15-03-2024, 06:03 PM
मैंने महसूस किया कि उसकी नंगी जांघ बहुत ही नरम और चिकनी थी।
मैं उसे सहलाने लगा.. तो दीदी बोली- अरे.. मेरी कमर पकड़ो न..
मैंने अंधेरा होने का नाटक करते हुए उसकी जाँघ सहलाता रहा। मुझे बहुत मज़ा आने लगा और शायद दीदी को भी मज़ा आ रहा था क्योंकि वो कुछ नहीं बोल रही थी और ना ही मुझे रोक रही थी.. तो मैंने अपना काम चालू रखा। उसकी कमर ढूंढने का ड्रामा करते हुए उसके चूतड़ों को सहलाने लगा।
क्या मुलायम और गदीली भरावदार गाण्ड थी उसकी.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मेरा लंड एकदम लोहे की रॉड की तरह कड़क हो गया था।
इतने में दीदी ने मेरा हाथ वहाँ से हटा कर अपनी कमर पर रख दिया। मुझे थोड़ी शर्म आने लगी और मैं सोचता रहा कि मुझे यह अपनी बहन के साथ यह नहीं करना चाहिये था।
मैं वैसे ही खड़ा रहा.. फिर दीदी ने साड़ी फटाफट पहन ली और मुझसे कहा- मैंने साड़ी पहन ली है.. तुम लाइट चालू कर दो।
मैंने लाइट चालू की.. और उसे देखते ही रह गया क्योंकि उसने ब्लाउज नहीं पहना था.. केवल ब्रा पर साड़ी लपेटी थी। क्या सेक्सी माल लग रही थी।
उसने पूछा- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- दीदी आप बहुत सुन्दर लग रही हो।
वो शर्मा गई।
मैंने पूछा- आप ब्लाउज पहनना तो भूल ही गई हो।
तो उसने कहा- मुझे मालूम है.. मुझे सिर्फ़ साड़ी ट्राई करनी थी.. इसलिए अब उसने वापिस अपनी नाइटी पहन ली और कहा- चलो.. अब देर हो गई.. सो जाते हैं।
मैं जा कर अपने बिस्तर पर लेट गया और दीदी भी आ कर मेरे बाजू में लेट गई।
हम वैसे ही बातें कर रहे थे और बातों ही बातों में हम एकदम नजदीक आ गए। फिर कब नींद आ गई.. पता ही नहीं चला।
रात में मुझे कुछ भारीपन महसूस होने के कारण मेरी नींद खुल गई। जब आँख खुली.. तो देखा दीदी का एक पैर मेरी कमर पर था और उसकी नाइटी घुटनों तक उठी हुई थी। मैं पेट के बल लेटा हुआ था.. धीरे से सीधा हुआ।
अब मुझे सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था। मेरे सीधे होने के कारण दीदी की नाइटी और थोड़ी ऊपर उठ गई। मेरा लंड अब लोहे की रॉड की तरह तना हुआ था।
मैंने धीरे से दीदी की नाइटी कमर तक ऊपर कर दी, अब दीदी की पैन्टी मुझे साफ दिखाई दे रही थी। मैं एकदम खुश हो गया।
अब मैं धीरे से और थोड़ा उससे सट गया और अब मेरा लंड दीदी की चूत पर टच होने लगा था।
डर और ख़ुशी के मारे मेरी साँस फूल रही थी..
थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही पड़ा रहा, फिर मैंने अपना एक हाथ दीदी की मुलायम जांघ पर रख दिया और बिना हिले थोड़ी देर उसको महसूस करता रहा।
दीदी की कोई प्रतिक्रिया ना आते देख.. मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
अब मैं अपना हाथ धीरे-धीरे उसकी जांघ और चूतड़ों पर फेरता रहा और उसके और थोड़ा नज़दीक हो गया.. जिसके कारण मेरा लंड और नजदीक से दीदी की चूत को छूने लगा और उत्तेजना में और मैं झड़ गया।
कुछ देर यूं ही निढाल पड़ा रहने के बाद मैंने एक हाथ से दीदी की नाइटी को आगे से खोल दिया.. जिसके कारण उसकी ब्रा में कैद उसके बड़े मम्मे मुझे दिखाई देने लगे थे।
मैंने एक हाथ को उसके मम्मों के ऊपर रख दिया और देखा कि दीदी का कोई विरोध नहीं हो रहा है.. तो फिर मैं ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाने लगा.. उसके आगे जाने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी।
फिर सोचा कि क्यों ना मैं ऐसे ही सो जाऊँ.. फिर देखते हैं सुबह दीदी क्या कहती है।
मैं ऐसे ही एक हाथ उसकी कमर में डाल कर सो गया।
सुबह जब दीदी की आँख खुली.. तो देखा उसका एक पैर मेरी कमर पर है और मेरा हाथ उसकी कमर में है। उसकी नाइटी सामने से खुली हुई थी। उसे लगा शायद नींद में खुल गई होगी।
जब उसने पैर हटाया तो देखा उसकी पैन्टी पर मेरे वीर्य का दाग लगा हुआ था और मेरा लंड का उभार भी उसे साफ दिखाई दे रहा था। ये सब मैं चुपके से देख रहा था क्योंकि मैं उसके पहले जाग गया था।
दीदी थोड़ी देर तक मेरे लंड की तरफ देखती रही। फिर उसने धीरे से अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया.. जिसके कारण मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया और दीदी थोड़ी देर ऐसे ही उसे महसूस करने के बाद उसने धीरे से उसका हाथ मेरे पजामे में डाल दिया।
उत्तेजना के कारण मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगीं और लंड और कड़क हो गया.. जिसके कारण दीदी डर गई और उसने तुरंत अपना हाथ निकाल लिया।
फिर थोड़ी देर मैं वैसे ही सोया रहा और वो उठ कर फ्रेश होने चली गई।
थोड़ी देर बाद वो मुझे जगाने आई.. बोली- चलो फ्रेश हो जाओ.. फिर साथ में नाश्ता करते हैं।
नाश्ता करने के बाद दीदी बोली- चलो, आज बाकी की शॉपिंग ख़त्म करते हैं।
मैं उसे सहलाने लगा.. तो दीदी बोली- अरे.. मेरी कमर पकड़ो न..
मैंने अंधेरा होने का नाटक करते हुए उसकी जाँघ सहलाता रहा। मुझे बहुत मज़ा आने लगा और शायद दीदी को भी मज़ा आ रहा था क्योंकि वो कुछ नहीं बोल रही थी और ना ही मुझे रोक रही थी.. तो मैंने अपना काम चालू रखा। उसकी कमर ढूंढने का ड्रामा करते हुए उसके चूतड़ों को सहलाने लगा।
क्या मुलायम और गदीली भरावदार गाण्ड थी उसकी.. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था। मेरा लंड एकदम लोहे की रॉड की तरह कड़क हो गया था।
इतने में दीदी ने मेरा हाथ वहाँ से हटा कर अपनी कमर पर रख दिया। मुझे थोड़ी शर्म आने लगी और मैं सोचता रहा कि मुझे यह अपनी बहन के साथ यह नहीं करना चाहिये था।
मैं वैसे ही खड़ा रहा.. फिर दीदी ने साड़ी फटाफट पहन ली और मुझसे कहा- मैंने साड़ी पहन ली है.. तुम लाइट चालू कर दो।
मैंने लाइट चालू की.. और उसे देखते ही रह गया क्योंकि उसने ब्लाउज नहीं पहना था.. केवल ब्रा पर साड़ी लपेटी थी। क्या सेक्सी माल लग रही थी।
उसने पूछा- क्या देख रहे हो?
मैंने कहा- दीदी आप बहुत सुन्दर लग रही हो।
वो शर्मा गई।
मैंने पूछा- आप ब्लाउज पहनना तो भूल ही गई हो।
तो उसने कहा- मुझे मालूम है.. मुझे सिर्फ़ साड़ी ट्राई करनी थी.. इसलिए अब उसने वापिस अपनी नाइटी पहन ली और कहा- चलो.. अब देर हो गई.. सो जाते हैं।
मैं जा कर अपने बिस्तर पर लेट गया और दीदी भी आ कर मेरे बाजू में लेट गई।
हम वैसे ही बातें कर रहे थे और बातों ही बातों में हम एकदम नजदीक आ गए। फिर कब नींद आ गई.. पता ही नहीं चला।
रात में मुझे कुछ भारीपन महसूस होने के कारण मेरी नींद खुल गई। जब आँख खुली.. तो देखा दीदी का एक पैर मेरी कमर पर था और उसकी नाइटी घुटनों तक उठी हुई थी। मैं पेट के बल लेटा हुआ था.. धीरे से सीधा हुआ।
अब मुझे सब कुछ साफ दिखाई दे रहा था। मेरे सीधे होने के कारण दीदी की नाइटी और थोड़ी ऊपर उठ गई। मेरा लंड अब लोहे की रॉड की तरह तना हुआ था।
मैंने धीरे से दीदी की नाइटी कमर तक ऊपर कर दी, अब दीदी की पैन्टी मुझे साफ दिखाई दे रही थी। मैं एकदम खुश हो गया।
अब मैं धीरे से और थोड़ा उससे सट गया और अब मेरा लंड दीदी की चूत पर टच होने लगा था।
डर और ख़ुशी के मारे मेरी साँस फूल रही थी..
थोड़ी देर तक मैं ऐसे ही पड़ा रहा, फिर मैंने अपना एक हाथ दीदी की मुलायम जांघ पर रख दिया और बिना हिले थोड़ी देर उसको महसूस करता रहा।
दीदी की कोई प्रतिक्रिया ना आते देख.. मेरी हिम्मत और बढ़ गई।
अब मैं अपना हाथ धीरे-धीरे उसकी जांघ और चूतड़ों पर फेरता रहा और उसके और थोड़ा नज़दीक हो गया.. जिसके कारण मेरा लंड और नजदीक से दीदी की चूत को छूने लगा और उत्तेजना में और मैं झड़ गया।
कुछ देर यूं ही निढाल पड़ा रहने के बाद मैंने एक हाथ से दीदी की नाइटी को आगे से खोल दिया.. जिसके कारण उसकी ब्रा में कैद उसके बड़े मम्मे मुझे दिखाई देने लगे थे।
मैंने एक हाथ को उसके मम्मों के ऊपर रख दिया और देखा कि दीदी का कोई विरोध नहीं हो रहा है.. तो फिर मैं ब्रा के ऊपर से ही उसकी चूचियों को दबाने लगा.. उसके आगे जाने की मेरी हिम्मत नहीं हो रही थी।
फिर सोचा कि क्यों ना मैं ऐसे ही सो जाऊँ.. फिर देखते हैं सुबह दीदी क्या कहती है।
मैं ऐसे ही एक हाथ उसकी कमर में डाल कर सो गया।
सुबह जब दीदी की आँख खुली.. तो देखा उसका एक पैर मेरी कमर पर है और मेरा हाथ उसकी कमर में है। उसकी नाइटी सामने से खुली हुई थी। उसे लगा शायद नींद में खुल गई होगी।
जब उसने पैर हटाया तो देखा उसकी पैन्टी पर मेरे वीर्य का दाग लगा हुआ था और मेरा लंड का उभार भी उसे साफ दिखाई दे रहा था। ये सब मैं चुपके से देख रहा था क्योंकि मैं उसके पहले जाग गया था।
दीदी थोड़ी देर तक मेरे लंड की तरफ देखती रही। फिर उसने धीरे से अपना हाथ मेरे लंड पर रख दिया.. जिसके कारण मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया और दीदी थोड़ी देर ऐसे ही उसे महसूस करने के बाद उसने धीरे से उसका हाथ मेरे पजामे में डाल दिया।
उत्तेजना के कारण मेरी साँसें तेज़ी से चलने लगीं और लंड और कड़क हो गया.. जिसके कारण दीदी डर गई और उसने तुरंत अपना हाथ निकाल लिया।
फिर थोड़ी देर मैं वैसे ही सोया रहा और वो उठ कर फ्रेश होने चली गई।
थोड़ी देर बाद वो मुझे जगाने आई.. बोली- चलो फ्रेश हो जाओ.. फिर साथ में नाश्ता करते हैं।
नाश्ता करने के बाद दीदी बोली- चलो, आज बाकी की शॉपिंग ख़त्म करते हैं।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
