12-03-2024, 02:34 PM
राज: "मेरी जान, आज मेरी भी सालों की फैंटसी पूरी कर दे. मुझे तेरी गांड चोदने दे."
मैंने भी बेहोशी से ने अपनी आँखें मूँद ली और कहा, "ले मेरे राजा, तेरे लिए मैं कुछ भी करने को राजी हूँ. ड्रावर से वेसिलीन और कामसूत्र कंडोम निकाल. आज मेरी गांड भी चोद डाल, तेरी इच्छा पूरी करूंगी, भले ही मुझे थोड़ा दर्द सहने पड़े!"
राज ने तुरंत ड्रावर से वेसिलीन की डब्बी और कामसूत्र कंडोम का पैकेट निकाला. पंद्रह मिनट तक मैं घोड़ी बनकर रूपेश का लंड चूसती रही और पूरा समय राज मेरी गांड में वेसिलीन डालकर उसे ऊँगली से ही चोदता रहा. जैसे ही मैंने रूपेश का वीर्य निगल लिया, अपनी गर्दन तकिये पर रक्खी और अपनी गांड को और भी उठा दिया.
अब राज ने अपने लौंडेपर कामसूत्र कंडोम चढ़ाया और मेरी गांड खोलने लगा. फिर धीरे धीरे अपने लंड का सुपाड़ा उस छेद पर रगड़ने लगा. बाजुमें लेटा रूपेश आँखें फाड़ कर यह नज़ारा देख रहा था. आजतक उसने कभी भी किसी औरत की गांड चुदाई नहीं देखि थी.
राज ने धीरे धीरे अपने लंड को मेरी छेद में घुसाना शुरू किया। मैं दर्द के मारे तिलमिला उठी. राज ने और काफी सारा वेसिलीन मेरी गांड की छेद में भर कर फिर से लंड घुसाने की चेष्टा की. लम्बे के साथ काफी चौड़ा होने के कारण अंदर घुसना ज्यादा ही मुश्किल था.
पांच मिनट तक लगातार कोशिश करने के बाद मुझसे दर्द सहने की सारी शक्ति ख़त्म हो गयी.
मैंने राज से कहा, "अब बस करो, यह अंदर नहीं जा सकता. इतना चौड़ा और मोटा लौड़ा मेरी गांड के छेद में नहीं घुसेगा।"
राजने कंडोम उतारकर मेरी चुत को चोदना चाहा मगर अब दर्दके मारे मैं वहां भी बर्दाश्त न कर सकी.
मैंने कहा, "आज की रात रहने दो मेरे राजा, एक दिन लगेगा इस दर्द को काम होने में. कल रात को चुदाई कर लेना!"
मैं पीठ के बल लेट गयी. राज और रूपेश मेरी दोनों बाजू में सो गए.
मुझे बुरा लग रहा था की मेरी थ्रीसम की फैंटसी तो पूरी हुई मगर राज की गांड चुदाई की फैंटसी अधूरी ही रह गयी.
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मैंने भी बेहोशी से ने अपनी आँखें मूँद ली और कहा, "ले मेरे राजा, तेरे लिए मैं कुछ भी करने को राजी हूँ. ड्रावर से वेसिलीन और कामसूत्र कंडोम निकाल. आज मेरी गांड भी चोद डाल, तेरी इच्छा पूरी करूंगी, भले ही मुझे थोड़ा दर्द सहने पड़े!"
राज ने तुरंत ड्रावर से वेसिलीन की डब्बी और कामसूत्र कंडोम का पैकेट निकाला. पंद्रह मिनट तक मैं घोड़ी बनकर रूपेश का लंड चूसती रही और पूरा समय राज मेरी गांड में वेसिलीन डालकर उसे ऊँगली से ही चोदता रहा. जैसे ही मैंने रूपेश का वीर्य निगल लिया, अपनी गर्दन तकिये पर रक्खी और अपनी गांड को और भी उठा दिया.
अब राज ने अपने लौंडेपर कामसूत्र कंडोम चढ़ाया और मेरी गांड खोलने लगा. फिर धीरे धीरे अपने लंड का सुपाड़ा उस छेद पर रगड़ने लगा. बाजुमें लेटा रूपेश आँखें फाड़ कर यह नज़ारा देख रहा था. आजतक उसने कभी भी किसी औरत की गांड चुदाई नहीं देखि थी.
राज ने धीरे धीरे अपने लंड को मेरी छेद में घुसाना शुरू किया। मैं दर्द के मारे तिलमिला उठी. राज ने और काफी सारा वेसिलीन मेरी गांड की छेद में भर कर फिर से लंड घुसाने की चेष्टा की. लम्बे के साथ काफी चौड़ा होने के कारण अंदर घुसना ज्यादा ही मुश्किल था.
पांच मिनट तक लगातार कोशिश करने के बाद मुझसे दर्द सहने की सारी शक्ति ख़त्म हो गयी.
मैंने राज से कहा, "अब बस करो, यह अंदर नहीं जा सकता. इतना चौड़ा और मोटा लौड़ा मेरी गांड के छेद में नहीं घुसेगा।"
राजने कंडोम उतारकर मेरी चुत को चोदना चाहा मगर अब दर्दके मारे मैं वहां भी बर्दाश्त न कर सकी.
मैंने कहा, "आज की रात रहने दो मेरे राजा, एक दिन लगेगा इस दर्द को काम होने में. कल रात को चुदाई कर लेना!"
मैं पीठ के बल लेट गयी. राज और रूपेश मेरी दोनों बाजू में सो गए.
मुझे बुरा लग रहा था की मेरी थ्रीसम की फैंटसी तो पूरी हुई मगर राज की गांड चुदाई की फैंटसी अधूरी ही रह गयी.
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जिंदगी की राहों में रंजो गम के मेले हैं.
भीड़ है क़यामत की फिर भी हम अकेले हैं.