16-03-2024, 12:47 PM
हे राम, इस बेमेल जोड़ी के शरीरों का एकाकार होने के दृष्य का इंतजार मुझे कितना लंबा लग रहा था। अब और रहा नहीं जा रहा था मुझसे और तभी मानो भगवान ने मेरी सुन ली। बदहवासी के आलम में मेरी मां ने आव देखा न ताव, एक झटके में अपनी पैटी उतार फेंकी और घुसा के अंडरवियर पर टूट ही तो पड़ी। एक झटके में मेरी मां ने घुसा के अंडरवियर को खींच लिया। इतनी जोर से खींची कि घुसा के अंडरवियर का नाड़ा टूट गया और लो, घुसा का फनफनाता आठ इंच लंबा काला डंडा बड़े डरावने अंदाज में सख्ती के साथ खड़ा उठक बैठक कर रहा था। मैं तो पहले भी देख चुकी थी लेकिन इस वक्त उसका इस तरह दर्शन करना मुझे अंदर तक सिहरने को मजबूर कर रहा था। मेरी मां का तो शायद मुझसे भी बुरा हाल हो रहा था होगा। उसके लिए इतना बड़ा अमानवीय लंड इतने करीब से देखना कैसा लग रहा था होगा यह तो मुझे तुरंत ही पता चल गया,
"हाय राआआआआआम इत्तनाआआआआआ बड़ाआआआआ......!" आश्चर्य और भय के मिश्रित भाव से वह बोली। मेरी मां की हालत देखकर मुझे भीतर ही भीतर हंसी आ गई। कहां मैं इतनी कम उम्र में इस विशाल लंड से अपना कौमार्य फटवा कर अब मजे से चुदवाने का आनंद ले रही हूं और कहां इतनी बड़ी चूत वाली मेरी उम्रदराज मां का डर के मारे हालत खराब हो रही है। मजेदार, आगे जो होने वाला है वह कितना मजेदार होगा, इसकी कल्पना करके मैं रोमांचित हो रही थी। मुझ नादान को तो उस पहली चुदाई के समय यह अहसास ही नहीं था कि घुसा का लंड सामान्य है या सामान्य से काफी बड़ा है, क्योंकि मैं ने पहली बार किसी का लंड देखा था, लेकिन मेरी मां को तो मेरे पापा का लंड लेती रही थी और निश्चय ही मेरे पापा का लंड घुसा के लंड की तुलना में काफी छोटा था होगा तभी तो मेरी मां की यह प्रतिक्रिया थी।
मेरी मां की चूत के ऊपर काले काले रोएं थे लेकिन चूत काफी फूली हुई थी। मेरी चूत से तो काफी बड़ी दिखाई दे रही थी लेकिन मेरी मां की हालत क्यों खराब हो रही थी, पता नहीं। जब मैं उस बड़े लंड को झेलने में सक्षम थी तो मेरी मां को क्या मुश्किल होती, लेकिन फिर भी डर रही थी। "नहीं नहीं, इतना बड़ा मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा।" वह घबराकर बोली।
"होगा मैडमजी, आराम से होगा। आप थोड़ा सा हिम्मत कीजिए फिर देखिए कितना मज़ा दूंगा। एक बार ले कर देख लीजिए, अगर मजा न आए तो हम छोड़ देंगे। अब जैसी आपकी मर्जी।" घुसा मेरी मां की फूली, रसीली चूत पर अपनी जादुई उंगलियां फिराते हुए बोला। फिर भी मेरी मां झिझक रही थी।
"अच्छा ठीक है। अब हम दूसरा उपाय करते हैं।" कहकर वह मेरी मेरी मां के ऊपर उल्टा चढ़ गया और सीधे मेरी मां की चूत पर अपना मुंह लगा बैठा। मेरी मां की सिसकारी निकल पड़ी।
"छि छि गंदे आदमी। वहां मुंह मत तगाओ आआआआइहहहह......" मेरी मां सिसक पड़ी लेकिन हिल नहीं सकती थी क्योंकि मेरी मां अब पूरी तरह उसके कब्जे में थी। मेरी मां के सर के दोनों तरफ उसकी टांगें थीं और उसका हथियार ठीक मेरी मां के चेहरे के ऊपर झूल रहा था। मेरी मां बेबसी के आलम में अपना सर इधर उधर कर रही थी। घुसा ने मेरी मां की मोटी मोटी जांघों को अपने मजबूत हाथों से फैला दिया था और पागलों की तरह मेरी मां की चूत को ऊपर से नीचे तक चाटने लगा। उसके चाटने का असर कुछ ही पलों में दिखाई देने लगा। मेरी मां जल बिन मछली की तरह तड़प उठी और अपनी कमर उछालने लगी। उसके मुंह से आहें उबलने लगीं। साफ पता चल रहा था कि अब मेरी मां के साथ कुछ भी किया जा सकता है। पागल सी हो गई थी वह। पागलपन में मेरी मां ने अपने चेहरे के ऊपर झूलते घुसा का मोटा लंड हाथों से पकड़ कर उसके लंड के सुपाड़े को मुंह में ले कर चूसने लगी।
"आह आह आह मैडमजी, हां हां हां, चूसती रहिए ओह मैडम ओह उफ उफ.... बहुत बढ़िया।" घुसा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह भी कमर ऊपर नीचे करने लगा। धीरे धीरे मेरी मां उसके मोटे लंड को अपने मुंह में अंदर तक लेने की कोशिश करने लगी। मेरे देखते ही देखते वह उतने बड़े लंड को आधा निगलने में कामयाब हो गयी। गजब का दृश्य था। घुसा अपनी कमर उछालने लगा, एक तरह से वह मेरी मां के मुंह को ही चोद रहा था।
"हाय राआआआआआम इत्तनाआआआआआ बड़ाआआआआ......!" आश्चर्य और भय के मिश्रित भाव से वह बोली। मेरी मां की हालत देखकर मुझे भीतर ही भीतर हंसी आ गई। कहां मैं इतनी कम उम्र में इस विशाल लंड से अपना कौमार्य फटवा कर अब मजे से चुदवाने का आनंद ले रही हूं और कहां इतनी बड़ी चूत वाली मेरी उम्रदराज मां का डर के मारे हालत खराब हो रही है। मजेदार, आगे जो होने वाला है वह कितना मजेदार होगा, इसकी कल्पना करके मैं रोमांचित हो रही थी। मुझ नादान को तो उस पहली चुदाई के समय यह अहसास ही नहीं था कि घुसा का लंड सामान्य है या सामान्य से काफी बड़ा है, क्योंकि मैं ने पहली बार किसी का लंड देखा था, लेकिन मेरी मां को तो मेरे पापा का लंड लेती रही थी और निश्चय ही मेरे पापा का लंड घुसा के लंड की तुलना में काफी छोटा था होगा तभी तो मेरी मां की यह प्रतिक्रिया थी।
मेरी मां की चूत के ऊपर काले काले रोएं थे लेकिन चूत काफी फूली हुई थी। मेरी चूत से तो काफी बड़ी दिखाई दे रही थी लेकिन मेरी मां की हालत क्यों खराब हो रही थी, पता नहीं। जब मैं उस बड़े लंड को झेलने में सक्षम थी तो मेरी मां को क्या मुश्किल होती, लेकिन फिर भी डर रही थी। "नहीं नहीं, इतना बड़ा मुझसे बर्दाश्त नहीं होगा।" वह घबराकर बोली।
"होगा मैडमजी, आराम से होगा। आप थोड़ा सा हिम्मत कीजिए फिर देखिए कितना मज़ा दूंगा। एक बार ले कर देख लीजिए, अगर मजा न आए तो हम छोड़ देंगे। अब जैसी आपकी मर्जी।" घुसा मेरी मां की फूली, रसीली चूत पर अपनी जादुई उंगलियां फिराते हुए बोला। फिर भी मेरी मां झिझक रही थी।
"अच्छा ठीक है। अब हम दूसरा उपाय करते हैं।" कहकर वह मेरी मेरी मां के ऊपर उल्टा चढ़ गया और सीधे मेरी मां की चूत पर अपना मुंह लगा बैठा। मेरी मां की सिसकारी निकल पड़ी।
"छि छि गंदे आदमी। वहां मुंह मत तगाओ आआआआइहहहह......" मेरी मां सिसक पड़ी लेकिन हिल नहीं सकती थी क्योंकि मेरी मां अब पूरी तरह उसके कब्जे में थी। मेरी मां के सर के दोनों तरफ उसकी टांगें थीं और उसका हथियार ठीक मेरी मां के चेहरे के ऊपर झूल रहा था। मेरी मां बेबसी के आलम में अपना सर इधर उधर कर रही थी। घुसा ने मेरी मां की मोटी मोटी जांघों को अपने मजबूत हाथों से फैला दिया था और पागलों की तरह मेरी मां की चूत को ऊपर से नीचे तक चाटने लगा। उसके चाटने का असर कुछ ही पलों में दिखाई देने लगा। मेरी मां जल बिन मछली की तरह तड़प उठी और अपनी कमर उछालने लगी। उसके मुंह से आहें उबलने लगीं। साफ पता चल रहा था कि अब मेरी मां के साथ कुछ भी किया जा सकता है। पागल सी हो गई थी वह। पागलपन में मेरी मां ने अपने चेहरे के ऊपर झूलते घुसा का मोटा लंड हाथों से पकड़ कर उसके लंड के सुपाड़े को मुंह में ले कर चूसने लगी।
"आह आह आह मैडमजी, हां हां हां, चूसती रहिए ओह मैडम ओह उफ उफ.... बहुत बढ़िया।" घुसा की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। वह भी कमर ऊपर नीचे करने लगा। धीरे धीरे मेरी मां उसके मोटे लंड को अपने मुंह में अंदर तक लेने की कोशिश करने लगी। मेरे देखते ही देखते वह उतने बड़े लंड को आधा निगलने में कामयाब हो गयी। गजब का दृश्य था। घुसा अपनी कमर उछालने लगा, एक तरह से वह मेरी मां के मुंह को ही चोद रहा था।