15-03-2024, 06:07 PM
अब मैं दीदी की ओर देख रहा था, दीदी ने कहा- मज़ा आ गया।
मैं फिर से उसके मम्मों को दबाने लगा और चूसने लगा।
दीदी उल्टी हो कर मेरा लंड फिर से हिलाने लगी.. और चूसने लगी.. जिससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। अब मैंने दीदी को सीधा लेटा कर उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया लगा दिया और अपना लंड उसकी चूत पर फेरने लगा।
मैं दीदी को तड़पा रहा था.. तो वो बोली- प्लीज़ भाई.. अपना लंड मेरी चूत में डाल दो.. फाड़ दो मेरी चूत को.. अपने लंड से.. मैं ऐसे ही लंड के लिए तरसती थी और इसीलिए मैं उस चूतिया से शादी के लिए राज़ी नहीं हो रही थी क्योंकि वो दुबला-पतला है और ना जाने उसका लंड इतना बड़ा होगा या नहीं.. वो मुझे संतुष्ट कर सकेगा या नहीं.. प्लीज़ भाई फाड़ दे मेरी चूत को.. बना दे मेरी चूत को भोसड़ा..
मैं ऐसे शब्द दीदी के मुँह से सुन कर और जोश में आ गया।
मैं धीरे से दीदी की चूत में अपना लंड डालने लगा..
अभी आधा ही गया होगा कि दीदी चिल्लाने लगी, मैं उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा।
तभी मैंने ज़ोर का एक और झटका लगाया.. इस बार मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में समा गया।
दीदी के मुँह से चीख निकल गई और वो रोने लगी, वो गिड़गिड़ा कर बोली- प्लीज़.. इसे निकालो.. वरना मैं मर जाऊँगी।
मैं थोड़ी देर रुक गया और उसके चूचों को दबाता रहा।
जब वो थोड़ा शान्त हुई.. तो फिर मैं धीरे-धीरे अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ देर बाद दीदी भी मेरा साथ दे रही थी.. वो नीचे से अपनी गाण्ड उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रही थी।
मैं अब ज़ोर से उसे चोद रहा था और वो ‘आअहह.. मररररर गइईईईई.. ईईहह..’ चिल्लाने लगी।
पूरे कमरे में हमारी चुदाई की आवाजें आ रही थीं.. और पूरा कमरा ‘छप.. छप..’ की आवाज़ से गूँज रहा था।
थोड़ी देर में मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत को चोदने लगा। दीदी दो बार झड़ चुकी थी और अब मैं भी झड़ने वाला था।
मैंने दीदी को बोला- मेरा पानी निकलने वाला है।
दीदी बोली- मेरे अन्दर ही छोड़ दे.. यह मेरी पहली चुदाई है.. और वो भी मेरे भाई से.. मैं तेरे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ.. वैसे भी मेरी शादी होने वाली है.. कोई प्रोब्लम नहीं होगी।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.. मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं एक ज़ोर से पिचकारी मारता हुआ दीदी की चूत में झड़ गया। मेरा गर्म लावा दीदी की चूत से बह रहा था और मैं निढाल हो कर दीदी पर गिर गया।
हम दोनों ऐसे ही नंगे बिस्तर पर पड़े रहे।
दीदी बोली- भाई अगर मेरा पति मुझे संतुष्ट नहीं कर पाया.. तो वादा करो तुम ही मेरी प्यास को शान्त करोगे.. आज तो मैंने जन्नत की सैर की है.. बहुत मज़ा आया.. अब तुम ही मेरे पति हो.. जब जी चाहे तुम मुझे चोद सकते हो।
हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गए।
मैं फिर से उसके मम्मों को दबाने लगा और चूसने लगा।
दीदी उल्टी हो कर मेरा लंड फिर से हिलाने लगी.. और चूसने लगी.. जिससे मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। अब मैंने दीदी को सीधा लेटा कर उसकी गाण्ड के नीचे एक तकिया लगा दिया और अपना लंड उसकी चूत पर फेरने लगा।
मैं दीदी को तड़पा रहा था.. तो वो बोली- प्लीज़ भाई.. अपना लंड मेरी चूत में डाल दो.. फाड़ दो मेरी चूत को.. अपने लंड से.. मैं ऐसे ही लंड के लिए तरसती थी और इसीलिए मैं उस चूतिया से शादी के लिए राज़ी नहीं हो रही थी क्योंकि वो दुबला-पतला है और ना जाने उसका लंड इतना बड़ा होगा या नहीं.. वो मुझे संतुष्ट कर सकेगा या नहीं.. प्लीज़ भाई फाड़ दे मेरी चूत को.. बना दे मेरी चूत को भोसड़ा..
मैं ऐसे शब्द दीदी के मुँह से सुन कर और जोश में आ गया।
मैं धीरे से दीदी की चूत में अपना लंड डालने लगा..
अभी आधा ही गया होगा कि दीदी चिल्लाने लगी, मैं उसके होंठों पर अपने होंठ रख कर चूसने लगा।
तभी मैंने ज़ोर का एक और झटका लगाया.. इस बार मेरा पूरा लंड दीदी की चूत में समा गया।
दीदी के मुँह से चीख निकल गई और वो रोने लगी, वो गिड़गिड़ा कर बोली- प्लीज़.. इसे निकालो.. वरना मैं मर जाऊँगी।
मैं थोड़ी देर रुक गया और उसके चूचों को दबाता रहा।
जब वो थोड़ा शान्त हुई.. तो फिर मैं धीरे-धीरे अपना लंड अन्दर-बाहर करने लगा।
कुछ देर बाद दीदी भी मेरा साथ दे रही थी.. वो नीचे से अपनी गाण्ड उछाल उछाल कर मेरा साथ दे रही थी।
मैं अब ज़ोर से उसे चोद रहा था और वो ‘आअहह.. मररररर गइईईईई.. ईईहह..’ चिल्लाने लगी।
पूरे कमरे में हमारी चुदाई की आवाजें आ रही थीं.. और पूरा कमरा ‘छप.. छप..’ की आवाज़ से गूँज रहा था।
थोड़ी देर में मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी और ज़ोर-ज़ोर से उसकी चूत को चोदने लगा। दीदी दो बार झड़ चुकी थी और अब मैं भी झड़ने वाला था।
मैंने दीदी को बोला- मेरा पानी निकलने वाला है।
दीदी बोली- मेरे अन्दर ही छोड़ दे.. यह मेरी पहली चुदाई है.. और वो भी मेरे भाई से.. मैं तेरे बच्चे की माँ बनना चाहती हूँ.. वैसे भी मेरी शादी होने वाली है.. कोई प्रोब्लम नहीं होगी।
मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी.. मेरा शरीर अकड़ने लगा और मैं एक ज़ोर से पिचकारी मारता हुआ दीदी की चूत में झड़ गया। मेरा गर्म लावा दीदी की चूत से बह रहा था और मैं निढाल हो कर दीदी पर गिर गया।
हम दोनों ऐसे ही नंगे बिस्तर पर पड़े रहे।
दीदी बोली- भाई अगर मेरा पति मुझे संतुष्ट नहीं कर पाया.. तो वादा करो तुम ही मेरी प्यास को शान्त करोगे.. आज तो मैंने जन्नत की सैर की है.. बहुत मज़ा आया.. अब तुम ही मेरे पति हो.. जब जी चाहे तुम मुझे चोद सकते हो।
हम दोनों ऐसे ही नंगे सो गए।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
