15-03-2024, 03:26 PM
तो दीदी बोली हाय राजू मैने भी कभी किसी का खड़ा लंडे पास से नहीं देखा. और उस ने मेरा नाडा़ खोल कर मेरा बारिश में भीगा हुआ लंड बाहर निकाल लिया. तभी मैने भी उसकी सलवार का नाडा़ खोल दिया और गीली सलवार को नीचे खींच कर उसकी चूत को देखने लगा जो बहुत गोरी थी और उस पर भूरे रंग के बाल थे। मै बैठ कर उसे चाटने लगा। दीदी ने आंखें बंद कर लीं और सिसकारियां लेने लगी। “दीदी टांगे चौड़ी करके”
तभी मैं उठा और अपना तना हुआ लंड उसकी चूत पर रक्ख कर अंदर डालने की कोशिश करने लगा पर लंड बाहर ही घिसता रहा कयोंकि मुझे पता ही नहीं था कि चूत का छेद नीचे होता है। तभी दीदी ने आंखें खोलीं और कहा हाय मेरे प्यारे राजू फुदी का सुराख नीचे है पर में तेरा लंड इसमें नहीं ले सकती। तो मैने कहा कि आपनी गांड ही मारने दो। दीदी मान गयी और मैं दीदी के पीछे आ गया और जब दीदी की चौड़ी गांड को देखा तो मेरे होश उड़ गये।
दीदी की गीली और गोरी गांड और जांगें मक्खन की तरह लग रही थीं। उसके बडे़ बडे़ नितम्बों को देख कर मुझ से रहा नहीं गया और मैने दीदी की गांड पे अपना लंड रक्खा. और पतली कमर को पकड़ कर अपना लंड गांड में डालने की कोशिश की पर अंदर नहीं जा सका. तो दीदी ने कहा कि यहां पर नही हो सकेगा चलो कहीं आराम से करते हैं। हम ने अपने कपड़े पहन लिए ओर झुग्गी के अंदर चले आए।
फिर दीदी के कहने पर हमने अपने कपड़े खोल कर निचोड़ लिए और झुग्गी के अंदर टांग दिए. और दीदी ने बहां टंगी एक चादर को अपने शरीर पे लिपेट लिया, मैने एक पतला सा तौलिया अपनी कमर पे बांध रक्खा था। मैने दीदी को कमर से पकड़ कर खाट पर बिठा लिया और चादर उठा कर उसके नितम्बों पर हाथ फेरने लगा. इतने में मेरा लंड फिर से खड़ा हो कर तौलिये में से बाहर निकल आया।
दीदी ने उसे अपने हाथ में पकड़ लिया और हाथ को आगे पीछे करके सहलाने लगी। मैने जोश में आकर एक हाथ से एक मम्मे को पकड़ कर कहा दीदी अब मुझे अपनी चूत को चोदने दो प्लीज़. तो दीदी ने एक आह भरकर कहा कि राजू मेरी फुदी पे हाथ रक्ख कर देख कितनी गरम हो गई है. मेरा दिल कर रहा है कि अभी तेरा पुरा लंड अपनी चूत में घुसा लूं चाहे मुझे कितना भी दर्द क्यों न हो पर मजबूर हूँ और दीदी की आंख भर आई. “दीदी टांगे चौड़ी करके”
तभी मैं उठा और अपना तना हुआ लंड उसकी चूत पर रक्ख कर अंदर डालने की कोशिश करने लगा पर लंड बाहर ही घिसता रहा कयोंकि मुझे पता ही नहीं था कि चूत का छेद नीचे होता है। तभी दीदी ने आंखें खोलीं और कहा हाय मेरे प्यारे राजू फुदी का सुराख नीचे है पर में तेरा लंड इसमें नहीं ले सकती। तो मैने कहा कि आपनी गांड ही मारने दो। दीदी मान गयी और मैं दीदी के पीछे आ गया और जब दीदी की चौड़ी गांड को देखा तो मेरे होश उड़ गये।
दीदी की गीली और गोरी गांड और जांगें मक्खन की तरह लग रही थीं। उसके बडे़ बडे़ नितम्बों को देख कर मुझ से रहा नहीं गया और मैने दीदी की गांड पे अपना लंड रक्खा. और पतली कमर को पकड़ कर अपना लंड गांड में डालने की कोशिश की पर अंदर नहीं जा सका. तो दीदी ने कहा कि यहां पर नही हो सकेगा चलो कहीं आराम से करते हैं। हम ने अपने कपड़े पहन लिए ओर झुग्गी के अंदर चले आए।
फिर दीदी के कहने पर हमने अपने कपड़े खोल कर निचोड़ लिए और झुग्गी के अंदर टांग दिए. और दीदी ने बहां टंगी एक चादर को अपने शरीर पे लिपेट लिया, मैने एक पतला सा तौलिया अपनी कमर पे बांध रक्खा था। मैने दीदी को कमर से पकड़ कर खाट पर बिठा लिया और चादर उठा कर उसके नितम्बों पर हाथ फेरने लगा. इतने में मेरा लंड फिर से खड़ा हो कर तौलिये में से बाहर निकल आया।
दीदी ने उसे अपने हाथ में पकड़ लिया और हाथ को आगे पीछे करके सहलाने लगी। मैने जोश में आकर एक हाथ से एक मम्मे को पकड़ कर कहा दीदी अब मुझे अपनी चूत को चोदने दो प्लीज़. तो दीदी ने एक आह भरकर कहा कि राजू मेरी फुदी पे हाथ रक्ख कर देख कितनी गरम हो गई है. मेरा दिल कर रहा है कि अभी तेरा पुरा लंड अपनी चूत में घुसा लूं चाहे मुझे कितना भी दर्द क्यों न हो पर मजबूर हूँ और दीदी की आंख भर आई. “दीदी टांगे चौड़ी करके”
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.