15-03-2024, 02:58 PM
फिर दीदी लाल रंग की टी-शर्ट पहनने लगीं.. उन्होंने उसके नीचे ब्रा भी नहीं पहनी और फिर एक जीन्स निकाली और पहन कर मेकअप करने लगीं।
तभी उनका ध्यान खिड़की पर पड़ा और वो खिड़की के पास आकर मेरी खिड़की की तरफ देखने लगीं। चूँकि लाइट बंद होने की वजह से उन्हें कुछ दिखा नहीं, उन्होंने खिड़की बंद कर दी और चली गईं।
फिर मैंने उनके नाम की एक बार मुठ मारी और कुछ देर तक बिस्तर पर पड़ा रहा।
कुछ दिनों बाद मेरे घर के सभी लोग पूजा करने के लिए मथुरा गए और घर में सिर्फ मैं और मेरे पापा ही रह गए। पापा सुबह-सुबह दुकान चले गए.. वो शाम को वापस आते हैं।
मैं भी उस दिन कॉलेज नहीं गया और अपने दोस्त के साथ घूमने निकल गया। अभी एक घंटा ही हुआ था कि एक फ्रेंड ने मुझे ब्लू-फ़िल्म की सीडी दे दी और मैं उसे देखने के लिए घर आ गया।
मेरे घर में एक ही टीवी है.. जो नीचे वाले कमरे में रखा हुआ है। सो मैंने गेट बंद कर दिया और फिर आराम से ब्लू-फ़िल्म देखने लग गया। सोफे पर बैठ कर मैं अपने हाथों से अपने लण्ड को पकड़ कर हिलाने लगा।
कुछ देर बाद मेरे घर की डोरबेल बजी.. तो मैंने सोचा इस वक़्त कौन होगा.. मुझे लगा मेरा कोई दोस्त होगा.. तो मैंने सिर्फ चैनल बदल कर टीवी मोड पर कर दिया और सीडी को पॉज कर दिया।
मैं दरवाजा खोलने चला गया।
मैंने जब दरवाजा खोला तो देखा शालू दीदी मेरे सामने खड़ी थीं, वो जीन्स और स्लीवलैस टी-शर्ट पहने हुए थीं।
मैं उन्हें देख कर चौंक गया और मेरी आवाज भी रुकने लगी।
दीदी- मेरे घर का टीवी ख़राब हो गया है और मुझे एक सीरियल देखना है।
इतना कहते ही वो घर के अन्दर चली आईं.. और मैं वहीं देखता रह गया।
फिर मैंने दरवाजा बंद किया और अन्दर कमरे में आया तो देखा कि दीदी सोफे पर बैठ कर अपना सीरियल देख रही थीं।
मैं भी एक तरफ बैठ कर देखने लगा और सोचने लगा कि कहीं दीदी वो सीडी मोड न चला दें।
मेरा ध्यान सीरियल में कम था। तभी अचानक ब्रेक हो गया और दीदी चैनल बदलने लगीं.. और इधर मेरा दिल धड़कने लगा।
तभी उनका ध्यान सीडी प्लेयर्स की लाइट पर पड़ी।
दीदी- कोई मूवी देख रहे थे क्या?
मैं- घबराते हुए नहीं तो..
फिर उन्होंने तुरंत सीडी मोड लगा दिया और स्क्रीन पर एक नंगा लड़का और लड़की लेटी हुई पोजीशन में पॉज थे।
दीदी यह देख कर मेरे तरफ देखने लगीं और मैं भी उनके तरफ देख रहा था।
दीदी- तो आप यही सब देखते हैं?
मैं- दीदी वो आज पहली बार देख रहा था।
दीदी ने घूरते हुए पूछा- झूठ.. सच-सच बताओ कब से चल रहा है ये सब?
मैं- दीदी कुछ दिनों से देख रहा हूँ।
दीदी फिर खड़ी हुईं और कमरे के बाहर जाने लगीं.. मैं वहीं बैठा रहा।
तभी अचानक वो फिर वापस आईं और मेरे ठीक सामने बैठ गईं और कहने लगीं- मैं ये बात किसी को नहीं बताऊँगी.. लेकिन तुम्हें कुछ मेरे लिए भी करना होगा।
मैंने सोचा कोई छोटा सा काम होगा.. तो मैं मान गया।
दीदी उठीं और मेरी सोफे पर आकर मेरे ऊपर बैठ गईं।
दीदी- मैं कैसी लगती हूँ?
मैं- यह आप क्या पूछ रही हैं?
दीदी- मैंने जितना पूछा.. उतना बताओ।
मैं- अच्छी लगती हैं।
फिर वो अपने मम्मों को आगे करके मेरे चहरे पर रगड़ने लगीं।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं उन्हें हटाता रहा.. उन्होंने मुझसे कहा- तुमने मुझे वादा किया था।
मैं सोचने लगा और खुश भी होने लगा कि जिनके नाम का मैं मुठ मारता हूँ.. आज वो खुद मेरी बाँहों में हैं।
उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और मुझे किस करने लगीं। मैं भी उनका साथ देने लगा और उनके बड़े-बड़े चूचों को दबाने भी लगा।
कुछ देर बाद वो मेरे बेल्ट को खोलने लगीं.. तो मैंने मना किया और कहा- मेरे कमरे में चलो।
वो ‘हाँ’ बोलीं.. और मुझे चुम्बन करने लगीं।
उनका वजन ज्यादा नहीं था.. तो मैंने उन्हें उसी पोजीशन में उठा लिया। उन्होंने टीवी बंद किया और रिमोट फेंक कर मुझसे लटक गईं। मैं उन्हें अपने कमरे में ले जाने लगा।
हम दोनों एक-दूसरे को किस करते रहे और मैं अपना हाथ उनकी गाण्ड पर फेरने लगा। उन्हें बहुत मज़ा आ रहा था और उन्होंने मुझे और जोर से दबा लिया।
मैंने कमरे में पहुँच कर उनको बिस्तर पर गिरा दिया और फिर लाइट बन्द करके उनके ऊपर चढ़ गया। मैंने उनको चूमना स्टार्ट किया और एक हाथ से उनकी चूची को दबाने लगा। मैंने दूसरे हाथ को उनकी चूत पर रख दिया। उन्होंने भी अपने एक हाथ से मेरे लण्ड को पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया।
मैं अब नीचे आया और उनकी जीन्स को धीरे-धीरे नीचे किया और निकाल दिया। फिर उनकी रेड कलर की पैंटी के ऊपर से ही चूमने लगा और फिर एक झटके में पैन्टी को निकाल दिया।
उनकी गोरी चूत मेरे सामने थी.. मैंने उसे चूसना स्टार्ट किया। वो मदहोश हो गईं और अजीब-अजीब सी आवाजें निकालने लगीं।
कुछ देर बाद मैंने उनकी टी-शर्ट को भी निकाल फेंका और उनकी चूचियों को भी फ्री कर दिया।
अब वो उठीं.. उन्होंने पहले मेरी शर्ट को फिर पैंट के बेल्ट को सेक्सी अन्दाज़ में निकाला और मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया। अब हम दोनों एक-दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे थे।
दीदी- तुम्हारा तो ज्यादा बड़ा नहीं है।
मैं- मेरा बड़ा नहीं है.. मतलब आप किसी और से चुदवा चुकी हैं?
दीदी ने घबराते हुए कहा- नहीं तो..
मैं- बताओ न प्लीज़..
दीदी- तुम राहुल को जानते हो न.. उससे..
राहुल हमारे मोहल्ले का ही लड़का है मुझसे 4 साल बड़ा है।
फिर उन्होंने मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगीं और फिर तुरंत मुँह में लेकर चूसने लगीं।
मैं बोर होने लगा था क्योंकि मुझे दीदी को चोदना था.. तो मैंने उन्हें हटाया और उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी चूत पर अपना लण्ड रख कर डालने लगा।
मेरा लण्ड तुरंत उनकी चूत में चला गया और मैं उन्हें पोजीशन बदल-बदल कर चोदने लगा।
देर तक की चुदाई के बाद मैं झड़ गया.. पर दीदी नहीं झड़ी थीं।
मैं उनके ऊपर लेट गया और उन्हें पकड़ कर ढेर हो गया।
कुछ देर बाद मैंने देखा कि दीदी मेरे लण्ड के साथ खेल रही थीं।
मैंने उनके मम्मों को दबाया और अपने बगल में लिटा लिया और उनको वो सब बात बता दी कि कैसे मैं उन्हें रोज़ देखता हूँ।
तो दीदी ने कहा- यानि कि तू मुझपे पहले से ही नज़र रखता था।
फिर दीदी ने अपने कपड़े पहने और मैंने भी.. फिर हम दोनों नीचे आ गए।
वो अपने घर चली गईं।
दीदी अब जब भी कपड़े बदलती हैं तो मुझे खिड़की से दिखाती हैं।
समाप्त
तभी उनका ध्यान खिड़की पर पड़ा और वो खिड़की के पास आकर मेरी खिड़की की तरफ देखने लगीं। चूँकि लाइट बंद होने की वजह से उन्हें कुछ दिखा नहीं, उन्होंने खिड़की बंद कर दी और चली गईं।
फिर मैंने उनके नाम की एक बार मुठ मारी और कुछ देर तक बिस्तर पर पड़ा रहा।
कुछ दिनों बाद मेरे घर के सभी लोग पूजा करने के लिए मथुरा गए और घर में सिर्फ मैं और मेरे पापा ही रह गए। पापा सुबह-सुबह दुकान चले गए.. वो शाम को वापस आते हैं।
मैं भी उस दिन कॉलेज नहीं गया और अपने दोस्त के साथ घूमने निकल गया। अभी एक घंटा ही हुआ था कि एक फ्रेंड ने मुझे ब्लू-फ़िल्म की सीडी दे दी और मैं उसे देखने के लिए घर आ गया।
मेरे घर में एक ही टीवी है.. जो नीचे वाले कमरे में रखा हुआ है। सो मैंने गेट बंद कर दिया और फिर आराम से ब्लू-फ़िल्म देखने लग गया। सोफे पर बैठ कर मैं अपने हाथों से अपने लण्ड को पकड़ कर हिलाने लगा।
कुछ देर बाद मेरे घर की डोरबेल बजी.. तो मैंने सोचा इस वक़्त कौन होगा.. मुझे लगा मेरा कोई दोस्त होगा.. तो मैंने सिर्फ चैनल बदल कर टीवी मोड पर कर दिया और सीडी को पॉज कर दिया।
मैं दरवाजा खोलने चला गया।
मैंने जब दरवाजा खोला तो देखा शालू दीदी मेरे सामने खड़ी थीं, वो जीन्स और स्लीवलैस टी-शर्ट पहने हुए थीं।
मैं उन्हें देख कर चौंक गया और मेरी आवाज भी रुकने लगी।
दीदी- मेरे घर का टीवी ख़राब हो गया है और मुझे एक सीरियल देखना है।
इतना कहते ही वो घर के अन्दर चली आईं.. और मैं वहीं देखता रह गया।
फिर मैंने दरवाजा बंद किया और अन्दर कमरे में आया तो देखा कि दीदी सोफे पर बैठ कर अपना सीरियल देख रही थीं।
मैं भी एक तरफ बैठ कर देखने लगा और सोचने लगा कि कहीं दीदी वो सीडी मोड न चला दें।
मेरा ध्यान सीरियल में कम था। तभी अचानक ब्रेक हो गया और दीदी चैनल बदलने लगीं.. और इधर मेरा दिल धड़कने लगा।
तभी उनका ध्यान सीडी प्लेयर्स की लाइट पर पड़ी।
दीदी- कोई मूवी देख रहे थे क्या?
मैं- घबराते हुए नहीं तो..
फिर उन्होंने तुरंत सीडी मोड लगा दिया और स्क्रीन पर एक नंगा लड़का और लड़की लेटी हुई पोजीशन में पॉज थे।
दीदी यह देख कर मेरे तरफ देखने लगीं और मैं भी उनके तरफ देख रहा था।
दीदी- तो आप यही सब देखते हैं?
मैं- दीदी वो आज पहली बार देख रहा था।
दीदी ने घूरते हुए पूछा- झूठ.. सच-सच बताओ कब से चल रहा है ये सब?
मैं- दीदी कुछ दिनों से देख रहा हूँ।
दीदी फिर खड़ी हुईं और कमरे के बाहर जाने लगीं.. मैं वहीं बैठा रहा।
तभी अचानक वो फिर वापस आईं और मेरे ठीक सामने बैठ गईं और कहने लगीं- मैं ये बात किसी को नहीं बताऊँगी.. लेकिन तुम्हें कुछ मेरे लिए भी करना होगा।
मैंने सोचा कोई छोटा सा काम होगा.. तो मैं मान गया।
दीदी उठीं और मेरी सोफे पर आकर मेरे ऊपर बैठ गईं।
दीदी- मैं कैसी लगती हूँ?
मैं- यह आप क्या पूछ रही हैं?
दीदी- मैंने जितना पूछा.. उतना बताओ।
मैं- अच्छी लगती हैं।
फिर वो अपने मम्मों को आगे करके मेरे चहरे पर रगड़ने लगीं।
यह कहानी आप अन्तर्वासना डॉट कॉम पर पढ़ रहे हैं !
मैं उन्हें हटाता रहा.. उन्होंने मुझसे कहा- तुमने मुझे वादा किया था।
मैं सोचने लगा और खुश भी होने लगा कि जिनके नाम का मैं मुठ मारता हूँ.. आज वो खुद मेरी बाँहों में हैं।
उन्होंने मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे और मुझे किस करने लगीं। मैं भी उनका साथ देने लगा और उनके बड़े-बड़े चूचों को दबाने भी लगा।
कुछ देर बाद वो मेरे बेल्ट को खोलने लगीं.. तो मैंने मना किया और कहा- मेरे कमरे में चलो।
वो ‘हाँ’ बोलीं.. और मुझे चुम्बन करने लगीं।
उनका वजन ज्यादा नहीं था.. तो मैंने उन्हें उसी पोजीशन में उठा लिया। उन्होंने टीवी बंद किया और रिमोट फेंक कर मुझसे लटक गईं। मैं उन्हें अपने कमरे में ले जाने लगा।
हम दोनों एक-दूसरे को किस करते रहे और मैं अपना हाथ उनकी गाण्ड पर फेरने लगा। उन्हें बहुत मज़ा आ रहा था और उन्होंने मुझे और जोर से दबा लिया।
मैंने कमरे में पहुँच कर उनको बिस्तर पर गिरा दिया और फिर लाइट बन्द करके उनके ऊपर चढ़ गया। मैंने उनको चूमना स्टार्ट किया और एक हाथ से उनकी चूची को दबाने लगा। मैंने दूसरे हाथ को उनकी चूत पर रख दिया। उन्होंने भी अपने एक हाथ से मेरे लण्ड को पैंट के ऊपर से ही पकड़ लिया।
मैं अब नीचे आया और उनकी जीन्स को धीरे-धीरे नीचे किया और निकाल दिया। फिर उनकी रेड कलर की पैंटी के ऊपर से ही चूमने लगा और फिर एक झटके में पैन्टी को निकाल दिया।
उनकी गोरी चूत मेरे सामने थी.. मैंने उसे चूसना स्टार्ट किया। वो मदहोश हो गईं और अजीब-अजीब सी आवाजें निकालने लगीं।
कुछ देर बाद मैंने उनकी टी-शर्ट को भी निकाल फेंका और उनकी चूचियों को भी फ्री कर दिया।
अब वो उठीं.. उन्होंने पहले मेरी शर्ट को फिर पैंट के बेल्ट को सेक्सी अन्दाज़ में निकाला और मुझे बिल्कुल नंगा कर दिया। अब हम दोनों एक-दूसरे के सामने बिल्कुल नंगे थे।
दीदी- तुम्हारा तो ज्यादा बड़ा नहीं है।
मैं- मेरा बड़ा नहीं है.. मतलब आप किसी और से चुदवा चुकी हैं?
दीदी ने घबराते हुए कहा- नहीं तो..
मैं- बताओ न प्लीज़..
दीदी- तुम राहुल को जानते हो न.. उससे..
राहुल हमारे मोहल्ले का ही लड़का है मुझसे 4 साल बड़ा है।
फिर उन्होंने मुझे अपने पास खींच लिया और मेरे लण्ड को अपने हाथ में लेकर हिलाने लगीं और फिर तुरंत मुँह में लेकर चूसने लगीं।
मैं बोर होने लगा था क्योंकि मुझे दीदी को चोदना था.. तो मैंने उन्हें हटाया और उन्हें बिस्तर पर लिटा दिया और उनकी चूत पर अपना लण्ड रख कर डालने लगा।
मेरा लण्ड तुरंत उनकी चूत में चला गया और मैं उन्हें पोजीशन बदल-बदल कर चोदने लगा।
देर तक की चुदाई के बाद मैं झड़ गया.. पर दीदी नहीं झड़ी थीं।
मैं उनके ऊपर लेट गया और उन्हें पकड़ कर ढेर हो गया।
कुछ देर बाद मैंने देखा कि दीदी मेरे लण्ड के साथ खेल रही थीं।
मैंने उनके मम्मों को दबाया और अपने बगल में लिटा लिया और उनको वो सब बात बता दी कि कैसे मैं उन्हें रोज़ देखता हूँ।
तो दीदी ने कहा- यानि कि तू मुझपे पहले से ही नज़र रखता था।
फिर दीदी ने अपने कपड़े पहने और मैंने भी.. फिर हम दोनों नीचे आ गए।
वो अपने घर चली गईं।
दीदी अब जब भी कपड़े बदलती हैं तो मुझे खिड़की से दिखाती हैं।
समाप्त
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.