15-03-2024, 03:46 PM
इतना सुनते ही वह बोली- अच्छा तो यह बात तो ठीक है कि भीड़ की वजह से धक्का लग जाता है.. पर तुम रात को भी मेरी मम्मी को बहुत तेज धक्के लगा रहे थे। मैं थोड़ी देर उसके चेहरे की ओर देखता रहा। मैंने पूछा- तुमको कैसे पता? वह थोड़ा मेरे पास आई और बोली- मुझे सब पता है कि तुम मम्मी के साथ सेक्स कर रहे थे और मैं यह बात अभी नीचे जाकर सबको बताने वाली हूँ।
मेरी तो गांड ही फट गई.. मैं बहुत घबरा गया और लगभग गिड़गिड़ाते हुए उससे बोला- प्लीज मुझे माफ़ कर दो.. अब ऐसी गलती कभी नहीं होगी। वह मेरा हाथ पकड़ कर बोली- मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी.. पर एक शर्त है। मैं बहुत खुश हो गया कि अगर यह कुछ नहीं बताएगी.. तो मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूँ।
मैंने उससे पूछा- कौन सी शर्त? वह बोली- शर्त यह है कि तुम्हें मुझे भी धक्के लगाने पड़ेंगे। कल जो काम तुमने मेरे चूचे सहला कर अधूरा छोड़ा था आज वो सब पूरा करना। पहले तो मैं भौचक्का रह गया.. फिर मैं बहुत खुश हो गया, मैंने उसी समय ‘हाँ’ कर दी। वह मुस्कुराते हुए बोली- कल मुझे अपने गांव जाना है.. तो तुम्हें यह काम आज रात को ही करना पड़ेगा।
अब हम दोनों नीचे आ गए। दीदी हम दोनों को नीचे आता देख रही थीं। सब रस्में भी खत्म हो चुकी थीं। अब मैं रात को सोने का इंतजार करने लगा, मैं पूरा समय साजिया को चोदने के सपनों में ही खोया रहा, उसकी बड़ी गांड देखकर बार-बार मेरा लंड खडा हो रहा था। मेरा लंड पैन्ट में तंबू बन गया था और बुरी तरह अकड़ गया था। “Chut Kaamras Incest Porn”
तभी दीदी उधर आईं और मेरे खड़े हुए लंड को देखकर बोलीं- अरे तेरा लंड तो खड़ा हो गया है। कोई ऐसे देखेगा.. तो क्या सोचेगा.. चल छत पर चाची की घर खाली है.. उधर इसको शांत करते हैं, मेरी चूत में भी बहुत खुजली हो रही है। दीदी अपनी गांड मटकाते हुए आगे चलने लगीं। उनकी गांड बहुत ही अच्छी लग रही थी। मैं भी अपने खड़े हुए लण्ड को छुपाते हुए उनके पीछे चल पड़ा।
वहाँ जाकर हम एक-दूसरे को चूमने लगे, वो मुझे पागलों की तरह चूम रही थीं। उनके होंठ बहुत ही रसीले थे, मैं भी होंठों को चूमने लगा। मुझे थोड़ा हटा कर वो खुद ही अपने कपड़े उतारने लगीं, पहले उसने अपनी साड़ी को उतार कर रख दिया, बाद में उनका ब्लाउज जो कि बहुत ही टाइट लग रहा था.. उनके बड़े-बड़े चूचे उसमें समां नहीं रहे थे।
उन्होंने ब्लाउज के साथ ब्रा भी उतार दी और उनके गोरे-गोरे चूचे आज़ाद हो गए। मैं उनके चूचों को जोर-जोर से दबाने लगा, उनके मुँह से मादक आवाजें निकलने लगीं। इधर मेरा लंड भी टाइट हो गया था तो मैंने दीदी का हाथ पकड़ कर मेरे लंड पर रख दिया। वो पैन्ट के ऊपर से ही उसे सहलाने लगीं। मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोलना चाहा.. पर खुल नहीं रहा था और मैं बहुत उत्तेजित हो गया था।
मैंने एक झटके से नाड़ा तोड़ दिया, इसके साथ ही पेटीकोट फर्श पर जा गिरा। अब दीदी सिर्फ पैन्टी में रह गई थीं, उनकी पैंटी लाल रंग की थी.. जो कि उनके गोरे बदन पर बहुत सेक्सी लग रही थी। थोड़ी देर बाद वह बोलीं- मुझे तुम्हारा लंड चूसना है.. काफी समय से किसी का लंड नहीं चूसा। दीदी रात को मेरा लण्ड नहीं चूस पाई थी।
वह खुद घुटनों के बल नीचे बैठ गईं और मेरी पैन्ट की ज़िप खोल दी, मेरा लंड बाहर निकाला.. पहले थोड़ी देर हाथ से मुठियाया.. फिर मुँह में लेकर चूसने लगीं। वो बिल्कुल रंडी की तरह लंड चूस रही थीं, पूरा लंड मुँह में लेने की कोशिश कर रही थीं.. जिससे कभी-कभी उनको खांसी भी आ जाती थी। “Chut Kaamras Incest Porn”
मैंने खुश होकर कहा- अरे वाह दीदी, आप तो बहुत अच्छे से लंड चूस रही हो.. लगता है आपने बहुत लंड चूसे हैं। मैंने अब कसके उनका सर पकड़ लिया और उनके मुँह में ही धक्के लगाने लगा। मैंने अपनी गति बढ़ा दी, थोड़ी देर में ही मैंने उनके गले में वीर्य की पिचकारी मार दी। अब मेरी बारी थी उनकी चूत का पानी निकालने की.. मैंने उन्हें नीचे लिटा दिया।
उन्होंने खुद अपनी पैंटी उतारकर साइड में रख दी और घुटने मोड़कर पैर फैला दिए.. जिससे उनकी चूत ऊपर की ओर उठ गई। उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.. और चूत एकदम पाव की तरह फूली हुई थी, थोड़े साँवले सी चूत के होंठ और उसके नीचे लाल छेद बड़ा ही प्यारा लग रहा था।
मैं चूत के दाने को चूसने लगा और एक हाथ से उनकी चूचियां भी दबाने लगा, उनके मुँह से लगातार मादक आहें निकल रही थीं। अब मैंने एक उंगली भी चूत में डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा, दीदी को बहुत मजा आ रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने दो उंगलियाँ चूत में डाल दीं और तेजी से अन्दर-बाहर करने लगा।
दीदी भी अपनी कमर उचकाने लगीं और उनकी चूत से पानी निकल पड़ा। मेरे होंठ उनके पानी से भीग गए। पानी निकल जाने से वो हाँफने लगीं और मुझे भी थोड़ी देर रुकने को कहा। कुछ पल आराम करने के बाद उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और बोलीं- अरे तेरा लंड तो फिर से खड़ा हो गया.. चल इसको मेरी चूत में डाल दे।
उस जगह खिड़की थोड़ी ऊपर थी.. जिसमें से रास्ते पर आने-जाने वाले लोग दिखते थे, मैंने दीदी को वह खिड़की पकड़ कर झुका दिया। अब उनकी मोटी गांड ठीक मेरे सामने थी। मैं लंड डालने ही वाला था कि वो पीछे मुड़ीं और बोलीं- ला तेरे लंड पर थूक लगाती हूँ.. नहीं तो मुझे बहुत दर्द होगा।
मेरी तो गांड ही फट गई.. मैं बहुत घबरा गया और लगभग गिड़गिड़ाते हुए उससे बोला- प्लीज मुझे माफ़ कर दो.. अब ऐसी गलती कभी नहीं होगी। वह मेरा हाथ पकड़ कर बोली- मैं किसी को कुछ नहीं बताऊँगी.. पर एक शर्त है। मैं बहुत खुश हो गया कि अगर यह कुछ नहीं बताएगी.. तो मैं कुछ भी करने के लिए तैयार हूँ।
मैंने उससे पूछा- कौन सी शर्त? वह बोली- शर्त यह है कि तुम्हें मुझे भी धक्के लगाने पड़ेंगे। कल जो काम तुमने मेरे चूचे सहला कर अधूरा छोड़ा था आज वो सब पूरा करना। पहले तो मैं भौचक्का रह गया.. फिर मैं बहुत खुश हो गया, मैंने उसी समय ‘हाँ’ कर दी। वह मुस्कुराते हुए बोली- कल मुझे अपने गांव जाना है.. तो तुम्हें यह काम आज रात को ही करना पड़ेगा।
अब हम दोनों नीचे आ गए। दीदी हम दोनों को नीचे आता देख रही थीं। सब रस्में भी खत्म हो चुकी थीं। अब मैं रात को सोने का इंतजार करने लगा, मैं पूरा समय साजिया को चोदने के सपनों में ही खोया रहा, उसकी बड़ी गांड देखकर बार-बार मेरा लंड खडा हो रहा था। मेरा लंड पैन्ट में तंबू बन गया था और बुरी तरह अकड़ गया था। “Chut Kaamras Incest Porn”
तभी दीदी उधर आईं और मेरे खड़े हुए लंड को देखकर बोलीं- अरे तेरा लंड तो खड़ा हो गया है। कोई ऐसे देखेगा.. तो क्या सोचेगा.. चल छत पर चाची की घर खाली है.. उधर इसको शांत करते हैं, मेरी चूत में भी बहुत खुजली हो रही है। दीदी अपनी गांड मटकाते हुए आगे चलने लगीं। उनकी गांड बहुत ही अच्छी लग रही थी। मैं भी अपने खड़े हुए लण्ड को छुपाते हुए उनके पीछे चल पड़ा।
वहाँ जाकर हम एक-दूसरे को चूमने लगे, वो मुझे पागलों की तरह चूम रही थीं। उनके होंठ बहुत ही रसीले थे, मैं भी होंठों को चूमने लगा। मुझे थोड़ा हटा कर वो खुद ही अपने कपड़े उतारने लगीं, पहले उसने अपनी साड़ी को उतार कर रख दिया, बाद में उनका ब्लाउज जो कि बहुत ही टाइट लग रहा था.. उनके बड़े-बड़े चूचे उसमें समां नहीं रहे थे।
उन्होंने ब्लाउज के साथ ब्रा भी उतार दी और उनके गोरे-गोरे चूचे आज़ाद हो गए। मैं उनके चूचों को जोर-जोर से दबाने लगा, उनके मुँह से मादक आवाजें निकलने लगीं। इधर मेरा लंड भी टाइट हो गया था तो मैंने दीदी का हाथ पकड़ कर मेरे लंड पर रख दिया। वो पैन्ट के ऊपर से ही उसे सहलाने लगीं। मैंने उनके पेटीकोट का नाड़ा खोलना चाहा.. पर खुल नहीं रहा था और मैं बहुत उत्तेजित हो गया था।
मैंने एक झटके से नाड़ा तोड़ दिया, इसके साथ ही पेटीकोट फर्श पर जा गिरा। अब दीदी सिर्फ पैन्टी में रह गई थीं, उनकी पैंटी लाल रंग की थी.. जो कि उनके गोरे बदन पर बहुत सेक्सी लग रही थी। थोड़ी देर बाद वह बोलीं- मुझे तुम्हारा लंड चूसना है.. काफी समय से किसी का लंड नहीं चूसा। दीदी रात को मेरा लण्ड नहीं चूस पाई थी।
वह खुद घुटनों के बल नीचे बैठ गईं और मेरी पैन्ट की ज़िप खोल दी, मेरा लंड बाहर निकाला.. पहले थोड़ी देर हाथ से मुठियाया.. फिर मुँह में लेकर चूसने लगीं। वो बिल्कुल रंडी की तरह लंड चूस रही थीं, पूरा लंड मुँह में लेने की कोशिश कर रही थीं.. जिससे कभी-कभी उनको खांसी भी आ जाती थी। “Chut Kaamras Incest Porn”
मैंने खुश होकर कहा- अरे वाह दीदी, आप तो बहुत अच्छे से लंड चूस रही हो.. लगता है आपने बहुत लंड चूसे हैं। मैंने अब कसके उनका सर पकड़ लिया और उनके मुँह में ही धक्के लगाने लगा। मैंने अपनी गति बढ़ा दी, थोड़ी देर में ही मैंने उनके गले में वीर्य की पिचकारी मार दी। अब मेरी बारी थी उनकी चूत का पानी निकालने की.. मैंने उन्हें नीचे लिटा दिया।
उन्होंने खुद अपनी पैंटी उतारकर साइड में रख दी और घुटने मोड़कर पैर फैला दिए.. जिससे उनकी चूत ऊपर की ओर उठ गई। उनकी चूत पर एक भी बाल नहीं था.. और चूत एकदम पाव की तरह फूली हुई थी, थोड़े साँवले सी चूत के होंठ और उसके नीचे लाल छेद बड़ा ही प्यारा लग रहा था।
मैं चूत के दाने को चूसने लगा और एक हाथ से उनकी चूचियां भी दबाने लगा, उनके मुँह से लगातार मादक आहें निकल रही थीं। अब मैंने एक उंगली भी चूत में डाल दी और अन्दर-बाहर करने लगा, दीदी को बहुत मजा आ रहा था। थोड़ी देर बाद मैंने दो उंगलियाँ चूत में डाल दीं और तेजी से अन्दर-बाहर करने लगा।
दीदी भी अपनी कमर उचकाने लगीं और उनकी चूत से पानी निकल पड़ा। मेरे होंठ उनके पानी से भीग गए। पानी निकल जाने से वो हाँफने लगीं और मुझे भी थोड़ी देर रुकने को कहा। कुछ पल आराम करने के बाद उन्होंने मेरा लंड पकड़ लिया और बोलीं- अरे तेरा लंड तो फिर से खड़ा हो गया.. चल इसको मेरी चूत में डाल दे।
उस जगह खिड़की थोड़ी ऊपर थी.. जिसमें से रास्ते पर आने-जाने वाले लोग दिखते थे, मैंने दीदी को वह खिड़की पकड़ कर झुका दिया। अब उनकी मोटी गांड ठीक मेरे सामने थी। मैं लंड डालने ही वाला था कि वो पीछे मुड़ीं और बोलीं- ला तेरे लंड पर थूक लगाती हूँ.. नहीं तो मुझे बहुत दर्द होगा।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
