15-03-2024, 03:47 PM
दीदी मेरे लंड को अपने मुंह में डाल कर गीली कर दी और बोली अब डाल दें फिर दीदी फिर से खिड़की पकड़ कर झुक गईं। मैंने चूत के छेद पर लंड रखा और हल्का धक्का दिया तो टोपा चूत में घुस गया। उनकी हल्की सी दर्द भरी सिसकारी निकल गई, तीन चार धक्कों में ही पूरा लंड दीदी की चूत में उतार दिया। “
अब मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए, दीदी को भी मजा आने लगा, वो खुद अपने चूचे दबाने लगीं। मैंने दीदी की कमर पकड़ ली और हचक कर धक्के लगाने लगा। दीदी के पैर कांपने लगे और उनकी चूत पानी छोड़ने लगी। उनकी चूत मेरे लंड को भींच रही थी। दीदी की चूत की गर्मी से मैं भी ज्यादा समय टिक नहीं सका और चूत में अपना पानी छोड़ दिया।
साथ में दीदी भी झर गई झड़ने के बाद पास ही पड़ी पैंटी से दीदी ने अपनी चूत और मेरा लंड अच्छी तरह से साफ कर दिया। मैंने और दीदी ने कपड़े पहने और हम वापस नीचे आ गए। दीदी चूत मरवा कर बड़ी खुश लग रही थीं। खाना खाने का समय भी हो चुका था.. तो हम खाना खाने चले गए। खाना खाया और बाक़ी सब काम खत्म करके हम सब छत पर सोने चले गए।
आज जगह भी ज्यादा थी तो मैंने दीदी से थोड़ी दूर अपना गद्दा बिछा दिया.. और सबके सोने का इंतजार करने लगा। मैंने उनसे कहा कि मेरा लंड तो झाड़ दो, तो दीदी ने कहा कि आज तुझे क्या हो गया है.. तू अब तक दो बार झड़ गया है फिर भी इतना बोलते हुए दीदी मेरे पास खिसक गई और धीरे से मेरे लंड को अपने चूत में घुसा कर चुदवाने लगी.
और थोड़ी ही देर में दीदी झर गई और कांपते हुए बोली अब तू भी जल्दी झड़ जा और कितना देर करेगा मैंने उनको अपनी तरफ खींचते हुए उनके मम्मों को अपने हाथों में लेकर मसलना शुरू किया और कहा- मुझे नहीं पता किस वजह से लंड नहीं झड़ रहा है लेकिन आप मुझे अधूरा मत छोड़ो, प्लीज़ मेरे लंड को शांत करो.
दीदी बोलीं- जा बॉथरूम में और हाथ से मुठ मार ले. अब मुझे चूत की जलन सही नहीं जा रही है. मैंने कहा- चलो चूत में नाही सही पीछे गांड में करवा लो. मैंने उनके जबाव का इन्तजार नहीं किया और उनको फिर से झुका कर उनकी गांड के छेद पर लंड का सुपारा टिकाने का प्रयास किया. पर लंड भी पूरा बहनचोद बन चुका था, वो साला फिर से दीदी की चूत की तरफ फिसल गया.
दीदी ने अपनी कमर हिलाई तो लंड चुत से हट गया. मुझे
अब मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू कर दिए, दीदी को भी मजा आने लगा, वो खुद अपने चूचे दबाने लगीं। मैंने दीदी की कमर पकड़ ली और हचक कर धक्के लगाने लगा। दीदी के पैर कांपने लगे और उनकी चूत पानी छोड़ने लगी। उनकी चूत मेरे लंड को भींच रही थी। दीदी की चूत की गर्मी से मैं भी ज्यादा समय टिक नहीं सका और चूत में अपना पानी छोड़ दिया।
साथ में दीदी भी झर गई झड़ने के बाद पास ही पड़ी पैंटी से दीदी ने अपनी चूत और मेरा लंड अच्छी तरह से साफ कर दिया। मैंने और दीदी ने कपड़े पहने और हम वापस नीचे आ गए। दीदी चूत मरवा कर बड़ी खुश लग रही थीं। खाना खाने का समय भी हो चुका था.. तो हम खाना खाने चले गए। खाना खाया और बाक़ी सब काम खत्म करके हम सब छत पर सोने चले गए।
आज जगह भी ज्यादा थी तो मैंने दीदी से थोड़ी दूर अपना गद्दा बिछा दिया.. और सबके सोने का इंतजार करने लगा। मैंने उनसे कहा कि मेरा लंड तो झाड़ दो, तो दीदी ने कहा कि आज तुझे क्या हो गया है.. तू अब तक दो बार झड़ गया है फिर भी इतना बोलते हुए दीदी मेरे पास खिसक गई और धीरे से मेरे लंड को अपने चूत में घुसा कर चुदवाने लगी.
और थोड़ी ही देर में दीदी झर गई और कांपते हुए बोली अब तू भी जल्दी झड़ जा और कितना देर करेगा मैंने उनको अपनी तरफ खींचते हुए उनके मम्मों को अपने हाथों में लेकर मसलना शुरू किया और कहा- मुझे नहीं पता किस वजह से लंड नहीं झड़ रहा है लेकिन आप मुझे अधूरा मत छोड़ो, प्लीज़ मेरे लंड को शांत करो.
दीदी बोलीं- जा बॉथरूम में और हाथ से मुठ मार ले. अब मुझे चूत की जलन सही नहीं जा रही है. मैंने कहा- चलो चूत में नाही सही पीछे गांड में करवा लो. मैंने उनके जबाव का इन्तजार नहीं किया और उनको फिर से झुका कर उनकी गांड के छेद पर लंड का सुपारा टिकाने का प्रयास किया. पर लंड भी पूरा बहनचोद बन चुका था, वो साला फिर से दीदी की चूत की तरफ फिसल गया.
दीदी ने अपनी कमर हिलाई तो लंड चुत से हट गया. मुझे
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
