15-03-2024, 06:29 PM
मैं अभी २८ की हूँ। मेरे पति का स्वर्गवास हुए १ साल हो गया था। वो एक दुर्घटना में चल बसे थे। मैं एम ए पास हूँ। एक प्राईवेट कॉलेज में टीचर थी लेकिन वेतन बहुत ही कम था।
उन्हीं दिनो मेरे एक सहयोगी ने बताया कि सेठ विनय के यहाँ एक घर की देखभाल के लिये एक महिला की जरूरत है। मैं उनसे जा कर मिल लूं, वो अच्छी तनख्वाह देंगे। बस उन्हें यह मत बताना कि ज्यादा पढ़ी लिखी हो।
मैं सेठ विनय के यहां ७.३० बजे ही पहुंच गई। वो उस समय घर पर ही थे। मैंने घंटी बजाई तो उन्होने मुझे अन्दर बुला लिया। मैंने उन्हें बताया कि उनके यहाँ नौकरी के लिए आई हूं।
उन्होने मुझे मुझे गौर से देखा और कुछ प्रश्न पूछे … फिर बोले,”कितना वेतन लोगी?”
“जी … जहां मैं काम करती थी वहां मुझे २५०० रुपये मिलते थे !”
“अभी ३००० दूंगा … फिर काम देख कर बढ़ा दूंगा … तुम्हें खाना और रहना फ़्री है … जाओ पीछे सर्वेन्ट क्वार्टर है।” उन्होने चाबी देते हुए कहा “सफ़ाई कर लेना … आज से ही काम पर आ जाओ !”
उन्हीं दिनो मेरे एक सहयोगी ने बताया कि सेठ विनय के यहाँ एक घर की देखभाल के लिये एक महिला की जरूरत है। मैं उनसे जा कर मिल लूं, वो अच्छी तनख्वाह देंगे। बस उन्हें यह मत बताना कि ज्यादा पढ़ी लिखी हो।
मैं सेठ विनय के यहां ७.३० बजे ही पहुंच गई। वो उस समय घर पर ही थे। मैंने घंटी बजाई तो उन्होने मुझे अन्दर बुला लिया। मैंने उन्हें बताया कि उनके यहाँ नौकरी के लिए आई हूं।
उन्होने मुझे मुझे गौर से देखा और कुछ प्रश्न पूछे … फिर बोले,”कितना वेतन लोगी?”
“जी … जहां मैं काम करती थी वहां मुझे २५०० रुपये मिलते थे !”
“अभी ३००० दूंगा … फिर काम देख कर बढ़ा दूंगा … तुम्हें खाना और रहना फ़्री है … जाओ पीछे सर्वेन्ट क्वार्टर है।” उन्होने चाबी देते हुए कहा “सफ़ाई कर लेना … आज से ही काम पर आ जाओ !”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.