15-03-2024, 03:24 PM
दीदी मेरे होठों को चूमने लगी फिर उसने अपना एक मम्माा मेरे मुंह मे डाल दिया और चूसने को कहा. मैं भी उसके एक मम्मे को चूसने और दूसरे को एक हाथ से पकड़ कर जोर जोर से दबाने लगा। तभी शालू दीदी ने अपनी सलवार का नाडा़ खोल दिया और मेरा लंड पकड़ कर अपनी गीली चूत पर रगड़ने लगी। थोड़ी देर बाद वह जोश मे आ गयी और लंड को जोर जोर से अपनी चूत पर रगड़ने लगी. इतने मे मेरे लंड से पानी निकल गया पर वह उसे अपनी चूत रगड़ती रही और थोड़ी देर बाद शांत हो गई।
इतने मे बारिश थम चुकी थी और मैने चाचा जी को आवाज लगाई कि मै अपने घर को जा रहा हूँ. तो चाचाजी ने कहा कि अंधेरा बहुत है शालू टारच ले कर तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ आएगी. तब शालू दीदी ने टारच उठाई और मुझे घर छोड़ने चल पड़ी। रास्ता मक्की के खेतों मे से गुजरता था। जब हम घरों दूर मक्की के खेतों मे पहुंचे तो शालू दीदी ने मुझ से पूछा कि तुझे कुछ मजा आया तो मैने कहा कहा कि आया तो बहुत पर आपने बाहर ही कर दिया।
दीदी ने मुझे अपने गले लगा कर झूमते कहा कि तेरा बहुत मोटा और लम्बा है. यह तो मेरी फाड़ देता और तीन महीने बाद मेरी शादी भी है फिर मैं तेरे जीजा को क्या दिखाऊंगी। तू चाहे तो कभी मुझे पीछे से कर लेना क्योंकि तू मुझे बहुत प्यारा लगता है। इसीलिए तेरे लिए मैं दर्द भी सहन कर लूंगी। यह बात सुन कर मैं बहुत ही खुश हुआ क्योंकि मुझे भी उसकी चौड़ी गांड बहुत प्यारी लगती थी।
मैने दीदी को अपनी बाहों मे लेकर अपने सीने से लगा लिया और दोनों हाथ उसकी गांड पे रख कर उसे अपनी ओर खींच लिया। अब मेरा लंड दीदी के पेट मे चुभने लगा तो दीदी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और कहा कि जब भी मौका मिलेगा मैं इसे अपने अंदर जरूर लूंगी अब तुम अपने घर को चलो। मैं अपने घर पहुंच गया और वह भी बापस अपने घर को चली गई। मैं रात भर अपना लंड हाथ मे लेकर उसकी गांड के बारे में सोचता रहा।
अगले दिन सुवह जब मैं जागा तो चाचाजी हमारे घर पर आए हुए थे और मेरे पिताजी से कह रहे थे. कि वह आज चाची के साथ किसी काम से शहर जा रहे हैं इसीलिए घर और पशुओं का खयाल रखना. तो मेरे पिताजी ने कहा कि आप चिंता न करें हम वहू यनिकि मेरी भाभी को तुम्हारे घर भेज देंगे वह घर का खयाल रक्खेगी. और शालू और राजू पशुओं को लेकर हमारे आम के बगीचे के पास वाली पहाड़ी पर चले जाएंगे यहां पर बहुत सी हरी घास है और आम के फलों की बंदरों से रखबाली भी कर लेंगे। “दीदी टांगे चौड़ी करके”
तब चाचा जी खुश हो कर अपने घरको चले गये। मैने नहा धो कर नाशता किया और शालू दीदी के आने का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर बाद दीदी अपने पशुओं को हांकती हुई आ गयी आज वह बहुत खुश लग रही थी, उसने ब्लैक कलर की सलवार और क्रीम कलर का कुर्ता पहन रक्खा था और अपने मोटे मोटे मम्मों को ब्लैक कलर की चुनी से ढांप रक्खा रखा था।
इतने मे बारिश थम चुकी थी और मैने चाचा जी को आवाज लगाई कि मै अपने घर को जा रहा हूँ. तो चाचाजी ने कहा कि अंधेरा बहुत है शालू टारच ले कर तुम्हें तुम्हारे घर तक छोड़ आएगी. तब शालू दीदी ने टारच उठाई और मुझे घर छोड़ने चल पड़ी। रास्ता मक्की के खेतों मे से गुजरता था। जब हम घरों दूर मक्की के खेतों मे पहुंचे तो शालू दीदी ने मुझ से पूछा कि तुझे कुछ मजा आया तो मैने कहा कहा कि आया तो बहुत पर आपने बाहर ही कर दिया।
दीदी ने मुझे अपने गले लगा कर झूमते कहा कि तेरा बहुत मोटा और लम्बा है. यह तो मेरी फाड़ देता और तीन महीने बाद मेरी शादी भी है फिर मैं तेरे जीजा को क्या दिखाऊंगी। तू चाहे तो कभी मुझे पीछे से कर लेना क्योंकि तू मुझे बहुत प्यारा लगता है। इसीलिए तेरे लिए मैं दर्द भी सहन कर लूंगी। यह बात सुन कर मैं बहुत ही खुश हुआ क्योंकि मुझे भी उसकी चौड़ी गांड बहुत प्यारी लगती थी।
मैने दीदी को अपनी बाहों मे लेकर अपने सीने से लगा लिया और दोनों हाथ उसकी गांड पे रख कर उसे अपनी ओर खींच लिया। अब मेरा लंड दीदी के पेट मे चुभने लगा तो दीदी ने मेरे लंड को पकड़ लिया और कहा कि जब भी मौका मिलेगा मैं इसे अपने अंदर जरूर लूंगी अब तुम अपने घर को चलो। मैं अपने घर पहुंच गया और वह भी बापस अपने घर को चली गई। मैं रात भर अपना लंड हाथ मे लेकर उसकी गांड के बारे में सोचता रहा।
अगले दिन सुवह जब मैं जागा तो चाचाजी हमारे घर पर आए हुए थे और मेरे पिताजी से कह रहे थे. कि वह आज चाची के साथ किसी काम से शहर जा रहे हैं इसीलिए घर और पशुओं का खयाल रखना. तो मेरे पिताजी ने कहा कि आप चिंता न करें हम वहू यनिकि मेरी भाभी को तुम्हारे घर भेज देंगे वह घर का खयाल रक्खेगी. और शालू और राजू पशुओं को लेकर हमारे आम के बगीचे के पास वाली पहाड़ी पर चले जाएंगे यहां पर बहुत सी हरी घास है और आम के फलों की बंदरों से रखबाली भी कर लेंगे। “दीदी टांगे चौड़ी करके”
तब चाचा जी खुश हो कर अपने घरको चले गये। मैने नहा धो कर नाशता किया और शालू दीदी के आने का इंतजार करने लगा। थोड़ी देर बाद दीदी अपने पशुओं को हांकती हुई आ गयी आज वह बहुत खुश लग रही थी, उसने ब्लैक कलर की सलवार और क्रीम कलर का कुर्ता पहन रक्खा था और अपने मोटे मोटे मम्मों को ब्लैक कलर की चुनी से ढांप रक्खा रखा था।
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.