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Adultery जिस्म की भूख
#95
Heart 
मैंने थोड़ा सा पीछे हट कर अपने हाथ से आपी की टाँगों को खोला और अपना खड़ा लण्ड आपी के हाथ से छुड़ा कर अपने हाथ में पकड़ लिया और आपी की रानों के दरमियान में रख कर अपने लण्ड की टोपी को आपी की चूत की लकीर पर रगड़ा तो आपी के मुँह से बेसाख्ता ही एक सिसकी खारिज हुई और वो बोलीं- “अहह सगीर... नहीं”

फिर उसी पोजीशन में रहते हुए मेरे गाल पर अपना हाथ रख कर मेरी आँखों में देख कर संजीदा लहजे में कहा- “इसका सोचो भी नहीं सगीर… प्लीज़…”

मैंने अपने हाथ से पकड़ कर आपी का हाथ अपने गाल से हटाया और उनके हाथ की पुश्त को चूम कर कहा- “आपी मैं ऐसा कुछ नहीं कर रहा जो आपको तक़लीफ़ दे। आप क्यों परेशान होती हो, मैं बस ऊपर ही रगडूंगा प्लीज़”

यह कहकर मैंने फिर से अपने फुल खड़े लण्ड को अपनी बहन की रानों के बीच में फँसाया और आपी से कहा- “अपनी टाँगों को बंद कर लो”

आपी ने मेरे कहने के मुताबिक़ मेरे लण्ड को अपनी रानों में सख्ती से दबा लिया और मेरा लण्ड आपी की नर्म हसीन रानों के दरमियान दब गया। मैंने अपने लण्ड को आपी की रानों में ही आगे-पीछे करना शुरू किया लेकिन 2-3 बार ही आगे-पीछे करने से मेरा लण्ड बाहर निकल आया।

मैं दोबारा अपना लण्ड को आपी की रानों में फँसा ही रहा था कि आपी ने कहा- "सगीर एक मिनट रूको यहीं, मैं ये सब देखना चाहती हूँ”

आपी इधर-उधर देख कर कुछ तलाश करने लगीं फिर आपी कंप्यूटर टेबल के पास गईं और कुर्सी को उठा कर यहाँ ले आईं और आईने में अपना साइड पोज़ देखते हुए कुर्सी को ज़मीन पर रख दिया और कुर्सी के दोनों बाजुओं पर अपने हाथ रख कर थोड़ा आगे को झुक कर खड़ी हो गईं।

फिर आईने में मेरी तरफ देखते हुए उन्होंने अपनी टाँगों को खोला और कहा- “आओ सगीर अब फंसाओ अपना लण्ड”

अब आपी लण्ड शब्द का इस्तेमाल बेझिझक कर रही थीं। मैंने अपने लण्ड को हाथ में पकड़ कर आपी की रानों के बीच में फँसाया तो मुझे अपने लण्ड में करेंट सा लगता महसूस हुआ। आपी के इस तरह झुक कर खड़े होने की वजह से उनकी चूत का रुख़ ज़मीन की तरफ हो गया था और मेरे लण्ड का ऊपरी हिस्सा अपनी बहन की चूत की लकीर में समा गया।

मैंने अपने लण्ड को थोड़ा ऊपर की तरफ दबाया तो आपी ने अपना एक हाथ नीचे से मेरे लण्ड पर रखा और उससे हिला-जुला कर अपनी चूत में सही तरह से फिट करने लगीं। आपी ने मेरे लण्ड को अपनी चूत पर राईट लेफ्ट हिलाते हुए दबाया तो आपी की चूत के दोनों होंठ खुल से गए और मेरा लण्ड आपी की चूत के अंदरूनी नर्म हिस्से पर छू गया।

आपी के मुँह से एक और ‘अहह…’ खारिज हुई और वो अपनी टाँगों को मज़बूती से भींचते हुए सिसकती आवाज़ में बोलीं- “हाँ... सगीर... उफ़फ्फ़… हान्ं... अब आगे-पीछे करो”

मैंने अपने हाथ अपनी बहन की कमर के इर्द-गिर्द से गुजारे और आपी के खूबसूरत खड़े उभारों को अपने हाथों में थाम लिया और उन्हें दबाते हुए अपना लण्ड आपी की रानों के दरमियान में आगे-पीछे करने लगा।

मैं जब अपना लण्ड पीछे को खींचता तो मेरा लण्ड आपी की चूत के अंदरूनी नरम हिस्से पर रगड़ ख़ाता हुआ पीछे आता और जब मेरे लण्ड का रिंग, जो रिंग टोपी के एंड पर होता है, आपी की चूत के अंदरूनी नरम हिस्से पर टच होता तो आपी के बदन में झुरझुरी सी फैल जाती और वो मज़े के शदीद असर से सिसकारी भरतीं।

इसी के साथ मैं उनके मज़े को दोगुना करने के लिए आपी के मम्मों को दबा कर उनकी प्यारे से खड़े हुए और सख़्त निप्पलों को अपनी चुटकी में भर कर मसल देता। अपने लण्ड को ऐसे ही रगड़ते हुए और आपी के निप्पलों से खेलते हुए मैंने अपने होंठ आपी की कमर पर रखे और उनकी कमर को चूमने और चाटने लगा।

आपी ने मज़े से एक ‘आहह...’ भरते हुए अपनी गर्दन को दायें बायें झटका सा दिया और उनकी नज़र अपनी बाईं तरफ़ आईने में पड़ी तो वो सिसकारते हुए बोलीं- “आह सगीर! आईने में देखो”

मैंने आपी की कमर पर अपना गाल रगड़ते हुए आईने में देखा तो इस नज़ारे ने मेरे बदन में मज़े की एक अनोखी लहर दौड़ा दी।

आईने में मेरा और आपी का साइड पोज़ नज़र आ रहा था। आपी कुर्सी के बाजुओं पर हाथ रखे झुक कर खड़ी थीं। उनका चेहरा आईने की ही तरफ था और मैं आपी पर झुका हुआ उनकी रानों में अपना लण्ड फँसाए अपना लण्ड आगे-पीछे कर रहा था।

लेकिन आईने में ऐसा ही लग रहा था जैसे मैं अपना लण्ड अपनी बहन की चूत में डाले हुए अन्दर-बाहर कर रहा होऊँ।

मैंने पूरे मंज़र पर नज़र डाल कर आपी के चेहरे की तरफ नज़र डाली तो मुझसे नज़र मिलने पर आपी मुस्कुरा कर जोशीले अंदाज़ में बोलीं- “देखो सगीर! बिल्कुल ऐसा लग रहा है ना, जैसे तुम मुझे कर रहे हो… है ना?”

मैंने शरारत से आपी को देखा और कहा- “आपी मैं क्या ‘कर’ रहा हूँ आपको, सही लफ्ज़ बोलो ना?”

आपी के चेहरे पर हल्की सी शर्म की लहर पैदा हुई और वो बोलीं- “वो ही कर रहे हो जो एक मर्द औरत के साथ इन हालत में करता है”

मैंने ज़रा जिद्दी से अंदाज़ में कहा- “यार साफ-साफ बोलो ना आपी, अब क्यों शरमाती हो, प्लीज़ बोलो ना”

आपी थोड़ी देर चुप रहीं और अपना हाथ नीचे ले जाकर मेरे लण्ड को अपनी चूत पर ऊपर की तरफ दबाया जो कि अब ज़रा नीचे हो गया था और बोलीं- “अच्छा सुनो साफ-साफ, बिल्कुल ऐसा लग रहा है जैसे मेरा सगा भाई मुझे यानि कि अपनी सग़ी बहन, अपनी बड़ी बहन को चोद रहा है”

मैं आपी के अल्फ़ाज़ सुन कर एकदम दंग रह गया और मेरा मुँह खुला का खुला रह गया क्योंकि मुझे उम्मीद नहीं थी कि आपी इतने खुले अल्फ़ाज़ में ऐसे कह देंगी। आपी ने एक गहरी नज़र से मेरी आँखों में देखा और वॉर्निंग देने के अंदाज़ में कहा- “सगीर मेरे भाई, तुम अभी औरत को जानते नहीं हो। मुझे छुपा ही रहने दो मेरी झिझक कायम ही रहने दो। मेरा कमीनापन बाहर मत लाओ वरना मैं तुम से संभाली नहीं जाउंगी। पहले ही बता रही हूँ”

TO BE CONTINUED ....
चूम लूं तेरे गालों को, दिल की यही ख्वाहिश है ....
ये मैं नहीं कहता, मेरे दिल की फरमाइश है !!!!

Love You All  Heart Heart
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जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 05-02-2024, 06:40 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 11-02-2024, 08:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 03:03 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 16-02-2024, 10:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 17-02-2024, 07:45 PM
RE: जिस्म की भूख - by sananda - 17-02-2024, 09:34 PM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 09:16 AM
RE: जिस्म की भूख - by Aftab94 - 18-02-2024, 04:29 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 25-02-2024, 05:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 27-02-2024, 10:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 02-03-2024, 11:06 PM
RE: जिस्म की भूख - by sri7869 - 05-03-2024, 12:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-03-2024, 02:26 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 07:43 AM
RE: जिस्म की भूख - by KHANSAGEER - 12-03-2024, 02:50 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 12-03-2024, 05:30 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 14-03-2024, 02:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 18-03-2024, 09:07 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 19-03-2024, 06:24 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 28-03-2024, 02:09 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 28-03-2024, 10:16 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 30-03-2024, 02:28 PM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 02-04-2024, 10:36 PM
RE: जिस्म की भूख - by saya - 10-04-2024, 05:17 PM
RE: जिस्म की भूख - by Chandan - 11-04-2024, 09:41 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 11:34 AM
RE: जिस्म की भूख - by Vnice - 17-04-2024, 02:06 PM



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