15-03-2024, 03:43 PM
दीदी ने मुझे रोक दिया और गहरी साँसें लेने लगीं और बोलीं- मेरा काम हो गया है.. तुम भी जल्दी अपना पानी निकाल दो। मैंने दीदी की कमर कसके पकड़ ली और तेज-तेज धक्के मारने लगा। अब लण्ड पूरा जड़ तक अन्दर जा रहा था। दीदी की दर्द भरी ‘आहें..’ भी निकलने लगी थीं। अचानक लण्ड जोर से झटके खाने लगा और और मैंने बहुत सी वीर्य की पिचकारियां चूत में छोड़ दीं।
कुछ पलों के बाद मैंने लण्ड बाहर खींच लिया.. तो दीदी ने पीछे मुड़ कर मुझे गाल पर एक किस किया और बोली- थैंक यू.. मैंने अपना लण्ड पैन्ट में कर लिया और दीदी ने भी पैंटी पहन कर कम्बल ओढ़ लिया और सो गईं। अब रात के दो बज गए थे और थोड़ी ठण्ड भी लगने लगी थी। मैंने दीदी के कम्बल में घुसना चाहा..
पर वो चुदने के बाद आराम से सो गई थीं और उनका कम्बल भी छोटा था, उनके कम्बल में दो आदमी नहीं सो सकते थे.. तो मैं इधर-उधर कम्बल ढूंढने लगा। तभी मेरी नज़र साजिया यानि मेरी भांजी पर पड़ी, उसका कम्बल बहुत ही बड़ा था, मैं उसके साथ सो सकता था। मैं उसके कम्बल में घुस गया। उसका शरीर बहुत ही गर्म था।
वह मेरी तरफ मुँह करके लेटी हुई थी.. तो उसके रसीले होंठ बिल्कुल मेरे सामने थे। मैंने उसे हल्के से चूम लिया, मुझे बहुत ही मजा आया। उसने ऊपर टी-शर्ट और नीचे जीन्स पहन रखी थी। मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा था, मैंने उसके चूचों पर हल्के से हाथ फिराया। चूचे बहुत बड़े नहीं थे.. मुठ्ठी में आसानी से आ रहे थे। मैंने उनको थोड़ी देर दबाया.. तो साली हिलने लगी
कुछ पलों के बाद मैंने लण्ड बाहर खींच लिया.. तो दीदी ने पीछे मुड़ कर मुझे गाल पर एक किस किया और बोली- थैंक यू.. मैंने अपना लण्ड पैन्ट में कर लिया और दीदी ने भी पैंटी पहन कर कम्बल ओढ़ लिया और सो गईं। अब रात के दो बज गए थे और थोड़ी ठण्ड भी लगने लगी थी। मैंने दीदी के कम्बल में घुसना चाहा..
पर वो चुदने के बाद आराम से सो गई थीं और उनका कम्बल भी छोटा था, उनके कम्बल में दो आदमी नहीं सो सकते थे.. तो मैं इधर-उधर कम्बल ढूंढने लगा। तभी मेरी नज़र साजिया यानि मेरी भांजी पर पड़ी, उसका कम्बल बहुत ही बड़ा था, मैं उसके साथ सो सकता था। मैं उसके कम्बल में घुस गया। उसका शरीर बहुत ही गर्म था।
वह मेरी तरफ मुँह करके लेटी हुई थी.. तो उसके रसीले होंठ बिल्कुल मेरे सामने थे। मैंने उसे हल्के से चूम लिया, मुझे बहुत ही मजा आया। उसने ऊपर टी-शर्ट और नीचे जीन्स पहन रखी थी। मेरा लण्ड फिर से खड़ा होने लगा था, मैंने उसके चूचों पर हल्के से हाथ फिराया। चूचे बहुत बड़े नहीं थे.. मुठ्ठी में आसानी से आ रहे थे। मैंने उनको थोड़ी देर दबाया.. तो साली हिलने लगी
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.
![thanks thanks](https://xossipy.com/images/smilies/thanks.gif)