11-03-2024, 07:16 PM
मैं ने देखा कि घुसा उस ऊंची स्टूल पर चढ़ चुका था और उसके हाथ ऊपर के सीलिंग फैन की सफाई करने में व्यस्त थे लेकिन उसका पूरा ध्यान मेरी मां के शरीर पर ही था जो अपने काम में व्यस्त थी। मां जब झुक कर झाड़ू लगा रही थी तो जैसा कि मैं पहले ही बता चुकी हूं कि मेरी मां के बड़े बड़े स्तन ब्लाऊज से छलक कर बाहर निकलने को बेताब दिखाई दे रहे थे और साथ ही साथ उनके बड़े-बड़े मांसल नितम्ब पीछे की ओर बड़े सेक्सी और आकर्षक दिखाई दे रहे थे। उस नजारे को घुसा लार टपकाती नजरों से घूर रहा था और अपने होंठों पर जुबान फिरा रहा था। इन सब बातों से बेखबर मेरी मां अपने ही काम में मगन थी।
घुसा एक पतली टी शर्ट और पैजामे में था। हां, उस दिन की अपेक्षा आज उसकी टी-शर्ट और पैजामा काफी साफ सुथरी थी। तभी मेरी नजर उसकी तोंद से नीचे जांघों के बीच पड़ी और यह देख कर मेरी आंखें बड़ी-बड़ी हो गयीं कि घुसा के पैजामे का अगला भाग काफी उभर चुका था। हे राम, यह तो स्पष्ट हो चुका था कि घुसा उत्तेजित हो चुका था और उसका लंड खड़ा हो चुका था। यह सब देखकर इधर मैं भी भीतर ही भीतर सनसना उठी थी।
"तुम एक ही पंखा साफ करते रहोगे कि बाकी भी साफ करोगे?" मेरी मां की आवाज सुनकर घुसा ने तुरंत अपनी नज़र पंखे की ओर उठा ली लेकिन उसके मन की कुत्सित भावना की चुगली तो उसका फूला हुआ पैजामा कर रहा था। मेरी मां ने जैसे ही नजर उठाकर घुसा की ओर देखा तो उसकी नजर सीधे उसके फूले हुए पैजामे पर पड़ी। उतना बड़ा तंबू देखकर एक बार तो मेरी मां के मुंह में मानो ताला ही लग गया था और कुछ पलों के लिए उसकी आंखें मानो वहीं जम सी गई थीं। उनका चेहरा लाल हो गया था। कुछ ही पलों में जैसे उन्हें होश आया और अपने सर को झटक कर फिर अपने काम में लग गई।
"जी मैडमजी, यह पंखा तो साफ हो गया, अब दूसरा पंखा साफ करने वाले हैं।" कहने को तो वह कह गया था लेकिन सहसा उसे भी पता चल गया कि मेरी मां की नजर कहां है। वह हड़बड़ा कर पंखा का ब्लेड छोड़ कर अपना हाथ अपने सामने ले आया। दूसरे हाथ में एक कपड़ा का टुकड़ा था जिससे वह पंखे को साफ कर रहा था। वह एक हाथ से ही अपने सामने के उभार को छिपाने का असफल प्रयास करने लगा। उसी हड़बड़ाहट में वह स्टूल से उतर ही रहा था कि जानबूझकर या अनजाने में उसका संतुलन बिगड़ा और पास में ही खड़ी मेरी मां के ऊपर गिरने लगा लेकिन खुद को संभालते संभालते भी मेरी मां पर लद गया, जिस कारण मेरी मां का भी संतुलन बिगड़ा और वह भी पीछे की ओर गिरने लगी। घुसा मोटा जरूर था लेकिन फिर भी गजब की फुर्ती से न केवल खुद को संभाला, बल्कि मेरी मां को भी अपनी मजबूत बाहों में दबोच कर नीचे फर्श पर गिरने से बचा लिया। यह संयोग था या उसने ऐसा जानबूझकर किया था कि स्टूल मेरी मां के विपरीत दिशा में गिरा था और घुसा मेरी मां की तरफ गिरा था। मैं स्पष्ट देख सकती थी कि घुसा गिरते हुए भी बिल्कुल नियंत्रण में था लेकिन ऐसे दिखाया कि यह एक आकस्मिक दुर्घटना हो। उसके नियंत्रण का अंदाजा इस बात से भी लगा कि गिरने के क्रम में न उसे चोट लगी और न ही मेरी मां को चोट लगने दिया, लेकिन बड़ी चालाकी से वह मेरी मां को सुरक्षित फर्श पर ऐसे गिराया कि उसे बिल्कुल चोट न लगे और खुद उस पर धीरे से लद गया। ऐसी चालाकी से और सावधानी से लदा कि मेरी मां को उसकी चालाकी का आभास तक नहीं हुआ। घुसा ने इस बात का भी ध्यान रखा था कि मेरी मां उसके भारी भरकम शरीर से दब कर न पिस जाए। मैं ने इस बात को भी गौर किया था कि गिरते गिरते कितनी चालाकी से घुसा ने मेरी मां की साड़ी उनके घुटनों से ऊपर तक उठा दी थी। इतना ऊपर की मेरी मां की केले के थंभ जैसी चिकनी जांघें बेपर्दा हो गई थीं। यह सब उसने इतनी कुशलतापूर्वक किया था कि मेरी मां को इसका अंदाजा तक नहीं हुआ। वह तो इस आकस्मिक दुर्घटना से कुछ पलों तक हतप्रभ रह गयी थी। उसे अपने शरीर का होश ही नहीं था कि पल भर में वह किस तरह अर्धनग्न हो चुकी थी। वाह घुसा वाह। उसकी चालाकी पर मैं मन ही मन दाद देने लगी थी।
घुसा एक पतली टी शर्ट और पैजामे में था। हां, उस दिन की अपेक्षा आज उसकी टी-शर्ट और पैजामा काफी साफ सुथरी थी। तभी मेरी नजर उसकी तोंद से नीचे जांघों के बीच पड़ी और यह देख कर मेरी आंखें बड़ी-बड़ी हो गयीं कि घुसा के पैजामे का अगला भाग काफी उभर चुका था। हे राम, यह तो स्पष्ट हो चुका था कि घुसा उत्तेजित हो चुका था और उसका लंड खड़ा हो चुका था। यह सब देखकर इधर मैं भी भीतर ही भीतर सनसना उठी थी।
"तुम एक ही पंखा साफ करते रहोगे कि बाकी भी साफ करोगे?" मेरी मां की आवाज सुनकर घुसा ने तुरंत अपनी नज़र पंखे की ओर उठा ली लेकिन उसके मन की कुत्सित भावना की चुगली तो उसका फूला हुआ पैजामा कर रहा था। मेरी मां ने जैसे ही नजर उठाकर घुसा की ओर देखा तो उसकी नजर सीधे उसके फूले हुए पैजामे पर पड़ी। उतना बड़ा तंबू देखकर एक बार तो मेरी मां के मुंह में मानो ताला ही लग गया था और कुछ पलों के लिए उसकी आंखें मानो वहीं जम सी गई थीं। उनका चेहरा लाल हो गया था। कुछ ही पलों में जैसे उन्हें होश आया और अपने सर को झटक कर फिर अपने काम में लग गई।
"जी मैडमजी, यह पंखा तो साफ हो गया, अब दूसरा पंखा साफ करने वाले हैं।" कहने को तो वह कह गया था लेकिन सहसा उसे भी पता चल गया कि मेरी मां की नजर कहां है। वह हड़बड़ा कर पंखा का ब्लेड छोड़ कर अपना हाथ अपने सामने ले आया। दूसरे हाथ में एक कपड़ा का टुकड़ा था जिससे वह पंखे को साफ कर रहा था। वह एक हाथ से ही अपने सामने के उभार को छिपाने का असफल प्रयास करने लगा। उसी हड़बड़ाहट में वह स्टूल से उतर ही रहा था कि जानबूझकर या अनजाने में उसका संतुलन बिगड़ा और पास में ही खड़ी मेरी मां के ऊपर गिरने लगा लेकिन खुद को संभालते संभालते भी मेरी मां पर लद गया, जिस कारण मेरी मां का भी संतुलन बिगड़ा और वह भी पीछे की ओर गिरने लगी। घुसा मोटा जरूर था लेकिन फिर भी गजब की फुर्ती से न केवल खुद को संभाला, बल्कि मेरी मां को भी अपनी मजबूत बाहों में दबोच कर नीचे फर्श पर गिरने से बचा लिया। यह संयोग था या उसने ऐसा जानबूझकर किया था कि स्टूल मेरी मां के विपरीत दिशा में गिरा था और घुसा मेरी मां की तरफ गिरा था। मैं स्पष्ट देख सकती थी कि घुसा गिरते हुए भी बिल्कुल नियंत्रण में था लेकिन ऐसे दिखाया कि यह एक आकस्मिक दुर्घटना हो। उसके नियंत्रण का अंदाजा इस बात से भी लगा कि गिरने के क्रम में न उसे चोट लगी और न ही मेरी मां को चोट लगने दिया, लेकिन बड़ी चालाकी से वह मेरी मां को सुरक्षित फर्श पर ऐसे गिराया कि उसे बिल्कुल चोट न लगे और खुद उस पर धीरे से लद गया। ऐसी चालाकी से और सावधानी से लदा कि मेरी मां को उसकी चालाकी का आभास तक नहीं हुआ। घुसा ने इस बात का भी ध्यान रखा था कि मेरी मां उसके भारी भरकम शरीर से दब कर न पिस जाए। मैं ने इस बात को भी गौर किया था कि गिरते गिरते कितनी चालाकी से घुसा ने मेरी मां की साड़ी उनके घुटनों से ऊपर तक उठा दी थी। इतना ऊपर की मेरी मां की केले के थंभ जैसी चिकनी जांघें बेपर्दा हो गई थीं। यह सब उसने इतनी कुशलतापूर्वक किया था कि मेरी मां को इसका अंदाजा तक नहीं हुआ। वह तो इस आकस्मिक दुर्घटना से कुछ पलों तक हतप्रभ रह गयी थी। उसे अपने शरीर का होश ही नहीं था कि पल भर में वह किस तरह अर्धनग्न हो चुकी थी। वाह घुसा वाह। उसकी चालाकी पर मैं मन ही मन दाद देने लगी थी।