12-03-2024, 04:26 PM
(This post was last modified: 12-03-2024, 04:53 PM by neerathemall. Edited 1 time in total. Edited 1 time in total.)
उनके गालों की दीवारों पर बनती हुई मेरे लंड की आकृति बार बार मुझे उत्तेजित कर रही थी.
वो मेरा लंड पूरे मज़े लेकर चूस और पी रही थीं.
तभी मेरे मन में आया कि मुझे भी आंटी की बुर चाटनी चाहिए.
मैंने कहा- आंटी, मैं लेट रहा हूं आप मेरे ऊपर आ जाओ. आप मेरी तरफ गांड करके बैठो और आप मुझे अपनी झांटों वाली बुर चाटने दो.
ये सुनकर आंटी ने कहा- हम्म … मेरा बेटा अपनी आंटी के साथ 69 चाहता है.
अब हम दोनों ही एक दूसरे को मज़े दे रहे थे.
आंटी को मेरा आठ इंच का मोटा लंड चूसने में मज़ा आ रहा था और मुझे आंटी की महकती चूत चाटने में उनका कामरस मिल रहा था.
लंड चूसते चूसते आंटी ने कहा- निखिल, अपनी आंटी की चूत कैसी लगी बेटा?
‘एकदम जवान चूत है आंटी, एकदम टाइट … जैसे किसी जवान लौंडिया की चुत हो.’
‘तो चाट अपनी शज़िया की चूत.’
ये बोलकर आंटी अपनी गांड घुमा घुमा कर मेरे होंठों पर अपनी चूत घिसने लगीं.
उनकी चूत की कोमल फांकें मेरे होंठों पर बहुत मज़ा दे रही थीं.
अब मेरा लंड पूरी तरह से तैयार था अपनी शज़िया आंटी को चोदने के लिए.
तभी आंटी बोलीं- बेटा अब रहा नहीं जाता, अब चोद दो अपनी शज़िया आंटी को.
‘सच आंटी?’
‘हां मेरे बेटे.’
आंटी के अन्दर की रंडी जाग चुकी थी. वो मेरा लंड के लिए बेड पर नागिन के जैसे तड़प रही थीं.
मैंने आंटी से कहा- शज़िया कुतिया बनोगी?
‘हां … कुतिया, घोड़ी जो कहो, वो बनेगी तेरी शज़िया बस अब तू अपने लंड की सैर करा दे मेरे लाल.’
ये कहकर आंटी अपनी गांड फैलाकर मेरे सामने घोड़ी बन गईं.
मैं उनकी गांड का छेद चाटने लगा. शज़िया आंटी मस्तियाने लगीं और बोलीं- ये मज़ा तो आज तक तेरे अंकल भी ना दे पाए. आह तू बहुत मज़े दे रहा है निखिल. तेरी आंटी आज से तेरी गुलाम हुई. जब मन करे, जितना मन करे, चोद लिया करना अपनी आंटी को!
‘सच आंटी.’
‘हां मेरा बेटा.’
बस
वो मेरा लंड पूरे मज़े लेकर चूस और पी रही थीं.
तभी मेरे मन में आया कि मुझे भी आंटी की बुर चाटनी चाहिए.
मैंने कहा- आंटी, मैं लेट रहा हूं आप मेरे ऊपर आ जाओ. आप मेरी तरफ गांड करके बैठो और आप मुझे अपनी झांटों वाली बुर चाटने दो.
ये सुनकर आंटी ने कहा- हम्म … मेरा बेटा अपनी आंटी के साथ 69 चाहता है.
अब हम दोनों ही एक दूसरे को मज़े दे रहे थे.
आंटी को मेरा आठ इंच का मोटा लंड चूसने में मज़ा आ रहा था और मुझे आंटी की महकती चूत चाटने में उनका कामरस मिल रहा था.
लंड चूसते चूसते आंटी ने कहा- निखिल, अपनी आंटी की चूत कैसी लगी बेटा?
‘एकदम जवान चूत है आंटी, एकदम टाइट … जैसे किसी जवान लौंडिया की चुत हो.’
‘तो चाट अपनी शज़िया की चूत.’
ये बोलकर आंटी अपनी गांड घुमा घुमा कर मेरे होंठों पर अपनी चूत घिसने लगीं.
उनकी चूत की कोमल फांकें मेरे होंठों पर बहुत मज़ा दे रही थीं.
अब मेरा लंड पूरी तरह से तैयार था अपनी शज़िया आंटी को चोदने के लिए.
तभी आंटी बोलीं- बेटा अब रहा नहीं जाता, अब चोद दो अपनी शज़िया आंटी को.
‘सच आंटी?’
‘हां मेरे बेटे.’
आंटी के अन्दर की रंडी जाग चुकी थी. वो मेरा लंड के लिए बेड पर नागिन के जैसे तड़प रही थीं.
मैंने आंटी से कहा- शज़िया कुतिया बनोगी?
‘हां … कुतिया, घोड़ी जो कहो, वो बनेगी तेरी शज़िया बस अब तू अपने लंड की सैर करा दे मेरे लाल.’
ये कहकर आंटी अपनी गांड फैलाकर मेरे सामने घोड़ी बन गईं.
मैं उनकी गांड का छेद चाटने लगा. शज़िया आंटी मस्तियाने लगीं और बोलीं- ये मज़ा तो आज तक तेरे अंकल भी ना दे पाए. आह तू बहुत मज़े दे रहा है निखिल. तेरी आंटी आज से तेरी गुलाम हुई. जब मन करे, जितना मन करे, चोद लिया करना अपनी आंटी को!
‘सच आंटी.’
‘हां मेरा बेटा.’
बस
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.