12-03-2024, 04:36 PM
फिर उनके ऊपर आकर लंड उनकी चूत में डालकर उनको हचक कर चोदने लगा.
उन्होंने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर पर जकड़ दीं और मैंने शज़िया आंटी की चूत में अपना सारा वीर्य गिरा दिया.
मैं आंटी से चिपक कर लेटा रहा.
आंटी ने भी पैर और दोनों हाथों से मुझे जकड़ा हुआ था.
थोड़ी देर बाद मैं उठा, उनकी चूत में अपने ही वीर्य से सना हुआ लंड निकाला. लंड अब लटका हुआ था लेकिन तभी आंटी ने मुझे रोका और लपक कर मेरा लंड मुँह में भर लिया.
उन्होंने अच्छे से पूरा लंड चाट कर साफ कर दिया.
उसके बाद मैंने कपड़े पहने और बाहर आ गया. मैंने देखा कि बारिश बन्द हो चुकी थी और कपड़े सूख चुके थे.
कपड़े पहनकर आंटी तैयार हुईं, फिर हम दोनों ने लंच किया.
फिर आंटी ने कहा- निखिल, मेरे लिए कैब बुला दे बेटा.
पता नहीं क्या हुआ … मैंने उनके होंठों को अपने मुँह में भर लिया और देर तक स्मूच करता रहा.
अब आंटी जाने के लिए तैयार थीं.
बाहर कैब इन्तज़ार कर रही थी और शज़िया आंटी मेरी बांहों में थीं.
जाते जाते उन्होंने बोला- जब जरूरत हो याद कर लेना अपनी आंटी को!
मुस्कुराती हुई वो निकल गयीं.
उन्होंने अपनी दोनों टांगें मेरी कमर पर जकड़ दीं और मैंने शज़िया आंटी की चूत में अपना सारा वीर्य गिरा दिया.
मैं आंटी से चिपक कर लेटा रहा.
आंटी ने भी पैर और दोनों हाथों से मुझे जकड़ा हुआ था.
थोड़ी देर बाद मैं उठा, उनकी चूत में अपने ही वीर्य से सना हुआ लंड निकाला. लंड अब लटका हुआ था लेकिन तभी आंटी ने मुझे रोका और लपक कर मेरा लंड मुँह में भर लिया.
उन्होंने अच्छे से पूरा लंड चाट कर साफ कर दिया.
उसके बाद मैंने कपड़े पहने और बाहर आ गया. मैंने देखा कि बारिश बन्द हो चुकी थी और कपड़े सूख चुके थे.
कपड़े पहनकर आंटी तैयार हुईं, फिर हम दोनों ने लंच किया.
फिर आंटी ने कहा- निखिल, मेरे लिए कैब बुला दे बेटा.
पता नहीं क्या हुआ … मैंने उनके होंठों को अपने मुँह में भर लिया और देर तक स्मूच करता रहा.
अब आंटी जाने के लिए तैयार थीं.
बाहर कैब इन्तज़ार कर रही थी और शज़िया आंटी मेरी बांहों में थीं.
जाते जाते उन्होंने बोला- जब जरूरत हो याद कर लेना अपनी आंटी को!
मुस्कुराती हुई वो निकल गयीं.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.