15-03-2024, 03:27 PM
फिर दीदी ने अपने हाथों से अपने दोनों चूतड़ फैलाए और बैठ कर दवाब डाला। मेरा आधा लंड अंदर चला गया। वह धीरे-धीरे धक्के लगा कर लंड अंदर बाहर करने लगी आखिर मेरा पूरा ल़ंड जड़ तक दीदी की गांड में चला गया। दीदी अब पूरा ल़ंड अपनी गांड में लेकल थोड़ी देर ऐसे ही बैठी रही और अपनी आंखों से आंसू पोंछने लगी। फिर आंखें बंद कर के ऊपर नीचे धक्के लगाने लगी। अब उसने मेरे हाथों मे अपने मोटे मोटे मम्में पकड़ा दिए और जोर से दबाने को कहा।
मुझे लगने लगा कि मेरा लंड फट जाएगा। अब दीदी जोर जोर से धक्के लगाने लगी। थोड़ी देर बाद मेरे लंड से तेज पिचकारी दीदी की गांड में छूट गयी और लंड ढीला होने लगा। तो दीदी मेरे ऊपर लेट गई और मेरी छाती से मम्में लगा कर मुझे काफ़ी देर तक चूमती रही। थोड़ी देर बाद मेरा लंड बाहर निकल गया और दीदी ने तौलिये से मेरे लंड और अपनी गांड को साफ़ किया और चादर ओढ़ कर मेरे साथ लेट गई और प्यार करने लगी।
बाहर बहुत जोर की बारिश हो रही थी। थोड़ी देर बाद हम उठ कर झुग्गी मे से बाहर देखने लगे. तो पशु पास में ही घास चर रहे थे और भैंसा भैंस के ऊपर चढ़ कर धक्के लगा रहा था। यह देख कर कर मैने नंगी खड़ी दीदी को पीछे से उसके मम्मों को पकड़ कर अपने साथ चिपका लिया, और मेरा लंड खड़ा हो कर उसकी गांड को चुभने लगा। दीदी ने एक हाथ पीछे करके मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी और कहने लगी कि तेरा लंड तो एक बार ठंडा हो गया है, पर मै अपनी फुदी का क्या करूं जो भट्ठी की तरह गरम हो गई है। “दीदी टांगे चौड़ी करके”
तो मैने कहा कि इसकी आग तो मेरा लंड ही बुझा सकता है एक बार डालने तो दो। दीदी ने मुझे धक्का देकर पीछे हटा दिया और कहने लगी कि इसे चाट कर भी तो ठंडा कर सकते हो। क्या एसा करोगे तो मैं मान गया क्योंकि मेरा दिल भी तो फुदी चाटने को कर रहा था। मैं खाट पर पीठ के वल लेट गया और दीदी मेरे मुंह पर फुदी रक्ख कर बैठने लगी. तो मैने कहा कि तुम भी मेरा चाटो।
दीदी घुटनों के वल बैठ कर झुक गई और मेरे लंड को मुंह में लेकर चाटने लगी। मैने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ पकड़ लिये और फुदी को चाटना शुरू कर दिया। हम दोनों को बहुत मजा आने लगा। थोड़ी देर बाद मैने अपने हाथों से फुदी को फैलाया और अपनी जीभ घुसा कर चाटने लगा. तो दीदी ने मेरा लंड मुंह से निकाल कर हाथ में पकड़ लिया और हाय हाय करने लगी. और कहने लगी हाय राजू और जोर से जीभ घुसा कर चाट, मेरी फुदी को खा जा।
और वह अपनी गांड हिला हिला कर फुदी को मेरे मुंह पर दबाने लगी। मेरी सांस रुकने लगी। फिर कहने लगी हाय राजू तेरा लंड बहुत प्यारा है। और कमर को हिलाते हुए उसने मेरा लंड फिर मुंह में ले लिया और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगी। अब मुझे भी बहुत मजा आने लगा और मैं भी अपनी जीभ और अंदर डाल कर हिलाने लगा। तभी दीदी ने एक चीख मारी और झट से उठ कर थूक से भरे मेरे लंड पर बैठ गयी और लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी फुदी में घुसाने लगी.
तो मैं बोल पड़ा कि दीदी यह क्या कर रही हो यह गांड नहीं फुदी है और तुम्हारी सील टूट जाएगी। दीदी चीख कर बोली मेरी फुदी आग से जल रही है और तुझे सील की पड़ी है। दीदी ने जोश में आकर जोर लगाया तो लंड थोड़ा अंदर जा कर रूक गया। उसने थोड़ा उठकर एक जोर का झटका मारा तो मेरा आधा लंड झटके से अंदर घुस गया। दीदी के मुंह से चीख निकल गई और फुदी से खून निकल पड़ा लेकिन दीदी रुकी नहीं और जोर जोर से ऊपर नीचे धक्के लगाती।
फिर मेरा पूरा लंड जड़ तक दीदी की फुदी मे चला गया और बच्चेदानी से टकराने लगा। दीदी उछल उछल चुदवाने तो मैने उस के उछलते हुए मम्मों को को पकड़ लिया तो दीदी बोली जोर से दबा इनको। थोड़ी देर स्पीड से चुदवाने के बाद दीदी ने आंखें बंद कर लीं और धीरे धीरे शांत हो गई और एक ठंडी सांस ले कर मेरे ऊपर लेट गई. और मेरे गालों को चूमने लगी और मेरे सिर पर हाथ फेरती हुई मुझे प्यार करने लगी।
मुझे लगने लगा कि मेरा लंड फट जाएगा। अब दीदी जोर जोर से धक्के लगाने लगी। थोड़ी देर बाद मेरे लंड से तेज पिचकारी दीदी की गांड में छूट गयी और लंड ढीला होने लगा। तो दीदी मेरे ऊपर लेट गई और मेरी छाती से मम्में लगा कर मुझे काफ़ी देर तक चूमती रही। थोड़ी देर बाद मेरा लंड बाहर निकल गया और दीदी ने तौलिये से मेरे लंड और अपनी गांड को साफ़ किया और चादर ओढ़ कर मेरे साथ लेट गई और प्यार करने लगी।
बाहर बहुत जोर की बारिश हो रही थी। थोड़ी देर बाद हम उठ कर झुग्गी मे से बाहर देखने लगे. तो पशु पास में ही घास चर रहे थे और भैंसा भैंस के ऊपर चढ़ कर धक्के लगा रहा था। यह देख कर कर मैने नंगी खड़ी दीदी को पीछे से उसके मम्मों को पकड़ कर अपने साथ चिपका लिया, और मेरा लंड खड़ा हो कर उसकी गांड को चुभने लगा। दीदी ने एक हाथ पीछे करके मेरे लंड को पकड़ लिया और सहलाने लगी और कहने लगी कि तेरा लंड तो एक बार ठंडा हो गया है, पर मै अपनी फुदी का क्या करूं जो भट्ठी की तरह गरम हो गई है। “दीदी टांगे चौड़ी करके”
तो मैने कहा कि इसकी आग तो मेरा लंड ही बुझा सकता है एक बार डालने तो दो। दीदी ने मुझे धक्का देकर पीछे हटा दिया और कहने लगी कि इसे चाट कर भी तो ठंडा कर सकते हो। क्या एसा करोगे तो मैं मान गया क्योंकि मेरा दिल भी तो फुदी चाटने को कर रहा था। मैं खाट पर पीठ के वल लेट गया और दीदी मेरे मुंह पर फुदी रक्ख कर बैठने लगी. तो मैने कहा कि तुम भी मेरा चाटो।
दीदी घुटनों के वल बैठ कर झुक गई और मेरे लंड को मुंह में लेकर चाटने लगी। मैने अपने दोनों हाथों से उसके चूतड़ पकड़ लिये और फुदी को चाटना शुरू कर दिया। हम दोनों को बहुत मजा आने लगा। थोड़ी देर बाद मैने अपने हाथों से फुदी को फैलाया और अपनी जीभ घुसा कर चाटने लगा. तो दीदी ने मेरा लंड मुंह से निकाल कर हाथ में पकड़ लिया और हाय हाय करने लगी. और कहने लगी हाय राजू और जोर से जीभ घुसा कर चाट, मेरी फुदी को खा जा।
और वह अपनी गांड हिला हिला कर फुदी को मेरे मुंह पर दबाने लगी। मेरी सांस रुकने लगी। फिर कहने लगी हाय राजू तेरा लंड बहुत प्यारा है। और कमर को हिलाते हुए उसने मेरा लंड फिर मुंह में ले लिया और जोर जोर से अंदर बाहर करने लगी। अब मुझे भी बहुत मजा आने लगा और मैं भी अपनी जीभ और अंदर डाल कर हिलाने लगा। तभी दीदी ने एक चीख मारी और झट से उठ कर थूक से भरे मेरे लंड पर बैठ गयी और लंड को हाथ से पकड़ कर अपनी फुदी में घुसाने लगी.
तो मैं बोल पड़ा कि दीदी यह क्या कर रही हो यह गांड नहीं फुदी है और तुम्हारी सील टूट जाएगी। दीदी चीख कर बोली मेरी फुदी आग से जल रही है और तुझे सील की पड़ी है। दीदी ने जोश में आकर जोर लगाया तो लंड थोड़ा अंदर जा कर रूक गया। उसने थोड़ा उठकर एक जोर का झटका मारा तो मेरा आधा लंड झटके से अंदर घुस गया। दीदी के मुंह से चीख निकल गई और फुदी से खून निकल पड़ा लेकिन दीदी रुकी नहीं और जोर जोर से ऊपर नीचे धक्के लगाती।
फिर मेरा पूरा लंड जड़ तक दीदी की फुदी मे चला गया और बच्चेदानी से टकराने लगा। दीदी उछल उछल चुदवाने तो मैने उस के उछलते हुए मम्मों को को पकड़ लिया तो दीदी बोली जोर से दबा इनको। थोड़ी देर स्पीड से चुदवाने के बाद दीदी ने आंखें बंद कर लीं और धीरे धीरे शांत हो गई और एक ठंडी सांस ले कर मेरे ऊपर लेट गई. और मेरे गालों को चूमने लगी और मेरे सिर पर हाथ फेरती हुई मुझे प्यार करने लगी।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.