15-03-2024, 12:17 PM
रोज़ी- “अरे सर, आपने नीलू को रोका नहीं। वो अंदर... मैं… ये…”
मैं- “अरे, मैं काम में बिजी था और वो पता नहीं कैसे? मुझे पता ही नहीं चला”
रोज़ी- “वो… ओह… मैं तो…”
मैं- “अरे इतना घबरा क्यों रही हो? शादीशुदा हो, समझदार हो, हो जाता है ऐसा। कोई बड़ी बात नहीं है”
रोज़ी- “वो सब अचानक, मेरे को तो पता ही नहीं था। और आप भी?”
मैं- “अरे यार, कुछ नहीं हुआ, इतनी सुन्दर तो हो तुम, जरा सा देख लिया तो क्या हो गया? वैसे एक बात बोलूँ?”
रोज़ी ने अपनी नजर बिल्कुल नीचे कर रखी थी। वो बहुत शरमा रही थी। लेकिन इतना शुक्र था कि वो कमरे से बाहर नहीं गई थी वो मुझसे बात कर रही थी।
रोज़ी- “क्या सर?”
मैं- “तुम अपने नाम से लेकर अंदर तक गुलाब ही हो, मतलब गुलाबी”
रोज़ी- “धत्त… क्या कह रहे हो सर आप?”
मैं- “सच यार… मजा आ गया। कच्छी से लेकर अंदर तक सब गुलाबी था”
रोज़ी- “आप भी ना सर, अपने सब देख लिया?”
मैं- “अरे यार इतना सुन्दर दृश्य कौन छोड़ता है और वाकयी बहुत प्यारी लग रही थी”
रोज़ी के चेहरे से लग रहा था कि उसको मेरी बात अच्छी लग रही है।
रोज़ी- “यह नीलू भी बहुत गन्दी है। ये सब उसकी वजह से हुआ”
मैं- “हा हा... मेरे लिए तो बहुत लकी रही यार और तुमको उससे बदला लेना हो तो ले लो जाओ दरवाजा खोल दो। हा… हा…”
रोज़ी- “धत्त... मैं ऐसी नहीं हूँ। आपका मन कर रहा हो तो आप खुद खोलकर देख लीजिये”
मैं- “अरे इतनी खूबसूरत देखने के बाद तो अब किसी और की देखने का दिल ही नहीं करेगा। सच बहुत सुन्दर है तुम्हारी”
और अब रोज़ी तुरंत केबिन से बाहर निकल गई। मगर हाँ केबिन का दरवाजा बंद करते हुए उसके चेहरे की मुस्कुराहट उसकी ख़ुशी को दर्शा रही थी। कुछ देर बाद नीलू भी अपने काम में लग गई। अब ऑफिस का कुछ काम भी करना था।
दोपहर को लंच करने के बाद मैंने सलोनी को फोन लगाया, उधर से मधु की आवाज आई- “कौन..??”
मैं- “अरे मधु तू… क्या हुआ? सलोनी कहाँ है??”
मधु- “अरे भैया! हम कॉलेज में हैं… भाभी की जॉब लग गई है… वो अंदर हैं”
मैं- “क्यों? तू बाहर क्यों है?”
मधु- “अरे अंदर उनका इंटरव्यू चल रहा है, वो कुछ समझा रहे थे”
मैं- “ओह… मगर तू उसका ध्यान रख देख वो क्या कर रही है?”
मधु- “हाँ भइया… पर क्यों?”
मैं- “तुझसे जो कहा, वो कर ना”
मधु- “पर वो अपने कोई पुराने दोस्त के साथ हैं, वो क्या नाम बोला था? हाँ याद आया मनोज… वो उनके कोई पुराने दोस्त हैं वो ही हैं यहाँ बड़े वाले टीचर”
मेरे दिमाग में एक झनका सा हुआ अरे मनोज वो तो कहीं वही तो नहीं। मुझे याद आया सलोनी ने एक दो बार बताया था। उसका फोन भी आया था शायद। मनोज उसके कॉलेज के समय से दोस्त था पर हो सकता है कि कोई और हो।
तभी मधु की आवाज आई- “भैया… ये तो… अंदर…”
मैं- “क्या अंदर? क्या हो रहा है?”
मधु- “व्व्व्व्व्व्वो भाभी अंदर… और व्व्व्वो…”
मधु ने के ऐसी बात बताई कि मेरे कान खड़े हो गए। झूठ नहीं बोलूंगा कान के साथ लण्ड भी खड़ा हो गया था।
मधु- “भैया… भाभी अंदर कमरे में हैं, यहाँ उनका कोई दोस्त ही बड़ा सर है वो क्या बताया था हाँ मनोज नाम है उनका”
मैंने दिमाग पर ज़ोर डाला उसने बताया था कि कॉलेज में उसके विनोद और मनोज बहुत अच्छे दोस्त थे, दोनों हमारी शादी में भी आये थे। मैंने मधु को कमरे में देखने को बोला।
मधु- “व्वव… व्वव… वो भाभी तो मनोज सर की गोद में बैठी हैं”
मैं सारा किस्सा एकदम से समझ गया। दिल चाह रहा था कि भागकर वहाँ पहुँच जाऊँ।
मैंने मधु को निर्देश दिया- “सुन मधु फोन ऐसे ही वहीं खिड़की पर रख दे, स्पीकर उनकी तरफ रखना और तू वहीं खड़े होकर देखती रह”
मधु ने तुरंत ही यह काम कर दिया और मुझे आवाज आने लगी।
मनोज- “सच सलोनी, कसम से तुम तो बहुत सेक्सी हो गई हो। मुझे पहले पता होता तो चाहे कुछ हो जाता, मैं तो तुमसे ही शादी करता”
सलोनी- “हाँ… और जैसे मैं कर ही लेती? मैंने तो पहले ही सोच रखा था कि शादी माँ डैड की मर्जी से ही करूँगी और यकीन मानना, मैं बहुत खुश हूँ”
“पुच्छ पुच च च च च च पुच…”
सलोनी- “ओह क्या करते हो मनोज… अपना मुँह पीछे रखो ना, जब से आई हूँ, चूमे ही जा रहे हो”
मनोज- “अरे यार, कंट्रोल ही नहीं हो रहा”
सलोनी- “हाँ, वो तो मुझे नीचे पता चल रहा है, कितना चुभ रहा है”
मनोज- “हा हा हा… यार, यह तुमको देखकर हमेशा ही खड़ा होकर सलाम करता था मगर तुमने कभी इस बेचारे का ख्याल ही नहीं किया”
सलोनी- “अच्छा… तो तुम्हारे दोस्त के साथ दगा करती?”
मनोज- “इसमें दगा की क्या बात थी यार? तुम तो हमेशा से खुले माइंड की रही हो। ऐसे तो अब भी तुम अपने पति से दगा कर रही हो”
सलोनी- “क्यों ऐसा क्या किया मैंने, ऐसी मस्ती तो तुम पहले भी किया करते थे। हे… हे… क्यों याद है बुद्धू या याद दिलाऊँ?”
मनोज- “अरे उस मस्ती के बाद ही तो मैं पागल हो जाता था फिर पता नहीं क्या क्या करता था। तुम तो हाथ लगाने ही नहीं देती थी। तुम्हारे लिए तो बस विनोद ही सब कुछ था”
सलोनी- “अरे नहीं यार… तुम ही कुछ डरपोक किस्म के थे”
मनोज- “अच्छा मैं डरपोक था?? वो तो विनोद की समझ कुछ नहीं कहता था वरना न जाने कबका सब कुछ कर देता”
सलोनी- “अच्छा जी क्या कर देते??? बोल तो पाते नहीं थे और करने की बात करते हो”
मनोज- “बड़ी बेशरम हो गई है तू”
सलोनी- “मैं हो गई हूँ बेशरम, यह तेरा हाथ कहाँ जा रहा है। चल हटा इसको”
मनोज- “अरे यार, बहुत दिनों से तेरी ये चीजें नहीं देखी। शादी के बाद तो कितना मस्ता गई है। जरा टटोलकर ही देखने दे”
सलोनी- “जी बिल्कुल नहीं, ये सब अब उनकी अमानत है। तुमने गोद में बैठने को बोला तो प्यार में मैं बैठ गई। बस इससे ज्यादा कुछ नहीं, समझे बुद्धू वरना मैं तुम्हारे यहाँ जॉब नहीं करुँगी”
TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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