12-03-2024, 06:31 PM
ऐसा लग रहा था जैसे चुदाई का बैकग्राउंड म्यूजिक चल रहा है। और मुझे अचानक होश आया, नीलू पर जैसे कोई फर्क नहीं पड़ा। वो मुझे अपनी लाल आँखों से देख रही थी कि क्यों निकाल लिया, फिर से पूरी ताकत से डाल दो ना।
मैंने जल्दी से उसको उठाकर फिर से मेज के नीचे घुसा दिया और इस बार उसके कपड़े भी नीचे गिरा दिए।
मैं- “कम इन”
और तुरंत दरवाजा खुला, रोज़ी का सुन्दर चेहरा नजर आया। उसने नीली पारदर्शी साड़ी और स्लीवलेस ब्लाउज पहना था। ब्लाउज से उसकी ब्रा भी नजर आ रही थी। एक टाइट बन्धी साड़ी में उसके शरीर के अंग अच्छी तरह उभर कर प्रदर्शित हो रहे थे।
उसने मुझे मुस्कुराकर देखा- “गुड मॉर्निंग सर”
मैं- “हाँ क्या हुआ?”
मैंने फिर से खुद को काम में खोया दिखाया।
रोज़ी- “सर वो दामोदर दास जी वाला काम हो गया है। आप एक बार देख लेते”
मैं- “ठीक है तुम फाइल छोड़ दो, मैं देख लूंगा और तुम्हारा दिल लग रहा है ना, काम सही लग रहा है?”
रोज़ी- “हाँ सर, यहाँ का माहौल बहुत अच्छा है और सभी लोग भी बहुत मिलनसार हैं”
मैं- “ठीक है, मन लगाकर काम करो। जल्दी ही तुम्हारी तरक्की हो जाएगी”
रोज़ी- “थैंक यू सर, क्या मैं आपका बाथरूम यूज़ कर सकती हूँ सर? बाहर का बहुत गन्दा हो रहा है”
वैसे भी ज्यादातर लेडीज स्टाफ ये अंदर का ही बाथरूम यूज़ करती थीं तो उसमे कोई प्रॉब्लम नहीं थी और मैं उसको मना भी कैसे कर सकता था।
मैं- “हाँ हाँ क्यों नहीं, जरा ध्यान से लॉक ख़राब है”
रोज़ी- “हा हा, मुझे पता है सर पर अभी तो आप हैं ना, किसी को अंदर नहीं आने देंगे”
और वो बड़ी सेक्सी मुस्कान छोड़कर बाथरूम में चली गई।
थैंक्स गॉड कि उसने एक बार भी पीछे घूमकर नहीं देखा वरना बाथरूम मेरी कुर्सी के सीधी तरफ पीछे की ओर था, उसको सब कुछ दिखाई दे सकता था।
इतनी देर में चुदाई का मूड सब ख़त्म हो गया था, मैंने जल्दी से अपना अंडरवियर और पेंट सही करके पहन ली और नीलू को भी कपड़े पहनने को बोला क्योंकि जब वो वापस आएगी तो पक्का उसको सब दिख जाने वाला था।
नीलू ने भी तुरंत अपनी कुर्ती पहनी और लेग्गिंग भी चढ़ा ली। पर तभी नीलू को शरारत सूझी, मुझे आँख मारते हुए वो बाथरूम की ओर चली गई। मैं उत्सुकता से उसे देखने लगा पता नहीं अब क्या करने वाली थी।
मगर उसकी हर शरारत से मुझे फ़ायदा ही पहुँचता था इसलिए मैं कभी कुछ नहीं कहता था और उसने एकदम से बाथरूम का दरवाजा खोल दिया।
ओह माय गॉड !!!
क्या नजारा था !!!!!!!!
दरवाजा अंदर की ओर खुलता था। अंदर सफ़ेद लाइट झमाझम चमक रही थी। उसमे एक तरफ ही वेस्टर्न सीट लगी थी। मैं जहाँ खड़ा था, वहाँ से वो जगह साफ़ दिख रही थी। कहते हैं ना कि कोई-कोई दिन आपके लिए बहुत भाग्यशाली होता है तो आज यह भी देखना था। मैंने सबसे पहले शानदार पूरे नंगे चूतड़ देखे।
क्या लुभावना दृश्य था...!!!
मेरी आँखें तो पलक झपकना ही भूल गई। मैं एकटक उसको निहार रहा था। दरअसल रोज़ी अभी अभी ही शू शू करके उठी होगी।उसने अपनी नीली साड़ी पूरी ऊपर कर अपने बाएं हाथ से पकड़ी हुई थी और उसकी कच्छी जो शायद गुलाबी ही थी जैसी वहाँ से दिख रही थी, उसने अपने घुटनों तक उतार रखी थी और वो हल्के से झुक कर फ्लश कर रही थी। वो इतनी मग्न थी कि उसको पता ही नहीं चला कि बाथरूम का दरवाजा खुल गया है।
मेरी आँखों ने भरपूर उसके मतवाले चूतड़ों के दर्शन किये। अभी मैं कुछ सोच ही रहा था कि नीलू ने एक और हरकत कर दी। उसने ऐसे जाहिर किया जैसे उसको कुछ पता ही नहीं है।
वो तेज आवाज में बोली- “अररररर ऐ एई… तू यहाँ रोज़ी?”
और स्वभाविक ही रोज़ी ने घूमकर उसको देखा। उसने वो कर दिया जिसकी उम्मीद न तो मुझे थी और ना शायद नीलू को ही।
रोज़ी- “हाय राम”
और उसने अपनी साड़ी दोनों हाथों से पकड़ी और शरमा कर अपने चेहरे तक ले जाकर ढक ली। इस दृश्य की तो मैंने कल्पना भी नहीं की थी। रोज़ी के घूमने से उसकी गुलाबी कच्छी ढीली हो उसके घुटनों से सरक कर नीचे गिर गई। उसकी साड़ी और उसका पेटीकोट दोनों वो खुद पूरा उठाकर अपने चेहरे तक ले गई थी। उसका कमर के नीचे का भाग पूरा नंगी अवस्था में बाथरूम की सफ़ेद चमकती लाइट से भी ज्यादा चमक रहा था।
पतली कमर, पिचका हुआ पेट, लम्बी टाँगें, गोल सफ़ेद चिकनी जांघें और जांघों के बीच फूली हुई चूत का उभार खिला खिला साफ दिख रहा था।
यह तो नहीं पता चला कि उस पर बाल थे या नहीं और अगर थे तो कितने बड़े। वैसे जितनी साफ़ वो दिख रही थी उस हिसाब से तो चिकनी ही होगी या होंगे तो थोड़े थोड़े ही होंगे। दिल चाह रहा था कि अंदर जाऊं और उसके इन प्यारे होंठों पर अपने होंठ रख दूँ।
रोज़ी की तो जैसे आवाज ही नहीं निकल रही थी मगर नीलू पूरे होश में थी। वो चाहती तो दरवाजा बंद कर देती और सब कुछ सही हो जाता मगर वो तो किसी और ही मूड में थी।
वो अंदर जाकर रोज़ी के कंधे पर हाथ रख कर बोली- “अरे सॉरी यार, मुझे नहीं पता था कि तू अंदर है। चल अब तेरा तो हो गया ना”
रोज़ी- “तू बहुत गन्दी है रे! तू बाहर जा ना”
नीलू- “हा हा क्या बात करती हो दीदी? आपका तो हो गया ना, अब आप बाहर जाओ ना, मुझे भी तो करनी है”
और अस्वभाविक रूप से नीलू नीचे बैठ गई और रोज़ी की कच्छी को पकड़ ऊपर करने लगी। इतनी देर में मैंने रोज़ी की चूत के भरपूर दर्शन कर लिए थे।
नीलू- “अब कपड़े तो सही कर लो दीदी, कब तक अपनी मुनिया को हवा लगाओगी?”
अब जैसे रोज़ी को होश आया कि चेहरा छुपाने के लिए उसने क्या कर दिया था और नीलू तो पिछले एक साल में मेरे साथ रहकर पूरी बेशर्म हो ही गई थी। उसने कच्छी को रोज़ी के चूतड़ों पर चढ़ाते हुए अपने एक हाथ से रोज़ी की गुलाबी चूत को सहलाया और कच्छी के अंदर करते हुए बोली- “बहुत प्यारी है दीदी अपनी मुनिया, इसको धो तो लिया था ना?”
और रोज़ी ने अब अपनी साड़ी छोड़कर नीचे कर दिया और नीलू के धप्प लगाते हुए बोली- “पूरी पागल ही है तू, चल हट”
अभी तक शायद उसको पता नहीं था या वो मेरे बारे में बिलकुल भूल ही गई थी कि मैं बाहर कमरे में से दोनों की हर हरकत को देख रहा हूँ। रोज़ी बाहर आ दरवाजा अभी बंद ही कर रही थी, इतनी देर में नीलू अपनी कुर्ती ऊपर उठा अपनी लेग्गिंग चूतड़ों से नीचे खिसका सीट पर बैठने की तैयारी कर रही थी।
रोज़ी- “अरे दरवाजा तो बंद करने देती, तू सच पूरी पागल है… हे… हे”
और जैसे ही रोज़ी दरवाजा बंद कर घूमी, मुझे देख उसे सब कुछ अहसास हो गया। वो बुरी तरह झेंप गई और अब शरमा रही थी।
TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
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