मैंने अपनी उंगली आपी के होंठों पर रखी और अपनी प्री-कम की लकीर को उनके होंठों से लेकर के अपनी उंगली पर ले लिया और उस तार को उंगली पर समेटते हुए अपने लंड की नोक तक आया और वहाँ से भी उस तार को तोड़ लिया।
मैंने अपनी उंगली आपी को दिखाई आपी ने मेरी उंगली पर लगा मेरे लंड का जूस देखा और नर्मी से मेरा हाथ पकड़ कर अपनी आँखों के क़रीब ले गईं और फिर अचानक ही झपट कर मेरी उंगली अपने मुँह में लेकर उससे चूसने लगीं।
मैं आपी का यह अंदाज़ देख कर दंग रह गया। आपी ने मेरी पूरी उंगली चूसी और मेरा हाथ छोड़ कर फिर से मेरे लंड को अपने हाथ में पकड़ कर अपनी ज़ुबान लंड के सुराख में घुसाने लगीं। एक बार फिर उन्होंने पूरे लंड को चाटने के बाद लंड मुँह में लिया और तेजी से अपने मुँह में अन्दर-बाहर करना शुरू कर दिया।
कुछ ही देर बाद मेरा जिस्म अकड़ना शुरू हो गया। मैंने कोशिश की कि मैं अपने आप पर कंट्रोल करूँ लेकिन जल्द ही मुझे महसूस हुआ कि मैं अबकी बार अपने आपको नहीं रोक पाऊँगा।
मैंने अपनी तमाम रगों को फैलता- सिकुड़ता महसूस किया और मैंने चीखती आवाज़ में बा-मुश्किला कहा- “आपीयईईईई… मैं छूटने वाला हून्ंननणन्…”
आपी ने मेरी बात सुनते ही लंड को मुँह से निकाला और तेजी से मेरे लंड को अपने हाथ से मसलने लगीं, फिर 3-4 सेकेंड बाद ही मेरे मुँह से एक तेज ‘आअहह’ निकली और मेरे लंड ने फव्वारे की सूरत में अपने जूस की पहली धार छोड़ी जो सीधी मेरी बहन के हसीन गुलाबी उभारों पर गिरी।
आपी ने अपना हाथ मेरे लंड से नहीं हटाया और इस धार को देख कर और तेजी से मेरे लंड को रगड़ने लगीं। दो-दो सेकेंड के वक्फे से मेरे लंड से एक धार निकलती और आपी के मम्मों या पेट पर चिपक जाती। तकरीबन एक मिनट तक मेरा लंड और जिस्म झटके ख़ाता रहा और जूस बहता रहा।
आपी ने मेरे लंड से निकलते इस समुंदर को देखा तो बोलीं- “वॉववववव… आज तो मेरी जान... मेरा सोहना भाई बहुत ही जोश में है…”
यह सच था कि आज से पहले कभी मेरे लंड ने इतना ज्यादा जूस नहीं छोड़ा था और मैं कभी इतना निढाल भी नहीं हुआ था।
आपी ने भी अपना हाथ चलाना अब बंद कर दिया था लेकिन बदस्तूर मेरे लंड को थाम रखा था। मैंने निढाल सी कैफियत में अधखुली आँखों से आपी को देखा। उनके सीने के उभारों और पेट पर मेरे लंड से निकले जूस ने आड़ी तिरछी लकीरें सी बना डाली थीं।
आपी ने अपने जिस्म पर नज़र डाली और मेरे लंड को छोड़ कर अपनी उंगली से अपने खूबसूरत निप्पल्स पर लगे मेरे लंड के जूस को साफ किया और काफ़ी सारी मिक़दर अपनी उंगली पर उठा कर उंगली अपने मुँह में डाल ली। मैं आपी को देख तो रहा था लेकिन इतना निढाल था कि कुछ बोलना तो दूर की बात है आपी की इस हरकत पर हैरत भी ना ज़ाहिर कर सका और खाली-खाली आँखों से आपी को देखता रहा।
आपी ने उंगली को अच्छी तरह चूसा और मुझे आँख मार के अपनी आँखों को गोल-गोल घुमाते हो कहा- “उम्म्म यूम्ममय्ययई… यार सगीर यह तो मज़े की चीज़ है”
वे यह बोल कर हँसने लगीं। मैंने भी मुस्कुरा कर आपी का साथ दिया।
अचानक ही आपी की हँसी को ब्रेक लग गया और उन्होंने घबराए हुए अंदाज़ में घड़ी को देखा फिर बिस्तर से उछल कर खड़ी होती हुए बोलीं- “शिट... अम्मी और हनी आने ही वाली होंगी… या शायद आ ही गई हों”
आपी ने मेरी शर्ट उठा कर जल्दी-जल्दी अपना जिस्म साफ किया और क़मीज़ पहन कर सलवार पहनने लगीं।
तो मैंने कहा- “आपी आप तो आज डिस्चार्ज हुई ही नहीं हो?”
आपी ने सलवार पहन ली थी। उन्होंने कहा- “कोई बात नहीं… फिर सही”
वे फरहान के पास गईं जो कि नीचे कार्पेट पर नंगा ही उल्टा सो रहा था, उसको फिर से उठाते हुए कहा- “फरहान उठो, कपड़े पहनो और सही तरह बिस्तर पर लेटो। उठो शाबाश…”
फरहान को उठा कर मेरे पास आईं और मेरे होंठों को चूम कर मेरे बाल सँवारते हुए बोलीं- “उठो मेरी जान, शाबाश, अपना जिस्म साफ करो। मैं जा रही हूँ”
इसके साथ ही कमरे से बाहर निकल गईं। मैं उठा तो फरहान बाथरूम जा चुका था।
मैंने वैसे ही अपना लोअर पहना और बिस्तर पर लेटते ही मुझे नींद आ गई शायद कमज़ोरी की वजह से!
शाम को आपी ने ही मुझे उठाया वो दूध लेकर आई थीं। वे हम दोनों को उठा कर फ़ौरन ही वापस नीचे चली गईं क्योंकि उन्होंने रात का खाना भी बनाना था। दूध पी कर मैंने गुसल किया और बाहर निकल गया।
जब मैं वापस आया तो रात का खाना बाहर ही दोस्तों के साथ ही खा कर आया था। घर पहुँचा तो 11 बज रहे थे। सब अपने-अपने कमरों में ही थे बस अब्बू टीवी लाऊँज में बैठे न्यूज़ देख रहे थे। अब्बू को सलाम वगैरह करने के बाद मैं अपने कमरे में आया तो फरहान सो चुका था।
मुझे भी काफ़ी थकान सी महसूस हो रही थी और मुझे यह भी अंदाज़ा था कि आज दिन में हमने सेक्स किया ही है तो आपी अभी रात में हमारे पास नहीं आएँगी। उनका दिल चाह भी रहा हो तब भी वो नहीं आएंगी क्योंकि वो हमारी सेहत के बारे में बहुत फ़िक़रमंद रहती थीं। हक़ीक़त यह थी कि इस वक़्त मुझे भी सेक्स की तलब महसूस नहीं हो रही थी इसलिए मैं भी जल्द ही सो गया।
सुबह मैं अपने टाइम पर ही उठा, कॉलेज से आकर थोड़ी देर नींद लेने के बाद दोस्तों में टाइम गुजार कर रात को घर वापस आया तो खाने के बाद आपी ने बता दिया कि वो आज रात में आएँगी।
मैं कुछ देर वहाँ टीवी लाऊँज में ही बैठ कर बिला वजह ही चैनल चेंज कर-कर के टाइम पास करता रहा और तकरीबन 10:30 पर उठ कर अपने कमरे की तरफ चल दिया। मैं कमरे में दाखिल हुआ तो फरहान हमेशा की तरह मूवी लगाए कंप्यूटर के सामने ही बैठा था।
मुझे देख कर बोला- “यहाँ आ जाओ भाई, जब तक आपी नहीं आतीं, मूवी ही देख लेते हैं”
मैंने अपनी पैंट उतारते हुए फरहान को जवाब दिया- “नहीं यार! मेरा मूड नहीं है मूवी देखने का, तुम देखो”
मैं बिस्तर पर आ लेटा।
थोड़ी देर बाद फरहान भी कंप्यूटर बंद करके बिस्तर पर ही आ गया और बोला- “भाई कल जब मेरे लण्ड ने अपना जूस निकाला तो मुझे तो इतनी कमज़ोरी फील हो रही थी कि आँखें बंद किए पता ही नहीं चला कि कब सो गया। मैं तो आपी के उठाने पर ही उठा था। मुझे बताओ न, मेरे सो जाने के बाद आपने आपी के साथ क्या-क्या किया था?”
मैंने जान छुड़ाने के लिए फरहान से कहा- “यार छोड़, फिर कभी बताऊँगा”
लेकिन फरहान के पूछने पर मेरे जेहन में भी कल के वाक़यात घूम गए कि कैसे आपी मेरा लण्ड चूस रही थीं। किसी माहिर और अनुभवी चुसक्कड़ की तरह। फरहान ने मुझसे मिन्नतें करते हुए दो बार और कहा तो मैं उससे पूरी स्टोरी सुनाने लगा कि कल क्या-क्या हुआ था।
फरहान ने सुकून से पूरी कहानी सुनी और बोला- “भाई आप ज़बरदस्त हो। आपने जिस तरह आपी को ये सब करने पर राज़ी किया है उसका जवाब नहीं। मैं तो ये सोच कर पागल हो रहा हूँ कि जब आपी मेरा लण्ड चूसेंगी तो? उफफ्फ़…”
यह कह कर फरहान ने एक झुरझुरी सी ली।
TO BE CONTINUED .....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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