12-03-2024, 03:40 PM
मैं – जी अम्मी!
ये बोलकर मैं बाथरूम में चला गया, तैयार होके निकला तब तक अम्मी बहार ही थी.
मैंने अम्मी से पूछा अम्मी रात को आप सिसक क्यू रही थी, अब्बू आपको मारे थे क्या? आपके गाल पे निशान भी हैं.
अम्मी घबरा गई, चेहरे का रंग मानो उड़ गया..
बोली नहीं तो भला तेरे अब्बू मुझे क्यू मारेंगे? वो हम सब से इतना प्यार जो करते हैं, तू छोड़ इन बातों को, जा तू कॉलेज जा, नाश्ता करके.
मैं कॉलेज चला गया. अगले 2 रात तक मुझे कोई आवाज सुनाई नहीं दी, फिर कुछ दिन बाद फिर से मुझे आवाज आई, चौकी हिलने की और अम्मी की आवाज भी लेकिन बहुत धीरे से अम्मी बोली.
अम्मी – सुनो जी उस रात बाबू जगा हुआ था, वो सब सुना था, अगली सुबह मुझसे पूछ रहा था की अब्बू आपको क्यू मारे थे? मैं तो उसे टाल दी। अब चोदिए मुझे लेकिन आवाज मत निकालिये धीरे धीरे चोदिए.
अब्बू – ठीक है मेरी जान.
और वो लोग अपनी चुदाई में मगन हो गए, बिना आवाज किये. मुझे भी पता नहीं कब नींद आ गई, बात को लगभग 2 साल बीत गए. अब शायद सब नार्मल हो गया था, अब्बू शायद अब अम्मी को नहीं चोदते थे, अम्मी भी कुछ गुमसुम रहने लगी. मैं अब दसवीं पास कर चुका था और रिजल्ट आने के इन्तजार में घर पे ही रहता था। हमारा घर भी चेंज हो गया था, अब्बू की नौकरी लग चुकी थी, तो हमें 2 बीएचके क्वार्टर अलोट हुआ था। हम सब उसी में रहते थे, एक रूम मेरा था, दूसरा अम्मी अब्बू का. चुदाई का चस्का तो मुझे 16 साल में ही लग गया था, जब मैंने पड़ोस में रहने वाली मुंह बोली मौसी और उसकी बेटी को चोदा था। लेकिन वो कहानी बाद में बताऊंगा. अब्बू सुबह ड्यूटी चले जाते थे और शाम को ही आते थे. दिन भर घर मे मै और अम्मी रहते थे.
एक दिन सुबह के 10 बजे होंगे। अम्मी घर का सारा काम निपटा के फारिग हो गई। मैं यूं हीं बैठा कुछ किताबें देख रहा था, अम्मी मुझे पैर दबाने को बोली और अम्मी पलंग पे लेट गई। मैं अम्मी के पैर दबाने लगा। अम्मी हमेशा से साड़ी पहनती है, साड़ी नाभि के नीचे बांधती है, रंग गोरा है, नाभि गहरी है, छूछी तो कमाल है ही, लेकिन कभी खुला नहीं देखा। बस ब्लाउज के ऊपर से ही देखा। अम्मी अपनी साड़ी घुटनो के ऊपर कर ली लेकिन जांघे ढकी थी, मैं पैर दबा रहा था, अम्मी शायद कुछ सोच रही थी और अपना हाथ साड़ी के अंदर किये हुए थी। अचानक से अम्मी ने झटके में हाथ निकाला, मैंने देखा अम्मी के हाथ में बाल है, मैं समझ गया कि ये उसकी झांटे हैं जो वो नोच के निकाली है। मैंने धीरे से अम्मी की साड़ी घुटने के ऊपर सरका दी, जिससे अम्मी की जांघें दिखने लगी, अम्मी कुछ बोली नहीं। मैं धीरे धीरे जांघ को भी दबाने लगा, घुठने के नीचे दबाता और जैसे ही ऊपर जाता, जांघ को सहलाता।
अम्मी का ध्यान शायद मुझपे नहीं था, ऐसे ही कुछ देर तक जांघ सहलाता रहा था, की अम्मी ने अपने पैर फैला दिये, जिसकी वजह से साड़ी फ़ैल गई और अम्मी की झांटों से भरी बुर मुझे दिखने लगी। मैं एकटक बस अम्मी की बुर ही देख रहा था, अम्मी शायद ये नजारा भांप ली और उसने मुझे आवाज लगाई।
अम्मी – बाबू! बाबू!
मैं उसकी आवाज नहीं सुन रहा था, अचानक से वो जोर से पुकारी।
बाबू!
तब मैं बोला – हाँ!
अम्मी – कहाँ खोया हुआ है?
मैं – कहीं नहीं अम्मी.
अम्मी – तो मेरी आवाज सुनाई नहीं दे रही है क्या?
मैं – जी अम्मी बोलिये ना क्या बात है? मैं पैर तो दबा रहा हूँ।
और इधर मेरा लंड खड़ा भी हो गया, जो पेंट के अंदर तम्बू बना रहा था, लेकिन अम्मी को नजर नहीं आया.
अम्मी – जरा ऊपर दबाओ जांघ तक.
मैं – जी अम्मी!
ये बोलके मैं जांघ दबाने लगा। दबाते दबाते मैं अपना हाथ उनकी बुर तक ले जाता और सहला देता। ऐसा मैं 3-4 बार किया होगा। पाँचवीं बार जब मैं हाथ अम्मी की बुर तक ले गया, तो मेरा अंगूठा अम्मी की बुर को टच हो गया, जिसकी वजह से अम्मी चौंक उठी और बोली…
अम्मी – कहाँ दबा रहा है तू?
मैं अनजान बनते हुए – जांघ दबा रहा हूँ अम्मी.
अम्मी – ठीक से दबा.
मैं – जी अम्मी!
ये बोलके दबाने लगा। थोड़ी देर में मैं फिर से अपना हाथ अम्मी की बुर पे ले गया और सहला दिया। मेरे अंगुली पे कुछ चिपचिपा सा लगा, मुझे समझते देर न लगी कि अम्मी की बुर पनिया गई है, इतने में अम्मी ने झट से मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली..
अम्मी- क्या कर रहे हो? मेरी तो डर से हालत ख़राब हो गई।
मैं बोला – वो अम्मी कुछ नहीं, मेरा हाथ फिसल के आपके अंदर वाली जगह पे चला गया.
अम्मी – मैं कब से देख रही हूँ, तुम मेरी बुर को छू रहे हो क्या बात है?
मैं अम्मी के मुंह से बुर शब्द सुन के दंग रह गया, मैं घबरा रहा था. मैं माफ़ी मांगने लगा और बोला..
मै – अम्मी मुझसे गलती हो गई!
अम्मी – जरा संभल के मुझसे बोली, तुमको मेरी बुर पसंद है?
मैं – अम्मी ऐसी बात नहीं है, मन में बोला पसंद तो है और भी बहुत कुछ पसंद है अम्मी..
मैं इससे पहले कुछ बोलता, अम्मी ने मेरे बाल पकड़ के जोर से खींचे और एक हाथ से अपनी साड़ी को ऊपर उठा के अपने पैर खोल दिये और मेरा सर अपनी बुर पे लगा के बोली..
अम्मी – अगर तुमको मेरा बुर इतना पसंद है तो फिर चाट इसको और मेरा सर दबाये रखी. मैं छूटने की नाकाम कोशिश करने लगा, लेकिन जैसे ही मेरा नाक अम्मी की बुर पे लगा, उसकी बुर से एक मादक खुशबू आ रही थी, मैंने भी झट से अपनी जीभ निकालके अम्मी की बुर पे फेरा डाली। अम्मी सिहर उठी इस्स्स्सस्स्स्स आआअह्ह इस्ससस्स्सस्स्स्स करने लगी.
अम्मी – बाबू! चाट मेरी बुर को! अच्छे से चाट! जीभ अंदर डाल. मैं अम्मी की बुर चाटते चाटते बोला…
मै – अम्मी क्या मैं बुर में ऊँगली डालूं?
अम्मी – बाबू नहीं अभी नहीं, थोड़ी बुर चाट ले, फिर जब मैं बोलूंगी तब.
मैं लगभग 10 मिनट्स तक अम्मी की बुर चाटा. फिर अम्मी बोली बाबू एक बात बोलूं?
मैं – जी अम्मी बोलिये ना.
अम्मी – ये बात किसी को बोलोगे तो नहीं?
मैं – नहीं अम्मी किसी को नहीं बोलूंगा.
अम्मी – पक्का ना बाबू?
मैं – हाँ अम्मी पक्का आप बोलिये ना.
अम्मी – बाबू मेरी बुर मे बहुत खुजली हो रही है तुम मेरी बुर की खुजली मिटाओगे?
मैं बनते हुए बोला, मै – क्या मतलब अम्मी? मैं कुछ समझा नहीं! अगर खुजली हो रही है तो मैं खुजला देता हूँ और अपने हाथ से अम्मी की बुर को खुजली करने लगा.
अम्मी – अरे पगले ऐसे नहीं, मैं तुम्हारे सामने अपनी टंगे फैलाये हुई हूँ और तुम हाथ से खुजली कर रहे हो.
मैं – तो कैसे अम्मी?
अम्मी – अरे मेरे भोले बाबू! मेरा कहने का मतलब है मुझे अपने लंड से चोदोगे?
मैं अम्मी से खुलना चाहता था तो मैं बोला..
मै – क्या अम्मी सिर्फ चोदूँ?
अम्मी- मैं तुम्हारे सामने आधी नंगी हूँ, तुमको जो करना है करो! चाहो तो पूरा नंगी कर लो.
मैं – क्या सच में? मैं जो चाहूँ वो कर सकता हूँ?
इतने में अम्मी उठी और मुझे कसके पकड़के अपना होंठ मेरे होंठ में रख कर चूसने लगी और बोली.
अम्मी – बाबू मुझे आज मसल दो.
मैं – अम्मी अगर अब्बू को पता चला तो?
अम्मी – तुम उसकी चिंता मत करो मैं सब संभाल लूंगी बस तुम किसी को मत बताना तेरे अब्बू को भी कुछ पता नहीं चलेगा! वैसे भी तेरे अब्बू मुझे पिछले 2 साल से नहीं चोदे हैं, मेरी बुर जल रही है, मैं थक गई हूँ, बुर को मसल मसल के ऊँगली कर कर के! अब मुझे तेरा लंड चाहिए.
मैं -अम्मी मैं ऐसे आपको नहीं चोदूँगा.
अम्मी- तो फिर कैसे?
मैं -पहले आप अपनी बुर की झांट की सफाई करो क्यूकी मैं आपकी बुर को अच्छे से चाटना चाहता हूँ.
अम्मी- तो तुम खुद ही सफाई कर दो, अपने अब्बू के रेज़र से.
मैं – हाँ ये ठीक रहेगा!
मैं अब्बू का रेज़र ले आया और एक साबुन भी। फिर अम्मी को बोला कि आप नंगी हो जाओ।
अम्मी बोली मैं कुछ नहीं करूंगी, तुमको जो करना है खुद करो।
मैं- ठीक है!
फिर और मैंने अम्मी की साड़ी खोला फिर ब्लाउज अब अम्मी सिर्फ ब्रा और साया में थी मैंने बोलै अम्मी ब्रा खोल दूँ?
अम्मी झल्ला कर बोली – हरामज़ादे मैंने तुमको बोला ना जो करना है वो कर, मैं तुमसे सब कुछ करवाने को तैयार हूँ।
मैं- ठीक है अम्मी!
और मैंने एक झटके में अम्मी की ब्रा फाड़ दी। ब्रा फटते ही अम्मी की चूचियां हवा में ऐसे लहरा के लटकी की जैसे पपीते लटकते हैं। अम्मी की चूचियां एकदम गोलाई की शेप में थी। फिर साया का नाडा भी इतनी जोर से खींचा की नाडा सहित अम्मी मुझमें आके चिपक गई। मैंने अम्मी की चूचियां जो की 38 साइज की है दोनों को एक साथ पकड़ के धक्का दिया। इससे पहले की वो पीछे हटती मैंने नाडा फिर पकड़ लिया और खींच दिया। जिसकी वजह से साया नीचे गिर गया औरवो मेरे सामने बिक्लुल नंगी हो गई. मैंने फिर उनकी चूचियों को पकड़ के धकेल दिया और उसकी चूचियों पे टूट पड़ा। एक चूसता तो दूसरा दबाता, निप्पल जो की भूरे रंग की है, दांत से काटता। दांत लगते ही वो सिसक पड़ती. जब मन भर गया, तब रेज़र और साबुन से अम्मी की बुर साफ़ किया.
तब अम्मी बोली अब आगे बढ़ो.
ये बोलकर मैं बाथरूम में चला गया, तैयार होके निकला तब तक अम्मी बहार ही थी.
मैंने अम्मी से पूछा अम्मी रात को आप सिसक क्यू रही थी, अब्बू आपको मारे थे क्या? आपके गाल पे निशान भी हैं.
अम्मी घबरा गई, चेहरे का रंग मानो उड़ गया..
बोली नहीं तो भला तेरे अब्बू मुझे क्यू मारेंगे? वो हम सब से इतना प्यार जो करते हैं, तू छोड़ इन बातों को, जा तू कॉलेज जा, नाश्ता करके.
मैं कॉलेज चला गया. अगले 2 रात तक मुझे कोई आवाज सुनाई नहीं दी, फिर कुछ दिन बाद फिर से मुझे आवाज आई, चौकी हिलने की और अम्मी की आवाज भी लेकिन बहुत धीरे से अम्मी बोली.
अम्मी – सुनो जी उस रात बाबू जगा हुआ था, वो सब सुना था, अगली सुबह मुझसे पूछ रहा था की अब्बू आपको क्यू मारे थे? मैं तो उसे टाल दी। अब चोदिए मुझे लेकिन आवाज मत निकालिये धीरे धीरे चोदिए.
अब्बू – ठीक है मेरी जान.
और वो लोग अपनी चुदाई में मगन हो गए, बिना आवाज किये. मुझे भी पता नहीं कब नींद आ गई, बात को लगभग 2 साल बीत गए. अब शायद सब नार्मल हो गया था, अब्बू शायद अब अम्मी को नहीं चोदते थे, अम्मी भी कुछ गुमसुम रहने लगी. मैं अब दसवीं पास कर चुका था और रिजल्ट आने के इन्तजार में घर पे ही रहता था। हमारा घर भी चेंज हो गया था, अब्बू की नौकरी लग चुकी थी, तो हमें 2 बीएचके क्वार्टर अलोट हुआ था। हम सब उसी में रहते थे, एक रूम मेरा था, दूसरा अम्मी अब्बू का. चुदाई का चस्का तो मुझे 16 साल में ही लग गया था, जब मैंने पड़ोस में रहने वाली मुंह बोली मौसी और उसकी बेटी को चोदा था। लेकिन वो कहानी बाद में बताऊंगा. अब्बू सुबह ड्यूटी चले जाते थे और शाम को ही आते थे. दिन भर घर मे मै और अम्मी रहते थे.
एक दिन सुबह के 10 बजे होंगे। अम्मी घर का सारा काम निपटा के फारिग हो गई। मैं यूं हीं बैठा कुछ किताबें देख रहा था, अम्मी मुझे पैर दबाने को बोली और अम्मी पलंग पे लेट गई। मैं अम्मी के पैर दबाने लगा। अम्मी हमेशा से साड़ी पहनती है, साड़ी नाभि के नीचे बांधती है, रंग गोरा है, नाभि गहरी है, छूछी तो कमाल है ही, लेकिन कभी खुला नहीं देखा। बस ब्लाउज के ऊपर से ही देखा। अम्मी अपनी साड़ी घुटनो के ऊपर कर ली लेकिन जांघे ढकी थी, मैं पैर दबा रहा था, अम्मी शायद कुछ सोच रही थी और अपना हाथ साड़ी के अंदर किये हुए थी। अचानक से अम्मी ने झटके में हाथ निकाला, मैंने देखा अम्मी के हाथ में बाल है, मैं समझ गया कि ये उसकी झांटे हैं जो वो नोच के निकाली है। मैंने धीरे से अम्मी की साड़ी घुटने के ऊपर सरका दी, जिससे अम्मी की जांघें दिखने लगी, अम्मी कुछ बोली नहीं। मैं धीरे धीरे जांघ को भी दबाने लगा, घुठने के नीचे दबाता और जैसे ही ऊपर जाता, जांघ को सहलाता।
अम्मी का ध्यान शायद मुझपे नहीं था, ऐसे ही कुछ देर तक जांघ सहलाता रहा था, की अम्मी ने अपने पैर फैला दिये, जिसकी वजह से साड़ी फ़ैल गई और अम्मी की झांटों से भरी बुर मुझे दिखने लगी। मैं एकटक बस अम्मी की बुर ही देख रहा था, अम्मी शायद ये नजारा भांप ली और उसने मुझे आवाज लगाई।
अम्मी – बाबू! बाबू!
मैं उसकी आवाज नहीं सुन रहा था, अचानक से वो जोर से पुकारी।
बाबू!
तब मैं बोला – हाँ!
अम्मी – कहाँ खोया हुआ है?
मैं – कहीं नहीं अम्मी.
अम्मी – तो मेरी आवाज सुनाई नहीं दे रही है क्या?
मैं – जी अम्मी बोलिये ना क्या बात है? मैं पैर तो दबा रहा हूँ।
और इधर मेरा लंड खड़ा भी हो गया, जो पेंट के अंदर तम्बू बना रहा था, लेकिन अम्मी को नजर नहीं आया.
अम्मी – जरा ऊपर दबाओ जांघ तक.
मैं – जी अम्मी!
ये बोलके मैं जांघ दबाने लगा। दबाते दबाते मैं अपना हाथ उनकी बुर तक ले जाता और सहला देता। ऐसा मैं 3-4 बार किया होगा। पाँचवीं बार जब मैं हाथ अम्मी की बुर तक ले गया, तो मेरा अंगूठा अम्मी की बुर को टच हो गया, जिसकी वजह से अम्मी चौंक उठी और बोली…
अम्मी – कहाँ दबा रहा है तू?
मैं अनजान बनते हुए – जांघ दबा रहा हूँ अम्मी.
अम्मी – ठीक से दबा.
मैं – जी अम्मी!
ये बोलके दबाने लगा। थोड़ी देर में मैं फिर से अपना हाथ अम्मी की बुर पे ले गया और सहला दिया। मेरे अंगुली पे कुछ चिपचिपा सा लगा, मुझे समझते देर न लगी कि अम्मी की बुर पनिया गई है, इतने में अम्मी ने झट से मेरा हाथ पकड़ लिया और बोली..
अम्मी- क्या कर रहे हो? मेरी तो डर से हालत ख़राब हो गई।
मैं बोला – वो अम्मी कुछ नहीं, मेरा हाथ फिसल के आपके अंदर वाली जगह पे चला गया.
अम्मी – मैं कब से देख रही हूँ, तुम मेरी बुर को छू रहे हो क्या बात है?
मैं अम्मी के मुंह से बुर शब्द सुन के दंग रह गया, मैं घबरा रहा था. मैं माफ़ी मांगने लगा और बोला..
मै – अम्मी मुझसे गलती हो गई!
अम्मी – जरा संभल के मुझसे बोली, तुमको मेरी बुर पसंद है?
मैं – अम्मी ऐसी बात नहीं है, मन में बोला पसंद तो है और भी बहुत कुछ पसंद है अम्मी..
मैं इससे पहले कुछ बोलता, अम्मी ने मेरे बाल पकड़ के जोर से खींचे और एक हाथ से अपनी साड़ी को ऊपर उठा के अपने पैर खोल दिये और मेरा सर अपनी बुर पे लगा के बोली..
अम्मी – अगर तुमको मेरा बुर इतना पसंद है तो फिर चाट इसको और मेरा सर दबाये रखी. मैं छूटने की नाकाम कोशिश करने लगा, लेकिन जैसे ही मेरा नाक अम्मी की बुर पे लगा, उसकी बुर से एक मादक खुशबू आ रही थी, मैंने भी झट से अपनी जीभ निकालके अम्मी की बुर पे फेरा डाली। अम्मी सिहर उठी इस्स्स्सस्स्स्स आआअह्ह इस्ससस्स्सस्स्स्स करने लगी.
अम्मी – बाबू! चाट मेरी बुर को! अच्छे से चाट! जीभ अंदर डाल. मैं अम्मी की बुर चाटते चाटते बोला…
मै – अम्मी क्या मैं बुर में ऊँगली डालूं?
अम्मी – बाबू नहीं अभी नहीं, थोड़ी बुर चाट ले, फिर जब मैं बोलूंगी तब.
मैं लगभग 10 मिनट्स तक अम्मी की बुर चाटा. फिर अम्मी बोली बाबू एक बात बोलूं?
मैं – जी अम्मी बोलिये ना.
अम्मी – ये बात किसी को बोलोगे तो नहीं?
मैं – नहीं अम्मी किसी को नहीं बोलूंगा.
अम्मी – पक्का ना बाबू?
मैं – हाँ अम्मी पक्का आप बोलिये ना.
अम्मी – बाबू मेरी बुर मे बहुत खुजली हो रही है तुम मेरी बुर की खुजली मिटाओगे?
मैं बनते हुए बोला, मै – क्या मतलब अम्मी? मैं कुछ समझा नहीं! अगर खुजली हो रही है तो मैं खुजला देता हूँ और अपने हाथ से अम्मी की बुर को खुजली करने लगा.
अम्मी – अरे पगले ऐसे नहीं, मैं तुम्हारे सामने अपनी टंगे फैलाये हुई हूँ और तुम हाथ से खुजली कर रहे हो.
मैं – तो कैसे अम्मी?
अम्मी – अरे मेरे भोले बाबू! मेरा कहने का मतलब है मुझे अपने लंड से चोदोगे?
मैं अम्मी से खुलना चाहता था तो मैं बोला..
मै – क्या अम्मी सिर्फ चोदूँ?
अम्मी- मैं तुम्हारे सामने आधी नंगी हूँ, तुमको जो करना है करो! चाहो तो पूरा नंगी कर लो.
मैं – क्या सच में? मैं जो चाहूँ वो कर सकता हूँ?
इतने में अम्मी उठी और मुझे कसके पकड़के अपना होंठ मेरे होंठ में रख कर चूसने लगी और बोली.
अम्मी – बाबू मुझे आज मसल दो.
मैं – अम्मी अगर अब्बू को पता चला तो?
अम्मी – तुम उसकी चिंता मत करो मैं सब संभाल लूंगी बस तुम किसी को मत बताना तेरे अब्बू को भी कुछ पता नहीं चलेगा! वैसे भी तेरे अब्बू मुझे पिछले 2 साल से नहीं चोदे हैं, मेरी बुर जल रही है, मैं थक गई हूँ, बुर को मसल मसल के ऊँगली कर कर के! अब मुझे तेरा लंड चाहिए.
मैं -अम्मी मैं ऐसे आपको नहीं चोदूँगा.
अम्मी- तो फिर कैसे?
मैं -पहले आप अपनी बुर की झांट की सफाई करो क्यूकी मैं आपकी बुर को अच्छे से चाटना चाहता हूँ.
अम्मी- तो तुम खुद ही सफाई कर दो, अपने अब्बू के रेज़र से.
मैं – हाँ ये ठीक रहेगा!
मैं अब्बू का रेज़र ले आया और एक साबुन भी। फिर अम्मी को बोला कि आप नंगी हो जाओ।
अम्मी बोली मैं कुछ नहीं करूंगी, तुमको जो करना है खुद करो।
मैं- ठीक है!
फिर और मैंने अम्मी की साड़ी खोला फिर ब्लाउज अब अम्मी सिर्फ ब्रा और साया में थी मैंने बोलै अम्मी ब्रा खोल दूँ?
अम्मी झल्ला कर बोली – हरामज़ादे मैंने तुमको बोला ना जो करना है वो कर, मैं तुमसे सब कुछ करवाने को तैयार हूँ।
मैं- ठीक है अम्मी!
और मैंने एक झटके में अम्मी की ब्रा फाड़ दी। ब्रा फटते ही अम्मी की चूचियां हवा में ऐसे लहरा के लटकी की जैसे पपीते लटकते हैं। अम्मी की चूचियां एकदम गोलाई की शेप में थी। फिर साया का नाडा भी इतनी जोर से खींचा की नाडा सहित अम्मी मुझमें आके चिपक गई। मैंने अम्मी की चूचियां जो की 38 साइज की है दोनों को एक साथ पकड़ के धक्का दिया। इससे पहले की वो पीछे हटती मैंने नाडा फिर पकड़ लिया और खींच दिया। जिसकी वजह से साया नीचे गिर गया औरवो मेरे सामने बिक्लुल नंगी हो गई. मैंने फिर उनकी चूचियों को पकड़ के धकेल दिया और उसकी चूचियों पे टूट पड़ा। एक चूसता तो दूसरा दबाता, निप्पल जो की भूरे रंग की है, दांत से काटता। दांत लगते ही वो सिसक पड़ती. जब मन भर गया, तब रेज़र और साबुन से अम्मी की बुर साफ़ किया.
तब अम्मी बोली अब आगे बढ़ो.
जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.