया और मेरी तरफ पीठ करते हुए बोलीं- “चलो अभी और इसी वक़्त चोदो मुझे, मैं कसम खाती हूँ कि तुम्हें नहीं रोकूँगी। आओ चोदो मुझे”
अपनी बहन का ये अंदाज़ देख कर मैं दंग ही रह गया और हकीक़तन डर से मेरी गाण्ड ही फट गई। मैं खुद भी ऐसी हरकतें करता ही था लेकिन जब बंदा खुद कर रहा हो तो समझ आता है, जेहन मुतमइन होता है कि कोई मसला हुआ तो मैं संभाल ही लूँगा लेकिन आपी की ये हरकत मेरे वहमोगुमान में भी नहीं थी।
हम से चंद क़दम के फ़ासले पर ही टीवी लाऊँज का दरवाज़ा था और अन्दर अम्मी बैठी थीं और सामने घर का मेन गेट था। अगर कोई भी घर में दाखिल होता तो पहली नज़र में ही हम दोनों सामने नज़र आते।
अब हालत कुछ ऐसी थी कि आपी ने मेरी तरफ पुश्त की हुई थी और थोड़ी सी झुकी खड़ी थीं। उनके खूबसूरत गुलाबी चिकने कूल्हे मेरी नजरों के सामने थे। झुकने से आपी के दोनों कूल्हों के दरमियान का गैप थोड़ा बढ़ गया था और आपी की गाण्ड का डार्क ब्राउन सुराख भी झलक दिखला रहा था।
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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