12-03-2024, 04:18 PM
(This post was last modified: 12-03-2024, 04:52 PM by neerathemall. Edited 2 times in total. Edited 2 times in total.)
मैं एक नया नया बिजनेसमैन हूं और अपने घर से ही अपना सारा काम करता हूं.
मेरी कमाई ठीक ठाक कमाई है और अभी शादी नहीं हुई है.
हालांकि मेरी उम्र लगभग 32 साल हो गयी है लेकिन कुछ मजबूरियों और मेरी खुद की आर्थिक उथल-पुथल के चलते अभी तक शादी की नौबत नहीं आई है.
जैसा कि आप लोग जानते ही होंगे कि शादी ना होने पर भी आपके शरीर की यौन आवश्यकताएं तो पूरी करनी ही पड़ती हैं और जब वो ना पूरी ना हो रही हों, तो खुद से ही उन्हें शांत करना पड़ता है.
चलिए खैर … अब उस दिन की बात शुरू करते हैं, जिस दिन की घटना मैं आप सभी से मॉम फ्रेंड सेक्स कहानी के रूप में साझा करने जा रहा हूं.
मेरी माता जी की एक सहेली हैं वो उनकी किटी पार्टी की सहेली.
उनका नाम शाजियाहै.
शाजिया आंटी की उम्र यही कोई 40 वर्ष की होगी लेकिन देखने में सिर्फ 35-36 की लगती हैं.
उनकी कोई सन्तान भी नहीं हुई है. ये उनके जीवन का सबसे बड़ा दुख है.
लेकिन मित्रो, यहां बात इसकी भी नहीं है, बात तो बस कुछ हालातों से हुई घटना की है.
उस दिन मेरी माता जी और पिता जी किसी आवश्यक काम से शहर से बाहर गए हुए थे और घर में मैं अकेला था.
बाहर मौसम बारिश का बन रहा था लेकिन अभी बारिश हो नहीं रही थी.
मैं भी नहा धोकर, नाश्ता वगैरह करके अपने कमरे में अपना लैपटॉप खोलकर अपने काम में लग गया था.
लगभग एक घंटा बाद मेरे दरवाजे की घंटी बजी.
देखा तो बाहर शज़िया आंटी बारिश में पूरी भीगी हुई खड़ी थीं.
मैंने तुरन्त उन्हें अन्दर आने को कहा और कमरे से अपनी तौलिया लाकर दी.
शज़िया आंटी बताने लगीं- अरे बेटा निखिल क्या बताऊं … तेरे अंकल मुझे चौराहे पर छोड़कर खुद ऑफिस निकल गए और चौराहे से तेरे घर की तरफ बढ़ी, तो एकदम से बारिश शुरू हो गयी. मैंने सोचा कि घर नजदीक ही है तो फटाफट पहुंच जाऊंगी लेकिन आते आते पूरी भीग गयी.
ये बताती हुई वो अपने बाल पौंछ रही थीं.
फिर आंटी ने अपना चेहरा वगैरह सब पौंछा.
लेकिन वो पूरी तरह भीग चुकी थीं.
कुछ पल बाद उन्होंने पूछा कि मम्मी कहां हैं तेरी?
मैं बोला- आंटी, मम्मी और पापा तो शहर से बाहर गए हैं, रात तक वापस आएंगे.
ये सुनकर आंटी थोड़ी परेशान सी हो गईं और बोलीं- तेरे अंकल भी अब अपने ऑफिस पहुंच गए होंगे और अब शाम को ही मुझे वापस लेने आ पाएंगे.
बाहर मूसलाधार बारिश शुरू हो चुकी थी जो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी.
आंटी ने बोला- चल अच्छा मैं तेरी मम्मी के कपड़े पहन लेती हूं, तब तक तू मेरे कपड़े मशीन में डालकर सुखा दे.
मैंने उनको जवाब दिया- आंटी, मम्मी तो अपना कमरा बन्द करके गयी हैं, तो आपको उनके कपड़े तो नहीं मिल पाएंगे. हां लेकिन आपको मैं अपने कपड़े दे देता हूं. आप जल्दी से चेंज कर लो, वर्ना इतनी देर भीगे कपड़े पहने-पहने आपको सर्दी लग सकती है.
आंटी ने कुछ सेकेंड सोचा, फिर बोलीं- हां, सही कह रहा है तू, चल दे अपने कपड़े, वही पहन लेती हूं और तू मेरे भीगे कपड़े मशीन से सुखा लाना.
मैंने बोला- जी आंटी.
मैं अपनी अलमारी से आंटी के लिए एक टी-शर्ट और एक बाक्सर निकाल कर ले आया.
मैंने उनको कपड़े पकड़ा दिए.
मेरी टी-शर्ट और बाक्सर देखकर वो थोड़ा सा हंसी और बोलीं- अरे निखिल मैं ये पहनूंगी क्या? कम से कम लोअर तो देते.
मैंने कहा- आंटी, मैं गर्मी में लोअर नहीं पहनता और इनमें क्या दिक्कत है. गर्मी में इन्हीं कपड़ों में आराम मिलता है. अब आप ये सब सोचना छोड़िये और फटाफट कपड़े बदल लीजिए, तब तक मैं आपके लिए गर्मागर्म चाय बना लाता हूं. फिर लौट कर आकर आपके कपड़े भी सुखा दूंगा.
मेरी बात सुनकर आंटी ने कहा- चल अच्छा, अब यही पहनने हैं तो क्या कर सकती हूँ. तू जा, मैं कपड़े बदलकर बाहर ही रख दूंगी और तेरे कमरे में बैठी हूं. जल्दी से चाय लेकर आ जा, इस मौसम में चाय पीने का मज़ा ही कुछ और है.
मैं गया और चाय बनाने लगा और मन में ये सब ही चल रहा था कि यार मैं अच्छा खासा काम कर रहा था और इसी में आंटी आ गयीं. अब काम छोड़कर इनकी खातिरदारी में लगना पड़ रहा है. कपड़े दो, चाय बनाओ, कपड़े सुखाओ दुनिया भर की नौटंकी.
ये सब सोचते सोचते चाय बनकर तैयार हो गयी.
मैंने फटाफट चाय छानकर कप में डाली और नमकीन, बिस्किट वगैरह निकाल कर कमरे की तरफ बढ़ चला.
बाहर देखा तो आंटी ने अपने कपड़े स्टूल पर रख दिए थे.
मैंने चाय की ट्रे कमरे के बाहर ही रखी और सोचा कि लाओ कपड़े डालकर मशीन चला देता हूं … और फिर आराम से बैठकर मैं और आंटी चाय पियेंगे.
कपड़े मशीन में डालकर मैंने वापस ट्रे उठाई और कमरे में दाखिल हुआ, तो देखा बेड पर आंटी मेरी टी-शर्ट और बाक्सर में क्या गजब लग रही थीं.
मेरी नज़र उनकी गोरी गोरी टांगों पर अटक गयीं लेकिन मैंने ध्यान ना देने का नाटक किया और ट्रे बेड पर रख दी.
मैंने देखा कि टी-शर्ट के ऊपर से ही उनके निप्पल भी झलक रहे थे.
मेरा दिमाग एकदम से हिल गया क्यूंकि आज तक मैंने पूनम आंटी को ना इस रूप में देखा था और ना ही उनके लिए ऐसा कोई ख्याल मन में आया था.
मेरे मन में ये सब चल ही रहा था कि आंटी ने कहा- मुझे ड्रायर दे दे बेटा … बाल सुखाने हैं.
‘जी आंटी.’ बोलकर मैं ड्रायर लेने चला गया और आकर उनको ड्रायर पकड़ा दिया.
फिर वो उठकर शीशे के सामने खड़ी होकर अपने बाल सुखाने लगीं और इधर उनको देखकर मेरी हालत खराब होने लगी थी.
बाक्सर में उनकी गांड एकदम बाहर निकली हुई थी, इस उम्र में भी उनकी गांड में कसावट पूरी थी और जब वो अपने बाल सुखा रही थीं, तो टी-शर्ट बार बार ऊपर उठ रही थी, जिससे उनका गोरा गोरा पेट मुझे बार बार दिख रहा था.
और चूचियों के तो क्या ही कहने … उनके निप्पल एकदम टी-शर्ट से बाहर निकलने को आ रहे थे.
आंटी की गोरी लम्बी टांगें देखकर मेरा लंड पूरी तरह से टाइट होने लगा था.
मन में ये आ रहा था कि यार आंटी मुझसे बहुत बड़ी हैं और मेरी मम्मी की सहेली हैं, इनके बारे में मुझे ये सब नहीं सोचना चाहिए.
लेकिन मेरी जवान आंखें और जवान मन कुछ और ही देख और सोच रहे थे. जो मेरे बस के बाहर था.
मेरे मनोभावों से अन्जान आंटी अब तक अपने बाल सुखा चुकी थीं.
बाहर बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी और मेरे मन के अन्दर सेक्स का सूखापन मुझे आंटी के इस रूप पर मोहित किए जा रहा था.
उनके अंगों की कसावट, गोल चूचियां, बड़े मोटे चूतड़, गोरा पेट, गोरी नंगी टांगें देख कर बस यही लग रहा था कि आज आंटी मेरी हो जाएं.
आंटी ने पूछा- और बेटा निखिल काम काज तेरा कैसा चल रहा है?
‘अच्छा है आंटी, धीरे धीरे चीजें बढ़ रही हैं.’ मैंने बोला.
‘चलो अच्छा है, अब तू अपने पैरों पर खड़ा हो गया है. अब मम्मी से बोलकर तेरी शादी फिक्स कर देनी चाहिए, क्यूं है कि नहीं?’
मैंने भी थोड़ा असहज होकर बोला- अरे आंटी आप भी. जब होनी होगी हो जाएगी मैं अभी इन सबके बारे में नहीं सोचता. अभी बस करियर की तरफ फोकस है.
मेरी कमाई ठीक ठाक कमाई है और अभी शादी नहीं हुई है.
हालांकि मेरी उम्र लगभग 32 साल हो गयी है लेकिन कुछ मजबूरियों और मेरी खुद की आर्थिक उथल-पुथल के चलते अभी तक शादी की नौबत नहीं आई है.
जैसा कि आप लोग जानते ही होंगे कि शादी ना होने पर भी आपके शरीर की यौन आवश्यकताएं तो पूरी करनी ही पड़ती हैं और जब वो ना पूरी ना हो रही हों, तो खुद से ही उन्हें शांत करना पड़ता है.
चलिए खैर … अब उस दिन की बात शुरू करते हैं, जिस दिन की घटना मैं आप सभी से मॉम फ्रेंड सेक्स कहानी के रूप में साझा करने जा रहा हूं.
मेरी माता जी की एक सहेली हैं वो उनकी किटी पार्टी की सहेली.
उनका नाम शाजियाहै.
शाजिया आंटी की उम्र यही कोई 40 वर्ष की होगी लेकिन देखने में सिर्फ 35-36 की लगती हैं.
उनकी कोई सन्तान भी नहीं हुई है. ये उनके जीवन का सबसे बड़ा दुख है.
लेकिन मित्रो, यहां बात इसकी भी नहीं है, बात तो बस कुछ हालातों से हुई घटना की है.
उस दिन मेरी माता जी और पिता जी किसी आवश्यक काम से शहर से बाहर गए हुए थे और घर में मैं अकेला था.
बाहर मौसम बारिश का बन रहा था लेकिन अभी बारिश हो नहीं रही थी.
मैं भी नहा धोकर, नाश्ता वगैरह करके अपने कमरे में अपना लैपटॉप खोलकर अपने काम में लग गया था.
लगभग एक घंटा बाद मेरे दरवाजे की घंटी बजी.
देखा तो बाहर शज़िया आंटी बारिश में पूरी भीगी हुई खड़ी थीं.
मैंने तुरन्त उन्हें अन्दर आने को कहा और कमरे से अपनी तौलिया लाकर दी.
शज़िया आंटी बताने लगीं- अरे बेटा निखिल क्या बताऊं … तेरे अंकल मुझे चौराहे पर छोड़कर खुद ऑफिस निकल गए और चौराहे से तेरे घर की तरफ बढ़ी, तो एकदम से बारिश शुरू हो गयी. मैंने सोचा कि घर नजदीक ही है तो फटाफट पहुंच जाऊंगी लेकिन आते आते पूरी भीग गयी.
ये बताती हुई वो अपने बाल पौंछ रही थीं.
फिर आंटी ने अपना चेहरा वगैरह सब पौंछा.
लेकिन वो पूरी तरह भीग चुकी थीं.
कुछ पल बाद उन्होंने पूछा कि मम्मी कहां हैं तेरी?
मैं बोला- आंटी, मम्मी और पापा तो शहर से बाहर गए हैं, रात तक वापस आएंगे.
ये सुनकर आंटी थोड़ी परेशान सी हो गईं और बोलीं- तेरे अंकल भी अब अपने ऑफिस पहुंच गए होंगे और अब शाम को ही मुझे वापस लेने आ पाएंगे.
बाहर मूसलाधार बारिश शुरू हो चुकी थी जो रुकने का नाम ही नहीं ले रही थी.
आंटी ने बोला- चल अच्छा मैं तेरी मम्मी के कपड़े पहन लेती हूं, तब तक तू मेरे कपड़े मशीन में डालकर सुखा दे.
मैंने उनको जवाब दिया- आंटी, मम्मी तो अपना कमरा बन्द करके गयी हैं, तो आपको उनके कपड़े तो नहीं मिल पाएंगे. हां लेकिन आपको मैं अपने कपड़े दे देता हूं. आप जल्दी से चेंज कर लो, वर्ना इतनी देर भीगे कपड़े पहने-पहने आपको सर्दी लग सकती है.
आंटी ने कुछ सेकेंड सोचा, फिर बोलीं- हां, सही कह रहा है तू, चल दे अपने कपड़े, वही पहन लेती हूं और तू मेरे भीगे कपड़े मशीन से सुखा लाना.
मैंने बोला- जी आंटी.
मैं अपनी अलमारी से आंटी के लिए एक टी-शर्ट और एक बाक्सर निकाल कर ले आया.
मैंने उनको कपड़े पकड़ा दिए.
मेरी टी-शर्ट और बाक्सर देखकर वो थोड़ा सा हंसी और बोलीं- अरे निखिल मैं ये पहनूंगी क्या? कम से कम लोअर तो देते.
मैंने कहा- आंटी, मैं गर्मी में लोअर नहीं पहनता और इनमें क्या दिक्कत है. गर्मी में इन्हीं कपड़ों में आराम मिलता है. अब आप ये सब सोचना छोड़िये और फटाफट कपड़े बदल लीजिए, तब तक मैं आपके लिए गर्मागर्म चाय बना लाता हूं. फिर लौट कर आकर आपके कपड़े भी सुखा दूंगा.
मेरी बात सुनकर आंटी ने कहा- चल अच्छा, अब यही पहनने हैं तो क्या कर सकती हूँ. तू जा, मैं कपड़े बदलकर बाहर ही रख दूंगी और तेरे कमरे में बैठी हूं. जल्दी से चाय लेकर आ जा, इस मौसम में चाय पीने का मज़ा ही कुछ और है.
मैं गया और चाय बनाने लगा और मन में ये सब ही चल रहा था कि यार मैं अच्छा खासा काम कर रहा था और इसी में आंटी आ गयीं. अब काम छोड़कर इनकी खातिरदारी में लगना पड़ रहा है. कपड़े दो, चाय बनाओ, कपड़े सुखाओ दुनिया भर की नौटंकी.
ये सब सोचते सोचते चाय बनकर तैयार हो गयी.
मैंने फटाफट चाय छानकर कप में डाली और नमकीन, बिस्किट वगैरह निकाल कर कमरे की तरफ बढ़ चला.
बाहर देखा तो आंटी ने अपने कपड़े स्टूल पर रख दिए थे.
मैंने चाय की ट्रे कमरे के बाहर ही रखी और सोचा कि लाओ कपड़े डालकर मशीन चला देता हूं … और फिर आराम से बैठकर मैं और आंटी चाय पियेंगे.
कपड़े मशीन में डालकर मैंने वापस ट्रे उठाई और कमरे में दाखिल हुआ, तो देखा बेड पर आंटी मेरी टी-शर्ट और बाक्सर में क्या गजब लग रही थीं.
मेरी नज़र उनकी गोरी गोरी टांगों पर अटक गयीं लेकिन मैंने ध्यान ना देने का नाटक किया और ट्रे बेड पर रख दी.
मैंने देखा कि टी-शर्ट के ऊपर से ही उनके निप्पल भी झलक रहे थे.
मेरा दिमाग एकदम से हिल गया क्यूंकि आज तक मैंने पूनम आंटी को ना इस रूप में देखा था और ना ही उनके लिए ऐसा कोई ख्याल मन में आया था.
मेरे मन में ये सब चल ही रहा था कि आंटी ने कहा- मुझे ड्रायर दे दे बेटा … बाल सुखाने हैं.
‘जी आंटी.’ बोलकर मैं ड्रायर लेने चला गया और आकर उनको ड्रायर पकड़ा दिया.
फिर वो उठकर शीशे के सामने खड़ी होकर अपने बाल सुखाने लगीं और इधर उनको देखकर मेरी हालत खराब होने लगी थी.
बाक्सर में उनकी गांड एकदम बाहर निकली हुई थी, इस उम्र में भी उनकी गांड में कसावट पूरी थी और जब वो अपने बाल सुखा रही थीं, तो टी-शर्ट बार बार ऊपर उठ रही थी, जिससे उनका गोरा गोरा पेट मुझे बार बार दिख रहा था.
और चूचियों के तो क्या ही कहने … उनके निप्पल एकदम टी-शर्ट से बाहर निकलने को आ रहे थे.
आंटी की गोरी लम्बी टांगें देखकर मेरा लंड पूरी तरह से टाइट होने लगा था.
मन में ये आ रहा था कि यार आंटी मुझसे बहुत बड़ी हैं और मेरी मम्मी की सहेली हैं, इनके बारे में मुझे ये सब नहीं सोचना चाहिए.
लेकिन मेरी जवान आंखें और जवान मन कुछ और ही देख और सोच रहे थे. जो मेरे बस के बाहर था.
मेरे मनोभावों से अन्जान आंटी अब तक अपने बाल सुखा चुकी थीं.
बाहर बारिश रुकने का नाम नहीं ले रही थी और मेरे मन के अन्दर सेक्स का सूखापन मुझे आंटी के इस रूप पर मोहित किए जा रहा था.
उनके अंगों की कसावट, गोल चूचियां, बड़े मोटे चूतड़, गोरा पेट, गोरी नंगी टांगें देख कर बस यही लग रहा था कि आज आंटी मेरी हो जाएं.
आंटी ने पूछा- और बेटा निखिल काम काज तेरा कैसा चल रहा है?
‘अच्छा है आंटी, धीरे धीरे चीजें बढ़ रही हैं.’ मैंने बोला.
‘चलो अच्छा है, अब तू अपने पैरों पर खड़ा हो गया है. अब मम्मी से बोलकर तेरी शादी फिक्स कर देनी चाहिए, क्यूं है कि नहीं?’
मैंने भी थोड़ा असहज होकर बोला- अरे आंटी आप भी. जब होनी होगी हो जाएगी मैं अभी इन सबके बारे में नहीं सोचता. अभी बस करियर की तरफ फोकस है.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.