15-03-2024, 06:05 PM
मैं मालिश करने के बहाने काफ़ी देर दीदी की पीठ सहलाता रहा, मैं उसकी पैंटी को छू कर रहा था.. उसके कूल्हे तक दबा देता था.. इससे मेरा लंड खड़ा हो गया था और दीदी की गाण्ड के छेद पर लगने लगा।
अब आगे..
दीदी भी बीच-बीच में कुछ अजीब सी आवाज़ निकाल रही थी। शायद दीदी अब गर्म हो गई थी और उसे भी मज़ा आ रहा था। इस बीच मुझे उसकी ब्रा गड़ रही थी और वो दीदी को चुभ रही थी।
मैंने दीदी को कहा- दीदी ये क्या बीच में चुभ रहा है.. इससे ठीक से मालिश नहीं हो रही है.. इसे निकाल दूँ?
दीदी ने तुरंत ‘हाँ’ में सर हिला दिया। मैंने अब दोनों हाथ अन्दर डाल कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.. लेकिन वो बाहर नहीं निकली।
मैंने दीदी से पूछा- इसे बाहर कैसे निकालूँ?
दीदी थोड़ी ऊपर उठ गई और उसने ब्रा बाहर निकाल कर बिस्तर पर रख दी और कहा- अब पूरी पीठ पर ठीक से मालिश करो।
मैंने फिर से अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा। अब मैं उसकी पूरी नंगी पीठ महसूस कर रहा था। मैं थोड़ी हिम्मत करके मेरा हाथ आगे की ओर ले गया.. तो उसके मम्मों का साइड का हिस्सा मेरे हाथ से टच हो गया। मुझे बहुत मज़ा आने लगा..
मैं अपना लंड दीदी की गाण्ड पर और ज़ोर से दबाने लगा। ऐसे ही मालिश करते-करते मैंने नाइटी कमर के ऊपर तक उठा दी।
मेरा लंड अब एकदम तन गया था।
दीदी बोली- ये क्या चुभ रहा है?
तो मैं थोड़ा शर्मा गया।
मैंने कहा- कुछ नहीं दीदी.. ये तो वो मालिश करते-करते हो गया। दीदी एक काम करो.. आप नाइटी निकाल दो ताकि मैं आपकी पूरी बॉडी मसाज कर देता हूँ।
दीदी ने नाइटी निकाल दी, अब दीदी के मम्मे मेरी आँखों के सामने थे।
मैंने पहली बार किसी लड़की की चूचियों को नंगा देखा और वो भी मेरी सग़ी बहन के.. क्या गोरे दूध थे यार..
अब मैंने दीदी को पीठ के बल लेटा दिया और उसके पेट पर मालिश करने लगा। कुछ देर बाद मैं उसकी नाभि को मसाज करने लगा। दीदी के मुँह से ‘आअहह.. ऊओह..’ जैसी आवाजें आने लगीं।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- अच्छा लग रहा है.. और करो..
मैं उसके पेट को सहलाते-सहलाते थोड़ा ऊपर आ गया और उसके चूचों को दबाने लगा। पहले तो मैंने उसको पूरा अपने हाथ में पकड़ने की कोशिश की.. पर वो इतने बड़े थे कि मेरे हाथ में ही नहीं आ रहे थे, मैं उसके निप्पलों को हाथ में ले के मींजने लगा।
दीदी अब ज़ोर से ‘आहह..’ की आवाज़ निकाल रही थी।
मैं और ज़्यादा गर्म हो गया, मैंने देखा कि दीदी की आँखें बन्द थीं।
जैसे ही दीदी ने आवाज़ निकालने के लिए अपना मुँह खोला.. तो मैंने तुरंत उसके होंठों को अपने मुँह में ले लिया और उनको चूसने लगा.. दीदी मुझसे होंठ छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
लेकिन मैंने और जोरों से उसके होंठ दबा लिए और चूसने लगा, साथ ही मैं दूसरे हाथ से उसकी चूत को दबाने लगा.. जिससे दीदी एकदम गर्म हो गई, अब वो भी मेरे होंठ चूसने लगी।
मैंने अपनी पूरी जीभ उसके मुँह में डाल दी और दीदी मेरी जीभ को चूसने लगी, बारी-बारी से हम एक-दूसरे की जीभ चूसने लगे, कुछ मिनट तक हम ऐसे ही चूमा चाटी करते रहे।
दीदी ने मेरी टी-शर्ट उतार दी। अब मैं दीदी की चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से दूसरा दूध दबाने लगा।
मैं जंगल के भूखे शेर की तरह उसका चूचा चूस रहा था।
दीदी बोली- भाई.. थोड़ा धीरे चूसो.. मुझे दर्द हो रहा है.. मैं थोड़े कहीं भागे जा रही हूँ.. प्लीज़ थोड़ा धीरे चूसो।
मैं अब उसके एक निप्पल को दाँतों से चबाने लगा और बीच में उसे काट भी देता था.. जिससे दीदी की चीख निकल जाती थी।
मैंने बारी-बारी से दोनों चूचियों को चूस-चूस कर लाल कर दिया।
फिर मैंने दीदी की पैन्टी को निकाल दिया और उसकी चूत को सूंघने लगा।
अब आगे..
दीदी भी बीच-बीच में कुछ अजीब सी आवाज़ निकाल रही थी। शायद दीदी अब गर्म हो गई थी और उसे भी मज़ा आ रहा था। इस बीच मुझे उसकी ब्रा गड़ रही थी और वो दीदी को चुभ रही थी।
मैंने दीदी को कहा- दीदी ये क्या बीच में चुभ रहा है.. इससे ठीक से मालिश नहीं हो रही है.. इसे निकाल दूँ?
दीदी ने तुरंत ‘हाँ’ में सर हिला दिया। मैंने अब दोनों हाथ अन्दर डाल कर उसकी ब्रा का हुक खोल दिया.. लेकिन वो बाहर नहीं निकली।
मैंने दीदी से पूछा- इसे बाहर कैसे निकालूँ?
दीदी थोड़ी ऊपर उठ गई और उसने ब्रा बाहर निकाल कर बिस्तर पर रख दी और कहा- अब पूरी पीठ पर ठीक से मालिश करो।
मैंने फिर से अन्दर हाथ डाल दिया और उसकी पीठ सहलाने लगा। अब मैं उसकी पूरी नंगी पीठ महसूस कर रहा था। मैं थोड़ी हिम्मत करके मेरा हाथ आगे की ओर ले गया.. तो उसके मम्मों का साइड का हिस्सा मेरे हाथ से टच हो गया। मुझे बहुत मज़ा आने लगा..
मैं अपना लंड दीदी की गाण्ड पर और ज़ोर से दबाने लगा। ऐसे ही मालिश करते-करते मैंने नाइटी कमर के ऊपर तक उठा दी।
मेरा लंड अब एकदम तन गया था।
दीदी बोली- ये क्या चुभ रहा है?
तो मैं थोड़ा शर्मा गया।
मैंने कहा- कुछ नहीं दीदी.. ये तो वो मालिश करते-करते हो गया। दीदी एक काम करो.. आप नाइटी निकाल दो ताकि मैं आपकी पूरी बॉडी मसाज कर देता हूँ।
दीदी ने नाइटी निकाल दी, अब दीदी के मम्मे मेरी आँखों के सामने थे।
मैंने पहली बार किसी लड़की की चूचियों को नंगा देखा और वो भी मेरी सग़ी बहन के.. क्या गोरे दूध थे यार..
अब मैंने दीदी को पीठ के बल लेटा दिया और उसके पेट पर मालिश करने लगा। कुछ देर बाद मैं उसकी नाभि को मसाज करने लगा। दीदी के मुँह से ‘आअहह.. ऊओह..’ जैसी आवाजें आने लगीं।
मैंने पूछा- क्या हुआ?
तो बोली- अच्छा लग रहा है.. और करो..
मैं उसके पेट को सहलाते-सहलाते थोड़ा ऊपर आ गया और उसके चूचों को दबाने लगा। पहले तो मैंने उसको पूरा अपने हाथ में पकड़ने की कोशिश की.. पर वो इतने बड़े थे कि मेरे हाथ में ही नहीं आ रहे थे, मैं उसके निप्पलों को हाथ में ले के मींजने लगा।
दीदी अब ज़ोर से ‘आहह..’ की आवाज़ निकाल रही थी।
मैं और ज़्यादा गर्म हो गया, मैंने देखा कि दीदी की आँखें बन्द थीं।
जैसे ही दीदी ने आवाज़ निकालने के लिए अपना मुँह खोला.. तो मैंने तुरंत उसके होंठों को अपने मुँह में ले लिया और उनको चूसने लगा.. दीदी मुझसे होंठ छुड़ाने की कोशिश करने लगी।
लेकिन मैंने और जोरों से उसके होंठ दबा लिए और चूसने लगा, साथ ही मैं दूसरे हाथ से उसकी चूत को दबाने लगा.. जिससे दीदी एकदम गर्म हो गई, अब वो भी मेरे होंठ चूसने लगी।
मैंने अपनी पूरी जीभ उसके मुँह में डाल दी और दीदी मेरी जीभ को चूसने लगी, बारी-बारी से हम एक-दूसरे की जीभ चूसने लगे, कुछ मिनट तक हम ऐसे ही चूमा चाटी करते रहे।
दीदी ने मेरी टी-शर्ट उतार दी। अब मैं दीदी की चूचियों को मुँह में लेकर चूसने लगा और दूसरे हाथ से दूसरा दूध दबाने लगा।
मैं जंगल के भूखे शेर की तरह उसका चूचा चूस रहा था।
दीदी बोली- भाई.. थोड़ा धीरे चूसो.. मुझे दर्द हो रहा है.. मैं थोड़े कहीं भागे जा रही हूँ.. प्लीज़ थोड़ा धीरे चूसो।
मैं अब उसके एक निप्पल को दाँतों से चबाने लगा और बीच में उसे काट भी देता था.. जिससे दीदी की चीख निकल जाती थी।
मैंने बारी-बारी से दोनों चूचियों को चूस-चूस कर लाल कर दिया।
फिर मैंने दीदी की पैन्टी को निकाल दिया और उसकी चूत को सूंघने लगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
