15-03-2024, 03:44 PM
मैं भी सबकी नजर बचा कर छत पर पहुँचा तो वह सामने ही खड़ी थी। मैं कुछ बोलता.. उससे पहले ही वह बोल पड़ी- मेरी मम्मी के पीछे क्या कर रहे थे? कोई शर्म नाम की चीज है क्या तुममें? वो आपकी दीदी हैं मैंने थोड़े घबराते हुए कहा- वो मैं शादी की रस्म देखने की कोशिश कर रहा था.. तो थोड़ा सा धक्का लग गया
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
