12-03-2024, 04:35 PM
यहाँ तक तो सब ठीक था क्योंकि मेरे ऑफिस में कोई ऐसे नहीं आ सकता था और ना ही किसी को कुछ दिखाई दे सकता था परन्तु इस समय हमारे ऑफिस में काम करने वाला चपरासी मदन लाल जो 52 साल का ठरकी बुड्ढा है, मेरे केबिन के दरवाजे के बाहर खड़ा था और अंदर आने के लिए खटखटा रहा था।
खट खट… खट खट…
मैं- “कम इन”
और कुछ हो भी नहीं सकता था पर हाँ मैंने अपनी कुर्सी को खिसकाकर मेज के बिल्कुल पास कर ली जिससे नीलू मेज के अंदर को हो गई। अब सामने वाले को कुछ नहीं दिख सकता था। तभी दरवाजा खुला और मदन लाल कॉफ़ी लेकर अंदर आ गया। साधारण सी पैंट शर्ट पहने, अधपके बाल और शेव बढ़ी हुई। दिखने में बहुत साधारण मगर हर समय उसका मुँह और आँखें चलती रहती हैं। अपने काम में माहिर है।
मदन लाल- “साहब कॉफ़ी”
मैंने वहीं सामने रखी एक फाइल को देखने का बहाना किया- “हाँ रख दो”
और नीलू को तो न जाने क्यों कोई शर्म ही नहीं थी, वो अभी भी मेरे लण्ड को पकडे चाटने और चूसने में लगी थी। उसको यह भी चिंता नहीं थी कि उसकी कोई हल्की सी आवाज भी अगर मदन लाल ने सुन ली तो वो रोज उसे चिड़ाने लगेगा और अगर मदन लाल थोड़ा सा भी मेरे दाईं ओर आया, जो अक्सर कुछ न कुछ करने वो आ ही जाता है, तो मेज के नीचे घुसी पूरी नंगी नीलू उसको दिख जाएगी।
मगर अभी तक ऐसी कोई स्थिति नहीं बनी थी।
मैं अपने चेहरे पर कोई भी भाव नहीं आने दे रहा था जबकि जिस तरह नीलू मेरे लण्ड से खेल रही थी, ऐसे तो मेरा दिल जोर जोर से चीखने का कर रहा था। नीलू मेरे लण्ड को ऊपर नीचे खींचती, उसके टॉप को लोलीपोप की तरह चूसती, लण्ड को ऊपर उठाकर गोलियों को मुँह में ले लेती, पूरे लण्ड को चाटती। उसकी आवाजें कमरे में सुनाई न दें, इसलिए मैंने लेपटोप पर एक कंपनी का वीडियो ओन कर दिया। इसीलिए मदन लाल को कुछ सुनाई नहीं दे रहा था, वरना उस जैसा पारखी इंसान एकदम समझ जाता कि ये तो लण्ड चूसने की आवाजें हैं।
मदन लाल कॉफ़ी रखकर बोला- “और कुछ साब? वो रोज़ी मेमसाब मिलने को बोल रही थी, कह रही थी कि जो आपने काम दिया था उसमें कुछ पूछना है”
रोज़ी 26-27 साल की एक शादीशुदा महिला है, उसने खुद को बहुत मेन्टेन कर रखा है। 36-28-34 की कुछ सांवली मगर अच्छी सूरत वाली रोज़ी कुल मिलाकर बहुत खूबसूरत दिखती है। उसने अभी एक महीने पहले ही ज्वाइन किया था इसलिए उसको यहाँ के बारे में ज्यादा नहीं पता था।
मैंने मदन लाल को जल्दी भेजने के चक्कर में बोल दिया- “ठीक है, भेज देना उसको”
मगर मदन लाल पूरा घाघ आदमी था- “अरे नीलू मेमसाब कहाँ हैं साब, कॉफ़ी ठंडी हो जायेगी”
ओ बाप रे…
साले ने मेज पर रखे कपड़े देख लिए थे। उसके होंठों पर एक कुटिल मुस्कान थी।
मैं जरा आवाज में कठोरता लाते हुए- “तुझे मतलब? अपना काम कर, वो बाथरूम में है”
मदन लाल- “व्व… व…व…वो साब यहाँ उनके कपड़े??”
मैं- “हाँ वो अपनी ड्रेस ही बदलने गई है और तू अपना काम से मतलब रखा कर, समझा?”
मेरी हालत ख़राब थी, मैं इधर मदन लाल को समझाने में लगा था और नीचे नीलू हंस भी रही थी और मेरे लण्ड को नोच या काट भी रही थी।
मैं कुछ भी रियेक्ट नहीं कर पा रहा था। समझ नहीं आ रहा था कि कैसे खुद को रोकूँ। मगर थैंक्स गॉड! मदन लाल बाहर चला गया।
मुझे नीलू पर इतना गुस्सा आ रहा था कि मैंने तुरंत उसको मेज के नीचे से निकाला और मेज पर लिटा दिया। उसकी दोनों टांगों को फैलाकर सीधे उसकी पूरी चूत अपने मुँह में भर ली और दांतों से काटने लगा।
अब मचलने की बारी नीलू की थी। वह बुरी तरह सिसकार रही थी और अपनी कमर हिलाये जा रही थी। मैं अपने दोनों हाथों की मुट्ठियों में उसके चूतड़ों को पकड़ कस कस कर दबाने लगा तो जरा सी देर में नीलू की हालत बुरी हो गई, वो छोड़ने के लिए मिन्नतें करने लगी।
नीलू- “नहींईइइइइ… छोड़ दीजिये ना.. आह्ह्ह्ह्ह्हाआआ… नहींईइइ… आआअ… अब्बब्बब नहींई अह्ह्ह”
मैंने उसको उसी अवस्था में रखा और अपनी पैंट खोल दी, मेरी पैंट नीचे मेरे जूतों पर जाकर ठहर गई। मैंने अंडरवियर भी नीचे घुटनों तक उतार अपने मस्ताने लण्ड को आज़ाद किया और नीलू की मेरे थूक से गीली चूत के छेद पर टिका एक ही बार में अंदर ठोक दिया। ठक की आवाज से लण्ड पूरा चूत की जड़ तक चला गया।
पिछले 24 घंटे में यह चौथी चूत थी जिसमें मेरा लण्ड प्रवेश कर रहा था।
मगर शायद आज किस्मत उतनी अच्छी नहीं थी, अभी लण्ड ने जगह बनाई ही थी कि एक बार फिर…
ठक ठक… ठक ठक…
दरवाजे पर फिर दस्तक हुई।
और इस बार कोई महीन आवाज थी। ओह रोज़ी, मर गए, मैं तो भूल ही गया था। अब क्या होगा..??
नीलू को पहले भी ऑफिस में मैंने कई बार चोदा था मगर हमेशा दोपहर के बाद या फिर शाम को। मैं हमेशा यह ध्यान रखता था कि अब कोई नहीं आने वाला है, और सभी कार्य निबटने के बाद ही उसको चोदता था मगर आज तो सुबह आते ही यह कार्यक्रम सेट हो गया था इसीलिए हद हो गई यार…
पहले मदन लाल नीलू के कपड़े देख गया। ना जाने क्या क्या सोच रहा होगा और अब बिल्कुल नई स्टाफ, वो भी शादीशुदा, दरवाजे के बाहर खड़ी थी। नीलू पूरी नंगी अपनी टाँगें फैलाये मेरी मेज पर लेटी थी। और मैं लगभग नंगा, पैंट और अंडरवियर दोनों मेरे जूतों पर पड़े रो रहे थे। मेरा लण्ड जड़ तक नीलू की चूत में घुसा था। मैं उसकी चूचियों को मसलता हुआ उसकी चूत में धक्के लगा रहा था और दरवाजे के बाहर खड़ी रोज़ी की दरवाजे पर की जा रही खट-खट..
TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!
Love You All